Jeremiah - यिर्मयाह 42 | View All

1. तब कारेह का पुत्रा योहानान, होशयाह का पुत्रा याजन्याह, दलों के सब प्रधान और छोटे से लेकर बड़े तक, सब लोग यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के निकट आकर कहने लगे,

1. Then all the captains of the forces, and Johanan the son of Kareah, and Jezaniah the son of Hoshaiah, and all the people from the least even unto the greatest, came near,

2. हमारी बिनती ग्रहण करके अपने परमेश्वर यहोवा से हम सब बचे हुओं के लिये प्रार्थना कर, क्योंकि तू अपनी आंखों से देख रहा है कि हम जो पहले बहुत थे, अब थोड़े ही बच गए हैं।

2. And said unto Jeremiah the prophet, Let, we beseech thee, our supplication be accepted before thee, and pray for us unto YHWH thy Elohim, even for all this remnant; (for we are left but a few of many, as thine eyes do behold us:)

3. इसलिये प्रार्थना कर कि तेरा परमेश्वर यहोवा हम को बताए कि हम किस मार्ग से चलें, और कौन सा काम करें?

3. That YHWH thy Elohim may shew us the way wherein we may walk, and the thing that we may do.

4. सो यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता ने उन से कहा, मैं ने तुम्हारी सुनी है; देखो, मैं तुम्हारे वचनों के अनुसार तुम्हारे परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना करूंगा ओर जो उत्तर यहोवा तुम्हारे लिये देगा मैं तुम को बताऊंगा; मैं तुम से कोई बात न छिपाऊंगा।

4. Then Jeremiah the prophet said unto them, I have heard you; behold, I will pray unto YHWH your Elohim according to your words; and it shall come to pass, that whatsoever thing YHWH shall answer you, I will declare it unto you; I will keep nothing back from you.

5. तब उन्हों ने यिर्मयाह से कहा, यदि तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे द्वारा हमारे पास कोई वचन पहुंचाए और हम उसके अनुसार न करें, तो यहोवा हमारे बीच में सच्चा और विश्वासयोग्य साक्षी ठहरे।

5. Then they said to Jeremiah, YHWH be a true and faithful witness between us, if we do not even according to all things for the which YHWH thy Elohim shall send thee to us.

6. चाहे वह भली बात हो, चाहे बुरी, तौभी हम अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा, जिसके पास हम तुझे भेजते हैं, मानेंगे, क्योंकि जब हम अपने परमेश्वर यहोवा की बात मानें तब हमारा भला हो।

6. Whether it be good, or whether it be evil, we will obey the voice of YHWH our Elohim, to whom we send thee; that it may be well with us, when we obey the voice of YHWH our Elohim.

7. दस दिन के बीतने पर यहोवा का वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा।

7. And it came to pass after ten days, that the word of YHWH came unto Jeremiah.

8. तब उस ने कारेह के पुत्रा योहानान को, उसके साथ के दलों के प्रधानों को, और छोटे से लेकर बड़े तक जितने लोग थे, उन सभों को बुलाकर उन से कहा,

8. Then called he Johanan the son of Kareah, and all the captains of the forces which were with him, and all the people from the least even to the greatest,

9. इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिसके पास तुम ने मुझ को इसलिये भेजा कि मैं तुम्हारी बिनती उसके आगे कह सुनाऊं, वह यों कहता है,

9. And said unto them, Thus saith YHWH, the Elohim of Israel, unto whom ye sent me to present your supplication before him;

10. यदि तुम इसी देश में रह जाओ, तब तो मैं तुम को नाश नहीं करूंगा वरन बनाए रखूंगा; और तुम्हें न उखाडूंगा, वरन रोपे रखूंगा; क्योंकि तुम्हारी जो हानि मैं ने की है उस से मैं पछताता हूँ।

10. If ye will still abide in this land, then will I build you, and not pull you down, and I will plant you, and not pluck you up: for I repent me of the evil that I have done unto you.

11. तुम बाबुल के राजा से डरते हो, सो उस से मत डरो; यहोवा की यह वाणी है, उस से मत डरो, क्योंकि मैं तुम्हारी रक्षा करने और तुम को उसके हाथ से बचाने के लिये तुम्हारे साथ हूँ।

11. Be not afraid of the king of Babylon, of whom ye are afraid; be not afraid of him, saith YHWH: for I am with you to save you, and to deliver you from his hand.

12. मैं तुम पर दया करूंगा, कि वह भी तुम पर दया करके तुम को तुम्हारी भूमि पर फिर से बसा देगा।

12. And I will shew mercies unto you, that he may have mercy upon you, and cause you to return to your own land.

13. परन्तु यदि तुम यह कहकर कि हम इस देश में न रहेंगे अपने परमेश्वर यहोवा की बात न मानो, और कहो कि हम तो मिस्र देश जाकर वहीं रहेंगे,

13. But if ye say, We will not dwell in this land, neither obey the voice of YHWH your Elohim,

14. क्योंकि वहां न हम युद्व देखेंगे, न नरसिंगे का शब्द सुनेंगे और न हम को भोजन की धटी होगा, तो, हे बचे हुए यहूदियो, यहोवा का यह वचन सुनोे

14. Saying, No; but we will go into the land of Egypt, where we shall see no war, nor hear the sound of the trumpet, nor have hunger of bread; and there will we dwell:

15. इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यों कहता है, कि यदि तुम सचमुच मिस्र की ओर जाने का मुंह करो, और वहां रहने के लिये जाओ,

15. And now therefore hear the word of YHWH, ye remnant of Judah; Thus saith YHWH of hosts, the Elohim of Israel; If ye wholly set your faces to enter into Egypt, and go to sojourn there;

16. तो ऐसा होगा कि जिस तलवार से तुम डरते हो, वही वहां मिस्र देश में तुम को जा लेगी, और जिस महंगी का भय तुम खाते हो, वह मिस्र में तुम्हारा पीछा न छोड़ेगी; और वहीं तुम मरोगे।

16. Then it shall come to pass, that the sword, which ye feared, shall overtake you there in the land of Egypt, and the famine, whereof ye were afraid, shall follow close after you there in Egypt; and there ye shall die.

17. जितने मनुष्य मिस्र में रहने के लिये उसकी ओर मुंह करें, वे सब तलवार, महंगी और मरी से मरेंगे, और जो विपत्ति मैं उनके बीच डालूंगा, उस से कोई बचा न रहेगा।

17. So shall it be with all the men that set their faces to go into Egypt to sojourn there; they shall die by the sword, by the famine, and by the pestilence: and none of them shall remain or escape from the evil that I will bring upon them.

18. इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यों कहता है, कि जिस प्रकार से मेरा कोप और जलजलाहट यरूशलेम के निवासियों पर भड़क उठी थी, उसी प्रकार से यदि तुम मिस्र में जाओ, तो मेरी जलजलाहट तुम्हारे ऊपर ऐसी भड़क उठेगी कि लोग चकित होंगे, और तुम्हारी उपमा देकर शाप दिया करेंगे और तुम्हारी निन्दा किया करेंगे। तुम उस स्थान को फिर न देखने पाओगे।

18. For thus saith YHWH of hosts, the Elohim of Israel; As mine anger and my fury hath been poured forth upon the inhabitants of Jerusalem; so shall my fury be poured forth upon you, when ye shall enter into Egypt: and ye shall be an execration, and an astonishment, and a curse, and a reproach; and ye shall see this place no more.

19. हे बचे हुए यहूदियो, यहोवा ने तुम्हारे विषय में कहा है, मिस्र में मत जाओ। तुम निश्चय जानो कि मैं ने आज तुम को चिताकर यह बात बता दी है।

19. YHWH hath said concerning you, O ye remnant of Judah; Go ye not into Egypt: know certainly that I have admonished you this day.

20. क्योंकि जब तुम ने मुझ को यह कहकर अपने परमेश्वर यहोवा के पास भेज दिया कि हमारे निमित्त हमारे परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना कर और जो कुछ हमारा परमेश्वर यहोवा कहे उससी के अनुसार हम को बता और हम वैसा ही करेंगे, तब तुम जान बूझके अपने ही को धोखा देते थे।

20. For ye dissembled in your hearts, when ye sent me unto YHWH your Elohim, saying, Pray for us unto YHWH our Elohim; and according unto all that YHWH our Elohim shall say, so declare unto us, and we will do it.

21. देखो, मैं आज तुम को बताए देता हूं, परन्तु, और जो कुछ तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम से कहने के लिये मुझ को भेजा है, उस में से तुम कोई बात नहीं मानते।

21. And now I have this day declared it to you; but ye have not obeyed the voice of YHWH your Elohim, nor any thing for the which he hath sent me unto you.

22. अब तुम निश्चय जानो, कि जिस स्थान में तुम परदेशी होके रहने की इच्छा करते हो, उस में तुम तलवार, महंगी और मरी से मर जाओगे।

22. Now therefore know certainly that ye shall die by the sword, by the famine, and by the pestilence, in the place whither ye desire to go and to sojourn.



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