Psalms - भजन संहिता 78 | View All

1. हे मेरे लागो, मेरी शिक्षा सुनो; मेरे वचनों की ओर कान लगाओ!

1. হে আমার স্বজাতি, আমার উপদেশ শ্রবণ কর, আমার মুখের বাক্যে কর্ণপাত কর।

2. मैं अपना मूंह नीतिवचन कहने के लिये खोलूंगा; मैं प्राचीकाल की गुप्त बातें कहूंगा,
मत्ती 13:35

2. আমি দৃষ্টান্তকথায় আপন মুখ খুলিব, আমি পুরাকালের গূঢ় বাক্য সকল ব্যক্ত করিব;

3. जिन बातों को हम ने सुना, ओर जान लिया, और हमारे बाप दादों ने हम से वर्णन किया है।

3. সেই সকল আমরা শুনিয়াছি, জ্ঞাত হইয়াছি, আমাদের পিতৃপুরুষেরা আমাদিগকে বলিয়াছেন,

4. उन्हे हम उनकी सन्तान से गुप्त न रखेंगें, परन्तु होनहार पीढ़ी के लोगों से, यहोवा का गुणानुवाद और उसकी सामर्थ और आश्चर्यकर्मों का वर्णन करेंगें।।
इफिसियों 6:4

4. আমরা সে সকল তাঁহাদের সন্তানগণের কাছে গুপ্ত রাখিব না, উত্তরকালীন বংশের কাছে সদাপ্রভুর প্রশংসা বর্ণনা করিব, তাঁহার পরাক্রম ও তাঁহার কৃত আশ্চর্য্য ক্রিয়া সকল বর্ণনা করিব।

5. उस ने तो याकूब में एक चितौनी ठहराई, और इस्त्राएल में एक व्यवस्था चलाई, जिसके विषय उस ने हमारे पितरों को आज्ञा दी, कि तुम इन्हे अपने अपने लड़केवालों को बताना;

5. তিনি যাকোবের মধ্যে সাক্ষ্য দাঁড় করাইয়াছেন, ইস্রায়েলের মধ্যে ব্যবস্থা স্থাপন করিয়াছেন; যাহা তিনি আমাদের পিতৃপুরুষদিগকে আজ্ঞা দিয়াছিলেন, যেন তাঁহারা আপন আপন সন্তানগণকে তাহা জানান;

6. कि आनेवाली पीढ़ी के लोग, अर्थात जो लड़केवाले उत्पन्न होनेवाले हैं, वे इन्हे जानें; और अपने अपने लड़केवालों से इनका बखान करने में उद्यत हों, जिस से वे परमेश्वर का आस्त्रा रखें,

6. যেন উত্তরকালীন বংশ, [অর্থাৎ] যে সন্তানগণ জন্মিবে, তাহারা তাহা জানিতে পারে, এবং উঠিয়া আপন আপন সন্তানগণের কাছে তাহার বর্ণনা করিতে পারে।

7. और ईश्वर के बड़े कामों को भूल न जाएं, परन्तु उसकी आज्ञाओं का पालन करते रहें;

7. যেন তাহারা ঈশ্বরে প্রত্যাশা রাখে, এবং ঈশ্বরের কার্য্য সকল ভুলিয়া না যায়, কিন্তু তাঁহার আজ্ঞা সকল পালন করে;

8. और अपने पितरों के समान न हों, क्योंकि उस पीढ़ी के लोग तो हठीले और झगड़ालू थे, और उन्हों ने अपना मन स्थिर न किया था, और न उनकी आत्मा ईश्वर की ओर सच्ची रही।।
प्रेरितों के काम 2:40

8. যেন আপন পিতৃপুরুষদের ন্যায় না হয়, যাহারা অবাধ্য ও বিদ্রোহী বংশ ছিল; সেই বংশ আপনাদের চিত্ত স্থির করে নাই, তাহাদের আত্মা ঈশ্বরের প্রতি বিশ্বস্ত ছিল না।

9. एप्रेमयों ने तो शस्त्राधारी और धनुर्धारी होने पर भी, युठ्ठ के समय पीठ दिखा दी।

9. ইফ্রয়িমের সন্তানগণ সসজ্জ ও ধনুর্দ্ধর ছিল, সংগ্রামের দিনে তাহারা হটিয়া গেল।

10. उन्हो ने परमेश्वर की वाचा पूरी नहीं की, और उसकी व्यवस्था पर चलने से इनकार किया।

10. তাহারা ঈশ্বরের নিয়ম পালন করিল না, তাঁহার ব্যবস্থাপথে চলিতে অস্বীকার করিল।

11. उन्हो ने उसके बड़े कामों को और जो आश्चर्यकर्म उस ने उनके साम्हने किए थे, उनको भुला दिया।

11. তাহারা তাঁহার কার্য্য সকল ভুলিয়া গেল, সেই সকল আশ্চর্য্য-কার্য্য, যাহা তিনি তাহাদিগকে দেখাইয়াছিলেন।

12. उस ने तो उनके बापदादों के सम्मुख मिस्त्रा देश के सोअन के मैदान में अद्भुत कर्म किए थे।

12. তিনি তাহাদের পিতৃপুরুষদের সাক্ষাতে নানা আশ্চর্য্য কার্য্য করিয়াছিলেন। মিসর দেশে, সোয়নের মাঠে করিয়াছিলেন।

13. उस ने समुद्र को दो भाग करके उन्हे पार कर दिया, और जल को ढ़ेर की नाई खड़ा कर दिया।

13. তিনি সমুদ্রকে দ্বিধা করিয়া তাহাদিগকে পার করিয়াছিলেন, জলকে স্তূপাকারে দাঁড় করাইয়াছিলেন।

14. और उस ने दिन को बादल के खम्भों से और रात भर अग्नि के प्रकाश के द्धारा उनकी अगुवाई की।

14. তিনি তাহাদিগকে পথ দেখাইতেন, দিবসে মেঘ দ্বারা, এবং সমস্ত রাত্রি অগ্নির আলোক দ্বারা।

15. वह जंगल में चट्टानें फाड़कर, उनको मानो गहिरे जलाशयों से मनमाने पिलाता था।
1 कुरिन्थियों 10:4

15. তিনি প্রান্তরমধ্যে শৈল বিদীর্ণ করিলেন, তাহাদিগকে যেন জলধি হইতে প্রচুর জল পান করাইলেন।

16. उस ने चट्टान से भी धाराएं निकालीं और नदियों का सा जल बहाया।।

16. তিনি শৈল হইতে স্রোত বাহির করিলেন, নদীর ন্যায় জল বহাইলেন।

17. तौभी वे फिर उसके विरूद्ध अघिक पाप करते गए, और निर्जल देश में परमप्रधान के विरूद्ध उठते रहे।

17. তখনও তাহারা পুনঃ পুনঃ তাঁহার বিরুদ্ধে পাপ করিল, মরুভূমিতে পরাৎপরের বিদ্রোহী হইল;

18. और अपनी चाह के अनुसार भोजन मांगकर मन ही मन ईश्वर की परीक्षा की।

18. তাহারা মনে মনে ঈশ্বরের পরীক্ষা করিল, আপনাদের অভিলাষ পূরণার্থে ভক্ষ্য চাহিল।

19. वे परमेश्वर के विरूद्ध बोले, और कहने लगे, क्या ईश्वर जंगल में मेज लगा सकता है?

19. আর তাহারা ঈশ্বরের বিরুদ্ধে কথা কহিল, বলিল, ঈশ্বর কি প্রান্তরে মেজ সাজাইয়া দিতে পারেন?

20. उस ने चट्टान पर मारके जल बहा तो दिया, और धाराएं उमण्ड़ चली, परन्तु क्या वह रोटी भी दे सकता है? क्या वह अपनी प्रजा के लिये मांस भी तैयार कर सकता?

20. দেখ, তিনি শৈলকে আঘাত করিলে জলধারা বহিল, স্রোতোধারা প্রবাহিত হইল; তিনি কি অন্নও দিতে পারেন? আপন প্রজাদের জন্য কি মাংস যোগাইবেন?

21. यहोवा सुनकर क्रोध से भर गया, तब याकूब के बीच आग लगी, और इस्त्राएल के विरूद्ध क्रोध भड़का;

21. অতএব সদাপ্রভু তাহা শুনিয়া ক্রোধান্বিত হইলেন; যাকোবের বিরুদ্ধে অগ্নি প্রজ্বলিত হইল, ইস্রায়েলের বিরুদ্ধে কোপ উঠিল;

22. इसलिए कि उन्हों ने परमेश्वर पर विश्वास नहीं रखा था, न उसकी उठ्ठार करने की शक्ति पर भरोसा किया।

22. কেননা তাহারা ঈশ্বরে বিশ্বাস করিত না, তাঁহার পরিত্রাণে নির্ভর করিত না।

23. तौभी उस ने आकाश को आज्ञा दी, और स्वर्ग के ठ्ठारों को खोला;

23. তবু তিনি উপরিস্থ মেঘমালাকে আজ্ঞা দিলেন, আকাশমণ্ডলের দ্বার সকল খুলিয়া দিলেন।

24. और उनके लिये खाने को मान बरसाया, और उन्हे स्वर्ग का अन्न दिया।
यूहन्ना 6:31, प्रकाशितवाक्य 2:17, 1 कुरिन्थियों 10:3

24. তিনি ভক্ষ্যের জন্য তাহাদের উপরে মান্না বর্ষণ করিলেন, তাহাদিগকে স্বর্গের শস্য দিলেন।

25. उनको शूरवीरों की सी रोटी मिली; उस ने उनको मनमाना भोजन दिया।

25. মনুষ্য পরাক্রমীদের খাদ্য ভোজন করিল; তিনি তাহাদের তৃপ্তি পর্য্যন্ত ভক্ষ্য পাঠাইলেন।

26. उस ने आकाश में पुरवाई को चलाया, और अपनी शक्ति से दक्खिनी बहाई;

26. তিনি আকাশে পূর্ব্ব বায়ু বহাইলেন, নিজ পরাক্রমে দক্ষিণ বায়ু চালাইলেন।

27. और उनके लिये मांस धूलि की नाई बहुत बरसाया, और समुद्र के बालू के समान अनगिनित पक्षी भेजे;

27. তিনি তাহাদের উপরে মাংসকে ধূলির ন্যায়, পক্ষধারী বিহঙ্গকে সমুদ্রের বালির ন্যায় বর্ষণ করিলেন।

28. और उनकी छावनी के बीच में, उनके निवासों के चारों ओर गिराए।

28. তিনি তাহা তাহাদের শিবিরের মধ্যে, তাহাদের আবাসসমূহের চারিপার্শ্বে, পড়িতে দিলেন।

29. और वे खाकर अति तृप्त हुए, और उस ने उनकी कामना पूरी की।

29. তখন তাহারা ভোজন করিয়া পরিতৃপ্ত হইল; তিনি তাহাদের অভীষ্ট বস্তু তাহাদিগকে দিলেন;

30. उनकी कामना बनी ही रही, उनका भोजन उनके मुंह ही में था,

30. তাহারা আপনাদের অভীষ্ট দ্রব্য ছাড়ে নাই, তাহাদের খাদ্য তাহাদের মুখেই ছিল,

31. कि परमेश्वर का क्रोध उन पर भड़का, और उस ने उनके हष्टपुष्टों को घात किया, और इस्त्राएल के जवानों को गिरा दिया।।
1 कुरिन्थियों 10:5

31. তখন তাহাদের বিরুদ্ধে ঈশ্বরের কোপ উঠিল, তাহা তাহাদের হৃষ্টপুষ্টগণকে সংহার করিল, ইস্রায়েলের যুবকগণকে পাড়িয়া ফেলিল।

32. इतने पर भी वे और अधिक पाप करते गए; और परमेश्वर के आश्चर्यकर्मों की प्रतीति न की।

32. এ সমস্ত হইলেও তাহারা পুনর্ব্বার পাপ করিল, ও তাঁহার আশ্চর্য্য ক্রিয়াতে বিশ্বাস করিল না।

33. तब उस ने उनके दिनों को व्यर्थ श्रम में, और उनके वर्षों को धबराहट में कटवाया।

33. অতএব তিনি তাহাদের আয়ু অসারতায়, তাহাদের বৎসর সকল বিহ্বলতায়, শেষ করিলেন।

34. जब जब वह उन्हे घात करने लगता, तब तब वे उसको पूछते थे; और फिरकर ईश्वर को यत्न से खोजते थे।

34. তিনি লোকদিগকে বধ করিলে তাহারা তাঁহার অনুসন্ধান করিল, ফিরিয়া সযত্নে ঈশ্বরের অন্বেষণ করিল;

35. और उनको स्मरण होता था कि परमेश्वर हमारी चट्टान है, और परमप्रधान ईश्वर हमारा छुड़ानेवाला है।

35. তাহাদের স্মরণ হইল, ঈশ্বর তাহাদের শৈল, পরাৎপর ঈশ্বর তাহাদের মুক্তিদাতা।

36. तौभी उन्हों ने उस से चापलूसी की; वे उस से झूठ बोले।

36. কিন্তু তাহারা মুখে তাঁহার চাটুবাদ করিল, জিহ্বাতে তাঁহার নিকটে মিথ্যা কহিল;

37. क्योंकि उनका ह्यदय उसकी ओर दृढ़ न था; न वे उसकी वाचा के विषय सच्चे थे।
प्रेरितों के काम 8:21

37. কারণ তাহাদের হৃদয় তাঁহার প্রতি স্থির ছিল না, তাহারা তাঁহার নিয়মেও বিশ্বস্ত ছিল না।

38. परन्तु वह जो दयालु है, वह अधर्म को ढांपता, और नाश नहीं करता; वह बारबार अपने क्रोध को ठण्डा करता है, और अपनी जलजलाहट को पूरी रीति से भड़कने नहीं देता।

38. কিন্তু তিনি স্নেহময়, তাই অপরাধ ক্ষমা করিলেন, ধ্বংস করিলেন না, অনেকবার আপন ক্রোধ সম্বরণ করিলেন, আপনার সমস্ত কোপ উদ্দীপিত করিলেন না।

39. उसको स्मरण हुआ कि ये नाशमान हैं, ये वायु के समान हैं जो चली जाती और लौट नहीं आती।

39. তিনি স্মরণ করিলেন যে, তাহারা মাংস মাত্র, বায়ুস্বরূপ, যাহা বহিয়া গেলে আর ফিরিয়া আইসে না।

40. उन्हों ने कितनी ही बार जंगल में उस से बलवा किया, और निर्जल देश में उसको उदास किया!

40. তাহারা প্রান্তরে কতবার তাঁহার বিরুদ্ধে দ্রোহ করিল, মরুভূমিতে কতবার তাঁহাকে মনঃপীড়া দিল।

41. वे बारबार ईश्वर की परीक्षा करते थे, और इस्त्राएल के पवित्रा को खेदित करते थे।

41. তাহারা ফিরিয়া ঈশ্বরের পরীক্ষা করিল, ইস্রায়েলের পবিত্রতমকে অসন্তুষ্ট করিল।

42. उन्होने न तो उसका भुजबल स्मरण किया, न वह दिन जब उस ने उनको द्रोही के वश से छुड़ाया था;

42. তাহারা তাঁহার হস্ত স্মরণ করিল না, সেই দিনকে স্মরণ করিল না, যে দিনে তিনি তাহাদিগকে বিপক্ষের হস্ত হইতে মুক্ত করিলেন।

43. कि उस ने क्योंकर अपने चिन्ह मिस्त्रा में, और अपने चमत्कार सोअन के मैदान में किए थे।

43. তিনি মিসরে আপন চিহ্ন সকল, সোয়নের মাঠে আপন অদ্ভুত লক্ষণ সকল, স্থাপন করিলেন।

44. उस ने तो मिस्त्रियों की नहरों को लोहू बना डाला, और वे अपनी नदियों का जल पी न सके।
प्रकाशितवाक्य 16:4

44. তিনি রক্তে পরিণত করিলেন তাহাদের নদী সকল, তাহাদের প্রবাহ সকল, তাই তাহারা জল পান করিতে পারিল না।

45. उस ने उनके बीच में डांस भेजे जिन्हों ने उन्हे काट खाया, और मेंढक भी भेजे, जिन्हों ने उनका बिगाड़ किया।

45. তিনি তাহাদের মধ্যে গ্রাসকারী দংশক, ও বিনাশকারী ভেক প্রেরণ করিলেন।

46. उस ने उनकी भूमि की उपज कीड़ों को, और उनकी खेतीबारी टिड्डयों को खिला दी थी।

46. তিনি গুটিপোকাকে তাহাদের ভূমির দ্রব্য, পঙ্গপালকে তাহাদের শ্রমফল দিলেন।

47. उस ने उनकी दाखलताओं को ओेलों से, और उनके गूलर के पेड़ों को बड़े बड़े पत्थ्र बरसाकर नाश किया।

47. তিনি শিলা দ্বারা তাহাদের দ্রাক্ষালতা, করকাপাতে তাহাদের ডুমুর গাছ মারিয়া ফেলিলেন।

48. उस ने उनके पशुओं को ओलों से, और उनके ढोरों को बिजलियों से मिटा दिया।

48. তিনি তাহাদের পশুগণকে শিলাতে, পাল সকলকে বজ্রাঘাতে সমর্পণ করিলেন।

49. उस ने उनके ऊपर अपना प्रचणड क्रोध और रोष भड़काया, और उन्हे संकट में डाला, और दुखदाई दूतों का दल भेजा।

49. তিনি তাহাদের বিরুদ্ধে পাঠাইলেন আপন প্রচণ্ড ক্রোধ, কোপ, ও রোষ, ও সঙ্কট, অমঙ্গলের এই দূতদল।

50. उस ने अपने क्रोध का मार्ग खोला, और उनके प्राणों को मृत्यु से न बचाया, परन्तु उनको मरी के वश में कर दिया।

50. তিনি নিজ ক্রোধের জন্য পথ করিলেন, মৃত্যু হইতে তাহাদের প্রাণ রক্ষা করেন নাই; কিন্তু তাহাদের জীবন মহামারীর হস্তে দিলেন।

51. उस ने मिस्त्रा के सब पहिलौठों को मारा, जो हाम के डेरों में पौरूष के पहिले फल थे;

51. তিনি আঘাত করিলেন মিসরে সমস্ত প্রথমজাতকে, হামের তাম্বুসমূহে তাহাদের শক্তির প্রথম ফলকে;

52. परन्तु अपनी प्रजा को भेड़- बकरियों की नाई पयान कराया, और जंगल में उनकी अगुवाई पशुओं के झुण्ड की सी की।

52. কিন্তু আপন প্রজাদিগকে মেষবৎ চালাইলেন, পালের মত প্রান্তর দিয়া লইয়া আসিলেন।

53. तब वे उसके चलाने से बेखटके चले और उनको कुछ भय न हुआ, परन्तु उनके शत्रु समुद्र में डूब गए।

53. তিনি তাহাদিগকে নিরাপদে লইয়া আসিলেন, তাহারা উদ্বিগ্ন হইল না, কিন্তু সমুদ্র তাহাদের শত্রুগণকে আচ্ছাদন করিল।

54. और उस ने उनको अपने पवित्रा देश के सिवाने तक, इसी पहाड़ी देश में पहुंचाया, जो उस ने अपने दहिने हाथ से प्राप्त किया था।

54. আর তিনি তাহাদিগকে আনিলেন, আপন পবিত্র সীমায়, আপন দক্ষিণ হস্ত দ্বারা লব্ধ এই পর্ব্বতে।

55. उस ने उनके साम्हने से अन्यजातियों को भगा दिया; और उनकी भूमि को डोरी से माप मापकर बांट दिया; और इस्त्राएल के गोत्रों को उनके डेरों में बसाया।।

55. তিনি তাহাদের সম্মুখ হইতে জাতিগণকে দূর করিলেন, মানরজ্জু দ্বারা অধিকার বিভাগ করিয়া তাহাদিগকে দিলেন, ইস্রায়েলের বংশদিগকে উহাদের তাম্বুতে বাস করাইলেন।

56. तौभी उन्होने परमप्रधान परमेश्वर की परीक्षा की और उस से बलवा किया, और उसकी चितौनियों को न माना,

56. তথাপি তাহারা পরাৎপর ঈশ্বরের পরীক্ষা করিল, তাঁহার বিদ্রোহী হইল, তাঁহার সাক্ষ্য সকল পালন করিল না।

57. और मुड़कर अपने पुरखाओं की नाई विश्वासघात किया; उन्हों ने निकम्मे धनुष की नाई धोखा दिया।

57. তাহারা সরিয়া গেল, তাহাদের পিতৃপুরুষদের ন্যায় বিশ্বাসঘাতকতা করিল; তাহারা বঞ্চক ধনুকের ন্যায় পার্শ্বে ফিরিল।

58. क्योंकि उन्हों ने ऊंचे स्थान बनाकर उसको रिस दिलाई, और खुदी हुई मुर्तियों के द्वारा उस में जलन उपजाई।

58. কারণ তাহারা আপনাদের উচ্চস্থলীসমূহের দ্বারা তাঁহাকে অসন্তুষ্ট করিল, আপনাদের ক্ষোদিত প্রতিমাগণ দ্বারা তাঁহার অন্তর্জ্বালা জন্মাইল।

59. परमेश्वर सुनकर रोष से भर गया, और उस ने इस्त्राएल को बिलकुल तज दिया।

59. ঈশ্বর তাহা শুনিয়া ক্রোধান্বিত হইলেন, ইস্রায়েলকে অতিমাত্র ঘৃণা করিলেন।

60. उस ने शीलो के निवास, अर्थात् उस तम्बु को जो उस ने मनुष्यों के बीच खडा किया था, त्याग दिया,

60. তিনি শীলোস্থিত আবাস ত্যাগ করিলেন, সেই তাম্বু, যাহা তিনি মনুষ্যদের মধ্যে স্থাপন করিয়াছিলেন।

61. और अपनी सामर्थ को बन्धुआई में जाने दिया, और अपनी शोभा को द्रोही के वश में कर दिया।

61. তিনি আপন বল বন্দিদশায়, আপন শোভা বিপক্ষের হস্তে দিলেন।

62. उस ने अपनी प्रजा को तलवार से मरवा दिया, और अपने निज भाग के लोगों पर रोष से भर गया।

62. তিনি আপন প্রজাদিগকে খড়্‌গের হস্তগত করিলেন, আপন অধিকারের প্রতি ক্রুদ্ধ হইলেন।

63. उन के जवान आग से भस्म हुए, और उनकी कुमारियों के विवाह के गीत न गाए गए।

63. অগ্নি তাহাদের যুবকগণকে গ্রাস করিল, তাহাদের কন্যাগণের পরিণয়-সঙ্গীত হইল না।

64. उनके याजक तलवार से मारे गए, और उनकी विधवाएं रोने न पाई।

64. তাহাদের যাজকগণ খড়্‌গে পতিত হইল, তাহাদের বিধবারা রোদন করিল না।

65. तब प्रभु मानो नींद से चौंक उठा, और ऐसे वीर के समान उठा जो दाखमधु पीकर ललकारता हो।

65. তখন প্রভু জাগিলেন, সুপ্তোত্থিতের ন্যায়, দ্রাক্ষারসে হর্ষনাদকারী বীরের ন্যায়।

66. और उस ने अपने द्रोहियों को मारकर पीछे हटा दिया; और उनकी सदा की नामधराई कराई।।

66. তিনি আপন বিপক্ষ লোকদিগকে মারিয়া ফিরাইয়া দিলেন, তাহাদিগকে চিরকালীন তিরস্কারের পাত্র করিলেন।

67. फिर उस ने यूसुफ के तप्बु को तज दिया; और एप्रैम के गोत्रा को न चुना;

67. আর তিনি যোষেফের তাম্বু অগ্রাহ্য করিলেন, ইফ্রয়িমের বংশকে মনোনীত করিলেন না;

68. परन्तु यहूदा ही के गोत्रा को, और अपने प्रिय सिरयोन पर्वत को चुन लिया।

68. কিন্তু মনোনীত করিলেন যিহূদার বংশকে, ও আপনার প্রিয় সিয়োন পর্ব্বতকে।

69. उस ने अपने पवित्रास्थान को बहुत ऊंचा बना दिया, और पृथ्वी के समान स्थिर बनाया, जिसकी नेव उस ने सदा के लिये डाली है।

69. তিনি আপন ধর্ম্মধাম নির্ম্মাণ করিলেন, উচ্চ শিখরের ন্যায়, পৃথিবীর ন্যায়, যাহা তিনি চিরতরে স্থাপন করিয়াছেন।

70. फिर उसने अपने दास दाऊद को चुनकर भेड़शालाओं में से ले लिया;

70. তিনি আপন দাস দায়ূদকে মনোনীত করিলেন, তাঁহাকে মেষের খোঁয়াড় হইতে গ্রহণ করিলেন;

71. वह उसको बच्चेवाली भेड़ों के पीछे पीछे फिरने से ले आया कि वह उसकी प्रजा याकूब की अर्थात उसके निज भाग इस्त्राएल की चरवाही करे।

71. তিনি স্তন্যদাত্রী মেষীদের পশ্চাৎ হইতে তাঁহাকে আনিলেন, আপন প্রজা যাকোবকে ও আপন অধিকার ইস্রায়েলকে চরাইতে দিলেন।

72. तब उस ने खरे मन से उनकी चरवाही की, और अपने हाथ की कुशलता से उनकी अगुवाई की।।

72. আর উনি হৃদয়ের সিদ্ধতানুসারে তাহাদিগকে চরাইলেন, আপন হস্তের দক্ষতায় তাহাদিগকে চালাইলেন।



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