55. परन्तु यदि तुम उस देश के निवासियों को अपने आगे से न निकालोगे, तो उन में से जिनको तुम उस में रहने दोगे वे मानो तुम्हारी आंखों में कांटे और तुम्हारे पांजरों में कीलें ठहरेंगे, और वे उस देश में जहां तुम बसोगे तुम्हें संकट में डालेंगे।
55. 'And if ye do not dispossess the inhabitants of the land from before you, then it hath been, those whom ye let remain of them, [are] for pricks in your eyes, and for thorns in your sides, and they have distressed you on the land in which ye are dwelling,