8. हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्लेश से अनजान रहो, जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी समर्थ से बाहर था, यहां तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे।
8. For we would not have you ignorant, brethren, of our trouble which came to us in Asia: that we were pressed beyond measure, beyond strength, insomuch that we despaired even of life.