Psalms - भजन संहिता 18 | View All

1. हे परमेश्वर, हे मेरे बल, मैं तुझ से प्रेम करता हूं।

1. হে সদাপ্রভু! মম বল! আমি তোমাতে অনুরক্ত।

2. यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ानेवाला है; मेरा ईश्वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूं, वह मेरी ढ़ाल और मेरी मुक्ति का गढ़ है।
लूका 1:69

2. সদাপ্রভু মম শৈল, মম দুর্গ, ও মম রক্ষাকর্ত্তা, মম ঈশ্বর, মম দৃঢ় শৈল, আমি তাঁহার শরণাগত; মম ঢাল, মম ত্রাণশৃঙ্গ, মম উচ্চদুর্গ।

3. मैं यहोवा को जो स्तुति के योग्य है पुकारूंगा; इस प्रकार मैं अपने शत्रुओं से बचाया जाऊंगा।।

3. আমি কীর্ত্তনীয় সদাপ্রভুকে ডাকিব, এইরূপে আমার শত্রুগণ হইতে ত্রাণ পাইব।

4. मृत्यु की रस्सियों से मैं चारो ओर से घिर गया हूं, और अधर्म की बाढ़ ने मुझ को भयभीत कर दिया;
प्रेरितों के काम 2:24

4. আমি মৃত্যুর রজ্জুতে পরিবেষ্টিত ছিলাম, পাষণ্ডতার বন্যাতে আশঙ্কিত ছিলাম।

5. पाताल की रस्सियां मेरे चारो ओर थीं, और मृत्यु के फन्दे मुझ पर आए थे।

5. আমি পাতালের রজ্জুতে বেষ্টিত ছিলাম, মৃত্যুর পাশে জড়িত ছিলাম।

6. अपने संकट में मैं ने यहोवा परमेश्वर को पुकारा; मैं ने अपने परमेश्वर को दोहाई दी। और उस ने अपने मन्दिर में से मेरी बातें सुनी। और मेरी दोहाई उसके पास पहुंचकर उसके कानों में पड़ी।।
याकूब 5:4

6. সঙ্গটে আমি সদাপ্রভুকে ডাকিলাম, আমার ঈশ্বরের উদ্দেশে আর্ত্তনাদ করিলাম; তিনি নিজ মন্দির হইতে আমার রব শুনিলেন, তাঁহার সম্মুখে আমার আর্ত্তনাদ তাঁহার কর্ণে প্রবেশ করিল।

7. तब पृथ्वी हिल गई, और कांप उठी और पहाड़ों की नेवे कंपित होकर हिल गई क्योंकि वह अति क्रोधित हुआ था।

7. তখন পৃথিবী টলিল, কম্পিত হইল, পর্ব্বতরাজির মূল সকল বিচলিত হইল, ও টলিল, কারণ তিনি জ্বলিয়া উঠিলেন।

8. उसके नथनों से धुआं निकला, और उसके मुंह से आग निकलकर भस्म करने लगी; जिस से कोएले दहक उठे।

8. তাঁহার নাসারন্ধ্র হইতে ধূম উদগত হইল, তাঁহার মুখনির্গত অগ্নি গ্রাস করিল; তদ্দ্বারা অঙ্গার সকল প্রজ্বলিত হইল।

9. और वह स्वर्ग को नीचे झुकाकर उतर आया; और उसके पांवों तले घोर अन्धकार था।

9. তিনি গগনকে নোয়াইয়া নামিলেন, অন্ধকার তাঁহার পদতলে ছিল।

10. और वह करूब पर सवार होकर उड़ा, वरन पवन के पंखों पर सवारी करके वेग से उड़ा।

10. তিনি করূব আরোহণে উড্ডীন হইলেন, বায়ু-পক্ষভরে উড়িয়া আসিলেন।

11. उस ने अन्धियारे को अपने छिपने का स्थान और अपने चारों ओर मेघों के अन्धकार और आकाश की काली घटाओं का मण्डप बनाया।

11. তিনি অন্ধকারকে আপন অন্তরাল, আপনার চতুর্দ্দিক্‌স্থ তাম্বু করিলেন; জলের তিমির গণনের ঘন মেঘমালা।

12. उसकी उपस्थिति की झलक से उसकी काली घटाएं फट गई; ओले और अंगारे।

12. তাঁহার সম্মুখবর্ত্তী তেজ হইতে তাঁহার মেঘমালা চলিয়া গেল, শিলাবৃষ্টি ও প্রজ্বলিত অঙ্গার।

13. तब यहोवा आकाश में गरजा, और परमप्रधान ने अपनी वाणी सुनाई, ओले ओर अंगारे।।

13. আর সদাপ্রভু আকাশে বজ্রনাদ করিলেন, পরাৎপর আপন রব শুনাইলেন; শিলাবৃষ্টি ও প্রজ্বলিত অঙ্গার।

14. उस ने अपने तीर चला चलाकर उनको तितर बितर किया; वरन बिजलियां गिरा गिराकर उनको परास्त किया।

14. তিনি আপন বাণ ছাড়িলেন, তাহাদিগকে ছিন্নভিন্ন করিলেন; বহু বজ্র ছাড়িয়া তাহাদিগকে উদ্বিগ্ন করিলেন।

15. तब जल के नाले देख पड़े, और जगत की नेवें प्रगट हुई, यह तो यहोवा तेरी डांट से, और तेरे नथनों की सांस की झोंक से हुआ।।

15. তখন জলরাশির প্রণালী সকল প্রকাশ পাইল, ভূমণ্ডলের মূল সকল অনাবৃত হইল, তোমার তর্জ্জনে, হে সদাপ্রভু, তোমার নাসিকার প্রশ্বাসবায়ুতে।

16. उस ने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे थांम लिया, और गहिरे जल में से खींच लिया।

16. তিনি ঊর্দ্ধ হইতে [হস্ত] বিস্তার করিলেন, আমাকে ধরিলেন, মহাজলরাশি হইতে আমাকে টানিয়া তুলিলেন;

17. उस ने मेरे बलवन्त शत्रु से, और उन से जो मुझ से घृणा करते थे मुझे छुडाया; क्योंकि वे अधिक सामर्थी थे।

17. তিনি আমাকে উদ্ধার করিলেন আমার বলবান শত্রু হইতে, আমার বিদ্বেষিগণ হইতে, কেননা তাহারা আমা অপেক্ষা শক্তিমান ছিল।

18. मेरी विपत्ति के दिन वे मुझ पर आ पडे। परन्तु यहोवा मेरा आश्रय था।

18. আমার বিপদের দিনে তাহারা আমার কাছে আসিল, কিন্তু সদাপ্রভু আমার অবলম্বন হইলেন।

19. और उस ने मुझे निकालकर चौड़े स्थान में पहुंचाया, उस ने मुझ को छुड़ाया, क्योंकि वह मुझ से प्रसन्न था।

19. তিনি আমাকে বাহিরে প্রশস্ত স্থানে আনিলেন, আমাকে উদ্ধার করিলেন, কেননা তিনি আমাতে সন্তুষ্ট ছিলেন।

20. यहोवा ने मुझ से मेरे धर्म के अनुसार व्यवहार किया; और मेरे हाथों की शुद्धता के अनुसार उस ने मुझे बदला दिया।

20. সদাপ্রভু আমার ধার্ম্মিকতানুযায়ী পুরস্কার দিলেন, আমার হস্তের শুচিতানুযায়ী ফল দিলেন।

21. क्योंकि मैं यहोवा के मार्गों पर चलता रहा, और दुष्टता के कारण अपने परमेश्वर से दूर न हुआ।

21. কেননা আমি সদাপ্রভুর পথে চলিয়াছি, দুষ্টতাপূর্ব্বক আমার ঈশ্বরকে ছাড়ি নাই।

22. क्योंकि उसके सारे निर्णय मेरे सम्मुख बने रहे और मैं ने उसकी विधियों को न त्यागा।

22. কারণ তাঁহার সমস্ত শাসন আমার সম্মুখে ছিল, আমি তাঁহার বিধি আমা হইতে দূর করি নাই।

23. और मैं उसके सम्मुख सिद्ध बना रहा, और अधर्म से अपने को बचाए रहा।

23. আর আমি তাঁহার উদ্দেশে সিদ্ধ ছিলাম, নিজ অপরাধ হইতে আপনাকে রক্ষা করিতাম।

24. यहोवा ने मुझे मेरे धर्म के अनुसार बदला दिया, और मेरे हाथों की उस शुद्धता के अनुसार जिसे वह देखता था।।

24. তাই সদাপ্রভু আমার ধার্ম্মিকতা অনুসারে ফল দিলেন, তাঁহার সাক্ষাতে আমার হস্তের শুচিতানুসারে দিলেন।

25. दयावन्त के साथ तू अपने को दयावन्त दिखाता; और खरे पुरूष के साथ तू अपने को खरा दिखाता है।

25. তুমি দয়াবানের সহিত সদয় ব্যবহার করিবে, সিদ্ধের সহিত সিদ্ধ ব্যবহার করিবে।

26. शुद्ध के साथ तू अपने को शुद्ध दिखाता, और टेढ़े के साथ तू तिर्छा बनता है।

26. তুমি শুচির সহিত শুচি ব্যবহার করিবে, কুটিলের সহিত চতুরতা ব্যবহার করিবে।

27. क्योंकि तू दी लोगों को तो बचाता है; परन्तु घमण्ड भरी आंखों को नीची करता है।

27. কেননা তুমি দুঃখীদিগকে নিস্তার করিবে, কিন্তু গর্ব্বিত নয়ন অবনত করিবে।

28. हां, तू ही मेरे दीपक को जलाता है; मेरा परमेश्वर यहोवा मेरे अन्धियारे को उजियाला कर देता है।

28. তুমিই আমার প্রদীপ উজ্জ্বল করিয়া থাক; সদাপ্রভু, আমার ঈশ্বর, আমার অন্ধকার আলোকময় করেন।

29. क्योंकि तेरी सहायता से मैं सेना पर धावा करता हूं; और अपने परमेश्वर की सहायता से शहरपनाह को लांघ जाता हूं।

29. কেননা তোমার দ্বারা আমি সৈন্যদলের বিরুদ্ধে দৌড়ি; আমার ঈশ্বরের দ্বারা প্রাচীর উল্লঙ্ঘন করি।

30. ईश्वर का मार्ग सच्चाई; यहोवा का वचन ताया हुआ है; वह अपने सब शरणागतों की ढाल है।।

30. তিনিই ঈশ্বর, তাঁহার পথ সিদ্ধ; সদাপ্রভুর বাক্য পরীক্ষাসিদ্ধ; তিনি নিজ শরণাগত সকলের ঢাল।

31. यहोवा को छोड़ क्या कोई ईश्वर है? हमारे परमेश्वर को छोड़ क्या और कोई चट्टान है?

31. কারণ সদাপ্রভু ব্যতীত আর ঈশ্বর কে আছে? আমাদের ঈশ্বর ব্যতীত আর শৈল কে আছে?

32. यह वही ईश्वर है, जो सामर्थ से मेरा कटिबन्ध बान्धता है, और मेरे मार्ग को सिद्ध करता है।

32. ঈশ্বর বল দিয়া আমার কটিবন্ধন করিয়াছেন। তিনি আমার পথ সিদ্ধ করিয়াছেন।

33. वही मेरे पैरों को हरिणियों के पैरों के समान बनाता है, और मुझे मेरे ऊंचे स्थानों पर खड़ा करता है।

33. তিনি আমার চরণ হরিণীর চরণবৎ করেন, আমার উচ্চস্থলীতে আমাকে সংস্থাপন করেন।

34. वह मेरे हाथों को युद्ध करना सिखाता है, इसलिये मेरी बाहों से पीतल का धनुष झुक जाता है।

34. তিনি আমার হস্তকে যুদ্ধ করিতে শিক্ষা দেন, তাই আমার বাহু তাম্রময় ধনুকে চাড়া দেয়।

35. तू ने मुझ को अपने बचाव की ढाल दी है, तू अपने दहिने हाथ से मुझे सम्भाले हुए है, और मेरी नम्रता ने महत्व दिया है।

35. তুমি আমাকে নিজ পরিত্রাণ-ঢাল দিয়াছ; তোমার দক্ষিণ হস্ত আমাকে ধারণ করিয়াছে, তোমার কোমলতা আমাকে মহান্‌ করিয়াছে।

36. तू ने मेरे पैरों के लिये स्थान चौड़ा कर दिया, और मेरे पैर नहीं फिसले।

36. তুমি আমার নীচে পাদসঞ্চারের স্থান প্রশস্ত করিয়াছ, আর আমার গুল্‌ফ বিচলিত হয় নাই।

37. मैं अपने शत्रुओं का पीछा करके उन्हें पकड़ लूंगा; और जब तब उनका अन्त न करूं तब तक न लौटूंगा।

37. আমি শত্রুগণের পশ্চাতে দৌড়িব, তাহাদিগকে ধরিব, সংহার না করিয়া ফিরিয়া আসিব না।

38. मैं उन्हें ऐसा बेधूंगा कि वे उठ न सकेंगे; वे मेरे पांवों के नीचे गिर पड़ेंगे।

38. আমি তাহাদিগকে চূর্ণ করিব, তাহারা আর উঠিতে পারিবে না, তাহারা আমার পদতলে পতিত হইবে।

39. क्योंकि तू ने युद्ध के लिये मेरी कमर में शक्ति का पटुका बान्धा है; और मेरे विरोधियों को मेरे सम्मुख नीचा कर दिया।

39. কারণ তুমি যুদ্ধার্থে বল দিয়া আমার কটিবন্ধন করিয়াছ; যাহারা আমার বিরুদ্ধে উঠিয়াছিল, তাহাদিগকে তুমি আমার অধীনে নত করিয়াছ।

40. तू ने मेरे शत्रुओं की पीठ मेरी ओर फेर दी, ताकि मैं उनको काट डालूं जो मुझ से द्वेष रखते हैं।

40. আমার শত্রুগণকে আমা হইতে ফিরাইয়া দিয়াছ, আমি আপন বিদ্বেষীদিগকে সংহার করিয়াছি।

41. उन्हों ने दोहाई तो दी परन्तु उन्हें कोई भी बचानेवाला न मिला, उन्हों ने यहोवा की भी दोहाई दी, परन्तु उस ने भी उनको उत्तर न दिया।

41. তাহারা আর্ত্তনাদ করিল, কিন্তু ত্রাণকর্ত্তা কেহ নাই; সদাপ্রভুকে [ডাকিল], কিন্তু তিনি উত্তর দিলেন না।

42. तब मैं ने उनको कूट कूटकर पवन से उड़ाई हुई धूलि के समान कर दिया; मैं ने उनको गली कूचों की कीचड़ के समान निकाल फेंका।।

42. তখন আমি তাহাদিগকে বায়ুচালিত ধূলির ন্যায় চূর্ণ করিলাম; পথের কর্দ্দমের ন্যায় ফেলিয়া দিলাম;

43. तू ने मुझे प्रजा के झगड़ों से भी छुड़ाया; तू ने मुझे अन्यजातियों का प्रधान बनाया है; जिन लोगों को मैं जानता भी न था वे मेरे अधीन हो गये।

43. তুমি আমাকে প্রজাদের দ্রোহ হইতে উদ্ধার করিয়াছ, জাতিগণের মস্তকরূপে নিযুক্ত করিয়াছ; আমার অপরিচিত জাতি আমার দাস হইবে।

44. मेरा नाम सुनते ही वे मेरी आज्ञा का पालन करेंगे; परदेशी मेरे वश में हो जाएंगे।

44. শ্রবণমাত্র তাহারা আমার আজ্ঞাকারী হইবে; বিজাতি-সন্তানেরা আমার কর্ত্তৃত্ব স্বীকার করিবে।

45. परदेशी मुर्झा जाएंगे, और अपने किलों में से थरथराते हुए निकलेंगे।।

45. বিজাতি সন্তানেরা ম্লান হইবে, স্বকম্পে স্ব স্ব গুপ্ত স্থান হইতে বাহিরে আসিবে।

46. यहोवा परमेश्वर जीवित है; मेरी चट्टान धन्य है; और मेरे मुक्तिदाता परमेश्वर की बड़ाई हो।

46. সদাপ্রভু জীবন্ত, আমার শৈল ধন্য হউন, আমার ত্রাণের ঈশ্বর উন্নত হউন।

47. धन्य है मेरा पलटा लेनेवाला ईश्वर! जिस ने देश देश के लोगों को मेरे वंश में कर दिया है;

47. সেই ঈশ্বর আমার পক্ষে প্রতিশোধ দেন, জাতিগণকে আমার অধীনে দমন করেন।

48. और मुझे मेरे शत्रुओं से छुड़ाया है; तू मुझ को मेरे विरोधियों से ऊंचा करता, और उपद्रवी पुरूष से बचाता है।।

48. তিনি আমার শত্রুগণ হইতে আমাকে উদ্ধার করেন; যাহারা আমার বিরুদ্ধে উঠে, তুমি তাহাদের উপরেও আমাকে উন্নত করিতেছ, তুমি দুর্ব্বৃত্ত লোক হইতে আমাকে উদ্ধার করিতেছ।

49. इस कारण मैं जाति जाति के साम्हने तेरा धन्यवाद करूंगा, और तेरे नाम का भजन गाऊंगा।
रोमियों 15:9

49. এই কারণ, হে সদাপ্রভু, আমি জাতিগণের মধ্যে তোমার স্তব করিব, তোমার নামের উদ্দেশে স্তোত্র গান করিব।

50. वह अपने ठहराए हुए राजा का बड़ा उद्धार करता है, वह अपने अभिषिक्त दाऊद पर और उसके वंश पर युगानुयुग करूणा करता रहेगा।।

50. তিনি আপন রাজাকে মহাপরিত্রাণ দেন, আপন অভিষিক্ত ব্যক্তির প্রতি দয়া করেন, যুগে যুগে দায়ূদের ও তাহার বংশের প্রতি দয়া করেন।



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