Psalms - भजन संहिता 18 | View All

1. हे परमेश्वर, हे मेरे बल, मैं तुझ से प्रेम करता हूं।

1. For the Chief Musician. [A Psalm] of David the slave of Yahweh, who spoke to Yahweh the words of this song in the day that Yahweh delivered him from the hand of all his enemies, and from the hand of Saul, and he said: I love you, O Yahweh, my strength.

2. यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ानेवाला है; मेरा ईश्वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूं, वह मेरी ढ़ाल और मेरी मुक्ति का गढ़ है।
लूका 1:69

2. Yahweh is my rock, and my fortress, and my deliverer; My God, my rock, in whom I will take refuge; My shield, and the horn of my salvation, my high tower.

3. मैं यहोवा को जो स्तुति के योग्य है पुकारूंगा; इस प्रकार मैं अपने शत्रुओं से बचाया जाऊंगा।।

3. I will call on Yahweh, who is worthy to be praised: So I will be saved from my enemies.

4. मृत्यु की रस्सियों से मैं चारो ओर से घिर गया हूं, और अधर्म की बाढ़ ने मुझ को भयभीत कर दिया;
प्रेरितों के काम 2:24

4. The cords of death surrounded me, And the floods of ungodliness made me afraid.

5. पाताल की रस्सियां मेरे चारो ओर थीं, और मृत्यु के फन्दे मुझ पर आए थे।

5. The cords of Sheol were round about me; The snares of death came upon me.

6. अपने संकट में मैं ने यहोवा परमेश्वर को पुकारा; मैं ने अपने परमेश्वर को दोहाई दी। और उस ने अपने मन्दिर में से मेरी बातें सुनी। और मेरी दोहाई उसके पास पहुंचकर उसके कानों में पड़ी।।
याकूब 5:4

6. In my distress I called on Yahweh, And cried to my God: He heard my voice out of his temple, And my cry before him came into his ears.

7. तब पृथ्वी हिल गई, और कांप उठी और पहाड़ों की नेवे कंपित होकर हिल गई क्योंकि वह अति क्रोधित हुआ था।

7. Then the earth shook and trembled; The foundations also of the mountains quaked And were shaken, because he was angry.

8. उसके नथनों से धुआं निकला, और उसके मुंह से आग निकलकर भस्म करने लगी; जिस से कोएले दहक उठे।

8. There went up a smoke out of his nostrils, And fire out of his mouth devoured: Coals were kindled by it.

9. और वह स्वर्ग को नीचे झुकाकर उतर आया; और उसके पांवों तले घोर अन्धकार था।

9. He bowed the heavens also, and came down; And thick darkness was under his feet.

10. और वह करूब पर सवार होकर उड़ा, वरन पवन के पंखों पर सवारी करके वेग से उड़ा।

10. And he rode on a cherub, and flew; Yes, he soared on the wings of the wind.

11. उस ने अन्धियारे को अपने छिपने का स्थान और अपने चारों ओर मेघों के अन्धकार और आकाश की काली घटाओं का मण्डप बनाया।

11. He made darkness his hiding-place, his pavilion round about him, Darkness of water, thick clouds of the skies.

12. उसकी उपस्थिति की झलक से उसकी काली घटाएं फट गई; ओले और अंगारे।

12. At the brightness before him his thick clouds passed, Hailstones and coals of fire.

13. तब यहोवा आकाश में गरजा, और परमप्रधान ने अपनी वाणी सुनाई, ओले ओर अंगारे।।

13. Yahweh also thundered in the heavens, And the Most High uttered his voice, Hailstones and coals of fire.

14. उस ने अपने तीर चला चलाकर उनको तितर बितर किया; वरन बिजलियां गिरा गिराकर उनको परास्त किया।

14. And he sent out his arrows, and scattered them; Yes, lightnings manifold, and discomfited them.

15. तब जल के नाले देख पड़े, और जगत की नेवें प्रगट हुई, यह तो यहोवा तेरी डांट से, और तेरे नथनों की सांस की झोंक से हुआ।।

15. Then the channels of water appeared, And the foundations of the world were laid bare, At your rebuke, O Yahweh, At the blast of the breath of your nostrils.

16. उस ने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे थांम लिया, और गहिरे जल में से खींच लिया।

16. He sent from on high, he took me; He drew me out of many waters.

17. उस ने मेरे बलवन्त शत्रु से, और उन से जो मुझ से घृणा करते थे मुझे छुडाया; क्योंकि वे अधिक सामर्थी थे।

17. He delivered me from my strong enemy, And from those who hated me; for they were too mighty for me.

18. मेरी विपत्ति के दिन वे मुझ पर आ पडे। परन्तु यहोवा मेरा आश्रय था।

18. They came upon me in the day of my calamity; But Yahweh was my support.

19. और उस ने मुझे निकालकर चौड़े स्थान में पहुंचाया, उस ने मुझ को छुड़ाया, क्योंकि वह मुझ से प्रसन्न था।

19. He brought me forth also into a large place; He delivered me, because he delighted in me.

20. यहोवा ने मुझ से मेरे धर्म के अनुसार व्यवहार किया; और मेरे हाथों की शुद्धता के अनुसार उस ने मुझे बदला दिया।

20. Yahweh has rewarded me according to my righteousness; According to the cleanness of my hands he has recompensed me.

21. क्योंकि मैं यहोवा के मार्गों पर चलता रहा, और दुष्टता के कारण अपने परमेश्वर से दूर न हुआ।

21. For I have kept the ways of Yahweh, And have not wickedly departed from my God.

22. क्योंकि उसके सारे निर्णय मेरे सम्मुख बने रहे और मैं ने उसकी विधियों को न त्यागा।

22. For all his ordinances were before me, And I do not put away his statutes from me.

23. और मैं उसके सम्मुख सिद्ध बना रहा, और अधर्म से अपने को बचाए रहा।

23. I was also perfect with him, And I kept myself from my iniquity.

24. यहोवा ने मुझे मेरे धर्म के अनुसार बदला दिया, और मेरे हाथों की उस शुद्धता के अनुसार जिसे वह देखता था।।

24. Therefore Yahweh has recompensed me according to my righteousness, According to the cleanness of my hands in his eyes.

25. दयावन्त के साथ तू अपने को दयावन्त दिखाता; और खरे पुरूष के साथ तू अपने को खरा दिखाता है।

25. With the merciful you will show yourself merciful; With the perfect [noble] man you will show yourself perfect;

26. शुद्ध के साथ तू अपने को शुद्ध दिखाता, और टेढ़े के साथ तू तिर्छा बनता है।

26. With the pure you will show yourself pure; And with the perverse you will show yourself froward.

27. क्योंकि तू दी लोगों को तो बचाता है; परन्तु घमण्ड भरी आंखों को नीची करता है।

27. For you will save the afflicted people; But the haughty eyes you will bring down.

28. हां, तू ही मेरे दीपक को जलाता है; मेरा परमेश्वर यहोवा मेरे अन्धियारे को उजियाला कर देता है।

28. For you will light my lamp: Yahweh my God will lighten my darkness.

29. क्योंकि तेरी सहायता से मैं सेना पर धावा करता हूं; और अपने परमेश्वर की सहायता से शहरपनाह को लांघ जाता हूं।

29. For by you I run on a troop; And by my God I leap over a wall.

30. ईश्वर का मार्ग सच्चाई; यहोवा का वचन ताया हुआ है; वह अपने सब शरणागतों की ढाल है।।

30. As for God, his way is perfect: The word of Yahweh is tried; He is a shield to all those who take refuge in him.

31. यहोवा को छोड़ क्या कोई ईश्वर है? हमारे परमेश्वर को छोड़ क्या और कोई चट्टान है?

31. For who is God, but Yahweh? And who is a rock, besides our God,

32. यह वही ईश्वर है, जो सामर्थ से मेरा कटिबन्ध बान्धता है, और मेरे मार्ग को सिद्ध करता है।

32. The God who girds me with strength, And makes my way perfect?

33. वही मेरे पैरों को हरिणियों के पैरों के समान बनाता है, और मुझे मेरे ऊंचे स्थानों पर खड़ा करता है।

33. He makes my feet like hinds' [feet]: And sets me on my high places.

34. वह मेरे हाथों को युद्ध करना सिखाता है, इसलिये मेरी बाहों से पीतल का धनुष झुक जाता है।

34. He teaches my hands to war; So that my arms bend a bow of bronze.

35. तू ने मुझ को अपने बचाव की ढाल दी है, तू अपने दहिने हाथ से मुझे सम्भाले हुए है, और मेरी नम्रता ने महत्व दिया है।

35. You have also given me the shield of your salvation; And your right hand has held me up, And your response made me great.

36. तू ने मेरे पैरों के लिये स्थान चौड़ा कर दिया, और मेरे पैर नहीं फिसले।

36. You have enlarged my steps under me, And my feet have not slipped.

37. मैं अपने शत्रुओं का पीछा करके उन्हें पकड़ लूंगा; और जब तब उनका अन्त न करूं तब तक न लौटूंगा।

37. I will pursue my enemies, and overtake them; Neither will I turn again until they are consumed.

38. मैं उन्हें ऐसा बेधूंगा कि वे उठ न सकेंगे; वे मेरे पांवों के नीचे गिर पड़ेंगे।

38. I will strike them through, so that they will not be able to rise: They will fall under my feet.

39. क्योंकि तू ने युद्ध के लिये मेरी कमर में शक्ति का पटुका बान्धा है; और मेरे विरोधियों को मेरे सम्मुख नीचा कर दिया।

39. For you have girded me with strength to the battle: You have subdued under me those who rose up against me.

40. तू ने मेरे शत्रुओं की पीठ मेरी ओर फेर दी, ताकि मैं उनको काट डालूं जो मुझ से द्वेष रखते हैं।

40. You have also made my enemies turn their backs to me, That I might cut off those who hate me.

41. उन्हों ने दोहाई तो दी परन्तु उन्हें कोई भी बचानेवाला न मिला, उन्हों ने यहोवा की भी दोहाई दी, परन्तु उस ने भी उनको उत्तर न दिया।

41. They cried, but there was none to save; Even to Yahweh, but he did not answer them.

42. तब मैं ने उनको कूट कूटकर पवन से उड़ाई हुई धूलि के समान कर दिया; मैं ने उनको गली कूचों की कीचड़ के समान निकाल फेंका।।

42. Then I beat them small as the dust before the wind; I cast them out as the mire of the streets.

43. तू ने मुझे प्रजा के झगड़ों से भी छुड़ाया; तू ने मुझे अन्यजातियों का प्रधान बनाया है; जिन लोगों को मैं जानता भी न था वे मेरे अधीन हो गये।

43. You have delivered me from the strivings of a people; You have made me the head of the nations: A people whom I have not known will serve me.

44. मेरा नाम सुनते ही वे मेरी आज्ञा का पालन करेंगे; परदेशी मेरे वश में हो जाएंगे।

44. As soon as they hear of me they will obey me; The foreigners will submit themselves to me.

45. परदेशी मुर्झा जाएंगे, और अपने किलों में से थरथराते हुए निकलेंगे।।

45. The foreigners will fade away, And will come trembling out of their close places.

46. यहोवा परमेश्वर जीवित है; मेरी चट्टान धन्य है; और मेरे मुक्तिदाता परमेश्वर की बड़ाई हो।

46. Yahweh lives; and blessed be my rock; And exalted be the God of my salvation,

47. धन्य है मेरा पलटा लेनेवाला ईश्वर! जिस ने देश देश के लोगों को मेरे वंश में कर दिया है;

47. Even the God who executes vengeance for me, And subdues peoples under me.

48. और मुझे मेरे शत्रुओं से छुड़ाया है; तू मुझ को मेरे विरोधियों से ऊंचा करता, और उपद्रवी पुरूष से बचाता है।।

48. He rescues me from my enemies; Yes, you lift me up above those who rise up against me; You deliver me from the violent man.

49. इस कारण मैं जाति जाति के साम्हने तेरा धन्यवाद करूंगा, और तेरे नाम का भजन गाऊंगा।
रोमियों 15:9

49. Therefore I will give thanks to you, O Yahweh, among the nations, And will sing praises to your name.

50. वह अपने ठहराए हुए राजा का बड़ा उद्धार करता है, वह अपने अभिषिक्त दाऊद पर और उसके वंश पर युगानुयुग करूणा करता रहेगा।।

50. Great deliverance he gives to his king, And shows loving-kindness to his anointed, To David and to his seed, forevermore.



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