10. मैं ने बहुतों के मुंह से अपना अपवाद सुना है। चारों ओर भय ही भय है ! मेरी जान पहचान के सब जो मेरे ठोकर खाने की बाट जोहते हैं, वे कहते हैं, उसके दोष बताओ, तब हम उनकी चर्चा फैला देंगे। कदाचित वह धोखा खाए, तो हम उस पर प्रबल होकर, उस से बदला लेंगे।
10. For why, I heard so many derisions and blasphemies, yea even of my own companions, and such as were conversant with me: which went about, to make me afraid, saying: upon him, let us go upon him, to fear him, and make him hold his tongue: that we may overcome him, and be avenged of him.