1 Samuel - 1 शमूएल 25 | View All

1. और शमूएल मर गया; और समस्त इस्राएलियों ने इकट्ठे होकर उसके लिये छाती पीटी, और उसके घर ही में जो रामा में था उसको मिट्टी दी। तब दाऊद उठकर पारान जंगल को चला गया।।

1. পরে শমূয়েলের মৃত্যু হইল, এবং সমস্ত ইস্রায়েল একত্র হইয়া তাঁহার জন্য শোক করিল, আর রামায় তাঁহার বাটীতে তাঁহার কবর দিল। পরে দায়ূদ উঠিয়া পারণ প্রান্তরে গমন করিলেন।

2. माओन में एक पुरूष रहता था जिसका माल कर्मेल में था। और वह पुरूष बहुत बड़ा था, और उसके तीन हजार भेड़ें, और एक हजार बकरियों थीं; और वह अपनी भेड़ों का ऊन कतर रहा था।

2. তৎকালে মায়োনে এক ব্যক্তি ছিল, কর্ম্মিলে তাহার বিষয়-আশয় ছিল; সে অতি বড় মানুষ; তাহার তিন সহস্র মেষ ও এক সহস্র ছাগী ছিল। সেই ব্যক্তি কর্ম্মিলে আপন মেষদিগের লোম ছেদন করিতেছিল।

3. उस पुरूष का नाम नाबाल, और उसकी पत्नी का नाम अबीगैल था। स्त्री तो बुद्धिमान और रूपवती थी, परन्तु पुरूष कठोर, और बुरे बुरे काम करनेवाला था; वह तो कालेबवंशी था।

3. সেই পুরুষের নাম নাবল ও তাহার স্ত্রীর নাম অবীগল; ঐ স্ত্রী সুবুদ্ধি ও সুবদনা, কিন্তু ঐ পুরুষ কঠিন ও দুর্বৃত্ত ছিল; সে কালেবের বংশজাত।

4. जब दाऊद ने जंगल में समाचार पाया, कि नाबाल अपनी भेड़ों का ऊन कतर रहा है;

4. আর নাবল আপন মেষগণের লোম ছেদন করিতেছে, দায়ূদ প্রান্তরে এই কথা শুনিলেন।

5. तब दाऊद ने दस जवानों को वहां भेज दिया, ओर दाऊद ने उन जवानों से कहा, कि कर्मेल में नाबाल के पास जाकर मेरी ओर से उसका कुशलक्षेम पूछो।

5. পরে দায়ূদ দশ জন যুবককে পাঠাইলেন; দায়ূদ সেই যুবকদিগকে কহিলেন, তোমরা কর্ম্মিলে উঠিয়া নাবলের কাছে যাও, এবং আমার নামে তাহাকে মঙ্গলবাদ কর;

6. और उस से यों कहो, कि तू चिरंजीव रहे, तेरा कल्याण हो, और तेरा घराना कल्याण से रहे, और जो कुछ तेरा है वह कल्याण से रहे।

6. আর তাহাকে এই কথা বল, চিরজীবি হউন; আপনার কুশল, আপনার বাটীর কুশল, ও আপনার সর্ব্বস্বের কুশল হউক।

7. मैं ने सुना है, कि जो तू ऊन कतर रहा है; तेरे चरवाहे हम लोगों के पास रहे, और न तो हम ने उनकी कुछ हानि की, और न उनका कुछ खोया गया।

7. সম্প্রতি আমি শুনিলাম, আপনার কাছে লোমচ্ছেদকগণ আছে; ইতিমধ্যে আপনার মেষপালকগণ আমাদের সহিত ছিল, আমরা তাহাদের অপকার করি নাই; এবং যাবৎ তাহারা কর্ম্মিলে ছিল, তাবৎ তাহাদের কিছুই হারায়ও নাই।

8. अपने जवानों से यह बात पूछ ले, और वे तुझ का बताएंगे। सो इन जवानों पर तेरे अनुग्रह की दृष्टि हो; हम तो आनन्द के समय में आए हैं, इसलिये जो कुछ तेरे हाथ लगे वह अपने दासों और अपने बेटे दाऊद को दे।

8. আপনার যুবকদিগকে জিজ্ঞাসা করুন, তাহারা আপনাকে বলিবে; অতএব এই যুবকগণের প্রতি আপনার অনুগ্রহদৃষ্টি হউক, কেননা আমরা শুভ দিনে আসিলাম। বিনয় করি, আপন দাসদিগকে ও আপন পুত্র দায়ূদকে, যাহা আপনার হাতে উঠে, দান করুন।

9. ऐसी ऐसी बातें दाऊद के जवान जाकर उसके नाम से नाबाल को सुनाकर चुप रहे।

9. তখন দায়ূদের যুবকগণ গিয়া দায়ূদের নাম করিয়া নাবলকে সেই সকল কথা কহিল, পরে তাহারা চুপ করিয়া রহিল।

10. नाबाल ने दाऊद के जनों को उत्तर देकर उन से कहा, दाऊद कौन है? यिशै का पुत्रा कौन है? आज कल बहुत से दास अपने अपने स्वामी के पास से भाग जाते हैं।

10. নাবল উত্তর করিয়া দায়ূদের দাসদিগকে কহিল, দায়ূদ কে? যিশয়ের পুত্র কে? এই সময়ে অনেক দাস আপন আপন প্রভু হইতে পৃথক্‌ হইয়া বেড়াইতেছে।

11. क्या मैं अपनी रोटी- पानी और जो पशु मैं ने अपने कतरनेवालों के लिये मारे हैं लेकर ऐसे लोगों को दे दूं, जिनको मैं नहीं जानता कि कहां के हैं?

11. আমি কি আপনার রুটী, জল ও আপন মেষ-লোমচ্ছেদকদের জন্য সে সকল পশু মারিয়াছি, তাহাদের মাংস লইয়া অজ্ঞাত কোথাকার লোকদিগকে দিব?

12. तब दाऊद के जवानों ने लौटकर अपना मार्ग लिया, और लौटकर उसको से सब बातें ज्यों की त्यों सुना दीं।

12. তখন দায়ূদের যুবকগণ মুখ ফিরাইয়া আপনাদের পথে চলিয়া আসিল, এবং তাঁহার নিকটে ফিরিয়া আসিয়া ঐ সমস্ত কথা তাঁহাকে বলিল।

13. तब दाऊद ने अपने जनों से कहा, अपनी अपनी तलवार बान्ध लो। तब उन्हों ने अपनी अपनी तलवार बान्ध ली; और दाऊद ने भी अपनी तलवार बान्घ ली; और कोई चार सौ पुरूष दाऊद के पीछे पीछे चले, और दो सौ समान के पास रह गए।

13. তখন দায়ূদ আপন লোকদিগকে কহিলেন, তোমরা প্রত্যেক জন খড়্‌গ বাঁধ। তাহাতে তাহারা প্রত্যেকে আপন আপন খড়্‌গ বাঁধিল, এবং দায়ূদও আপন খড়্‌গ বাঁধিলেন। পরে দায়ূদের পশ্চাতে অনুমান চারি শত লোক গেল, এবং দ্রব্যসামগ্রী রক্ষার্থে দুই শত লোক রহিল।

14. परन्तु एक सेवक ने नाबाल की पत्नी अबीगैल को बताया, कि दाऊद ने जंगल से हमारे स्वामी को आशीर्वाद देने के लिये दूत भेजे थे; और उस ने उन्हें ललकारा दिया।

14. ইতিমধ্যে যুবকদের এক জন নাবলের স্ত্রী অবীগলকে সংবাদ দিয়া কহিল, দেখুন, দায়ূদ আমাদের কর্ত্তাকে মঙ্গলবাদ করিতে প্রান্তর হইতে দূতগণকে পাঠাইয়াছিলেন, আর তিনি তাহাদিগকে লাঞ্ছনা করিলেন।

15. परन्तु वे मनुष्य हम से बहुत अच्छा बर्ताव रखते थे, और जब तक हम मैदान में रहते हुए उनके पास आया जाया करते थे, तब तक न तो हमारी कुछ हानि हुई, और न हमारा कुछ खोया गया;

15. কিন্তু সেই লোকেরা আমাদের পক্ষে বড় ভালই ছিল; যখন আমরা মাঠে ছিলাম, তখন যাবৎ তাহাদের সঙ্গে ছিলাম, তাবৎ আমাদের অপকার হয় নাই, কিছুই হারায়ও নাই।

16. जब तक हम उन के साथ भेड़- बकरियां चराते रहे, तब तक वे रात दिन हमारी आड़ बने रहे।

16. আমরা যত দিন তাহাদের কাছে থাকিয়া মেষ রক্ষা করিতেছিলাম, তাহারা দিবারাত্র আমাদের চারিদিকে প্রাচীরস্বরূপ ছিল।

17. इसलिये अब सोच विचार कर कि क्या करना चाहिए; क्योंकि उन्हों ने हमारे स्वामी की ओर उसके समस्त घराने की हानि ठानी होगी, वह तो ऐसा दुष्ट है कि उस से कोई बोल भी नहीं सकता।

17. অতএব এখন আপনার কি কর্ত্তব্য, তাহা বিবেচনা করিয়া বুঝুন, কেননা আমাদের কর্ত্তার ও তাঁহার সমস্ত কুলের বিরুদ্ধে অমঙ্গল স্থির হইয়াছে; কিন্তু তিনি এমন পাষণ্ড যে, তাঁহাকে কোন কথা কহিতে পারা যায় না।

18. अब अबीगैल ने फुर्ती से दो सौ रोटी, और दो कुप्पी दाखमधु, और पांच भेड़ियों का मांस, और पांच सआ भूना हुआ अनाज, और एक सौ गुच्छे किशमिश, और अंजीरों की दो सौ टिकियां लेकर गदहों पर लदवाई।

18. তখন অবীগল শীঘ্র দুই শত রুটী, দুই কুপা দ্রাক্ষারস, পাঁচটা প্রস্তুত মেষ, পাঁচ কাঠা ভাজা শস্য, এক শত গুচ্ছ শুষ্ক দ্রাক্ষাফল ও দুই শত ডুমুর-চাক লইয়া গর্দ্দভের উপরে চাপাইল।

19. और उस ने अपने जवानों से कहा, तुम मेरे आगे आगे चलो, मैं तुम्हारे पीछे पीछे आती हूं; परनतु उस ने अपने पति नाबाल से कुछ न कहा।

19. আর সে আপন চাকরদিগকে কহিল, তোমরা আমার অগ্রে অগ্রে চল, দেখ, আমি তোমাদের পশ্চাতে পশ্চাতে যাইতেছি। কিন্তু সে আপন স্বামী নাবলকে তাহা জানাইল না।

20. वह गदहे पर चढ़ी हुई पहाड़ की आड़ में उतरी जाती थी, और दाऊद अपने जनों समेत उसके सामहने उतरा आता था; और वह उनको मिली।

20. পরে সে গর্দ্দভে চড়িয়া পর্ব্বতের অন্তরাল দিয়া নামিয়া যাইতেছিল, ইতিমধ্যে দেখ, দায়ূদ আপন লোকদের সহিত তাহার সম্মুখে নামিয়া আসিলেন, তাহাতে সে তাঁহাদের সহিত মিলিল।

21. दाऊद ने तो सोचा था, कि मैं ने जो जंगल में उसके सब माल की ऐसी रक्षा की कि उसका कुछ भी न खोया, यह नि:सन्देह व्यर्थ हुआ; क्योंकि उस ने भलाई के बदले मुझ से बुराई ही की है।

21. দায়ূদ বলিয়াছিলেন, প্রান্তরস্থিত উহার সমস্ত বস্তু আমি বৃথাই রক্ষা করিয়াছি, উহার সমস্ত দ্রব্যের কিছুই হারায় নাই; আর সে উপকারের পরিবর্ত্তে আমার অপকার করিয়াছে।

22. यदि बिहान को उजियाला होने तक उस जन के समस्त लोगों में से एक लड़के को भी मैं जीवित छोड़ूं, तो परमेश्वर मेरे सब शत्रुओं से ऐसा ही, वरन इस से भी अधिक करे।

22. যদি আমি উহার সম্পর্কীয় পুরুষদের মধ্যে এক জনকেও রাত্রি প্রভাত পর্য্যন্ত অবশিষ্ট রাখি, তবে ঈশ্বর দায়ূদের শত্রুদের প্রতি অমুক ও ততোধিক দণ্ড দিউন।

23. दाऊद को देख अबीगैल फुर्ती करके गदहे पर से उतर पड़ी, और दाऊद के सम्मुख मुंह के बल भूमि पर गिरकर दण्डवत् की।

23. পরে অবীগল দায়ূদকে দেখিবামাত্র তাড়াতাড়ি গর্দ্দভ হইতে নামিয়া দায়ূদের সম্মুখে উবুড় হইয়া পড়িয়া ভূমিতে প্রণিপাত করিলেন।

24. फिर वह उसके पांव पर गिरके कहने लगी, हे मेरे प्रभु, यह अपराण मेरे ही सिर पर हो; तेरी दासी तुझ से कुछ कहना चाहती है, और तू अपनी दासी की बातों को सुन ले।

24. আর তাঁহার চরণে পড়িয়া কহিলেন, হে আমার প্রভু, আমার উপরে, আমারই উপরে এই অপরাধ বর্ত্তুক। বিনয় করি, আপনার দাসীকে আপনার কর্ণগোচরে কথা কহিবার অনুমতি দিউন; আর আপনি আপনার দাসীর কথা শ্রবণ করুন।

25. मेरा प्रभु उस दुष्ट नाबाल पर चित्त न लगाए; क्योंकि जैसा उसका नाम है वैसा ही वह आप है; उसका नाम तो नाबाल है, और सचमुच उस में मूढ़ता पाई जाती है; परन्तु मुझ तेरी दासी ने अपने प्रभु के जवानों को जिन्हें तू ने भेजा था न देखा था।

25. বিনয় করি, আমার প্রভু সেই পাষণ্ডকে অর্থাৎ নাবলকে গণনার মধ্যে ধরিবেন না; তাহার যেমন নাম, সেও তেমনি। তাহার নাম নাবল [মূর্খ], তাহার অন্তরে মূর্খতা। কিন্তু আপনার এই দাসী আমি আমার প্রভুর প্রেরিত যুবকদিগকে দেখি নাই।

26. और अब, हे मेरे प्रभु, यहोवा के जीवन की शपथ और तेरे जीवन की शपथ, कि यहोवा ने जो तुझे खून से और अपने हाथ के द्वारा अपना पलटा लेने से रोक रखा है, इसलिये अब तेरे शत्रु और मेरे प्रभु की हाति के चाहनेवाले नाबाल ही के समान ठहरें।

26. অতএব হে আমার প্রভু, জীবন্ত সদাপ্রভুর দিব্য, ও আপনার জীবিত প্রাণের দিব্য, সদাপ্রভুই আপনাকে রক্তপাতে লিপ্ত হইতে ও আপন হস্তে প্রতিশোধ লইতে বারণ করিয়াছেন, কিন্তু আপনার শত্রুগণ ও যাহারা আমার প্রভুর অনিষ্ট চেষ্টা করে, তাহারা নাবলের তুল্য হউক।

27. और अब यह भेंट जो तेरी दासी अपने प्रभु के पास लाई है, उन जवानों को दी जाए जो मेरे प्रभु के साथ चालते हैं।

27. এখন আপনার দাসী এই যে উপহার প্রভুর নিমিত্ত আনিয়াছে, ইহা প্রভুর পশ্চাদগামী যুবকদিগকে প্রদান করিতে আজ্ঞা হউক।

28. अपनी दासी का अपराध क्षमा कर; क्योंकि यहोवा निश्चय मेरे प्रभु का घर बसाएगा और स्थिर करेगा, इसलिये कि मेरा प्रभु यहोवा की ओर से लड़ता है; और जन्म भर तुझ में कोई बुराई नहीं पाई जाएगी।

28. বিনয় করি, আপনার দাসীর অপরাধ ক্ষমা করুন, কেননা সদাপ্রভু নিশ্চয়ই আমার প্রভুর কুল স্থির করিবেন; কারণ সদাপ্রভুরই জন্য আমার প্রভু যুদ্ধ করিতেছেন, যাবজ্জীবন আপনাতে কোন অনিষ্ট দেখা যাইবে না।

29. और यद्यपि एक मनुष्य तेरा पीछा करनेऔर तेरे प्राण का ग्राहक होने को उठा है, तौभी मेरे प्रभु का प्राण तेरे परमेश्वर यहोवा की जीवनरूपी गठरी में बन्धा रहेगा, और तेरे शत्रुओं के प्राणों को वह मानो गोफन में रखकर फेंक देगा।

29. মনুষ্য উঠিয়া আপনার তাড়না ও প্রাণনাশের চেষ্টা করিলেও আপনার ঈশ্বর সদাপ্রভুর কাছে আমার প্রভুর প্রাণ জীবন-বোচ্‌কাতে বদ্ধ থাকিবে, কিন্তু আপনার শত্রুদের প্রাণ তিনি ফিঙ্গার জালে দিয়া নিক্ষেপ করিবেন।

30. इसलिये जब यहोवा मेरे प्रभु के लिये यह समस्त भलाई करेगा जो उस ने तेरे विषय में कही है, और तुझे इस्राएल पर प्रधान करके ठहराएगा,

30. সদাপ্রভু আমার প্রভুর বিষয়ে যে সমস্ত মঙ্গলের কথা কহিয়াছেন, তাহা যখন সফল করিবেন, আপনাকে ইস্রায়েলের উপরে অধ্যক্ষপদে নিযুক্ত করিবেন,

31. तब तुझे इस कारण पछताना न होगा, वा मेरे प्रभु का हृदय पीड़ित न होगा कि तू ने अकारण खून किया, और मेरे प्रभु ने अपना पलटा आप लिया है। फिर जब यहोवा मेरे प्रभु से भलाई करे तब अपनी दासी को स्मरण करना।

31. তখন অকারণে রক্তপাত করাতে কিম্বা আপনি প্রতিশোধ লওয়া হেতু আমার প্রভুর শোক বা হৃদয়ে বিঘ্ন জন্মিবে না। আর যখন সদাপ্রভু আমার প্রভুর মঙ্গল করিবেন, তখন আপনার এই দাসীকে স্মরণ করিবেন।

32. दाऊद ने अबीगैल से कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा धन्य है, जिस ने आज के दिन मुझ से भेंट करने केलिये तुझे भेजा है।

32. পরে দায়ূদ অবীগলকে কহিলেন, ধন্য ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভু, যিনি অদ্য আমার সহিত সাক্ষাৎ করাইতে তোমাকে প্রেরণ করিলেন।

33. और तेरा विवेक धन्य है, और तू आप भी धन्य है, कि तू ने मुझे आज के दिन खून करने और अपना पलटा आप लेने से रोक लिया है।

33. আর ধন্য তোমার সুবিচার, এবং ধন্যা তুমি, কারণ অদ্য তুমি রক্তপাত ও স্বহস্তে প্রতিশোধ লইতে আমাকে নিবৃত্ত করিলে।

34. क्योंकि सचमुच इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिस ने मुझे तेरी हानि करने से रोका है, उसके जीवन की शपथ, यदि तू फुर्ती करके मुंझ से भेंट करने को न आती, तो नि:सन्देह बिहान को उजियाला होने तक नाबाल का कोई लड़का भी न बचता।

34. কারণ তোমার হিংসা করিতে যিনি আমাকে বারণ করিয়াছেন, ইস্রায়েলের ঈশ্বর সেই জীবন্ত সদাপ্রভুর দিব্য, আমার সঙ্গে সাক্ষাৎ করিতে যদি তুমি শীঘ্র না আসিতে, তবে নাবলের সম্পর্কীয় পুরুষদের মধ্যে এক জনও প্রভাত পর্য্যন্ত অবশিষ্ট থাকিত না।

35. तब दाऊद ने उसे ग्रहण किया जो वह उसके लिये लाई थी; फिर उस से उस ने कहा, अपने घर कुशल से जा; सुन, मैं ने तेरी बात मानी है और तेरी बिनती ग्रहण कर ली है।

35. পরে দায়ূদ আপনার জন্য আনীত ঐ সকল দ্রব্য তাহার হস্ত হইতে গ্রহণ করিয়া তাহাকে কহিলেন, তুমি কুশলে ঘরে যাও; দেখ, আমি তোমার রবে কর্ণপাত করিয়া তোমাকে গ্রাহ্য করিলাম।

36. तब अबीगैल नाबाल के पास लौट गई; और क्या देखती है, कि वह घर में राजा की सी जेवनार कर रहा है। और नाबाल का मन मगन है, और वह नशे में अति चूर हो गया है; इसलियेउस ने भोर के उजियालेहाने से पहिले उस से कुछ भी न कहा।

36. পরে অবীগল নাবলের নিকটে আসিল; আর দেখ, রাজভোজের মত তাহার গৃহে ভোজ হইতেছিল, এবং নাবল প্রফুল্লচিত্ত ছিল, সে অতিশয় মত্ত হইয়াছিল; এই জন্য অবীগল রাত্রি প্রভাতের পূর্ব্বে ঐ বিষয়ের অল্প কি অধিক কিছুই তাহাকে কহিল না।

37. बिहान को जब नाबाल का नशा उतर गया, तब उसकी पत्नी ने उसे कुल हाल सुना दिया, तब उसके मन का हियाव जाता रहा, और वह पत्थर सा सुन्न हो गया।

37. কিন্তু প্রাতঃকালে নাবলের মত্ততা দূর হইলে তাহার স্ত্রী তাহাকে ঐ সমস্ত বৃত্তান্ত জ্ঞাত করিল; তখন তাহার অন্তর মধ্যে হৃদয় ম্রিয়মাণ হইল, এবং সে প্রস্তরবৎ হইয়া পড়িল।

38. और दस दिन के पश्चात् यहोवा ने नाबाल को ऐसा मारा, कि वह मर गया।

38. আর দিন দশেক পরে সদাপ্রভু নাবলকে আঘাত করাতে সে মরিয়া গেল।

39. नाबाल के मरने का हाल सुनकर दाऊद ने कहा, धन्य है यहोवा जिस ने नाबाल के साथ मेरी नामधराई का मुक मा लड़कर अपने दास को बुराई से रोक रखा; और यहोवा ने नाबाल की बुराईको उसी के सिर पर लाद दिया है। तब दाऊद ने लोगों को अबीगैल के पास इसलिये भेजा कि वे उस से उसकी पत्नी होने की बातचीत करें।

39. পরে নাবল মরিয়াছে, এই কথা শুনিয়া দায়ূদ কহিলেন, ধন্য সদাপ্রভু, তিনি নাবলের হস্তে আমার দুর্নাম-বিষয়ক বিবাদ নিষ্পত্তি করিলেন, এবং আপন দাসকে অনিষ্ট কার্য্য হইতে রক্ষা করিলেন; আর নাবলের হিংসা সদাপ্রভু তাহারই মস্তকে বর্ত্তাইলেন। পরে দায়ূদ লোক পাঠাইয়া অবীগলকে বিবাহ করিবার প্রস্তাব তাহাকে জানাইলেন।

40. तो जब दाऊद के सेवक कर्मेल को अबीगैल के पास पहुंचे, तब उस से कहने लगे, कि दाऊद ने हमें तेरे पास इसलिये भेजा है कि तू उसकी पत्नी बने।

40. দায়ূদের দাসগণ কর্ম্মিলে অবীগলের নিকটে গিয়া তাহাকে কহিল, দায়ূদ আপনাকে বিবাহের জন্য লইয়া যাইতে আপনার নিকটে আমাদিগকে পাঠাইয়াছেন।

41. तब वह उठी, और मुंह के बल भूमि पर गिर दण्डवत् करके कहा, तेरी दासी अपने प्रभु के सेवकों के चरण धोने के लिये लौंडी बने।

41. তখন সে উঠিয়া উবুড় হইয়া ভূমিতে প্রণিপাত করিয়া কহিল, দেখুন, আপনার এই দাসী আমার প্রভুর দাসদের পা ধোয়াইবার দাসী।

42. तब अबीगैल फुर्ती से उठी, और गदहे पर चढ़ी, और उसकी पांच सहेलियां उसके पीछे पीछे हो ली; और वह दाऊद के दूतों के पीछे पीछे गई; और उसकी पत्नी हो गई।

42. পরে অবীগল শীঘ্র উঠিয়া গর্দ্দভে চড়িয়া আপনার পাঁচ জন অনুচরী যুবতীর সহিত দায়ূদের দূতগণের পশ্চাতে গেল, গিয়া দায়ূদের স্ত্রী হইল।

43. और दाऊद ने चिज्रैल नगर की अहिनोअम को भी ब्याह लिया, तो वे दोनों उसकी पत्नियां हुई।

43. আর দায়ূদ যিষ্রিয়েলীয়া অহীনোয়মকেও বিবাহ করিলেন; তাহাতে তাহারা উভয়েই তাঁহার স্ত্রী হইল।

44. परन्तुशाऊल ने अपनी बेटी दाऊद की पत्नी मीकल को लैश के पुत्रा गल्लीमवासी पलती को दे दिया था।।

44. কিন্তু শৌল মীখল নামে আপন কন্যা দায়ূদের স্ত্রীকে লইয়া গল্লীম-নিবাসী লয়িশের পুত্র পল্‌টিকে দিয়াছিলেন।



Shortcut Links
1 शमूएल - 1 Samuel : 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 |
उत्पत्ति - Genesis | निर्गमन - Exodus | लैव्यव्यवस्था - Leviticus | गिनती - Numbers | व्यवस्थाविवरण - Deuteronomy | यहोशू - Joshua | न्यायियों - Judges | रूत - Ruth | 1 शमूएल - 1 Samuel | 2 शमूएल - 2 Samuel | 1 राजाओं - 1 Kings | 2 राजाओं - 2 Kings | 1 इतिहास - 1 Chronicles | 2 इतिहास - 2 Chronicles | एज्रा - Ezra | नहेम्याह - Nehemiah | एस्तेर - Esther | अय्यूब - Job | भजन संहिता - Psalms | नीतिवचन - Proverbs | सभोपदेशक - Ecclesiastes | श्रेष्ठगीत - Song of Songs | यशायाह - Isaiah | यिर्मयाह - Jeremiah | विलापगीत - Lamentations | यहेजकेल - Ezekiel | दानिय्येल - Daniel | होशे - Hosea | योएल - Joel | आमोस - Amos | ओबद्याह - Obadiah | योना - Jonah | मीका - Micah | नहूम - Nahum | हबक्कूक - Habakkuk | सपन्याह - Zephaniah | हाग्गै - Haggai | जकर्याह - Zechariah | मलाकी - Malachi | मत्ती - Matthew | मरकुस - Mark | लूका - Luke | यूहन्ना - John | प्रेरितों के काम - Acts | रोमियों - Romans | 1 कुरिन्थियों - 1 Corinthians | 2 कुरिन्थियों - 2 Corinthians | गलातियों - Galatians | इफिसियों - Ephesians | फिलिप्पियों - Philippians | कुलुस्सियों - Colossians | 1 थिस्सलुनीकियों - 1 Thessalonians | 2 थिस्सलुनीकियों - 2 Thessalonians | 1 तीमुथियुस - 1 Timothy | 2 तीमुथियुस - 2 Timothy | तीतुस - Titus | फिलेमोन - Philemon | इब्रानियों - Hebrews | याकूब - James | 1 पतरस - 1 Peter | 2 पतरस - 2 Peter | 1 यूहन्ना - 1 John | 2 यूहन्ना - 2 John | 3 यूहन्ना - 3 John | यहूदा - Jude | प्रकाशितवाक्य - Revelation |

Explore Parallel Bibles
21st Century KJV | A Conservative Version | American King James Version (1999) | American Standard Version (1901) | Amplified Bible (1965) | Apostles' Bible Complete (2004) | Bengali Bible | Bible in Basic English (1964) | Bishop's Bible | Complementary English Version (1995) | Coverdale Bible (1535) | Easy to Read Revised Version (2005) | English Jubilee 2000 Bible (2000) | English Lo Parishuddha Grandham | English Standard Version (2001) | Geneva Bible (1599) | Hebrew Names Version | Hindi Bible | Holman Christian Standard Bible (2004) | Holy Bible Revised Version (1885) | Kannada Bible | King James Version (1769) | Literal Translation of Holy Bible (2000) | Malayalam Bible | Modern King James Version (1962) | New American Bible | New American Standard Bible (1995) | New Century Version (1991) | New English Translation (2005) | New International Reader's Version (1998) | New International Version (1984) (US) | New International Version (UK) | New King James Version (1982) | New Life Version (1969) | New Living Translation (1996) | New Revised Standard Version (1989) | Restored Name KJV | Revised Standard Version (1952) | Revised Version (1881-1885) | Revised Webster Update (1995) | Rotherhams Emphasized Bible (1902) | Tamil Bible | Telugu Bible (BSI) | Telugu Bible (WBTC) | The Complete Jewish Bible (1998) | The Darby Bible (1890) | The Douay-Rheims American Bible (1899) | The Message Bible (2002) | The New Jerusalem Bible | The Webster Bible (1833) | Third Millennium Bible (1998) | Today's English Version (Good News Bible) (1992) | Today's New International Version (2005) | Tyndale Bible (1534) | Tyndale-Rogers-Coverdale-Cranmer Bible (1537) | Updated Bible (2006) | Voice In Wilderness (2006) | World English Bible | Wycliffe Bible (1395) | Young's Literal Translation (1898) | Hindi Reference Bible |