10. जैसा लिखा है, कि कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं।भजन संहिता 14:1-3 मूर्ख ने अपने मन में कहा है, कोई परमेश्वर है ही नहीं। वे बिगड़ गए, उन्हों ने घिनौने काम किए हैं, कोई सुकर्मी नहीं।परमेश्वर ने स्वर्ग में से मनुष्यों पर दृष्टि की है, कि देखे कि कोई बुद्धिमान, कोई परमेश्वर का खोजी है या नहीं।वे सब के सब भटक गए, वे सब भ्रष्ट हो गए; कोई सुकर्मी नहीं, एक भी नहीं।
भजन संहिता 53:1-3 मूढ़ ने अपने मन में कहा है, कि कोई परमेश्वर है ही नहीं। वे बिगड़ गए, उन्हों ने कुटिलता के घिनौने काम किए हैं; कोई सुकर्मी नहीं।।परमेश्वर ने स्वर्ग पर से मनुष्यों के ऊपर दृष्टि की ताकि देखे कि कोई बुद्धि से चलनेवाला वा परमेश्वर को पूछनेवाला है कि नहीं।।वे सब के सब हट गए; सब एक साथ बिगड़ गए; कोई सुकर्मी नहीं, एक भी नहीं।। क्या उन सब अनर्थकारियों को कुछ भी ज्ञान नहीं
सभोपदेशक 7:20 नि:सन्देह पृथ्वी पर कोई ऐसा धर्मी मनुष्य नहीं जो भलाई ही करे और जिस से पाप न हुआ हो।।