Exodus - निर्गमन 21 | View All

1. फिर जो नियम तुझे उनको समझाने हैं वे ये हैं।।

1. আর তুমি এই সকল শাসন তাহাদের সম্মুখে রাখিবে।

2. जब तुम कोई इब्री दास मोल लो, तब वह छ: वर्ष तक सेवा करता रहे, और सातवें वर्ष स्वतंत्रा होकर सेंतमेंत चला जाए।
यूहन्ना 8:35

2. তুমি ইব্রীয় দাস ক্রয় করিলে সে ছয় বৎসর দাসত্ব করিবে, পরে সপ্তম বৎসরে বিনামূল্যে মুক্ত হইয়া চলিয়া যাইবে।

3. यदि वह अकेला आया हो, तो अकेला ही चला जाए; और यदि पत्नी सहित आया हो, तो उसके साथ उसकी पत्नी भी चली जाए।

3. সে যদি একাকী আইসে, তবে একাকী যাইবে; আর যদি সস্ত্রীক আইসে, তবে তাহার স্ত্রীও তাহার সহিত যাইবে।

4. यदि उसके स्वामी ने उसको पत्नी दी हो और उस से उसके बेटे वा बेटियां उत्पन्न हुई हों, तो उसकी पत्नी और बालक उसके स्वामी के ही रहें, और वह अकेला चला जाए।

4. যদি তাহার প্রভু তাহার বিবাহ দেয়, এবং সেই স্ত্রী তাহার জন্য পুত্র কি কন্যা প্রসব করে, তবে সেই স্ত্রীতে ও তাহার সন্তানগণে তাহার প্রভুর স্বত্ব থাকিবে, সে একাকী চলিয়া যাইবে।

5. परन्तु यदि वह दास दृढ़ता से कहे, कि मैं अपने स्वामी, और अपनी पत्नी, और बालकों से प्रेम रखता हूं; इसलिये मैं स्वतंत्रा होकर न चला जाऊंगा;

5. কিন্তু ঐ দাস যদি স্পষ্টরূপে বলে, আমি আপন প্রভুকে এবং আপন স্ত্রী ও সন্তানগণকে ভালবাসি, মুক্ত হইয়া চলিয়া যাইব না,

6. तो उसका स्वामी उसको परमेश्वर के पास ले चले; फिर उसको द्वार के किवाड़ वा बाजू के पास ले जाकर उसके कान में सुतारी से छेद करें; तब वह सदा उसकी सेवा करता रहे।।

6. তাহা হইলে তাহার প্রভু তাহাকে ঈশ্বরের নিকটে লইয়া যাইবে, এবং সে তাহাকে কপাটের কিম্বা বাজুর নিকটে উপস্থিত করিবে, তথায় তাহার প্রভু গুঁজি দ্বারা তাহার কর্ণ বিদ্ধ করিবে; তাহাতে সে চিরকাল সেই প্রভুর দাস থাকিবে।

7. यदि कोई अपनी बेटी को दासी होने के लिये बेच डाले, तो वह दासी की नाई बाहर न जाए।

7. আর কেহ যদি আপন কন্যাকে দাসীরূপে বিক্রয় করে, তবে দাসেরা যেমন যায়, সে তদ্রূপ যাইবে না।

8. यदि उसका स्वामी उसको अपनी पत्नी बनाए, और फिर उस से प्रसन्न न रहे, तो वह उसे दाम से छुड़ाई जाने दे; उसका विश्वासघात करने के बाद उसे ऊपरी लोगों के हाथ बेचने का उसको अधिकार न होगा।

8. তাহার প্রভু তাহাকে আপনার জন্য নিরূপণ করিলেও যদি তাহার প্রতি অসন্তুষ্ট হয়, তবে সে তাহাকে মুক্ত হইতে দিবে; তাহার সঙ্গে প্রবঞ্চনা করাতে অন্য জাতির কাছে তাহাকে বিক্রয় করিবার অধিকার তাহার হইবে না।

9. और यदि उस ने उसे अपने बेटे को ब्याह दिया हो, तो उस से बेटी का सा व्यवहार करे।

9. আর যদি সে আপন পুত্রের জন্য তাহাকে নিরূপণ করে, তবে সে তাহার প্রতি কন্যাগণ সম্বন্ধীয় নিয়মানুযায়ী ব্যবহার করিবে।

10. चाहे वह दूसरी पत्नी कर ले, तौभी वह उसका भोजन, वस्त्रा, और संगति न घटाए।

10. যদি সে অন্য স্ত্রীর সহিত তাহার বিবাহ দেয়, তবে উহার অন্নের ও বস্ত্রের এবং সহবাসের বিষয়ে ত্রুটি করিতে পারিবে না।

11. और यदि वह इन तीन बातों में घटी करे, तो वह स्त्री सेंतमेंत बिना दाम चुकाए ही चली जाए।।

11. আর যদি সে তাহার প্রতি এই তিনটী কর্ত্তব্য না করে, তবে সে স্ত্রী অমনি মুক্ত হইয়া চলিয়া যাইবে; রৌপ্য লাগিবে না।

12. जो किसी मनुष्य को ऐसा मारे कि वह मर जाए, तो वह भी निश्चय मार डाला जाए।
मत्ती 5:21

12. কেহ যদি কোন মনুষ্যকে এমন আঘাত করে যে, তাহার মৃত্যু হয়, তবে অবশ্য প্রাণদণ্ড হইবে।

13. यदि वह उसकी घात में न बैठा हो, और परमेश्वर की इच्छा ही से वह उसके हाथ में पड़ गया हो, तो ऐसे मारनेवाले के भागने के निमित्त मैं एक स्थान ठहराऊंगा जहां वह भाग जाए।

13. আর যদি কোন ব্যক্তি অন্যকে বধ করিতে চেষ্টা না পায়, কিন্তু ঈশ্বর তাহাকে তাহার হস্তে সমর্পণ করেন, তবে যে স্থানে সে পলাইতে পারে, এমন স্থান তোমার নিমিত্ত আমি নিরূপণ করিব।

14. परन्तु यदि कोई ढिठाई से किसी पर चढ़ाई करके उसे छल से घात करे, तो उसको मार ढालने के लिये मेरी वेदी के पास से भी अलग ले जाना।।

14. কিন্তু যদি কেহ দুঃসাহস করিয়া ছলে আপন প্রতিবাসীকে বধ করণার্থ তাহার উপর চড়াউ হয়, তবে সে ব্যক্তির প্রাণদণ্ড করণার্থে তাহাকে আমার বেদির নিকট হইতেও লইয়া যাইবে।

15. जो अपने पिता वा माता को मारे- पीटे वह निश्चय मार डाला जाए।।

15. আর যে কেহ আপন পিতাকে কি আপন মাতাকে প্রহার করে, তাহার প্রাণদণ্ড অবশ্য হইবে।

16. जो किसी मनुष्य को चुराए, चाहे उसे ले जाकर बेच डाले, चाहे वह उसके पास पाया जाए, तो वह भी निश्चय मार डाला जाए।।

16. আর কেহ যদি কোন মনুষ্যকে চুরি করিয়া বিক্রয় করে, কিম্বা তাহার হস্তে যদি তাহাকে পাওয়া যায়, তবে তাহার প্রাণদণ্ড অবশ্য হইবে।

17. जो अपने पिता वा माता को श्राप दे वह भी निश्चय मार डाला जाए।।
मत्ती 15:4, मरकुस 7:10

17. আর যে কেহ আপন পিতাকে কি আপন মাতাকে শাপ দেয়, তাহার প্রাণদণ্ড অবশ্য হইবে।

18. यदि मनुष्य झगड़ते हों, और एक दूसरे को पत्थर वा मुक्के से ऐसा मारे कि वह मरे नहीं परन्तु बिछौने पर पड़ा रहे,

18. আর মনুষ্যেরা বিবাদ করিয়া এক জন অন্যকে প্রস্তরাঘাত কিম্বা মুষ্ট্যাঘাত করিলে সে যদি না মরিয়া শয্যাগত হয়,

19. तो जब वह उठकर लाठी के सहारे से बाहर चलने फिरने लगे, तब वह मारनेवाला निर्दोष ठहरे; उस दशा में वह उसके पड़े रहने के समय की हानि तो भर दे, ओर उसको भला चंगा भी करा दे।।

19. পশ্চাৎ উঠিয়া যষ্টি অবলম্বন করিয়া বাহিরে বেড়ায়, তবে সেই প্রহারক দণ্ড পাইবে না; কেবল তাহার কর্ম্মক্ষতির ও চিকিৎসার ব্যয় তাহাকে দিতে হইবে।

20. यदि कोई अपने दास वा दासी को सोंटे से ऐसा मारे कि वह उसके मारने से मर जाए, तब तो उसको निश्चय दण्ड दिया जाए।

20. আর কেহ আপন দাসকে কিম্বা দাসীকে যষ্টি দ্বারা প্রহার করিলে সে যদি তাহার হস্তে মরে, তবে সে অবশ্য দণ্ডনীয় হইবে।

21. परन्तु यदि वह दो एक दिन जीवित रहे, तो उसके स्वामी को दण्ड न दिया जाए; क्योंकि वह दास उसका धन है।।

21. কিন্তু সে যদি দুই এক দিন বাঁচে, তবে তাহার প্রভু দণ্ডার্হ হইবে না, কেননা সে তাহার রৌপ্যস্বরূপ।

22. यदि मनुष्य आपस में मारपीट करके किसी गर्भिणी स्त्री को ऐसी चोट पहुचाए, कि उसका गर्भ गिर जाए, परन्तु और कुछ हानि न हो, तो मारनेवाले से उतना दण्ड लिया जाए जितना उस स्त्री का पति पंच की सम्मति से ठहराए।

22. আর পুরুষেরা বিবাদ করিয়া কোন গর্ভবতী স্ত্রীকে প্রহার করিলে যদি তাহার গর্ভপাত হয়, কিন্তু পরে আর কোন আপদ না ঘটে, তবে ঐ স্ত্রীর স্বামীর দাবী অনুসারে তাহার অর্থদণ্ড অবশ্য হইবে, ও সে বিচারকর্ত্তাদের বিচারমতে টাকা দিবে।

23. परन्तु यदि उसको और कुछ हानि पहुंचे, तो प्राण की सन्ती प्राण का,

23. কিন্তু যদি কোন আপদ ঘটে, তবে তোমাকে এই পরিশোধ দিতে হইবে;

24. और आंख की सन्ती आंख का, और दांत की सन्ती दांत का, और हाथ की सन्ती हाथ का, और पांव की सन्ती पांव का,
मत्ती 5:38

24. প্রাণের পরিশোধে প্রাণ, চক্ষুর পরিশোধে চক্ষু, দন্তের পরিশোধে দন্ত, হস্তের পরিশোধে হস্ত, চরণের পরিশোধে চরণ,

25. और दाग की सन्ती दाग का, और घाव की सन्ती घाव का, और मार की सन्ती मार का दण्ड हो।।

25. দাহের পরিশোধে দাহ, ক্ষতের পরিশোধে ক্ষত, কালশিরার পরিশোধে কালশিরা।

26. जब कोई अपने दास वा दासी की आंख पर ऐसा मारे कि फूट जाए, तो वह उसकी आंख की सन्ती उसे स्वतंत्रा करके जाने दे।

26. আর কেহ আপন দাস কি দাসীর চক্ষুতে আঘাত করিলে যদি তাহা নষ্ট হয়, তবে তাহার চক্ষুনাশের জন্য সে তাহাকে মুক্ত করিবে।

27. और यदि वह अपने दास वा दासी को मारके उसका दांत तोड़ डाले, तो वह उसके दांत की सन्ती उसे स्वतंत्रा करके जाने दे।।

27. আর আঘাত দ্বারা আপন দাস কিম্বা দাসীর দন্ত ভাঙ্গিয়া ফেলিলে ঐ দন্তের জন্য সে তাহাকে মুক্ত করিবে।

28. यदि बैल किसी पुरूष वा स्त्री को ऐसा सींग मारे कि वह मर जाए, तो वह बैल तो निश्चय पत्थरवाह करके मार डाला जाए, और उसका मांस खाया न जाए; परन्तु बैल का स्वामी निर्दोष ठहरे।

28. আর গোরু কোন পুরুষ কি স্ত্রীকে শৃঙ্গাঘাত করিলে সে যদি মরে, তবে ঐ গোরু অবশ্য প্রস্তরাঘাতে বধ্য হইবে, এবং তাহার মাংস অখাদ্য হইবে; কিন্তু গোরুর স্বামী দণ্ড পাইবে না।

29. परन्तु यदि उस बैल की पहिले से सींग मारने की बान पड़ी हो, और उसके स्वामी ने जताए जाने पर भी उसको न बान्ध रखा हो, और वह किसी पुरूष वा स्त्री को मार डाले, तब तो वह बैल पत्थरवाह किया जाए, और उसका स्वामी भी मार डाला जाए।

29. পরন্তু ঐ গোরু পূর্ব্বে শৃঙ্গাঘাত করিত, ইহার প্রমাণ পাইলেও তাহার স্বামী তাহাকে সাবধানে না রাখাতে যদি সে কোন পুরুষকে কিম্বা স্ত্রীকে বধ করে, তবে সে গোরু প্রস্তরাঘাতে বধ করা যাইবে; এবং তাহার স্বামীরও প্রাণদণ্ড হইবে।

30. यदि उस पर छुड़ौती ठहराई जाए, तो प्राण छुड़ाने को जो कुछ उसके लिये ठहराया जाए उसे उतना ही देना पड़ेगा।

30. যদি তাহার নিমিত্তে প্রায়শ্চিত্ত নিরূপিত হয়, তবে সে প্রাণমুক্তির নিমিত্তে নিরূপিত সমস্ত মূল্য দিবে।

31. चाहे बैल ने किसी बेटे को, चाहे बेटी को मारा हो, तौभी इसी नियम के अनुसार उसके स्वामी के साथ व्यवहार किया जाए।

31. তাহার গোরু যদি কাহারও পুত্রকে কি কন্যাকে শৃঙ্গাঘাত করে, তবে ঐ বিচারানুসারে তাহার প্রতি করা যাইবে।

32. यदि बैल ने किसी दास वा दासी को सींग मारा हो, तो बैल का स्वामी उस दास के स्वामी को तीस शेकेल रूपा दे, और वह बैल पत्थरवाह किया जाए।।
मत्ती 26:15

32. আর তাহার গোরু যদি কাহারও দাস কিম্বা দাসীকে শৃঙ্গাঘাত করে, তবে সে তাহার প্রভুকে ত্রিশ শেকল রৌপ্য দিবে; এবং গোরু প্রস্তরাঘাতে বধ্য হইবে।

33. यदि कोई मनुष्य गड़हा खोलकर वा खोदकर उसको न ढांपे, और उस में किसी का बैल वा गदहा गिर पड़े

33. আর কেহ যদি কোন কূপ অনাবৃত করে, কিম্বা কূপ খনন করিয়া তাহা আবৃত না করে, তবে তাহার মধ্যে কোন গোরু কিম্বা গর্দ্দভ পড়িলে সেই কূপের স্বামী ক্ষতিপূরণ করিবে,

34. तो जिसका वह गड़हा हो वह उस हानि को भर दे; वह पशु के स्वामी को उसका मोल दे, और लोथ गड़हेवाले की ठहरे।।

34. সে পশুর স্বামীকে রৌপ্যমূল্য দিবে, কিন্তু ঐ মৃত পশু তাহারই হইবে।

35. यदि किसी का बैल किसी दूसरे के बैल को ऐसी चोट लगाए, कि वह मर जाए, तो वे दोनो मनुष्य जीते बैल को बेचकर उसका मोल आपस में आधा आधा बांट ले; और लोथ को भी वैसा ही बांटें।

35. আর, এক জনের গোরু অন্য জনের গোরুকে শৃঙ্গাঘাত করিলে সেটা যদি মরে, তবে তাহারা জীবিত গোরু বিক্রয় করিয়া তাহার মূল্য দুই অংশ করিবে, এবং ঐ মৃত গোরুও দুই অংশ করিয়া লইবে।

36. यदि यह प्रगट हो कि उस बैल की पहिले से सींग मारने की बान पड़ी थी, पर उसके स्वामी ने उसे बान्ध नहीं रखा, तो निश्चय यह बैल की सन्ती बैल भर दे, पर लोथ उसी की ठहरे।।

36. কিন্তু যদি জানা যায়, সেই গোরু পূর্ব্বে শৃঙ্গাঘাত করিত, ও তাহার স্বামী তাহাকে সাবধানে রাখে নাই, তবে সে তাহার পরিবর্ত্তে অন্য গোরু দিবে, কিন্তু মৃত গোরু তাহারই হইবে।



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