Romans - रोमियों 3 | View All

1. सो यहूदी की क्या बड़ाई, या खतने का क्या लाभ?

1. What advantage then hath the Jew? or what profit [is there] of circumcision?

2. हर प्रकार से बहुत कुछ। पहिले तो यह कि परमशॆवर के वचन उन को सौंपे गए।
व्यवस्थाविवरण 4:7-8, भजन संहिता 103:7, भजन संहिता 147:19-20

2. Much every way: chiefly, because that to them were committed the oracles of God.

3. यदि कितने विश्वसघाती निकले भी तो क्या हुआ। क्या उनके विश्वासघाती होने से परमेश्वर की सच्चाई व्यर्थ ठहरेगी?

3. For what if some did not believe? shall their unbelief make the faithfulness of God without effect?

4. कदापि नहीं, बरन परमेश्वर सच्चा और हर एक मनुष्य झूठा ठहरे, जैसा लिखा है, कि जिस से तू अपनी बातों में धर्मी ठहरे और न्याय करते समय तू जय पाए।
भजन संहिता 51:4, भजन संहिता 116:11

4. By no means: verily, let God be true, but every man a liar; as it is written, That thou mayest be justified in thy sayings, and mayest overcome when thou art judged.

5. सो यदि हमारा अधर्म परमेश्वर की धार्मिकता ठहरा देता है, तो हम क्या कहें? क्या यह कि परमेश्वर जो क्रोध करता है अन्यायी है? (यह तो मैं मनुष्य की रीति पर कहता हूं)।

5. But if our unrighteousness commendeth the righteousness of God, what shall we say? [Is] God unrighteous who taketh vengeance? (I speak as a man)

6. कदापि नहीं, नहीं तो परमेश्वर क्योंकर जगत का न्याय करेगा?

6. By no means: for then how shall God judge the world?

7. यदि मेरे झूठ के कारण परमेश्वर की सच्चाई उस को महिमा के लिये अधिक करके प्रगट हुई, तो फिर क्यों पापी की नाई मैं दण्ड के योग्य ठहराया जाता हूं?

7. For if the truth of God hath more abounded through my lie to his glory; why yet am I also judged as a sinner?

8. और हम क्यों बुराई न करें, कि भलाई निकले? जब हम पर यही दोष लगाया भी जाता है, और कितने कहते हैं? कि इन का यही कहना है: परन्तु ऐसों का दोषी ठहराना ठीक है।।

8. And not [rather], (as we are slanderously reported, and as some affirm that we say,) Let us do evil, that good may come? whose condemnation is just.

9. तो फिर क्या हुआ? क्या हम उन से अच्छे हैं? कभी नही; क्योंकि हम यहूदियों और यूनानियों दोनों पर यह दोष लगा चुके हैं कि वे सब के सब पाप के वश में हैं।

9. What then? are we better [than they]? No, in no way: for we have before proved both Jews and Gentiles, that they are all under sin;

10. जैसा लिखा है, कि कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं।
भजन संहिता 14:1-3, भजन संहिता 53:1-3, सभोपदेशक 7:20

10. As it is written, There is none righteous, no, not one:

11. कोई समझदार नहीं, कोई परमेश्वर का खोजनेवाला नहीं।

11. There is none that understandeth, there is none that seeketh God.

12. सब भटक गए हैं, सब के सब निकम्मे बन गए, कोई भलाई करनेवाला नहीं, एक भी नहीं।

12. They are all gone out of the way, they are together become unprofitable; there is none that doeth good, no, not one.

13. उन का गला खुली हुई कब्र है: उन्हीं ने अपनी जीभों से छल किया है: उन के होठों में सापों का विष है।
भजन संहिता 5:9, भजन संहिता 140:3

13. Their throat [is] an open sepulchre; with their tongues they have used deceit; the poison of asps [is] under their lips:

14. और उन का मुंह श्राप और कड़वाहट से भरा है।
भजन संहिता 10:7

14. Whose mouth [is] full of cursing and bitterness:

15. उन के पांव लोहू बहाने को फुर्तीले हैं।
नीतिवचन 1:16, यशायाह 59:7-8

15. Their feet [are] swift to shed blood:

16. उन के मार्गों में नाश और क्लेश है।

16. Destruction and misery [are] in their ways:

17. उन्हों ने कुशल का मार्ग नहीं जाना।
नीतिवचन 1:16

17. And the way of peace have they not known:

18. उन की आंखों के साम्हने परमेश्वर का भय नहीं।
भजन संहिता 36:1

18. There is no fear of God before their eyes.

19. हम जानते हैं, कि व्यवस्था जो कुछ कहती है उन्हीं से कहती है, जो व्यवस्था के आधीन हैं: इसलिये कि हर एक मुंह बन्द किया जाए, और सारा संसार परमेश्वर के दण्ड के योग्य ठहरे।

19. Now we know that whatever the law saith, it saith to them who are under the law: that every mouth may be stopped, and all the world may become guilty before God.

20. क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है।
भजन संहिता 143:2

20. Therefore by the deeds of the law there shall no flesh be justified in his sight: for by the law [is] the knowledge of sin.

21. पर अब बिना व्यवस्था परमेश्वर की धार्मिकता प्रगट हुई है, जिस की गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं।

21. But now the righteousness of God apart from the law is revealed, being witnessed by the law and the prophets;

22. अर्थात् परमेश्वर की वह धार्मिकता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करनेवालों के लिये है; क्योंकि कुछ भेद नहीं।

22. Even the righteousness of God [which is] by faith of Jesus Christ to all and upon all them that believe: for there is no difference:

23. इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित है।

23. For all have sinned, and come short of the glory of God;

24. परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं।

24. Being justified freely by his grace through the redemption that is in Jesus Christ:

25. उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहिले किए गए, और जिन की परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से आनाकानी की; उन के विषय में वह अपनी धार्मिकता प्रगट करे।

25. Whom God hath set forth [to be] a propitiation through faith in his blood, to declare his righteousness for the remission of sins that are past, through the forbearance of God;

26. बरन इसी समय उस की धार्मिकता प्रगट हो; कि जिस से वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहरानेवाला हो।

26. To declare, [I say], at this time his righteousness: that he may be just, and the justifier of him who believeth in Jesus.

27. तो घमण्ड करना कहां रहा? उस की तो जगह ही नहीं: कौन सी व्यवस्था के कारण से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, बरन विश्वास की व्यवस्था के कारण।

27. Where [is] boasting then? It is excluded. By what law? of works? Nay: but by the law of faith.

28. इसलिये हम इस परिणाम पर पहुंचते हैं, कि मनुष्य व्यवस्था के कामों के बिना विश्वास के द्वारा धर्मी ठहरता है।

28. Therefore we conclude that a man is justified by faith apart from the deeds of the law.

29. क्या परमेश्वर केवल यहूदियों हीं का है? क्या अन्यजातियों का नहीं? हां, अन्यजातियों का भी है।

29. [Is he] the God of the Jews only? [is he] not also of the Gentiles? Yes, of the Gentiles also:

30. क्योंकि एक ही परमेश्वर है, जो खतनावालों को विश्वास से और खतनारहितों को भी विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराएगा।
व्यवस्थाविवरण 6:5

30. Seeing [it is] one God, who shall justify the circumcision by faith, and uncircumcision through faith.

31. तो क्या हम व्यवस्था को विश्वास के द्वारा व्यर्थ ठहराते हैं? कदापि नहीं; बरन व्यवस्था को स्थिर करते हैं।।

31. Do we then make void the law through faith? By no means: but, we establish the law.



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