Hebrews - इब्रानियों 7 | View All

1. यह मलिकिसिदक शालेम का राजा, और परमप्रधान परमेश्वर का याजक, सर्वदा याजक बना रहता है; जब इब्राहीम राजाओं को मारकर लौटा जाता था, तो इसी ने उस से भेंट करके उसे आशीष दी।
उत्पत्ति 14:17-20

1. সেই যে মল্কীষেদক, যিনি শালেমের রাজা ও পরাৎপর ঈশ্বরের যাজক ছিলেন, অব্রাহাম যখন রাজাদের সংহার হইতে ফিরিয়া আইসেন, তিনি তখন তাঁহার সহিত সাক্ষাৎ করিলেন, ও তাঁহাকে আশীর্ব্বাদ করিলেন,

2. इसी को इब्राहीम ने सब वस्तुओं का दसवां अंश भी दिया: यह पहिले अपने नाम के अर्थ के अनुसार, धर्म का राजा है।

2. এবং অব্রাহাম তাঁহাকে সমস্তের দশমাংশ দিলেন। প্রথমে তাঁহার নামের তাৎপর্য্য ব্যাখ্যা করিলে তিনি ‘ধার্ম্মিকতার রাজা’, পরে ‘শালেমের রাজা’,

3. जिस का न पिता, न माता, न वंशावली है, जिस के न दिनों का आदि है और न जीवन का अनत है; परन्तु परमेश्वर के पुत्रा के स्वरूप ठहरा।।

3. অর্থাৎ শান্তিরাজ; তাঁহার পিতা নাই, মাতা নাই, পূর্ব্বপুরুষাবলি নাই, আয়ুর আদি কি জীবনের অন্ত নাই; কিন্তু তিনি ঈশ্বরের পুত্রের সদৃশীকৃত; তিনি নিত্যই যাজক থাকেন।

4. अब इस पर ध्यान करो कि यह कैसा महान था जिस को कुलपति इब्राहीम ने अच्छे से अच्छे माल की लूट का दसवां अंश दिया।
उत्पत्ति 14:19-20

4. বিবেচনা করিয়া দেখ, তিনি কেমন মহান্‌, যাঁহাকে সেই পিতৃকুলপতি অব্রাহাম উত্তম উত্তম লুটদ্রব্য লইয়া দশমাংশ দান করিয়াছিলেন।

5. लेवी की संतान में से जो याजक का पद पाते हैं, उन्हें आज्ञा मिली है, कि लोगों, अर्थात् अपने भाइयों से चाहे, वे इब्राहीम ही की देह से क्यों न जन्में हां, व्यवस्था के अनुसार दसवां अंश लें।
गिनती 18:21

5. আর লেবির সন্তানদের মধ্যে যাহারা যাজকত্ব প্রাপ্ত হয়, তাহারা ব্যবস্থানুসারে প্রজাবৃন্দের অর্থাৎ নিজ ভ্রাতৃগণের কাছে দশমাংশ গ্রহণ করিবার বিধি পাইয়াছে, যদিও তাহারা অব্রাহামের বংশ হইতে উৎপন্ন হইয়াছে;

6. पर इस ने, जो उन की वंशावली में का भी न था इब्राहीम से दसवां अंश लिया और जिसे प्रतिज्ञाएं मिली थी उसे आशीष दी।
उत्पत्ति 14:19-20

6. কিন্তু ঐ যে ব্যক্তি তাহাদের বংশজাত বলিয়া নির্দ্দিষ্ট নহেন, তিনি অব্রাহাম হইতে দশমাংশ লইয়াছিলেন, এবং প্রতিজ্ঞাকলাপের সেই অধিকারীকেই আশীর্ব্বাদ করিয়াছিলেন।

7. और उस में संदेह नहीं, कि छोटा बड़े से आशीष पाता है।

7. ক্ষুদ্রতর পাত্র গুরুতর পাত্রকর্ত্তৃক আশীর্ব্বাদ প্রাপ্ত হয়, এই কথা ত সমস্ত প্রতিবাদের বহির্ভূত।

8. और यहां तो मरनहार मनुष्य दसवां अंश लेते हैं पर वहां वही लेता है, जिस की गवाही दी जाती है, कि वह जीवित है।

8. আবার এই স্থলে মরণশীল মনুষ্যেরাই দশমাংশ পায়, কিন্তু ঐ স্থলে তিনি পান, যাঁহার বিষয়ে এমন সাক্ষ্য দেওয়া হইয়াছে যে, তিনি জীবনবিশিষ্ট।

9. तो हम यह भी कह सकते हैं, कि लेवी ने भी, जो दसवां अंश लेता है, इब्राहीम के द्वारा दसवां अंश दिया।

9. আবার ইহাও বলিলে বলা যাইতে পারে যে, অব্রাহামের দ্বারা দশমাংশগ্রাহী লেবি আপনি দশমাংশ দিয়াছেন,

10. क्योंकि जिस समय मलिकिसिदक ने उसके पिता से भेंट की, उस समय यह अपने पिता की देह में था।।
उत्पत्ति 14:19-20

10. কারণ যখন মল্কীষেদক তাঁহার পিতার সহিত সাক্ষাৎ করেন, তখন লেবি পিতার কটিতে ছিলেন।

11. तक यदि लेवीय याजक पद के द्वारा सिद्धि हो सकती है (जिस के सहारे से लोगों को व्यवस्था मिली थी) तो फिर क्या आवश्यकता थी, कि दूसरा याजक मलिकिसिदक की रीति पर खड़ा हो, और हारून की रीति का न कहलाए?
भजन संहिता 110:4

11. অতএব যদি লেবীয় যাজকত্ব দ্বারা সিদ্ধি হইতে পারিত—সেই যাজকত্বের অধীনেই ত প্রজাবৃন্দ ব্যবস্থা পাইয়াছিল—তবে আবার কি প্রয়োজন ছিল যে, মল্কীষেদকের রীতি অনুসারে অন্যবিধ এক যাজক উৎপন্ন হইবেন, এবং তাঁহাকে হারোণের রীতি অনুযায়ী বলিয়া ধরা হইবে না?

12. क्योंकि जब याजक का पद बदला जाता है? तो व्यवस्था का भी बदलना अवश्य है।

12. যাজকত্ব যখন পরিবর্ত্তিত হয়, তখন ব্যবস্থারও পরিবর্ত্তন হয়, ইহা আবশ্যক।

13. क्योंकि जिस के विषय में ये बातें कही जाती हैं कि वह दूसरे गोत्रा का है, जिस में से किसी ने वेदी की सेवा नहीं की।

13. এ সকল কথা যাঁহার উদ্দেশে বলা যায়, তিনি ত অন্যবিধ বংশভুক্ত; সেই বংশের মধ্যে যজ্ঞবেদির সেবাধিকারী কেহই হয় নাই।

14. तो प्रगट है, कि हमारा प्रभु यहूदा के गोत्रा में से उदय हुआ है और इस गोत्रा के विषय में मूसा ने याजक पद की कुछ चर्चा नहीं की।
उत्पत्ति 49:10, 1 इतिहास 5:2, यशायाह 11:1

14. ফলতঃ আমাদের প্রভু যিহূদা হইতে উদিত হইয়াছেন, ইহা সুস্পষ্ট; কিন্তু সেই বংশের উদ্দেশে মোশি যাজকদের বিষয়ে কিছুই বলেন নাই।

15. ओर जब मलिकिसिदक के समान एक और ऐसा याजक उत्पन्न होनेवाला था।
भजन संहिता 110:4

15. আমাদের কথা আরও অধিক স্পষ্ট হইয়া পড়ে, যখন মল্কীষেদকের সাদৃশ্য অনুযায়ী আর এক জন যাজক উৎপন্ন হন,

16. जो शारीरिक आज्ञा की व्यवस्था के अनुसार नहीं, पर अविनाशी जीवन की सामर्थ के अनुसार नियुक्त हो तो हमारा दावा और भी स्पष्टता से प्रगट हो गया।

16. যিনি মাংসিক বিধির নিয়ম অনুযায়ী হন নাই, কিন্তু অলোপ্য জীবনের শক্তি অনুযায়ী হইয়াছেন।

17. क्योंकि उसके विषय में यह गवाही दी गई है, कि तू मलिकिसिदक की रीति पर युगानुयुग याजक है।
भजन संहिता 110:4

17. কেননা তিনি এই সাক্ষ্য প্রাপ্ত হইতেছেন, “তুমিই মল্কীষেদকের রীতি অনুসারে অনন্তকালীন যাজক।”

18. निदान, पहिली आज्ञा निर्बल; और निष्फल होने के कारण लोप हो गई।

18. কারণ এক পক্ষে পূর্ব্বকার বিধির দুর্ব্বলতা ও নিষ্ফলতা প্রযুক্ত তাহার লোপ হইতেছে

19. (इसलिये कि व्यवस्था ने किसी बात की सिद्धि नहीं कि) और उसके स्थान पर एक ऐसी उत्तम आशा रखी गई है जिस के द्वारा हम परमेश्वर के समीप जा सकते हैं।

19. —কেননা ব্যবস্থা কিছুই সিদ্ধ করে নাই—পক্ষান্তরে এমন এক শ্রেষ্ঠ প্রত্যাশা আনা হইতেছে, যদ্দ্বারা আমরা ঈশ্বরের নিকটে উপস্থিত হই।

20. और इसलिये कि मसीह की नियुक्ति बिना शपथ नहीं हुई।

20. অধিকন্তু ইহা বিনা শপথে হয় নাই।

21. (क्योंकि वे तो बिना शपथ याजक ठहराए गए पर यह शपथ के साथ उस की ओर से नियुक्त किया गया जिस ने उसके विषय में कहा, कि प्रभु ने शपथ खाई, और वह उस से फिर ने पछताएगा, कि तू युगानुयुग याजक है)।

21. উহারা ত বিনা শপথে যাজক হইয়া আসিতেছে; কিন্তু ইনি শপথ সহকারে তাঁহারই দ্বারা নিযুক্ত, তিনি তাঁহার বিষয়ে কহিলেন, “প্রভু এই শপথ করিলেন, আর তিনি অনুশোচনা করিবেন না, তুমিই অনন্তকালীন যাজক।”

22. सो यीशु एक उत्तम वाचा का जामिन ठहरा।

22. অতএব যীশু এইরূপ মহৎ বিষয়েও উৎকৃষ্টতর নিয়মের প্রতিভূ হইয়াছেন।

23. वे तो बहुत से याजक बनते आए, इस का कारण यह था कि मृत्यु उन्हें रहने नहीं देती थी।

23. আর উহারা অনেক যাজক হইয়া আসিতেছে, কারণ মৃত্যু উহাদিগকে চিরকাল থাকিতে দেয় না।

24. पर यह युगानुयुग रहता है; इस कारण उसका याजक पद अटल है।

24. কিন্তু তিনি ‘অনন্তকাল’ থাকেন, তাই তাঁহার যাজকত্ব অপরিবর্ত্তনীয়।

25. इसी लिये जो उसके द्वारा परमेश्वर के पास आते हैं, वह उन का पूरा पूरा उद्धार कर सकता है, क्योंकि वह उन के लिये बिनती करने को सर्वदा जीवित है।।
यशायाह 59:16

25. এই জন্য, যাহারা তাঁহা দিয়া ঈশ্বরের নিকটে উপস্থিত হয়, তাহাদিগকে তিনি সম্পূর্ণরূপে পরিত্রাণ করিতে পারেন, কারণ তাহাদের নিমিত্ত অনুরোধ করণার্থে তিনি সতত জীবিত আছেন।

26. सो ऐसा ही महायाजक हमारे योग्य था, जो पवित्रा, और निष्कपट और निर्मल, और पापियों से अलग, और स्वर्ग से भी ऊंचा किया हुआ हो।

26. বস্তুতঃ আমাদের জন্য এমন এক মহাযাজক উপযুক্ত ছিলেন, যিনি সাধু, অহিংসক, বিমল, পাপিগণ হইতে পৃথক্‌কৃত, এবং স্বর্গ সকল অপেক্ষা উচ্চীকৃত।

27. और उन महायाजकों की नाई उसे आवश्यक नहीं कि प्रति दिन पहिले अपने पापों और फिर लोगों के पापों के लिये बलिदान चढ़ाए; क्योंकि उस ने अपने आप को बलिदान चढ़ाकर उसे एक ही बार निपटा दिया।
लैव्यव्यवस्था 16:6, लैव्यव्यवस्था 16:15

27. ঐ মহাযাজকগণের ন্যায় প্রতিদিন অগ্রে নিজ পাপের, পরে প্রজাবৃন্দের পাপের নিমিত্ত নৈবেদ্য উৎসর্গ করা ইহাঁর পক্ষে আবশ্যক নয়, কারণ আপনাকে উৎসর্গ করাতে ইনি সেই কার্য্য একবারে সাধন করিয়াছেন।

28. क्योंकि व्यवस्था तो निर्बल मनुष्यों को महायाजक नियुक्त करती है; परन्तु उस शपथ का वचन जो व्यवस्था के बाद खाई गई, उस पुत्रा को नियुक्त करता है जो युगानुयुग के लिये सिद्ध किया गया है।।
भजन संहिता 2:7

28. কেননা ব্যবস্থা যে মহাযাজকদিগকে নিযুক্ত করে, তাহারা দুর্ব্বলতাবিশিষ্ট মনুষ্য; কিন্তু ব্যবস্থার পশ্চাৎকালীয় ঐ শপথের বাক্য যাঁহাকে নিযুক্ত করে, তিনি অনন্তকালের জন্য সিদ্ধিপ্রাপ্ত পুত্র।



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