Psalms - भजन संहिता 78 | View All

1. हे मेरे लागो, मेरी शिक्षा सुनो; मेरे वचनों की ओर कान लगाओ!

1. A Maskil of Asaph. Listen, O my people, to my instruction; Incline your ears to the words of my mouth.

2. मैं अपना मूंह नीतिवचन कहने के लिये खोलूंगा; मैं प्राचीकाल की गुप्त बातें कहूंगा,
मत्ती 13:35

2. I will open my mouth in a parable; I will utter dark sayings of old,

3. जिन बातों को हम ने सुना, ओर जान लिया, और हमारे बाप दादों ने हम से वर्णन किया है।

3. Which we have heard and known, And our fathers have told us.

4. उन्हे हम उनकी सन्तान से गुप्त न रखेंगें, परन्तु होनहार पीढ़ी के लोगों से, यहोवा का गुणानुवाद और उसकी सामर्थ और आश्चर्यकर्मों का वर्णन करेंगें।।
इफिसियों 6:4

4. We will not conceal them from their children, But tell to the generation to come the praises of the LORD, And His strength and His wondrous works that He has done.

5. उस ने तो याकूब में एक चितौनी ठहराई, और इस्त्राएल में एक व्यवस्था चलाई, जिसके विषय उस ने हमारे पितरों को आज्ञा दी, कि तुम इन्हे अपने अपने लड़केवालों को बताना;

5. For He established a testimony in Jacob And appointed a law in Israel, Which He commanded our fathers That they should teach them to their children,

6. कि आनेवाली पीढ़ी के लोग, अर्थात जो लड़केवाले उत्पन्न होनेवाले हैं, वे इन्हे जानें; और अपने अपने लड़केवालों से इनका बखान करने में उद्यत हों, जिस से वे परमेश्वर का आस्त्रा रखें,

6. That the generation to come might know, [even] the children [yet] to be born, [That] they may arise and tell [them] to their children,

7. और ईश्वर के बड़े कामों को भूल न जाएं, परन्तु उसकी आज्ञाओं का पालन करते रहें;

7. That they should put their confidence in God And not forget the works of God, But keep His commandments,

8. और अपने पितरों के समान न हों, क्योंकि उस पीढ़ी के लोग तो हठीले और झगड़ालू थे, और उन्हों ने अपना मन स्थिर न किया था, और न उनकी आत्मा ईश्वर की ओर सच्ची रही।।
प्रेरितों के काम 2:40

8. And not be like their fathers, A stubborn and rebellious generation, A generation that did not prepare its heart And whose spirit was not faithful to God.

9. एप्रेमयों ने तो शस्त्राधारी और धनुर्धारी होने पर भी, युठ्ठ के समय पीठ दिखा दी।

9. The sons of Ephraim were archers equipped with bows, [Yet] they turned back in the day of battle.

10. उन्हो ने परमेश्वर की वाचा पूरी नहीं की, और उसकी व्यवस्था पर चलने से इनकार किया।

10. They did not keep the covenant of God And refused to walk in His law;

11. उन्हो ने उसके बड़े कामों को और जो आश्चर्यकर्म उस ने उनके साम्हने किए थे, उनको भुला दिया।

11. They forgot His deeds And His miracles that He had shown them.

12. उस ने तो उनके बापदादों के सम्मुख मिस्त्रा देश के सोअन के मैदान में अद्भुत कर्म किए थे।

12. He wrought wonders before their fathers In the land of Egypt, in the field of Zoan.

13. उस ने समुद्र को दो भाग करके उन्हे पार कर दिया, और जल को ढ़ेर की नाई खड़ा कर दिया।

13. He divided the sea and caused them to pass through, And He made the waters stand up like a heap.

14. और उस ने दिन को बादल के खम्भों से और रात भर अग्नि के प्रकाश के द्धारा उनकी अगुवाई की।

14. Then He led them with the cloud by day And all the night with a light of fire.

15. वह जंगल में चट्टानें फाड़कर, उनको मानो गहिरे जलाशयों से मनमाने पिलाता था।
1 कुरिन्थियों 10:4

15. He split the rocks in the wilderness And gave [them] abundant drink like the ocean depths.

16. उस ने चट्टान से भी धाराएं निकालीं और नदियों का सा जल बहाया।।

16. He brought forth streams also from the rock And caused waters to run down like rivers.

17. तौभी वे फिर उसके विरूद्ध अघिक पाप करते गए, और निर्जल देश में परमप्रधान के विरूद्ध उठते रहे।

17. Yet they still continued to sin against Him, To rebel against the Most High in the desert.

18. और अपनी चाह के अनुसार भोजन मांगकर मन ही मन ईश्वर की परीक्षा की।

18. And in their heart they put God to the test By asking food according to their desire.

19. वे परमेश्वर के विरूद्ध बोले, और कहने लगे, क्या ईश्वर जंगल में मेज लगा सकता है?

19. Then they spoke against God; They said, 'Can God prepare a table in the wilderness?

20. उस ने चट्टान पर मारके जल बहा तो दिया, और धाराएं उमण्ड़ चली, परन्तु क्या वह रोटी भी दे सकता है? क्या वह अपनी प्रजा के लिये मांस भी तैयार कर सकता?

20. 'Behold, He struck the rock so that waters gushed out, And streams were overflowing; Can He give bread also? Will He provide meat for His people?'

21. यहोवा सुनकर क्रोध से भर गया, तब याकूब के बीच आग लगी, और इस्त्राएल के विरूद्ध क्रोध भड़का;

21. Therefore the LORD heard and was full of wrath; And a fire was kindled against Jacob And anger also mounted against Israel,

22. इसलिए कि उन्हों ने परमेश्वर पर विश्वास नहीं रखा था, न उसकी उठ्ठार करने की शक्ति पर भरोसा किया।

22. Because they did not believe in God And did not trust in His salvation.

23. तौभी उस ने आकाश को आज्ञा दी, और स्वर्ग के ठ्ठारों को खोला;

23. Yet He commanded the clouds above And opened the doors of heaven;

24. और उनके लिये खाने को मान बरसाया, और उन्हे स्वर्ग का अन्न दिया।
यूहन्ना 6:31, प्रकाशितवाक्य 2:17, 1 कुरिन्थियों 10:3

24. He rained down manna upon them to eat And gave them food from heaven.

25. उनको शूरवीरों की सी रोटी मिली; उस ने उनको मनमाना भोजन दिया।

25. Man did eat the bread of angels; He sent them food in abundance.

26. उस ने आकाश में पुरवाई को चलाया, और अपनी शक्ति से दक्खिनी बहाई;

26. He caused the east wind to blow in the heavens And by His power He directed the south wind.

27. और उनके लिये मांस धूलि की नाई बहुत बरसाया, और समुद्र के बालू के समान अनगिनित पक्षी भेजे;

27. When He rained meat upon them like the dust, Even winged fowl like the sand of the seas,

28. और उनकी छावनी के बीच में, उनके निवासों के चारों ओर गिराए।

28. Then He let [them] fall in the midst of their camp, Round about their dwellings.

29. और वे खाकर अति तृप्त हुए, और उस ने उनकी कामना पूरी की।

29. So they ate and were well filled, And their desire He gave to them.

30. उनकी कामना बनी ही रही, उनका भोजन उनके मुंह ही में था,

30. Before they had satisfied their desire, While their food was in their mouths,

31. कि परमेश्वर का क्रोध उन पर भड़का, और उस ने उनके हष्टपुष्टों को घात किया, और इस्त्राएल के जवानों को गिरा दिया।।
1 कुरिन्थियों 10:5

31. The anger of God rose against them And killed some of their stoutest ones, And subdued the choice men of Israel.

32. इतने पर भी वे और अधिक पाप करते गए; और परमेश्वर के आश्चर्यकर्मों की प्रतीति न की।

32. In spite of all this they still sinned And did not believe in His wonderful works.

33. तब उस ने उनके दिनों को व्यर्थ श्रम में, और उनके वर्षों को धबराहट में कटवाया।

33. So He brought their days to an end in futility And their years in sudden terror.

34. जब जब वह उन्हे घात करने लगता, तब तब वे उसको पूछते थे; और फिरकर ईश्वर को यत्न से खोजते थे।

34. When He killed them, then they sought Him, And returned and searched diligently for God;

35. और उनको स्मरण होता था कि परमेश्वर हमारी चट्टान है, और परमप्रधान ईश्वर हमारा छुड़ानेवाला है।

35. And they remembered that God was their rock, And the Most High God their Redeemer.

36. तौभी उन्हों ने उस से चापलूसी की; वे उस से झूठ बोले।

36. But they deceived Him with their mouth And lied to Him with their tongue.

37. क्योंकि उनका ह्यदय उसकी ओर दृढ़ न था; न वे उसकी वाचा के विषय सच्चे थे।
प्रेरितों के काम 8:21

37. For their heart was not steadfast toward Him, Nor were they faithful in His covenant.

38. परन्तु वह जो दयालु है, वह अधर्म को ढांपता, और नाश नहीं करता; वह बारबार अपने क्रोध को ठण्डा करता है, और अपनी जलजलाहट को पूरी रीति से भड़कने नहीं देता।

38. But He, being compassionate, forgave [their] iniquity and did not destroy [them]; And often He restrained His anger And did not arouse all His wrath.

39. उसको स्मरण हुआ कि ये नाशमान हैं, ये वायु के समान हैं जो चली जाती और लौट नहीं आती।

39. Thus He remembered that they were but flesh, A wind that passes and does not return.

40. उन्हों ने कितनी ही बार जंगल में उस से बलवा किया, और निर्जल देश में उसको उदास किया!

40. How often they rebelled against Him in the wilderness And grieved Him in the desert!

41. वे बारबार ईश्वर की परीक्षा करते थे, और इस्त्राएल के पवित्रा को खेदित करते थे।

41. Again and again they tempted God, And pained the Holy One of Israel.

42. उन्होने न तो उसका भुजबल स्मरण किया, न वह दिन जब उस ने उनको द्रोही के वश से छुड़ाया था;

42. They did not remember His power, The day when He redeemed them from the adversary,

43. कि उस ने क्योंकर अपने चिन्ह मिस्त्रा में, और अपने चमत्कार सोअन के मैदान में किए थे।

43. When He performed His signs in Egypt And His marvels in the field of Zoan,

44. उस ने तो मिस्त्रियों की नहरों को लोहू बना डाला, और वे अपनी नदियों का जल पी न सके।
प्रकाशितवाक्य 16:4

44. And turned their rivers to blood, And their streams, they could not drink.

45. उस ने उनके बीच में डांस भेजे जिन्हों ने उन्हे काट खाया, और मेंढक भी भेजे, जिन्हों ने उनका बिगाड़ किया।

45. He sent among them swarms of flies which devoured them, And frogs which destroyed them.

46. उस ने उनकी भूमि की उपज कीड़ों को, और उनकी खेतीबारी टिड्डयों को खिला दी थी।

46. He gave also their crops to the grasshopper And the product of their labor to the locust.

47. उस ने उनकी दाखलताओं को ओेलों से, और उनके गूलर के पेड़ों को बड़े बड़े पत्थ्र बरसाकर नाश किया।

47. He destroyed their vines with hailstones And their sycamore trees with frost.

48. उस ने उनके पशुओं को ओलों से, और उनके ढोरों को बिजलियों से मिटा दिया।

48. He gave over their cattle also to the hailstones And their herds to bolts of lightning.

49. उस ने उनके ऊपर अपना प्रचणड क्रोध और रोष भड़काया, और उन्हे संकट में डाला, और दुखदाई दूतों का दल भेजा।

49. He sent upon them His burning anger, Fury and indignation and trouble, A band of destroying angels.

50. उस ने अपने क्रोध का मार्ग खोला, और उनके प्राणों को मृत्यु से न बचाया, परन्तु उनको मरी के वश में कर दिया।

50. He leveled a path for His anger; He did not spare their soul from death, But gave over their life to the plague,

51. उस ने मिस्त्रा के सब पहिलौठों को मारा, जो हाम के डेरों में पौरूष के पहिले फल थे;

51. And smote all the firstborn in Egypt, The first [issue] of their virility in the tents of Ham.

52. परन्तु अपनी प्रजा को भेड़- बकरियों की नाई पयान कराया, और जंगल में उनकी अगुवाई पशुओं के झुण्ड की सी की।

52. But He led forth His own people like sheep And guided them in the wilderness like a flock;

53. तब वे उसके चलाने से बेखटके चले और उनको कुछ भय न हुआ, परन्तु उनके शत्रु समुद्र में डूब गए।

53. He led them safely, so that they did not fear; But the sea engulfed their enemies.

54. और उस ने उनको अपने पवित्रा देश के सिवाने तक, इसी पहाड़ी देश में पहुंचाया, जो उस ने अपने दहिने हाथ से प्राप्त किया था।

54. So He brought them to His holy land, To this hill country which His right hand had gained.

55. उस ने उनके साम्हने से अन्यजातियों को भगा दिया; और उनकी भूमि को डोरी से माप मापकर बांट दिया; और इस्त्राएल के गोत्रों को उनके डेरों में बसाया।।

55. He also drove out the nations before them And apportioned them for an inheritance by measurement, And made the tribes of Israel dwell in their tents.

56. तौभी उन्होने परमप्रधान परमेश्वर की परीक्षा की और उस से बलवा किया, और उसकी चितौनियों को न माना,

56. Yet they tempted and rebelled against the Most High God And did not keep His testimonies,

57. और मुड़कर अपने पुरखाओं की नाई विश्वासघात किया; उन्हों ने निकम्मे धनुष की नाई धोखा दिया।

57. But turned back and acted treacherously like their fathers; They turned aside like a treacherous bow.

58. क्योंकि उन्हों ने ऊंचे स्थान बनाकर उसको रिस दिलाई, और खुदी हुई मुर्तियों के द्वारा उस में जलन उपजाई।

58. For they provoked Him with their high places And aroused His jealousy with their graven images.

59. परमेश्वर सुनकर रोष से भर गया, और उस ने इस्त्राएल को बिलकुल तज दिया।

59. When God heard, He was filled with wrath And greatly abhorred Israel;

60. उस ने शीलो के निवास, अर्थात् उस तम्बु को जो उस ने मनुष्यों के बीच खडा किया था, त्याग दिया,

60. So that He abandoned the dwelling place at Shiloh, The tent which He had pitched among men,

61. और अपनी सामर्थ को बन्धुआई में जाने दिया, और अपनी शोभा को द्रोही के वश में कर दिया।

61. And gave up His strength to captivity And His glory into the hand of the adversary.

62. उस ने अपनी प्रजा को तलवार से मरवा दिया, और अपने निज भाग के लोगों पर रोष से भर गया।

62. He also delivered His people to the sword, And was filled with wrath at His inheritance.

63. उन के जवान आग से भस्म हुए, और उनकी कुमारियों के विवाह के गीत न गाए गए।

63. Fire devoured His young men, And His virgins had no wedding songs.

64. उनके याजक तलवार से मारे गए, और उनकी विधवाएं रोने न पाई।

64. His priests fell by the sword, And His widows could not weep.

65. तब प्रभु मानो नींद से चौंक उठा, और ऐसे वीर के समान उठा जो दाखमधु पीकर ललकारता हो।

65. Then the Lord awoke as [if from] sleep, Like a warrior overcome by wine.

66. और उस ने अपने द्रोहियों को मारकर पीछे हटा दिया; और उनकी सदा की नामधराई कराई।।

66. He drove His adversaries backward; He put on them an everlasting reproach.

67. फिर उस ने यूसुफ के तप्बु को तज दिया; और एप्रैम के गोत्रा को न चुना;

67. He also rejected the tent of Joseph, And did not choose the tribe of Ephraim,

68. परन्तु यहूदा ही के गोत्रा को, और अपने प्रिय सिरयोन पर्वत को चुन लिया।

68. But chose the tribe of Judah, Mount Zion which He loved.

69. उस ने अपने पवित्रास्थान को बहुत ऊंचा बना दिया, और पृथ्वी के समान स्थिर बनाया, जिसकी नेव उस ने सदा के लिये डाली है।

69. And He built His sanctuary like the heights, Like the earth which He has founded forever.

70. फिर उसने अपने दास दाऊद को चुनकर भेड़शालाओं में से ले लिया;

70. He also chose David His servant And took him from the sheepfolds;

71. वह उसको बच्चेवाली भेड़ों के पीछे पीछे फिरने से ले आया कि वह उसकी प्रजा याकूब की अर्थात उसके निज भाग इस्त्राएल की चरवाही करे।

71. From the care of the ewes with suckling lambs He brought him To shepherd Jacob His people, And Israel His inheritance.

72. तब उस ने खरे मन से उनकी चरवाही की, और अपने हाथ की कुशलता से उनकी अगुवाई की।।

72. So he shepherded them according to the integrity of his heart, And guided them with his skillful hands.



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