Acts - प्रेरितों के काम 7 | View All

1. तब महायाजक ने कहा, क्या ये बातें यों ही है?

1. Then the high priest questioned Stephen. 'Is what these people are saying true?' he asked.

2. उस ने कहा; हे भाइयो, और पितरो सुनो, हमारा पिता इब्राहीम हारान में बसने से पहिले जब मिसुपुतामिया में था; तो तेजोमय परमेश्वर ने उसे दर्शन दिया।
भजन संहिता 29:3

2. Brothers and fathers, listen to me!' Stephen replied. 'The God of glory appeared to our father Abraham. At that time Abraham was still in Mesopotamia. He had not yet begun living in Haran.

3. और उस से कहा कि तू अपने देश और अपने कुटुम्ब से निकलकर उस देश मे चला जा, जिसे मैं तुझे दिखाऊंगा।
उत्पत्ति 12:1, उत्पत्ति 48:4

3. 'Leave your country and your people,' God said. 'Go to the land I will show you.'--(Genesis 12:1)

4. तब वह कसदियों के देश से निकलकर हारान में जा बसा; और उसके पिता की मृत्यु के बाद परमेश्वर ने उसको वहां से इस देश में लाकर बसाया जिस में अब तुम बसते हो।
उत्पत्ति 12:5

4. 'So Abraham left the land of Babylonia. He settled in Haran. After his father died, God sent Abraham to this land where you are now living.

5. और उसको कुछ मीरास बरन पैर रखने भर की भी उस में जगह न दी, परन्तु प्रतिज्ञा की कि मैं यह देश, तेरे और तेरे बाद तेरे वंश के हाथ कर दूंगा; यद्यपि उस समय उसके कोई पुत्रा भी न था।
उत्पत्ति 13:15, उत्पत्ति 15:18, उत्पत्ति 16:1, उत्पत्ति 17:8, उत्पत्ति 48:4, उत्पत्ति 24:7, व्यवस्थाविवरण 2:5, व्यवस्थाविवरण 11:5, व्यवस्थाविवरण 32:49

5. God didn't give him any property here. He didn't give him even a foot of land. But God made a promise to him and to all his family after him. He said they would possess the land. The promise was made even though at that time Abraham had no child.

6. और परमेश्वर ने यों कहा; कि तेरी सन्तान के लोग पराये देश में परदेशी होंगे, और वे उन्हें दास बनाएंगे, और चार सौ वर्ष तक दुख देंगे।
उत्पत्ति 15:13-14, निर्गमन 2:22

6. 'Here is what God said to him. 'Your family after you will be strangers in a country that is not their own. They will be slaves and will be treated badly for 400 years.

7. फिर परमेश्वर ने कहा; जिस जाति के वे दास होंगे, उस को मैं दण्ड दूंगा; और इस के बाद वे निकलकर इसी जगह मेरी सेवा करेंगे।
उत्पत्ति 15:14, निर्गमन 3:12

7. But I will punish the nation that makes them slaves,' God said. 'After that, they will leave that country and worship me here.'--(Genesis 15:13,14)

8. और उस ने उस से खतने की वाचा बान्धी; और इसी दशा में इसहाक उस से उत्पन्न हुआ; और आठवें दिन उसका खतना किया गया; और इसहाक से याकूब और याकूब से बारह कुलपति उत्पन्न हुए।
उत्पत्ति 17:10-11, उत्पत्ति 21:4

8. 'Then God made a covenant with Abraham. God told him that circumcision would show who the members of the covenant were. Abraham became Isaac's father. He circumcised Isaac eight days after he was born. Later, Isaac became Jacob's father. Jacob had 12 sons. They became the founders of the 12 tribes of Israel.

9. और कुलपतियों ने यूसुफ से डाह करके उसे मिसर देश जानेवालों के हाथ बेचा; परन्तु परमेश्वर उसके साथ था।
उत्पत्ति 37:11, उत्पत्ति 37:28, उत्पत्ति 39:2-3, उत्पत्ति 39:21, उत्पत्ति 45:4

9. 'Jacob's sons were jealous of their brother Joseph. So they sold him as a slave. He was taken to Egypt. But God was with him.

10. और उसे उसके सब क्लेशों से छुड़ाकर मिसर के राजा फिरौन के आगे अनुग्रह और बुद्धि दी, और उस ने उसे मिसर पर और अपने सारे घर पर हाकिम ठहराया।
उत्पत्ति 41:40, उत्पत्ति 41:43, उत्पत्ति 41:46, भजन संहिता 105:21

10. He saved Joseph from all his troubles. God made Joseph wise. He helped him to become the friend of Pharaoh, the king of Egypt. So Pharaoh made Joseph ruler over Egypt and his whole palace.

11. तब मिसर और कनान के सारे देश में अकाल पडा; जिस से भारी क्लेश हुआ, और हमारे बापदादों को अन्न नहीं मिलता था।
उत्पत्ति 41:54-55, उत्पत्ति 42:5

11. 'There was not enough food for all Egypt and Canaan. This brought great suffering. Jacob and his sons couldn't find food.

12. परन्तु याकूब ने यह सुनकर, कि मिसर में अनाज है, हमारे बापदादों को पहिली बार भेजा।
उत्पत्ति 42:2

12. But Jacob heard that there was grain in Egypt. So he sent his sons on their first visit.

13. और दूसरी बार यूसुफ अपने भाइयों पर प्रगट को गया, और यूसुुफ की जाति फिरौन को मालूम हो गई।
उत्पत्ति 45:1, उत्पत्ति 45:3, उत्पत्ति 45:16

13. On their second visit, Joseph told his brothers who he was. Pharaoh learned about Joseph's family.

14. तब यूसुफ ने अपने पिता याकूब और अपने सारे कुटुम्ब को, जो पछत्तर व्यक्ति थे, बुला भेजा।
उत्पत्ति 45:9-11, उत्पत्ति 45:18-19, निर्गमन 1:5, व्यवस्थाविवरण 10:22

14. 'After this, Joseph sent for his father Jacob and his whole family. The total number of people was 75.

15. तब याकूब मिसर में गया; और वहां वह और हमारे बापदादे मर गए।
उत्पत्ति 45:5-6, उत्पत्ति 49:33, निर्गमन 1:6

15. Then Jacob went down to Egypt. There he and his family died.

16. और वे शिकिम में पहुंचाए जाकर उस कब्र में रखे गए, जिसे इब्राहीम न चान्दी देकर शिकिम में हमोर की सन्तान से मोल लिया था।
उत्पत्ति 23:16-17, उत्पत्ति 33:19, उत्पत्ति 49:29-30, उत्पत्ति 50:13, यहोशू 24:32

16. Some of their bodies were brought back to Shechem. They were placed in a tomb Abraham had bought. He had purchased it from Hamor's sons at Shechem for a certain amount of money.

17. परन्तु जब उस प्रतिज्ञा के पूरे होने का समय निकट आया, तो परमेश्वर ने इब्राहीम से की थी, तो मिसर में वे लोग बढ़ गए; और बहुत हो गए।
निर्गमन 1:7-8

17. 'In Egypt the number of our people grew and grew. It was nearly time for God to make his promise to Abraham come true.

18. जब तक कि मिसर में दूसरा राजा न हुआ जो यूसुफ को नहीं जानता था।
निर्गमन 1:7-8

18. Another king became ruler of Egypt. He knew nothing about Joseph.

19. उस ने हमारी जाति से चतुराई करके हमारे बापदादों के साथ यहां तक कुव्योहार किया, कि उन्हें अपने बालकों को फेंक देना पड़ा कि वे जीवित न रहें।
निर्गमन 1:9-10, निर्गमन 1:18, निर्गमन 1:22

19. He was very evil and dishonest with our people. He beat them down. He forced them to throw out their newborn babies to die.

20. उस समय मूसा उत्पन्न हुआ जो बहुत ही सुन्दर था; और वह तीन महीने तक अपने पिता के घर में पाला गया।
निर्गमन 2:2

20. At that time Moses was born. He was not an ordinary child. For three months he was taken care of by his family.

21. परन्तु जब फेंक दिया गया तो फिरौन की बेटी ने उसे उठा लिया, और अपना पुत्रा करके पाला।
निर्गमन 2:5, निर्गमन 2:10

21. Then he was placed outside. But Pharaoh's daughter took him home. She brought him up as her own son.

22. और मूसा को मिसरियों की सारी विद्या पढ़ाई गई, और वह बातों और कामों में सामर्थी था।

22. Moses was taught all the knowledge of the people of Egypt. He became a powerful speaker and a man of action.

23. जब वह चालीस वर्ष का हुआ, तो उसके मन में आया कि मैं अपने इस्त्राएली भाइयों से भेंट करूं।
निर्गमन 2:11

23. 'When Moses was 40 years old, he decided to visit the people of Israel. They were his own people.

24. और उस ने एक व्यक्ति पर अन्याय होने देखकर, उसे बचाया, और मिसरी को मारकर सताए हुए का पलटा लिया।
निर्गमन 2:12

24. He saw one of them being treated badly by a man of Egypt. So he went to help him. He got even by killing the man.

25. उस ने सोचा, कि मेरे भाई समझेंगे कि परमेश्वर मेरे हाथों से उन का उद्धार करेगा, परन्तु उन्हों ने न समझा।

25. Moses thought his own people would realize that God was using him to save them. But they didn't.

26. दूसरे दिन जब वे आपस में लड़ रहे थे, तो वह वहां आ निकला; और यह कहके उन्हें मेल करने के लिये समझाया, कि हे पुरूषो, तुम तो भाई भाई हो, एक दूसरे पर क्यों अन्याय करते हो?

26. 'The next day Moses saw two men of Israel fighting. He tried to make peace between them. 'Men, you are both of Israel,' he said. 'Why do you want to hurt each other?'

27. परन्तु जो अपने पड़ोसी पर अन्याय कर रहा था, उस ने उसे यह कहकर हटा दिया, कि तुझे किस ने हम पर हाकिम और न्यायी ठहराया है?
निर्गमन 2:13-14

27. 'But the man who was treating the other one badly pushed Moses to one side. He said, 'Who made you ruler and judge over us?

28. क्या जिस रीति से तू ने कल मिसरी को मार डाला मुझे भी मार डालना चाहता है?
निर्गमन 2:13-14

28. Do you want to kill me as you killed the Egyptian yesterday?'--(Exodus 2:14)

29. यह बात सुनकर, मूसा भागा; और मिद्यान देश में परदेशी होकर रहने लगा: और वहां उसके दो पुत्रा उत्पन्न हुए।
निर्गमन 2:15-22, निर्गमन 18:3-4

29. When Moses heard this, he escaped to Midian. He lived there as a stranger. He became the father of two sons there.

30. जब पूरे चालीस वर्ष बीत गए, तो एक स्वर्ग दूत ने सीनै पहाड़ के जंगल में उसे जलती हुई झाड़ी की ज्वाला में दर्शन दिया।
निर्गमन 3:1, निर्गमन 3:2-3

30. 'Forty years passed. Then an angel appeared to Moses in the flames of a burning bush. This happened in the desert near Mount Sinai.

31. मूसा ने उस दर्शन को देखकर अचम्भा किया, और जब देखने के लिये पास गया, तो प्रभु का यह शब्द हुआ।
निर्गमन 3:2-3

31. When Moses saw the bush, he was amazed. He went over for a closer look. There he heard the Lord's voice.

32. कि मैं तेरे बापदादों, इब्राहीम, इसहाक और याकूब का परमेश्वर हूं: तब तो मूसा कांप उठा, यहां तक कि उसे देखने का हियाव न रहा।

32. 'I am the God of your fathers,' the Lord said. 'I am the God of Abraham, Isaac and Jacob.'--(Exodus 3:6) Moses shook with fear. He didn't dare to look.

33. तब प्रभु ने उस से कहा; अपने पावों से जूती उतार ले, क्योंकि जिस जगह तू खड़ा है, वह पवित्रा भूमि है।
निर्गमन 3:5

33. 'Then the Lord said to him, 'Take off your sandals. The place you are standing on is holy ground.

34. मैं ने सचमुच अपने लोगों की दुर्दशा को जो मिसर में है, देखी है; और उन की आह और उन का रोना सुन लिया है; इसलिये उन्हें छुड़ाने के लिये उतरा हूं। अब आ, मैं तुझे मिसर में भेंजूंगा।
निर्गमन 2:24, निर्गमन 3:7-10

34. I have seen my people beaten down in Egypt. I have heard their groans. I have come down to set them free. Now come. I will send you back to Egypt.'--(Exodus 3:5,7,8,10)

35. जिस मूसा को उन्हों ने यह कहकर नकारा था कि तुझे किस ने हम पर हाकिम और न्यायी ठहराया है; उसी को परमेश्वर ने हाकिम और छुड़ानेवाला ठहराकर, उस स्वर्ग दूत के द्वारा जिस ने उसे झाड़ी में दर्शन दिया था, भेजा।
निर्गमन 2:14, निर्गमन 3:2

35. 'This is the same Moses the two men of Israel would not accept. They had said, 'Who made you ruler and judge?' But God himself sent Moses to rule the people of Israel and set them free. He spoke to Moses through the angel who had appeared to him in the bush.

36. यही व्यक्ति मिसर और लाल समुद्र और जंगल में चालीस वर्ष तक अद्भुत काम और चिन्ह दिखा दिखाकर उन्हें निकाल लाया।
निर्गमन 7:3, निर्गमन 14:21, गिनती 14:33

36. So Moses led them out of Egypt. He did wonders and miraculous signs in Egypt, at the Red Sea, and for 40 years in the desert.

37. यह वही मूसा है, जिस ने इस्त्राएलियों से कहा; कि परमेश्वर तुम्हारे भाइयों में से तुम्हारे लिये मुझ सा एक भविष्यद्वक्ता उठाएगा।
व्यवस्थाविवरण 18:15-18

37. 'This is the same Moses who spoke to the people of Israel. 'God will send you a prophet,' he said. 'He will be like me. He will come from your own people.'--(Deuteronomy 18:15)

38. यह वही है, जिस ने जंगल में कलीसिया के बीच उस स्वर्गदूत के साथ सीनै पहाड़ पर उस से बातें की, और हमारे बापदादों के साथ था: उसी को जीवित वचन मिले, कि हम तक पहुंचाए।
निर्गमन 19:1-6, निर्गमन 20:1-17, निर्गमन 23:20-21, व्यवस्थाविवरण 5:4-22, व्यवस्थाविवरण 9:10-11

38. Moses was with the Israelites in the desert. He was with the angel who spoke to him on Mount Sinai. Moses was with our people of long ago. He received living words to pass on to us.

39. परन्तु हमारे बापदादों ने उस की मानना न चाहा; बरन उसे हटाकर अपने मन मिसर की ओर फेरे।
गिनती 14:3-4, निर्गमन 19:1-6, निर्गमन 20:1-17, निर्गमन 23:20-21

39. 'But our people refused to obey Moses. They would not accept him. In their hearts, they wished they were back in Egypt.

40. और हारून से कहा; हमारे लिये ऐसा देवता बना, जो हमारे आगे आगे चलें; क्योंकि यह मूसा जा हमें मिसर देश से निकाल लाया, हम नहीं जानते उसे क्या हुआ?
निर्गमन 32:1, निर्गमन 32:23

40. They told Aaron, 'Make us a god who will lead us. This fellow Moses led us out of Egypt. But we don't know what has happened to him!'--(Exodus 32:1)

41. उन दिनों में उन्हों ने एक बछड़ा बनाकर, उस की मूरत के आगे बलि चढ़ाया; और अपने हाथों के कामों में मगन होने लगे।
निर्गमन 32:4-6

41. That was the time they made a statue to be their god. It looked like a calf. They brought sacrifices to it. They were glad because of what they had made with their own hands.

42. सो परमेश्वर ने मुंह मोड़कर उन्हें छोड़ दिया, कि आकशगण पूजें; जैसा भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तक में लिखा है; कि हे इस्त्राएल के घराने, क्या तुम जंगल में चालीस वर्ष तक पशुबलि और अन्नबलि मुझ ही को चढ़ाते रहे?
यिर्मयाह 7:18, यिर्मयाह 8:2, यिर्मयाह 19:13, आमोस 5:25-26

42. But God turned away from them. He left them to worship the sun, moon and stars. This agrees with what is written in the book of the prophets. There it says, ' 'People of Israel, did you bring me sacrifices and offerings for 40 years in the desert?

43. और तुम मोलेक के तम्बू और रिफान देवता के तारे को लिए फिरते थे; अर्थात् उन आकारों को जिन्हें तुम ने दण्डवत करने के लिये बनाया था: सो मैं तुम्हें बाबुर के परे ले जाकर बसाऊंगा।
आमोस 5:25-26

43. You lifted up the place where Molech was worshiped. You lifted up the star of your god Rephan. You made statues of them to worship. So I will send you away from your country.' --(Amos 5:25-27) God sent them to Babylon and even farther.

44. साक्षी का तम्बू जंगल में हमारे बापदादों के बीच में था; जैसा उस ने ठहराया, जिस ने मूसा से कहा; कि जो आकर तू ने देखा है, उसके अनुसार इसे बना।
निर्गमन 25:1-40, निर्गमन 25:40, निर्गमन 27:21, गिनती 1:50

44. 'Long ago our people had with them in the desert the holy tent where the tablets of the covenant were kept. Moses had made the holy tent as God had commanded him. It was made like the pattern he had seen.

45. उसी तम्बू को हमारे बापदादे पूर्वकाल से पाकर यहोशू के साथ यहां ले आए; जिस समय कि उन्हों ने उन अन्यजातियों का अधिकार पाया, जिन्हें परमेश्वर ने हमारे बापदादों के साम्हने से निकाल दिया; और वह दाऊद के समय तक रहा।
उत्पत्ति 48:4, उत्पत्ति 24:7, व्यवस्थाविवरण 2:5, व्यवस्थाविवरण 11:5, यहोशू 3:14-17, यहोशू 18:1, यहोशू 23:9, यहोशू 24:18, 2 शमूएल 7:2-16, 1 राजाओं 8:17-18, 1 इतिहास 17:1-14, 2 इतिहास 6:7-8, भजन संहिता 132:5

45. Our people received the tent from God. They brought it with them when they took the land of Canaan. God drove out the nations that were in their way. At that time Joshua was Israel's leader. 'The tent remained in the land until David's time.

46. उस पर परमेश्वर ने अनुग्रह किया, सो उस ने बिनती की, कि मैं याकूब के परमेश्वर के लिये निवास स्था ठहराऊं।
उत्पत्ति 48:4, उत्पत्ति 24:7, व्यवस्थाविवरण 2:5, व्यवस्थाविवरण 11:5, यहोशू 3:14-17, यहोशू 18:1, यहोशू 23:9, यहोशू 24:18, 2 शमूएल 7:2-16, 1 राजाओं 8:17-18, 1 इतिहास 17:1-14, 2 इतिहास 6:7-8, भजन संहिता 132:5

46. David was blessed by God. So David asked if he could build a house for the God of Jacob.

47. Instead, it was Solomon who built it for him.

48. परन्तु परम प्रधान हाथ के बनाए घरों में नहीं रहता, जैसा कि भविष्यद्वक्ता ने कहा।

48. 'But the Most High God does not live in houses made by human hands. As God says through the prophet,

49. कि प्रभु कहता है, स्वर्ग मेरा सिहांसन और पृथ्वी मेरे पांवों तले की पीढ़ी है, मेरे लिये तुम किस प्रकार का घर बनाओगे? और मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा?
यशायाह 66:1-2

49. ' 'Heaven is my throne. The earth is under my control. What kind of house will you build for me? says the Lord. Where will my resting place be?

50. क्या ये सब वस्तुएं मेरे हाथ की बनाई नहीं? हे हठीले, और मन और कान के खतनारहित लोगो, तुम सदा पवित्रा आत्मा का साम्हना करते हो।
यशायाह 66:1-2

50. Didn't my hand make all these things?' --(Isaiah 66:1,2)

51. जैसा तुम्हारे बापदादे करते थे, वैसे ही तुम भी करते हो।
निर्गमन 32:9, निर्गमन 33:3-5, लैव्यव्यवस्था 26:41, गिनती 27:14, यशायाह 63:10, यिर्मयाह 6:10, यिर्मयाह 9:26

51. 'You people! You won't obey! You are stubborn! You won't listen! You are just like your people of long ago! You always oppose the Holy Spirit!

53. तुम ने स्वर्गदूतों के द्वारा ठहराई हुई व्यवस्था तो पाई, परन्तु उसका पालन नहीं किया।।

53. The law you received was brought by angels. But you haven't obeyed it.'

54. ये बातें सुनकर वे जल गए और उस पर दांत पीसने लगे।
अय्यूब 16:9, भजन संहिता 35:16, भजन संहिता 37:12, भजन संहिता 112:10

54. When the Sanhedrin heard this, they became very angry. They ground their teeth at Stephen.

55. परन्तु उस ने पवित्रा आत्मा से परिपूर्ण होकर स्वर्ग की ओर देखा और परमेश्वर की महिमा को और यीशु को परमेश्वर की दहिनी ओर खड़ा देखकर।

55. But he was full of the Holy Spirit. He looked up to heaven and saw God's glory. He saw Jesus standing at God's right hand.

56. कहा; देखों, मैं स्वर्ग को खुला हुआ, और मनुष्य के पुत्रा को परमेश्वर के दहिनी ओर खड़ा हुआ देखता हूं।

56. Look!' he said. 'I see heaven open. The Son of Man is standing at God's right hand.'

57. तब उन्हों ने बड़े शब्द से चिल्लाकर कान बन्द कर लिए, और एक चित्त होकर उस पर झपटे।

57. When the Sanhedrin heard this, they covered their ears. They yelled at the top of their voices. They all rushed at him.

58. और उसे नगर के बाहर निकालकर पत्थरवाह करने लगे, और गवाहों ने अपने कपड़े उतार रखे।

58. They dragged him out of the city. They began to throw stones at him to kill him. The witnesses took off their coats. They placed them at the feet of a young man named Saul.

59. और वे स्तिुफनुस को पत्थरवाह करते रहे, और वह यह कहकर प्रार्थना करता रहा; कि हे प्रभु यीशु, मेरी आत्मा को ग्रहण कर।
भजन संहिता 31:5

59. While the members of the Sanhedrin were throwing stones at Stephen, he prayed. 'Lord Jesus, receive my spirit,' he said.

60. फिर घुटने टेककर ऊंचे शब्द से पुकारा, हे प्रभु, यह पाप उन पर मत लगा, और यह कहकर सो गया: और शाऊल उसके बध मे सहमत था।।

60. Then he fell on his knees. He cried out, 'Lord! Don't hold this sin against them!' When he had said this, he died.



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