Genesis - उत्पत्ति 1 | View All

1. आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।
इब्रानियों 1:10, इब्रानियों 11:3

1. In the beginning, God created the heavens and the earth.

2. और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था।

2. The earth was without form and void, and darkness was over the face of the deep. And the Spirit of God was hovering over the face of the waters.

3. तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया।
2 कुरिन्थियों 4:9

3. And God said, 'Let there be light,' and there was light.

4. और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया।

4. And God saw that the light was good. And God separated the light from the darkness.

5. और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया।।

5. God called the light Day, and the darkness he called Night. And there was evening and there was morning, the first day.

6. फिर परमेश्वर ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए।
2 पतरस 3:5

6. And God said, 'Let there be an expanse in the midst of the waters, and let it separate the waters from the waters.'

7. तब परमेश्वर ने एक अन्तर करके उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया।

7. And God made the expanse and separated the waters that were under the expanse from the waters that were above the expanse. And it was so.

8. और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया।।

8. And God called the expanse Heaven. And there was evening and there was morning, the second day.

9. फिर परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे; और वैसा ही हो गया।

9. And God said, 'Let the waters under the heavens be gathered together into one place, and let the dry land appear.' And it was so.

10. और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उस ने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

10. God called the dry land Earth, and the waters that were gathered together he called Seas. And God saw that it was good.

11. फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से हरी घास, तथा बीजवाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्ही में एक एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें; और वैसा ही हो गया।
1 कुरिन्थियों 15:38

11. And God said, 'Let the earth sprout vegetation, plants yielding seed, and fruit trees bearing fruit in which is their seed, each according to its kind, on the earth.' And it was so.

12. तो पृथ्वी से हरी घास, और छोटे छोटे पेड़ जिन में अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्ही में होते हैं उगे; और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

12. The earth brought forth vegetation, plants yielding seed according to their own kinds, and trees bearing fruit in which is their seed, each according to its kind. And God saw that it was good.

13. तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन हो गया।।

13. And there was evening and there was morning, the third day.

14. फिर परमेश्वर ने कहा, दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों; और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण हों।

14. And God said, 'Let there be lights in the expanse of the heavens to separate the day from the night. And let them be for signs and for seasons, and for days and years,

15. और वे ज्योतियां आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देनेवाली भी ठहरें; और वैसा ही हो गया।

15. and let them be lights in the expanse of the heavens to give light upon the earth.' And it was so.

16. तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईं; उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया: और तारागण को भी बनाया।

16. And God made the two great lights- the greater light to rule the day and the lesser light to rule the night- and the stars.

17. परमेश्वर ने उनको आकाश के अन्तर में इसलिये रखा कि वे पृथ्वी पर प्रकाश दें,

17. And God set them in the expanse of the heavens to give light on the earth,

18. तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और उजियाले को अन्धियारे से अलग करें: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

18. to rule over the day and over the night, and to separate the light from the darkness. And God saw that it was good.

19. तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार चौथा दिन हो गया।।

19. And there was evening and there was morning, the fourth day.

20. फिर परमेश्वर ने कहा, जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश कें अन्तर में उड़ें।

20. And God said, 'Let the waters swarm with swarms of living creatures, and let birds fly above the earth across the expanse of the heavens.'

21. ठसलिये परमेश्वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल- जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया और एक एक जाति के उड़नेवाले पक्षियों की भी सृष्टि की : और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

21. So God created the great sea creatures and every living creature that moves, with which the waters swarm, according to their kinds, and every winged bird according to its kind. And God saw that it was good.

22. और परमेश्वर ने यह कहके उनको आशीष दी, कि फूलो- फलो, और समुद्र के जल में भर जाओ, और पक्षी पृथ्वी पर बढ़ें।

22. And God blessed them, saying, 'Be fruitful and multiply and fill the waters in the seas, and let birds multiply on the earth.'

23. तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पांचवां दिन हो गया।

23. And there was evening and there was morning, the fifth day.

24. फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से एक एक जाति के जीवित प्राणी, अर्थात् घरेलू पशु, और रेंगनेवाले जन्तु, और पृथ्वी के वनपशु, जाति जाति के अनुसार उत्पन्न हों; और वैसा ही हो गया।

24. And God said, 'Let the earth bring forth living creatures according to their kinds- livestock and creeping things and beasts of the earth according to their kinds.' And it was so.

25. सो परमेश्वर ने पृथ्वी के जाति जाति के वनपशुओं को, और जाति जाति के घरेलू पशुओं को, और जाति जाति के भूमि पर सब रेंगनेवाले जन्तुओं को बनाया : और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

25. And God made the beasts of the earth according to their kinds and the livestock according to their kinds, and everything that creeps on the ground according to its kind. And God saw that it was good.

26. फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगनेवाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।
इफिसियों 4:24, याकूब 3:9

26. Then God said, 'Let us make man in our image, after our likeness. And let them have dominion over the fish of the sea and over the birds of the heavens and over the livestock and over all the earth and over every creeping thing that creeps on the earth.'

27. तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके उस ने मनुष्यों की सृष्टि की।
मत्ती 19:4, मरकुस 10:6, प्रेरितों के काम 17:29, 1 कुरिन्थियों 11:7, कुलुस्सियों 3:10, 1 तीमुथियुस 2:13

27. So God created man in his own image, in the image of God he created him; male and female he created them.

28. और परमेश्वर ने उनको आशीष दी : और उन से कहा, फूलो- फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले सब जन्तुओ पर अधिकार रखो।

28. And God blessed them. And God said to them, 'Be fruitful and multiply and fill the earth and subdue it and have dominion over the fish of the sea and over the birds of the heavens and over every living thing that moves on the earth.'

29. फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीजवाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीजवाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं :
रोमियों 14:2

29. And God said, 'Behold, I have given you every plant yielding seed that is on the face of all the earth, and every tree with seed in its fruit. You shall have them for food.

30. और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया।

30. And to every beast of the earth and to every bird of the heavens and to everything that creeps on the earth, everything that has the breath of life, I have given every green plant for food.' And it was so.

31. तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन हो गया।।
1 तीमुथियुस 4:4

31. And God saw everything that he had made, and behold, it was very good. And there was evening and there was morning, the sixth day.



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