Leviticus - लैव्यव्यवस्था 25 | View All

1. फिर यहोवा ने सीनै पर्वत के पास मूसा से कहा,

1. আর সদাপ্রভু সীনয় পর্ব্বতে মোশিকে কহিলেন,

2. इस्त्राएलियों से कह, कि जब तुम उस देश में प्रवेश करो जो मैं तुम्हें देता हूं, तब भूमि को यहोवा के लिये विश्राम मिला करे।

2. তুমি ইস্রায়েল-সন্তানগণকে কহ, তাহাদিগকে বল, আমি তোমাদিগকে যে দেশ দিব, তোমরা সেই দেশে প্রবেশ করিলে সদাপ্রভুর উদ্দেশে ভূমি বিশ্রাম ভোগ করিবে।

3. छ: वर्ष तो अपना अपना खेत बोया करना, और छहों वर्ष अपनी अपनी दाख की बारी छांट छांटकर देश की उपज इकट्ठी किया करना;

3. ছয় বৎসর কাল তুমি আপন ক্ষেত্রে বীজ বপন করিবে, ছয় বৎসর কাল আপন দ্রাক্ষালতা ঝুড়িবে, ও তাহার ফল সংগ্রহ করিবে।

4. परन्तु सातवें वर्ष भूमि को यहोवा के लिये परमविश्रामकाल मिला करे; उस में न तो अपना खेत बोना और न अपनी दाख की बारी छांटना।

4. কিন্তু সপ্তম বৎসর ভূমির বিশ্রামার্থক বিশ্রামকাল, সদাপ্রভুর উদ্দেশে বিশ্রামকাল হইবে; তুমি আপন ক্ষেত্রে বীজ বপন করিও না, ও আপন দ্রাক্ষালতা ঝুড়িও না;

5. जो कुछ काटे हुए खेत में अपने आप से उगे उसे न काटना, और अपनी बिन छांटी हुई दाखलता की दाखों को न तोड़ना; क्योंकि वह भूमि के लिये परमविश्राम का वर्ष होगा।

5. তুমি আপন ক্ষেত্রের স্বতঃ উৎপন্ন শস্য কাটিবে না, ও আঝোড়া দ্রাক্ষালতার ফল সংগ্রহ করিবে না; উহা ভূমির বিশ্রামার্থক বৎসর হইবে।

6. और भूमि के विश्रामकाल ही की उपज से तुम को, और तुम्हारे दास- दासी को, और तुम्हारे साथ रहनेवाले मजदूरों और परदेशियों को भी भोजन मिलेगा;

6. আর ভূমির বিশ্রাম তোমাদের ভক্ষ্যের জন্য হইবে; ভূমির সমস্ত দ্রব্যই তোমার, তোমার দাসের ও দাসীর, তোমার বেতনজীবী ভৃত্যের ও তোমার সহবাসী বিদেশীর,

7. और तुम्हारे पशुओं का और देश में जितने जीवजन्तु हों उनका भी भोजन भूमि की सब उपज से होगा।।

7. এবং তোমার পশুর ও তোমার দেশের বনপশুর ভক্ষ্যের জন্য হইবে।

8. और सात विश्रामवर्ष, अर्थात् सातगुना सात वर्ष गिन लेना, सातों विश्रामवर्षों का यह समय उनचास वर्ष होगा।

8. আর তুমি আপনার জন্য সাত বিশ্রামবৎসর, সাত গুণ সাত বৎসর, গণনা করিবে; তাহাতে তোমার গণিত সেই সাত গুণ সাত বিশ্রামবৎসরে ঊনপঞ্চাশ বৎসর হইবে।

9. तब सातवें महीने के दसवें दिन को, अर्थात् प्रायश्चित्त के दिन, जय जयकार के महाशब्द का नरसिंगा अपने सारे देश में सब कहीं फुंकवाना।

9. তখন সপ্তম মাসের দশম দিনে তুমি জয়ধ্বনির তুরীবাদ্য করিবে; প্রায়শ্চিত্তদিনে তোমাদের সমস্ত দেশে তূরী বাজাইবে।

10. और उस पचासवें वर्ष को पवित्रा करके मानना, और देश के सारे निवासियों के लिये छुटकारे का प्रचार करना; वह वर्ष तुम्हारे यहां जुबली कहलाए; उस में तुम अपनी अपनी निज भूमि और अपने अपने घराने में लौटने पाओगे।

10. আর তোমরা পঞ্চাশত্তম বৎসরকে পবিত্র করিবে, এবং সমস্ত দেশে তথাকার সমস্ত নিবাসীর কাছে মুক্তি ঘোষণা করিবে; উহা তোমাদের জন্য যোবেল [তূরীধ্বনির মহোৎসব] হইবে; এবং তোমরা প্রতিজন আপন আপন অধিকারে ফিরিয়া যাইবে, ও প্রতিজন আপন আপন গোষ্ঠীর নিকটে ফিরিয়া যাইবে।

11. तुम्हारे यहां वह पचासवां वर्ष जुबली का वर्ष कहलाए; उस में तुम न बोना, और जो अपने आप ऊगे उसे भी न काटना, और न बिन छांटी हुई दाखलता की दाखों को तोड़ना।

11. তোমাদের নিমিত্ত পঞ্চাশত্তম বৎসর যোবেল হইবে; তোমরা বীজ বুনিও না, স্বতঃ উৎপন্ন শস্য ছেদন করিও না, এবং আঝোড়া দ্রাক্ষালতার ফল সংগ্রহ করিও না।

12. क्योंकि वह जो जुबली का वर्ष होगा; वह तुम्हारे लिये पवित्रा होगा; तुम उसकी उपज खेत ही में से ले लेके खाना।

12. কেননা উহাই যোবেল, উহা তোমাদের পক্ষে পবিত্র হইবে; তোমরা ক্ষেত্রোৎপন্ন শস্যাদি ভক্ষণ করিতে পারিবে।

13. इस जुबली के वर्ष में तुम अपनी अपनी निज भूमि को लौटने पाओगे।

13. ঐ যোবেল বৎসরে তোমরা প্রতিজন আপন আপন অধিকারে ফিরিয়া যাইবে।

14. और यदि तुम अपने भाईबन्धु के हाथ कुछ बेचो वा अपने भाईबन्धु से कुछ मोल लो, तो तुम एक दूसरे पर अन्धेर न करना।

14. যদি তুমি সজাতীয়ের নিকটে কোন কিছু বিক্রয় কর, কিম্বা আপন সজাতীয়ের হস্ত হইতে ক্রয় কর, তবে তোমরা পরস্পর অন্যায় করিও না।

15. जुबली के पीछे जितने वर्ष बीते हों उनकी गिनती के अनुसार दाम ठहराके एक दूसरे से मोल लेना, और शेष वर्षों की उपज के अनुसार वह तेरे हाथ बेचे।

15. তুমি যোবেলের পরে বৎসর-সংখ্যানুসারে সজাতীয় হইতে ক্রয় করিবে, এবং ফলোৎপত্তির বৎসর সংখ্যানুসারে তোমার কাছে সে বিক্রয় করিবে।

16. जितने वर्ष और रहें उतना ही दाम बढ़ाना, और जितने वर्ष कम रहें उतना ही दाम घटाना, क्योंकि वर्ष की उपज जितनी हों उतनी ही वह तेरे हाथ बेचेगा।

16. তুমি বৎসরের আধিক্য অনুসারে তাহার মূল্য অধিক করিবে, ও বৎসরের ন্যূনতা অনুসারে মূল্য ন্যূন করিবে; কেননা সে তোমার কাছে ফলোৎপত্তি-কালের সংখ্যানুসারে বিক্রয় করে।

17. और तुम अपने अपने भाईबन्धु पर अन्धेर न करना; अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

17. তোমরা তোমাদের সজাতীয়ের প্রতি অন্যায় করিও না, কিন্তু আপন ঈশ্বরকে ভয় করিও, কেননা আমি সদাপ্রভু তোমাদের ঈশ্বর।

18. इसलिये तुम मेरी विधियों को मानना, और मेरे नियमों पर समझ बूझकर चलना; क्योंकि ऐसा करने से तुम उस देश में निडर बसे रहोगे।

18. আর তোমরা আমার বিধি অনুসারে আচরণ করিবে, আমার শাসন সকল মানিবে, ও তাহা পালন করিবে; তাহাতে দেশে নির্ভয়ে বাস করিবে।

19. और भूमि अपनी उपज उपजाया करेगी, और तुम पेट भर खाया करोगे, और उस देश में निडर बसे रहोगे।

19. আর ভূমি নিজ ফল উৎপন্ন করিবে, তাহাতে তোমরা তৃপ্তি পর্য্যন্ত ভোজন করিবে, ও দেশে নির্ভয়ে বাস করিবে।

20. और यदि तुम कहो, कि सातवें वर्ष में हम क्या खाएंगे, न तो हम बोएंगे न अपने खेत की उपज इकट्ठी करेंगे?

20. আর যদি তোমরা বল, দেখ, আমরা সপ্তম বৎসরে কি খাইব? দেখ, আমরা ত ক্ষেত্রে বপন করিব না, ও উৎপন্ন ফল সংগ্রহ করিব না;

21. तो जानो कि मैं तुम को छठवें वर्ष में ऐसी आशीष दूंगा, कि भूमि की उपज तीन वर्ष तक काम आएगी।

21. তবে আমি ষষ্ঠ বৎসরে তোমাদিগকে আশীর্ব্বাদ করিব; তাহাতে তিন বৎসরের জন্য শস্য উৎপন্ন হইবে।

22. तुम आठवें वर्ष में बोओगे, और पुरानी उपज में से खाते रहोगे, और नवें वर्ष की उपज में से खाते रहोगे।

22. পরে অষ্টম বৎসরে তোমরা বপন করিবে, ও নবম বৎসর পর্য্যন্ত পুরাতন শস্য ভোজন করিবে; যাবৎ ফল না হয়, তাবৎ পুরাতন শস্য ভোজন করিবে।

23. भूमि सदा के लिये तो बेची न जाए, क्योंकि भूमि मेरी है; और उस में तुम परदेशी और बाहरी होगे।

23. আর ভূমি চিরকালের নিমিত্ত বিক্রীত হইবে না, কেননা ভূমি আমারই; তোমরা ত আমার সহিত বিদেশী ও প্রবাসী।

24. लेकिन तुम अपने भाग के सारे देश में भूमि को छुड़ा लेने देना।।

24. আর তোমরা আপনাদের অধিকৃত দেশের সর্ব্বত্র ভূমি মুক্ত করিতে দিও।

25. यदि तेरा कोई भाईबन्धु कंगाल होकर अपनी निज भूमि में से कुछ बेच डाले, तो उसके कुटुम्बियों में से जो सब से निकट हो वह आकर अपने भाईबन्धु के बेचे हुए भाग को छुड़ा ले।

25. তোমার ভ্রাতা যদি দরিদ্র হইয়া আপন অধিকারের কিঞ্চিৎ বিক্রয় করে, তবে তাহার মুক্তিকর্ত্তা নিকটস্থ জ্ঞাতি আসিয়া আপন ভ্রাতার বিক্রীত ভূমি মুক্ত করিয়া লইবে।

26. और यदि किसी मनुष्य के लिये कोई छुड़ानेवाला न हो, और उसके पास इतना धन हो कि आप ही अपने भाग को छुड़ा ले सके,

26. যাহার মুক্তিকর্ত্তা নাই, সে যদি ধনবান্‌ হইয়া আপনি তাহা মুক্ত করিতে সমর্থ হয়,

27. तो वह उसके बिकने के समय से वर्षों की गिनती करके शेष वर्षों की उपज का दाम उसको जिस ने उसे मोल लिया हो फेर दे; तब वह अपनी निज भूमि का अधिकारी हो जाए।

27. তবে সে তাহার বিক্রয়ের বৎসর গণনা করিয়া তদনুসারে অতিরিক্ত মূল্য ক্রেতাকে ফিরাইয়া দিবে; এইরূপে সে আপন অধিকারে ফিরিয়া যাইবে।

28. परन्तु यदि उसके इतनी पूंजी न हो कि उसे फिर अपनी कर सके, तो उसकी बेची हुई भूमि जुबली के वर्ष तक मोल लेनेवालों के हाथ में रहे; और जुबली के वर्ष में छूट जाए तब वह मनुष्य अपनी निज भूमि का फिर अधिकारी हो जाए।।

28. কিন্তু যদি সে তাহা ফিরাইয়া লইতে অসমর্থ হয়, তবে সেই বিক্রীত অধিকার যোবেল বৎসর পর্য্যন্ত ক্রেতার হস্তে থাকিবে; যোবেলে তাহা মুক্ত হইবে, এবং সে আপন অধিকারে ফিরিয়া যাইবে।

29. फिर यदि कोई मनुष्य शहरपनाह वाले नगर में बसने का घर बेचे, तो वह बेचने के बाद वर्ष भर के अन्दर उसे छुड़ा सकेगा, अर्थात् पूरे वर्ष भर उस मनुष्य को छुड़ाने का अधिकार रहेगा।

29. আর যদি কেহ প্রাচীরবেষ্টিত নগরের মধ্যস্থিত বাসগৃহ বিক্রয় করে, তবে সে বিক্রয়-বৎসরের শেষ পর্য্যন্ত তাহা মুক্ত করিতে পারিবে, পূর্ণ এক বৎসরের মধ্যে তাহা মুক্ত করিবার অধিকারী থাকিবে।

30. परन्तु यदि वह वर्ष भर में न छुड़ाए, तो वह घर पर शहरपनाहवाले नगर में हो मोल लेनेवाले का बना रहे, और पीढ़ी- पीढ़ी में उसी मे वंश का बना रहे; और जुबली के वर्ष में भी न छूटे।

30. কিন্তু যদি সম্পূর্ণ এক বৎসর কালের মধ্যে তাহা মুক্ত না হয়, তবে প্রাচীরবেষ্টিত নগরে স্থিত সেই গৃহ পুরুষপরম্পরায় ক্রয়কর্ত্তার চিরস্থায়ী অধিকার হইবে; তাহা যোবেলে মুক্ত হইবে না।

31. परन्तु बिना शहरपनाह के गांवों के घर तो देश के खेतों के समान गिने जाएं; उनका छुड़ाना भी हो सकेगा, और वे जुबली के वर्ष में छूट जाएं।

31. কিন্তু প্রাচীরহীন গ্রামে স্থিত গৃহ দেশের ভূমির মধ্যে গণ্য হইবে; তাহা মুক্ত করা যাইতে পারে, এবং যোবেলে তাহা মুক্ত হইবে।

32. और लेवियों के निज भाग के नगरों के जो घर हों उनको लेवीय जब चाहें तब छुड़ाएं।

32. কিন্তু লেবীয়দের নগর সকল, তাহাদের অধিকৃত নগরের গৃহ সকল মুক্ত করিবার অধিকার লেবীয়দের সর্ব্বদাই থাকিবে।

33. और यदि कोई लेवीय अपना भाग न छुड़ाए, तो वह बेचा हुआ घर जो उसके भाग के नगर में हो जुबली के वर्ष में छूट जाए; क्योंकि इस्त्राएलियों के बीच लेवियों का भाग उनके नगरों में वे घर ही हैं।

33. যদি লেবীয়দের কেহ মুক্ত করে, তবে সেই বিক্রীত গৃহ এবং তাহার অধিকারস্থ নগর যোবেলে মুক্ত হইবে; কেননা ইস্রায়েল-সন্তানগণের মধ্যে লেবীয়দের নগরস্থ গৃহ সকল তাহাদের অধিকার।

34. और उनके नगरों की चारों ओर की चराई की भूमि बेची न जाए; क्योंकि वह उनका सदा का भाग होगा।।

34. আর তাহাদের নগরের চরাণিভূমি বিক্রীত হইবে না; কেননা তাহাই তাহাদের চিরস্থায়ী অধিকার।

35. फिर यदि तेरा कोई भाईबन्धु कंगाल हो जाए, और उसकी दशा तेरे साम्हने तरस योग्य हो जाए, तो तू उसको संभालना; वह परदेशी वा यात्री की नाई तेरे संग रहे।
लूका 6:35

35. আর তোমার ভ্রাতা যদি দরিদ্র হয়, ও তোমার নিকটে শূন্যহস্ত হয়, তবে তুমি তাহার উপকার করিবে; সে বিদেশী ও প্রাবাসীর ন্যায় তোমার সহিত জীবন ধারণ করিবে।

36. उस से ब्याज वा बढ़ती न लेना; अपने परमेश्वर का भय मानना; जिस से तेरा भाईबन्धु तेरे संग जीवन निर्वाह कर सके।
लूका 6:35

36. তুমি তাহা হইতে সুদ কিম্বা বৃদ্ধি লইবে না, কিন্তু আপন ঈশ্বরকে ভয় করিবে, তোমার ভ্রাতাকে তোমার সহিত জীবন ধারণ করিতে দিবে।

37. उसको ब्याज पर रूपया न देना, और न उसको भोजनवस्तु लाभ के लालच से देना।

37. তুমি সুদের জন্য তাহাকে টাকা দিবে না, ও বৃদ্ধির জন্য তাহাকে অন্ন দিবে না।

38. मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं; मैं तुम्हें कनान देश देने के लिये और तुम्हारा परमेश्वर ठहरने की मनसा से तुम को मि देश से निकाल लाया हूं।।

38. আমি সদাপ্রভু তোমাদের সেই ঈশ্বর, যিনি তোমাদিগকে কনান দেশ দিবার জন্য ও তোমাদের ঈশ্বর হইবার জন্য তোমাদিগকে মিসর দেশ হইতে বাহির করিয়া আনিয়াছেন।

39. फिर यदि तेरा कोई भाईबन्धु तेरे साम्हने कंगाल होकर अपने आप को तेरे हाथ बेच डाले, तो उस से दास के समान सेवा न करवाना।

39. আর তোমার ভ্রাতা যদি দরিদ্র হইয়া তোমার নিকটে আপনাকে বিক্রয় করে, তবে তুমি তাহাকে দাসের ন্যায় দাস্যকর্ম্ম করাইও না।

40. वह तेरे संग मजदूर वा यात्री की नाई रहे, और जुबली के वर्ष तक तेरे संग रहकर सेवा करता रहे;

40. সে বেতনজীবী ভৃত্যের ন্যায় কিম্বা প্রবাসীর ন্যায় তোমার সঙ্গে থাকিবে, যোবেল বৎসর পর্য্যন্ত তোমার দাস্যকর্ম্ম করিবে।

41. तब वह बालबच्चों समेत तेरे पास से निकल जाए, और अपने कुटुम्ब में और अपने पितरों की निज भूमि में लौट जाए।

41. পরে সে আপন সন্তানগণের সহিত তোমার নিকট হইতে মুক্ত হইয়া আপন গোষ্ঠীর কাছে ফিরিয়া যাইবে, ও আপন পৈতৃক অধিকারে ফিরিয়া যাইবে।

42. क्योंकि वे मेरे ही दास हैं, जिनको मैं मि देश से निकाल लाया हूं; इसलिये वे दास की रीति से न बेचे जाएं।

42. কেননা তাহারা আমারই দাস, যাহাদিগকে আমি মিসর দেশ হইতে বাহির করিয়া আনিয়াছি; তাহারা দাসের ন্যায় বিক্রীত হইবে না।

43. उस पर कठोरता से अधिकार न करना; अपने परमेश्वर का भय मानते रहना।
कुलुस्सियों 4:1

43. তুমি তাহার উপরে কঠিন কর্ত্তৃত্ব করিও না,

44. तेरे जो दास- दासियां हों वे तुम्हारी चारों ओर की जातियों में से हों, और दास और दासियां उन्हीं में से मोल लेना।

44. কিন্তু আপন ঈশ্বরকে ভয় করিও। তোমাদের চতুর্দ্দিকস্থ জাতিগণের মধ্য হইতে তোমরা দাস ও দাসী রাখিতে পারিবে; তাহাদের হইতেই তোমরা দাস ও দাসী ক্রয় করিও।

45. और जो यात्री लोग तुम्हारे बीच में परदेशी होकर रहेंगे, उन में से और उनके घरानों में से भी जो तुमहारे आस पास हों, और जो तुम्हारे देश में उत्पन्न हुए हों, उन में से तुम दास और दासी मोल लो; और वे तुम्हारा भाग ठहरें।

45. আর তোমাদের মধ্যে প্রবাসী বিদেশীদের সন্তানগণের হইতে, এবং তোমাদের দেশে তাহাদের হইতে উৎপন্ন তাহাদের যে যে গোষ্ঠী তোমাদের সঙ্গে আছে, তাহাদের হইতেও ক্রয় করিও; তাহারা তোমাদের অধিকার হইবে।

46. और तुम अपने पुत्रों को भी जो तुम्हारे बाद होंगे उनके अधिकारी कर सकोगे, और वे उनका भाग ठहरें; उन में से तुम सदा अपने लिये दास लिया करना, परन्तु तुम्हारे भाईबन्धु जो इस्त्राएली हों उन पर अपना अधिकार कठोरता से न जताना।।

46. আর তোমরা আপন আপন ভাবী সন্তানদের অধিকারের নিমিত্তে দায়ভাগ দ্বারা তাহাদিগকে দিতে পার, এবং নিত্য আপনাদের দাস্যকর্ম্ম তাহাদিগকে দিয়া করাইতে পার; কিন্তু তোমাদের ভ্রাতা ইস্রায়েল-সন্তানদিগের মধ্যে তোমরা কেহ কাহারও উপরে কঠিন কর্ত্তৃত্ব করিবে না।

47. फिर यदि तेरे साम्हने कोई परदेशी वा यात्री धनी हो जाए, और उसके साम्हने तेरा भाई कंगाल होकर अपने आप को तेरे साम्हने उस परदेशी वा यात्री वा उसके वंश के हाथ बेच डाले,

47. আর যদি তোমাদের মধ্যে কোন বিদেশী কিম্বা প্রবাসী ধনবান্‌ হয়, এবং তাহার নিকটবর্ত্তী তোমার ভ্রাতা দরিদ্র হইয়া যদি তোমার সহবর্ত্তী প্রবাসী, বিদেশী কিম্বা বিদেশীয় গোত্রস্থ কোন লোকের কাছে আপনাকে বিক্রয় করে,

48. तो उसके बिक जाने के बाद वह फिर छुड़ाया जा सकता है; उसके भाइयों में से कोई उसको छुड़ा सकता है,

48. তবে সে বিক্রীত হইবার পরে মুক্ত হইতে পারিবে; তাহার জ্ঞাতির মধ্যে কেহ তাহাকে মুক্ত করিতে পারিবে;

49. वा उसका चाचा, वा चचेरा भाई, तथा उसके कुल का कोई भी निकट कुटुम्बी उसको छुड़ा सकता है; वा यदि वह धनी हो जाए, तो वह आप ही अपने को छुड़ा सकता है।

49. তাহার পিতৃব্য কিম্বা পিতৃব্যের পুত্র তাহাকে মুক্ত করিবে, কিম্বা তাহার গোষ্ঠীভুক্ত নিকটবর্ত্তী কোন জ্ঞাতি তাহাকে মুক্ত কিরবে; কিম্বা যদি সে ধনবান্‌ হইয়া উঠে, তবে আপনাকে মুক্ত করিবে।

50. वह अपने मोल लेनेवाले के साथ अपने बिकने के वर्ष से जुबली के वर्ष तक हिसाब करे, और उसके बिकने का दाम वर्षों की गिनती के अनुसार हो, अर्थात् वह दाम मजदूर के दिवसों के समान उसके साथ होगा।

50. তাহাতে তাহার বিক্রয়-বৎসর অবধি যোবেল বৎসর পর্য্যন্ত ক্রেতার সহিত হিসাব হইলে বৎসরের সংখ্যানুসারে তাহার মূল্য হইবে; উহার কাছে তাহার থাকিবার সময় বেতনজীবীর দিনের ন্যায় হইবে।

51. यदि जुबली के बहुत वर्ष रह जाएं, तो जितने रूपयों से वह मोल लिया गया हो उन में से वह अपने छुड़ाने का दाम उतने वर्षों के अनुसार फेर दे।

51. যদি অনেক বৎসর অবশিষ্ট থাকে, তবে তদনুসারে সে ক্রয়-মূল্য হইতে আপনার মোচনের মূল্য ফিরাইয়া দিবে।

52. और यदि जुबली के वर्ष के थोड़े वर्ष रह गए हों, तौभी वह अपने स्वामी के साथ हिसाब करके अपने छुड़ाने का दाम उतने ही वर्षों के अनुसार फेर दे।

52. যদি যোবেল বৎসরের অল্প বৎসর অবশিষ্ট থাকে, তবে সে তাহার সহিত হিসাব করিয়া সেই কয়েক বৎসরানুসারে আপনার মোচনের মূল্য ফিরাইয়া দিবে।

53. वह अपने स्वामी के संग उस मजदूर के सामान रहे जिसकी वार्षिक मजदूरी ठहराई जाती हो; और उसका स्वामी उस पर तेरे साम्हने कठोरता से अधिकार न जताने पाए।
कुलुस्सियों 4:1

53. বৎসর-বৈতনিক ভৃত্যের ন্যায় সে তাহার সহিত থাকিবে; তোমার সাক্ষাতে সে তাহার উপরে কঠিন কর্ত্তৃত্ব করিবে না।

54. और यदि वह इन रीतियों से छुड़ाया न जाए, तो वह जुबली के वर्ष में अपने बाल- बच्चों समेत छूट जाए।

54. আর যদি সে ঐ সকল বৎসরে মুক্ত না হয়, তবে যোবেল বৎসরে আপন সন্তানগণের সহিত মুক্ত হইয়া যাইবে।

55. क्योंकि इस्त्राएली मेरे ही दास हैं; वे मि देश से मेरे ही निकाले हुए दास हैं; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।।

55. কেননা ইস্রায়েল-সন্তানগণ আমারই দাস; তাহারা আমার দাস, যাহাদিগকে আমি মিসর দেশ হইতে বাহির করিয়া আনিয়াছি; আমি সদাপ্রভু তোমাদের ঈশ্বর।



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