1 Samuel - 1 शमूएल 10 | View All

1. तब शमूएल ने एक कुप्पी तेल लेकर उसके सिर पर उंडेला, और उसे चूमकर कहा, क्या इसका कारण यह नहीं कि यहोवा ने अपने निज भाग के ऊपर प्रधान होने को तेरा अभिषेक किया है?

1. Then, from a flask he had with him, Samuel poured oil on Saul's head; he also kissed him, saying: 'The LORD anoints you commander over his heritage. You are to govern the LORD'S people Israel, and to save them from the grasp of their enemies round about. 'This will be the sign for you that the LORD has anointed you commander over his heritage:

2. आज जब तू मेरे पास से चला जाएगा, तब राहेल की कब्र के पास जो बिन्यामीन के देश के सिवाने पर सेलसह में है दो जन तुझे मिलेंगे, और कहेंगे, कि जिन गदिहियों को तू ढूंढने गया था वे मिल हैं; और सुन, तेरा पिता गदहियों की चिन्ता छोड़कर तुम्हारे कारण कुढ़ता हुआ कहता है, कि मैं अपने पुत्रा के लिये क्या करूं?

2. When you leave me today, you will meet two men near Rachel's tomb at Zelzah in the territory of Benjamin, who will say to you, 'The asses you went to look for have been found. Your father is no longer worried about the asses, but is anxious about you and says, What shall I do about my son?'

3. फिर वहां से आगे बढ़कर जब तू ताबोर के बांजवृक्ष के पास पहुंचेगा, तब वहां तीन जन परमेश्वर के पास बेतेल को जाते हुए तुझे मिलेंगे, जिन में से एक तो बकरी के तीन बच्चे, और दूसरा तीन रोटी, और तीसरा एक कुप्पी दाखमधु लिए हुए होगा।

3. Farther on, when you arrive at the terebinth of Tabor, you will be met by three men going up to God at Bethel; one will be bringing three kids, another three loaves of bread, and the third a skin of wine.

4. और वे तेरा कुशल पूछेंगे, और तुझे दो रोटी देंगे, और तू उन्हें उनके हाथ से ले लेना।

4. They will greet you and offer you two wave offerings of bread, which you will take from them.

5. तब तू परमेश्वर के पहाड़ पर पहुंचेगा जहां पलिश्तियों की चौकी है; और जब तू वहां नगर में प्रवेश करे, तब नबियों का एक दल ऊंचे स्थान से उतरता हुआ तुझे मिलेगा; और उनके आगे सितार, डफ, बांसुली, और वीणा होंगे; और वे नबूवत करते होंगे।

5. After that you will come to Gibeath-elohim, where there is a garrison of the Philistines. As you enter that city, you will meet a band of prophets, in a prophetic state, coming down from the high place preceded by lyres, tambourines, flutes and harps.

6. तब यहोवा का आत्मा तुझ पर बल से उतरेगा, और तू उनके साथ होकर नबूवत करने लगेगा, और तू परिवर्तित होकर और ही मनुष्य हो जाएगा।

6. The spirit of the LORD will rush upon you, and you will join them in their prophetic state and will be changed into another man.

7. और जब ये चिन्ह तुझे देख पड़ेंगे, तब जो काम करने का अवसर तुझे मिले उस में लग जाना; क्योंकि परमेश्वर तेरे संग रहेगा।

7. When you see these signs fulfilled, do whatever you judge feasible, because God is with you.

8. और तू मुझ से पहिले गिलगाल को जाना; और मैं होमबलि और मेलबलि चढ़ाने के लिये तेरे पास आऊंगा। तू सात दिन तक मेरी बाट जोहते रहना, तब मैं तेरे पास पहुंचकर तुझे बताऊंगा कि तुझ को क्या क्या करना है।

8. Now go down ahead of me to Gilgal, for I shall come down to you, to offer holocausts and to sacrifice peace offerings. Wait seven days until I come to you; I shall then tell you what you must do.'

9. ज्योंही उस ने शमूएल के पास से जाने को पीठ फेरी त्योंही परमेश्वर ने उसके मन को परिवर्तन किया; और वे सब चिन्ह उसी दिन प्रगट हुए।।

9. As Saul turned to leave Samuel, God gave him another heart. That very day all these signs came to pass....

10. जब वे उधर उस पहाड़ के पास आए, तब नबियों का एक दल उसको मिला; और परमेश्वर का आत्मा उस पर बल से उतरा, और वह उसके बीच में नबूवत करने लगा।

10. When they were going from there to Gibeah, a band of prophets met him, and the spirit of God rushed upon him, so that he joined them in their prophetic state.

11. जब उन सभों ने जो उसे पहिले से जानते थे यह देखा कि वह नबियों के बीच में नबूवत कर रहा है, तब आपस में कहने लगे, कि कीश के पुत्रा को यह क्या हुआ? क्या शाऊल भी नबियों में का है?

11. When all who had known him previously saw him in a prophetic state among the prophets, they said to one another, 'What has happened to the son of Kish? Is Saul also among the prophets?'

12. वहां के एक मनुष्य ने उत्तर दिया, भला, उनका बाप कौन है? इस पर यह कहावत चलने लगी, कि क्या शाऊल भी नबियों में का है?

12. And someone from that district added, 'And who is their father?' Thus the proverb arose, 'Is Saul also among the prophets?'

13. जब वह नबूवत कर चुका, तब ऊंचे स्थान पर चढ़ गया।।

13. When he came out of the prophetic state, he went home.

14. तब शाऊल के चचा ने उस से और उसके सेवक से पूछा, कि तुम कहां गए थे? उस ने कहा, हम तो गदहियों को ढूंढ़ने गए थे; और जब हम ने देखा कि वे कहीं नहीं मिलतीं, तब शमूएल के पास गए।

14. Saul's uncle inquired of him and his servant, 'Where have you been?' Saul replied, 'To look for the asses. When we could not find them, we went to Samuel.'

15. शाऊल के चचा ने कहा, मुझे बतला दे कि शमूएल ने तुम से क्या कहा।

15. Then Saul's uncle said, 'Tell me, then, what Samuel said to you.'

16. शाऊल ने अपने चचा से कहा, कि उस ने हमें निश्चय करके बतया कि गदहियां मिल गईं। परन्तु जो बात शमूएल ने राज्य के विषय में कही थी वह उस ने उसको न बताई।।

16. Saul said to his uncle, 'He assured us that the asses had been found.' But he mentioned nothing to him of what Samuel had said about the kingship.

17. तब शमूएल ने प्रजा के लोगों को मिस्पा में यहोवा के पास बुलवाया;

17. Samuel called the people together to the LORD at Mizpah

18. तब उस ने इस्राएलियों से कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि मैं तो इस्राएल को मि देश से निकाल लाया, और तुम को मिस्त्रियों के हाथ से, और न सब राज्यों के हाथ से जो तुम पर अन्धेर करते थे छुड़ाया है।

18. and addressed the Israelites: 'Thus says the LORD, the God of Israel, 'It was I who brought Israel up from Egypt and delivered you from the power of the Egyptians and from the power of all the kingdoms that oppressed you.'

19. परन्तु तुम ने आज अपने परमेश्वर को जो सब विपत्तियों और कष्टों से तुम्हारा छुड़ानेवाला है तुच्छ जाना; और उस से कहा है, कि हम पर राजा नियुक्त कर दे। इसलिये अब तुम गोत्रा गोत्रा और हजार हजार करके यहोवा के साम्हने खड़े हो जाओ।

19. But today you have rejected your God, who delivers you from all your evils and calamities, by saying to him, 'Not so, but you must appoint a king over us.' Now, therefore, take your stand before the LORD according to tribes and families.'

20. तब शमूएल सारे इस्राएली गोत्रियों को समीप लाया, और चिट्ठी बिन्यामीन के नाम पर निकली।
प्रेरितों के काम 13:21

20. So Samuel had all the tribes of Israel come forward, and the tribe of Benjamin was chosen.

21. तब वह बिन्यामीन के गोत्रा के कुल कुल करके समीप लाया, और चिट्ठी मत्री के कुल के नाम पर निकली; फिर चिट्ठी कीश के पुत्रा शाऊल के नाम पर निकली। और जब वह ढूंढ़ा गया, तब न मिला।
प्रेरितों के काम 13:21

21. Next he had the tribe of Benjamin come forward in clans, and the clan of Matri was chosen, and finally Saul, son of Kish, was chosen. But they looked for him in vain.

22. तब उन्हों ने फिर यहोवा से पूछा, क्या यहां कोई और आनेवाला है? यहोवा ने कहा, हां, सुनो, वह सामान के बीच में छिपा हुआ है।

22. Again they consulted the LORD, 'Has he come here?' The LORD answered, 'He is hiding among the baggage.'

23. तब वे दौड़कर उसे वहां से लाए; और वह लोगों के बीच में खड़ा हुआ, और वह कान्धे से सिर तक सब लोगों से लम्बा था।

23. They ran to bring him from there; and when he stood among the people, he was head and shoulders above all the crowd.

24. शमूएल ने सब लोगों से कहा, क्या तुम ने यहोवा के चुने हुए को देखा है कि सारे लोगों में कोई उसके बराबर नहीं? तब सक लोग ललकारके बोल उठे, राजा चिरंजीव रहे।।
प्रेरितों के काम 13:21

24. Samuel said to all the people, 'Do you see the man whom the LORD has chosen? There is none like him among all the people!' Then all the people shouted, 'Long live the king!'

25. तब शमूएल ने लोगों से राजनीति का वर्णन किया, और उसे पुस्तक में लिखकर यहोवा के आगे रख दिया। और शमूएल ने सब लोगों को अपने अपने घर जान को विदा किया।

25. Samuel next explained to the people the law of royalty and wrote it in a book, which he placed in the presence of the LORD. This done, Samuel dismissed the people, each to his own place.

26. और शाऊल गिबा को अपने घर चला गया, और उसके साथ एक दल भी गया जिनके मन को परमेश्वर ने उभारा था।

26. Saul also went home to Gibeah, accompanied by warriors whose hearts the LORD had touched.

27. परन्तु कई लुच्चे लोगों ने कहा, यह जन हमारा क्या उद्धार करेगा? और उन्हों ने उसको तुच्छ जाना, और उसके पास भेंट न लाए। तौभी वह सुनी अनसुनी करके चुप रहा।।

27. But certain worthless men said, 'How can this fellow save us?' They despised him and brought him no present.



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