13. और उस ने क्या देखा, कि राजा द्वार के निकट खम्भे के पास खड़ा है और राजा के पास प्रधान और तुरही बजानेवाले खड़े हैं, और सब लोग आनन्द कर रहे हैं और तुरहियां बजा रहे हैं और गाने बजानेवाले बाजे बजाते और स्तुति करते हैं। तब अतल्याह अपने वस्त्रा फाड़कर पुकारने लगी, राजद्रोह, राजद्रोह !
13. and seeth, and lo, the king is standing by his pillar in the entrance, and the heads, and the trumpets [are] by the king, and all the people of the land rejoicing and shouting with trumpets, and the singers with instruments of song, and the teachers, to praise, and Athaliah rendeth her garments, and saith, 'Conspiracy, conspiracy.'