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Young's Literal Translation (1898)
Cross Reference Bible
1. हे परमेश्वर, हे मेरे बल, मैं तुझ से प्रेम करता हूं।
1. I will love thee, O LORD, my strength.
2. यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ानेवाला है; मेरा ईश्वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूं, वह मेरी ढ़ाल और मेरी मुक्ति का गढ़ है।लूका 1:69
2. The LORD [is] my rock and my fortress, and my deliverer; my God, my strength, in whom I will trust; my buckler, and the horn of my salvation, [and] my high tower.
3. मैं यहोवा को जो स्तुति के योग्य है पुकारूंगा; इस प्रकार मैं अपने शत्रुओं से बचाया जाऊंगा।।
3. I will call upon the LORD, [who is worthy] to be praised, so shall I be saved from my enemies.
4. मृत्यु की रस्सियों से मैं चारो ओर से घिर गया हूं, और अधर्म की बाढ़ ने मुझ को भयभीत कर दिया;प्रेरितों के काम 2:24
4. The pain of death compassed me, and the rivers of Belial made me afraid.
5. पाताल की रस्सियां मेरे चारो ओर थीं, और मृत्यु के फन्दे मुझ पर आए थे।
5. The pain of Sheol compassed me about: the snares of death came before me.
6. अपने संकट में मैं ने यहोवा परमेश्वर को पुकारा; मैं ने अपने परमेश्वर को दोहाई दी। और उस ने अपने मन्दिर में से मेरी बातें सुनी। और मेरी दोहाई उसके पास पहुंचकर उसके कानों में पड़ी।।याकूब 5:4
6. In my distress I called upon the LORD and cried unto my God; he heard my voice out of his temple, and my cry came before him, [even] into his ears.
7. तब पृथ्वी हिल गई, और कांप उठी और पहाड़ों की नेवे कंपित होकर हिल गई क्योंकि वह अति क्रोधित हुआ था।
7. Then the earth shook and trembled; the foundations of the mountains collapsed and were removed because he was wroth.
8. उसके नथनों से धुआं निकला, और उसके मुंह से आग निकलकर भस्म करने लगी; जिस से कोएले दहक उठे।
8. Smoke went up out of his nostrils, and fire devoured out of his mouth; coals were kindled by it.
9. और वह स्वर्ग को नीचे झुकाकर उतर आया; और उसके पांवों तले घोर अन्धकार था।
9. He lowered the heavens and came down; and darkness [was] under his feet.
10. और वह करूब पर सवार होकर उड़ा, वरन पवन के पंखों पर सवारी करके वेग से उड़ा।
10. And he rode upon a cherub and flew: yea, he flew upon the wings of the wind.
11. उस ने अन्धियारे को अपने छिपने का स्थान और अपने चारों ओर मेघों के अन्धकार और आकाश की काली घटाओं का मण्डप बनाया।
11. He made darkness his hiding place; in his tabernacle round about him [were] dark waters [and] thick clouds of the heavens.
12. उसकी उपस्थिति की झलक से उसकी काली घटाएं फट गई; ओले और अंगारे।
12. At the brightness [that was] before him his thick clouds passed, hail [stones] and coals of fire.
13. तब यहोवा आकाश में गरजा, और परमप्रधान ने अपनी वाणी सुनाई, ओले ओर अंगारे।।
13. The LORD thundered in the heavens, and the Highest gave his voice; hail [stones] and coals of fire.
14. उस ने अपने तीर चला चलाकर उनको तितर बितर किया; वरन बिजलियां गिरा गिराकर उनको परास्त किया।
14. He sent out his arrows and scattered them; he shot out lightnings and destroyed them.
15. तब जल के नाले देख पड़े, और जगत की नेवें प्रगट हुई, यह तो यहोवा तेरी डांट से, और तेरे नथनों की सांस की झोंक से हुआ।।
15. Then the depths of the waters were seen, and the foundations of the world were discovered at thy rebuke, O LORD, at the blast of the breath of thy nostrils.
16. उस ने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे थांम लिया, और गहिरे जल में से खींच लिया।
16. He sent from above, he took me, he drew me out of many waters.
17. उस ने मेरे बलवन्त शत्रु से, और उन से जो मुझ से घृणा करते थे मुझे छुडाया; क्योंकि वे अधिक सामर्थी थे।
17. He delivered me from my strong enemy, and from those who hated me, even though they were too strong for me.
18. मेरी विपत्ति के दिन वे मुझ पर आ पडे। परन्तु यहोवा मेरा आश्रय था।
18. They were ready for me in the day of my calamity, but the LORD was my staff.
19. और उस ने मुझे निकालकर चौड़े स्थान में पहुंचाया, उस ने मुझ को छुड़ाया, क्योंकि वह मुझ से प्रसन्न था।
19. He brought me forth also into a wide place; he delivered me because he delighted in me.
20. यहोवा ने मुझ से मेरे धर्म के अनुसार व्यवहार किया; और मेरे हाथों की शुद्धता के अनुसार उस ने मुझे बदला दिया।
20. The LORD will reward me according to my righteousness; according to the cleanness of my hands he shall recompense me.
21. क्योंकि मैं यहोवा के मार्गों पर चलता रहा, और दुष्टता के कारण अपने परमेश्वर से दूर न हुआ।
21. Because I have kept the ways of the LORD and did not become wicked [departing] in apostasy from my God.
22. क्योंकि उसके सारे निर्णय मेरे सम्मुख बने रहे और मैं ने उसकी विधियों को न त्यागा।
22. For all his judgments [were] before me, and I did not put away his statutes from me.
23. और मैं उसके सम्मुख सिद्ध बना रहा, और अधर्म से अपने को बचाए रहा।
23. I was perfect before him, and I kept myself from my iniquity.
24. यहोवा ने मुझे मेरे धर्म के अनुसार बदला दिया, और मेरे हाथों की उस शुद्धता के अनुसार जिसे वह देखता था।।
24. Therefore the LORD has recompensed me according to my righteousness, according to the cleanness of my hands before his eyes.
25. दयावन्त के साथ तू अपने को दयावन्त दिखाता; और खरे पुरूष के साथ तू अपने को खरा दिखाता है।
25. With the merciful thou wilt show thyself merciful; with a perfect man thou wilt show thyself perfect;
26. शुद्ध के साथ तू अपने को शुद्ध दिखाता, और टेढ़े के साथ तू तिर्छा बनता है।
26. with the pure thou wilt show thyself pure; and with the perverse thou wilt show thyself adversary.
27. क्योंकि तू दी लोगों को तो बचाता है; परन्तु घमण्ड भरी आंखों को नीची करता है।
27. Therefore thou wilt save the humble people; but wilt bring down high looks.
28. हां, तू ही मेरे दीपक को जलाता है; मेरा परमेश्वर यहोवा मेरे अन्धियारे को उजियाला कर देता है।
28. For thou wilt light my fire: the LORD my God will enlighten my darkness.
29. क्योंकि तेरी सहायता से मैं सेना पर धावा करता हूं; और अपने परमेश्वर की सहायता से शहरपनाह को लांघ जाता हूं।
29. For with thee I have scattered armies; and in my God I have overcome walled [defences].
30. ईश्वर का मार्ग सच्चाई; यहोवा का वचन ताया हुआ है; वह अपने सब शरणागतों की ढाल है।।
30. [As for] God, his way [is] perfect: the word of the LORD is precise: a shield to all those that wait in him.
31. यहोवा को छोड़ क्या कोई ईश्वर है? हमारे परमेश्वर को छोड़ क्या और कोई चट्टान है?
31. For who [is] God except the LORD? or who [is] a refuge except our God?
32. यह वही ईश्वर है, जो सामर्थ से मेरा कटिबन्ध बान्धता है, और मेरे मार्ग को सिद्ध करता है।
32. [It is] God that girds me with strength and makes my way perfect.
33. वही मेरे पैरों को हरिणियों के पैरों के समान बनाता है, और मुझे मेरे ऊंचे स्थानों पर खड़ा करता है।
33. He makes my feet like hinds' [feet] and sets me upon my high places.
34. वह मेरे हाथों को युद्ध करना सिखाता है, इसलिये मेरी बाहों से पीतल का धनुष झुक जाता है।
34. He trains my hands for the battle, so that a bow of bronze shall be broken by my arms.
35. तू ने मुझ को अपने बचाव की ढाल दी है, तू अपने दहिने हाथ से मुझे सम्भाले हुए है, और मेरी नम्रता ने महत्व दिया है।
35. [In the same manner] thou hast also given me the shield of thy salvation: and thy right hand will hold me up, and thy meekness shall multiply me.
36. तू ने मेरे पैरों के लिये स्थान चौड़ा कर दिया, और मेरे पैर नहीं फिसले।
36. Thou shall enlarge my steps under me, and my knees shall not tremble.
37. मैं अपने शत्रुओं का पीछा करके उन्हें पकड़ लूंगा; और जब तब उनका अन्त न करूं तब तक न लौटूंगा।
37. I shall pursue my enemies and overtake them: neither shall I turn again until they are consumed.
38. मैं उन्हें ऐसा बेधूंगा कि वे उठ न सकेंगे; वे मेरे पांवों के नीचे गिर पड़ेंगे।
38. I shall smite them, and they will not be able to rise: they shall fall under my feet.
39. क्योंकि तू ने युद्ध के लिये मेरी कमर में शक्ति का पटुका बान्धा है; और मेरे विरोधियों को मेरे सम्मुख नीचा कर दिया।
39. For thou hast girded me with strength unto the battle: thou hast subdued my enemies under me.
40. तू ने मेरे शत्रुओं की पीठ मेरी ओर फेर दी, ताकि मैं उनको काट डालूं जो मुझ से द्वेष रखते हैं।
40. Thou hast also given me the necks of my enemies that I might destroy those that hate me.
41. उन्हों ने दोहाई तो दी परन्तु उन्हें कोई भी बचानेवाला न मिला, उन्हों ने यहोवा की भी दोहाई दी, परन्तु उस ने भी उनको उत्तर न दिया।
41. They cried out, but [there was] no one to save [them]: [even] unto the LORD, but he did not answer them.
42. तब मैं ने उनको कूट कूटकर पवन से उड़ाई हुई धूलि के समान कर दिया; मैं ने उनको गली कूचों की कीचड़ के समान निकाल फेंका।।
42. Then I beat them as small as the dust before the wind: I scattered them as the dirt in the streets.
43. तू ने मुझे प्रजा के झगड़ों से भी छुड़ाया; तू ने मुझे अन्यजातियों का प्रधान बनाया है; जिन लोगों को मैं जानता भी न था वे मेरे अधीन हो गये।
43. Thou hast delivered me from the strivings of the people; [and] thou hast made me the head of the Gentiles: a people [whom] I did not know served me.
44. मेरा नाम सुनते ही वे मेरी आज्ञा का पालन करेंगे; परदेशी मेरे वश में हो जाएंगे।
44. As soon as they heard of me, they obeyed me: the sons of strangers submitted themselves unto me even [against their will].
45. परदेशी मुर्झा जाएंगे, और अपने किलों में से थरथराते हुए निकलेंगे।।
45. The strangers fell away and were afraid in their close places.
46. यहोवा परमेश्वर जीवित है; मेरी चट्टान धन्य है; और मेरे मुक्तिदाता परमेश्वर की बड़ाई हो।
46. The LORD lives; and blessed [be] my rock; and let the God of my salvation be exalted.
47. धन्य है मेरा पलटा लेनेवाला ईश्वर! जिस ने देश देश के लोगों को मेरे वंश में कर दिया है;
47. [It is] God that avenges me and subdues the peoples under me.
48. और मुझे मेरे शत्रुओं से छुड़ाया है; तू मुझ को मेरे विरोधियों से ऊंचा करता, और उपद्रवी पुरूष से बचाता है।।
48. He delivers me from my enemies: yea, thou liftest me up above those that rise up against me: thou hast delivered me from the one who would betray me.
49. इस कारण मैं जाति जाति के साम्हने तेरा धन्यवाद करूंगा, और तेरे नाम का भजन गाऊंगा।रोमियों 15:9
49. Therefore I will give thanks unto thee, O LORD, among the Gentiles and sing praises unto thy name.
50. वह अपने ठहराए हुए राजा का बड़ा उद्धार करता है, वह अपने अभिषिक्त दाऊद पर और उसके वंश पर युगानुयुग करूणा करता रहेगा।।
50. He gives great deliverance to his king and shows mercy to his anointed, to David, and to his seed for evermore.: