2 Kings - 2 राजाओं 7 | View All

1. तब एलीशा ने कहा, यहोवा का वचन सुनो, यहोवा यों कहता है, कि कल इसी समय शोमरोन के फाटक में सआ भर मैदा एक शेकेल में और दो सआ जव भी एक शेकेल में बिकेगा।

1. And Elisha said, Hear ye the word of LORD. Thus says LORD, Tomorrow about this time a measure of fine flour shall be sold for a shekel, and two measures of barley for a shekel, in the gate of Samaria.

2. तब उस सरदार ने जिसके हाथ पर राजा तकिया करता थ, परमेश्वर के भक्त को उत्तर देकर कहा, सुन, चाहे यहोवा आकाश के झरोखे खोले, तौभी क्या ऐसी बात हो सकेगी? उस ने कहा, सुन, तू यह अपनी आंखों से तो देखेगा, परन्तु उस अन्न में से कुछ खाने न पाएगा।

2. Then the captain on whose hand the king leaned answered the man of God, and said, Behold, if LORD should make windows in heaven, might this thing be? And he said, Behold, thou shall see it with thine eyes, but shall not eat of it.

3. और चार कोढ़ी फाटक के बाहर थे; वे आपस में कहने लगे, हम क्यों यहां बैठे बैठे मर जाएं?

3. Now there were four leprous men at the entrance of the gate, and they said one to another, Why do we sit here until we die?

4. यदि हम कहें, कि नगर में जाएं, तो वहां मर जाएंगे; क्योंकि वहां मंहगी पड़ी है, और जो हम यहीं बैठे रहें, तौभी मर ही जाएंगे। तो आओ हम अराम की सेना में पकड़े जाएं; यदि वे हम को जिलाए रखें तो हम जीवित रहेंगे, और यदि वे हम को मार डालें, तौभी हम को मरना ही है।

4. If we say, We will enter into the city, then the famine is in the city, and we shall die there. And if we sit still here, we die also. Now therefore come, and let us fall to the army of the Syrians. If they save us alive, we shall live, and if they kill us, we shall but die.

5. तब वे सांझ को अराम की छावनी में जाने को चले, और अराम की छावनी की छोर पर पहुंचकर क्या देखा, कि वहां कोई नहीं है।

5. And they rose up in the twilight, to go to the camp of the Syrians. And when they came to the outermost part of the camp of the Syrians, behold, there was no man there.

6. क्योंकि प्रभु ने अराम की सेना को रथों और घोड़ों की और भारी सेना की सी आहट सुनाई थी, और वे आपस में कहने लगे थे कि, सुनो, इस्राएल के राजा ने हित्ती और मिस्री राजाओं को बेतन पर बुलवाया है कि हम पर चढ़ाई करें।

6. For LORD had made the army of the Syrians to hear a noise of chariots, and a noise of horses, even the noise of a great army. And they said one to another, Lo, the king of Israel has hired against us the kings of the Hittites, and the kings of the Egyptians, to come upon us.

7. इसलिये वे सांझ को उठकर ऐसे भाग गए, कि अपने डेरे, घोड़े, गदहे, और छावनी जैसी की तैसी छोड़- छाड़ अपना अपना प्राण लेकर भाग गए।

7. Therefore they arose and fled in the twilight, and left their tents, and their horses, and their donkeys, even the camp as it was, and fled for their life.

8. तो जब वे कोढ़ी छावनी की छोर के डेरों के पास पहुंचे, तब एक डेरे में घुसकर खाया पिया, और उस में से चान्दी, सोना और वस्त्रा ले जाकर छिपा रखा; फिर लौटकर दूसरे डेरे में घुस गए और उस में से भी ले जाकर छिपा रखा।

8. And when these lepers came to the outermost part of the camp, they went into one tent, and ate and drank, and carried from there silver, and gold, and raiment, and went and hid it. And they came back, and entered into another tent, and carried from there also, and went and hid it.

9. तब वे आपस में कहने लगे, जो हम कर रहे हैं वह अच्छा काम नहीं है, यह आनन्द के समाचार का दिन है, परन्तु हम किसी को नहीं बताते। जो हम पह फटने तक ठहरे रहें तो हम को दणड मिलेगा; सो अब आओ हम राजा के घराने के पास जाकर यह बात बतला दें।

9. Then they said one to another, We are not doing right. This day is a day of good news, and we keep silent. If we delay till the morning light, punishment will overtake us. Now therefore come, let us go and tell the king's household.

10. तब वे चले और नगर के चौकीदारों को बुलाकर बताया, कि हम जो अराम की छावनी में गए, तो क्या देखा, कि वहां कोई नहीं है, और मनुष्य की कुछ आहट नहीं है, केवल बन्धे हूए घोड़े और गदहे हैं, और डेरे जैसे के तैसे हैं।

10. So they came and called to the porter of the city. And they told them, saying, We came to the camp of the Syrians, and, behold, there was no man there, neither voice of man, but the horses tied, and the donkeys tied, and the tents as they were.

11. तब चौकीदारों ने पुकार के राजभवन के भीतर समाचार दिया।

11. And he called the porters, and they told it to the king's household within.

12. और राजा रात ही को उठा, और अपने कर्मचारियों से कहा, मैं तुम्हें बताता हूँ कि अरामियों ने हम से क्या किया है? वे जानते हैं, कि हम लोग भूखे हैं इस कारण वे छावनी में से मैदान में छिपने को यह कहकर गए हैं, कि जब वे नगर से निकलेंगे, तब हम उनको जीवित ही पकड़कर नगर में घुसने पाएंगे।

12. And the king arose in the night, and said to his servants, I will now show you what the Syrians have done to us. They know that we are hungry. Therefore they have gone out of the camp to hide themselves in the field, saying, When they come out of the city we shall take them alive, and get into the city.

13. परन्तु राजा के किसी कर्मचारी ने उत्तर देकर कहा, कि जो घोड़े तगर में बच रहे हैं उन में से लोग पांच घोड़े लें, और उनको भेजकर हम हाल जान लें। ( वे तो इस्राएल की सब भीड़ के समान हैं जो नगर में रह गए हैं वरन इस्राएल की जो भीड़ मर मिट गई है वे उसी के समान हैं। )

13. And one of his servants answered and said, Let, I pray thee, some men take five of the horses that remain, which are left in the city (behold, they are as all the multitude of Israel that are left in it; behold, they are as all the multitude of Israel that are consumed), and let us send and see.

14. सो उन्हों ने दो रथ और उनके घोड़े लिये, और राजा ने उनको अराम की सेेना के पीछे भेजा; और कहा, जाओे, देखो।

14. Therefore they took two chariots with horses. And the king sent after the army of the Syrians, saying, Go and see.

15. तब वे यरदन तक उनके पीछे चले गए, और क्या देखा, कि पूरा मार्ग वस्त्रों और पात्रों से भरा पड़ा है, जिन्हें अरामियों ने उतावली के मारे फेंक दिया था; तब दूत लौट आए, और राजा से यह कह सुनाया।

15. And they went after them to the Jordan. And, lo, all the way was full of garments and vessels, which the Syrians had cast away in their haste. And the messengers returned, and told the king.

16. तब लोगों ने निकलकर अराम के डेरों को लूट लिया; और यहोवा के वचन के अनुसार एक सआ मैदा एक शेकेल में, और दो सआ जव एक शेकेल में बिकने लगा।

16. And the people went out, and plundered the camp of the Syrians. So a measure of fine flour was sold for a shekel, and two measures of barley for a shekel, according to the word of LORD.

17. और राजा ने उस सरदार को जिसके हाथ पर वह तकिया करता था फाटक का अधिकारी ठहराया; तब वह फाटक में लोगों के पावों के नीचे दबकर मर गया। यह परमेश्वर के भक्त के उस वचन के अनुसार हुआ जो उस ने राजा से उसके यहां आने के यमय कहा था।

17. And the king appointed the captain on whose hand he leaned to have the charge of the gate. And the people trampled upon him in the gate, and he died as the man of God had said, who spoke when the king came down to him.

18. परमेश्वर के भक्त ने जैसा राजा से यह कहा था, कि कल इसी समय शोमरोन के फाटक में दो सआ जव एक शेकेल में, और एक सआ मैदा एक शेकेल में बिकेगा, वैसा ही हुआ।

18. And it came to pass, as the man of God had spoken to the king, saying, Two measures of barley for a shekel, and a measure of fine flour for a shekel, shall be tomorrow about this time in the gate of Samaria.

19. और उस सरदार ने परमेश्वर के भक्त को, उत्तर देकर कहा था, कि सुन चाहे यहोवा आकाश में झरोखे खोले तौभी क्या ऐसी बात हो सकेगी? और उस ने कहा था, सुन, तू यह अपनी आंखों से तो देखेगा, परन्तु उस अन्न में से खाने न पाएगा।

19. And that captain answered the man of God, and said, Now, behold, if LORD should make windows in heaven, might such a thing be? And he said, Behold, thou shall see it with thine eyes, but shall not eat of it.

20. सो उसके साथ ठीक वैसा ही हुआ, अतएव वह फाटक में लोगों के पांवों के नीचे दबकर मर गया।

20. It came to pass even so to him, for the people trampled upon him in the gate, and he died.



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