39. तो तू अपने स्वग य निवासस्थान में से सुनकर क्षमा करूना, और ऐसा करना, कि एक एक के मन को जानकर उसकी समस्त चाल के अनुसार उसको फल देना : तू ही तो सब आदमियों के मन के भेदों का जानने वाला है।
39. then hear thou in the heavens, the settled place of thy dwelling, and forgive, and do, and render unto every man according to all his ways, whose heart thou knowest (for thou, thou only, knowest the hearts of all the children of men),