Jeremiah - यिर्मयाह 20 | View All

1. जब यिर्मयाह यह भविष्यद्वाणी कर रहा था, तब इम्मेर का पुत्रा पशहूर ने जो याजक और यहोवा के भवन का प्रधान रखवाला था, वह सब सुना।

1. Now Pashhur the son of Immer, the priest who [was] also chief governor in the house of the LORD, heard that Jeremiah prophesied these things.

2. सो पशहूर ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को मारा और उसे उस काठ में डाल दिया जो यहोवा के भवन के ऊपर बिन्यामीन के फाटक के पास है।
इब्रानियों 11:36

2. Then Pashhur struck Jeremiah the prophet, and put him in the stocks that [were] in the high gate of Benjamin, which [was] by the house of the LORD.

3. बिहान को जब पशहूर ने यिर्मयाह को काठ में से निकलवाया, तब यिर्मयाह ने उस से कहा, यहोवा ने तेरा नाम पशहूर नहीं मागोर्मिस्साबीब रखा है।

3. And it happened on the next day that Pashhur brought Jeremiah out of the stocks. Then Jeremiah said to him, 'The LORD has not called your name Pashhur, but Magor-Missabib.

4. क्योंकि यहोवा ने यों कहा है, देख, मैं तुझे तेरे लिये और तेरे सब मित्रों के लिये भी भय का कारण ठहराऊंगा। वे अपने शत्रुओं की तलवार से तेरे देखते ही वध किए जाएंगे। और मैं सब यहूदियों को बाबुल के राजा के वश में कर दूंगा; वह उनको बंधुआ करके बाबुल में ले जाएगा, और तलवार से मार डालेगा।

4. 'For thus says the LORD: 'Behold, I will make you a terror to yourself and to all your friends; and they shall fall by the sword of their enemies, and your eyes shall see [it.] I will give all Judah into the hand of the king of Babylon, and he shall carry them captive to Babylon and slay them with the sword.

5. फिर मैं इस नगर के सारे धन को और इस में की कमाई और सब अनमोल वस्तुओं को और यहूदा के राजाओं का जितना रखा हुआ धन है, उस सब को उनके शत्रुओं के वश में कर दूंगा; और वे उसको लूटकर अपना कर लेंगे और बाबुल में ले जाएंगे।

5. 'Moreover I will deliver all the wealth of this city, all its produce, and all its precious things; all the treasures of the kings of Judah I will give into the hand of their enemies, who will plunder them, seize them, and carry them to Babylon.

6. और, हे पशहूर, तू उन सब समेत जो तेरे घर में रहते हैं बंधुआई में चला जाएगा; अपने उन मित्रों समेत जिन से तू ने झूठी भविष्यद्वाणी की, तू बाबुल में जाएगा और वहीं मरेगा, और वहीं तुझे और उन्हें भी मिट्टी दी जाएगी।

6. 'And you, Pashhur, and all who dwell in your house, shall go into captivity. You shall go to Babylon, and there you shall die, and be buried there, you and all your friends, to whom you have prophesied lies.' '

7. हे यहोवा, तू ने मुझे धोखा दिया, और मैं ने धोखा खाया; तू मुझ से बलवन्त है, इस कारण तू मुझ पर प्रबल हो गया। दिन भर मेरी हंसी होती है; सब कोई मुझ से ठट्ठा करते हैं।

7. O LORD, You induced me, and I was persuaded; You are stronger than I, and have prevailed. I am in derision daily; Everyone mocks me.

8. क्योंकि जब मैं बातें करता हूँ, तब मैं जोर से पुकार पुकारकर ललकारता हूँ कि उपद्रव और उत्पात हुआ, हां उत्पात ! क्योंकि यहोवा का वचन दिन भर मेरे लिये निन्दा और ठट्ठा का कारण होता रहता है।

8. For when I spoke, I cried out; I shouted, 'Violence and plunder!' Because the word of the LORD was made to me A reproach and a derision daily.

9. यदि मैं कहूं, मैं उसकी चर्चा न करूंगा न उसके नाम से बोलूंगा, तो मेरे हृदय की ऐसी दशा होगी मानो मेरी हडि्डयों में धधकती हुई आग हो, और मैं अपने को रोकते रोकते थक गया पर मुझ से रहा नहीं जाता।
1 कुरिन्थियों 9:16

9. Then I said, 'I will not make mention of Him, Nor speak anymore in His name.' But [His word] was in my heart like a burning fire Shut up in my bones; I was weary of holding [it] back, And I could not.

10. मैं ने बहुतों के मुंह से अपना अपवाद सुना है। चारों ओर भय ही भय है ! मेरी जान पहचान के सब जो मेरे ठोकर खाने की बाट जोहते हैं, वे कहते हैं, उसके दोष बताओ, तब हम उनकी चर्चा फैला देंगे। कदाचित वह धोखा खाए, तो हम उस पर प्रबल होकर, उस से बदला लेंगे।

10. For I heard many mocking: 'Fear on every side!' 'Report,' [they say,] 'and we will report it!' All my acquaintances watched for my stumbling, [saying,] 'Perhaps he can be induced; Then we will prevail against him, And we will take our revenge on him.'

11. परन्तु यहोवा मेरे साथ है, वह भयंकर वीर के समान है; इस कारण मेरे सतानेवाले प्रबल न होंगे, वे ठोकर खाकर गिरेंगे। वे बुध्दि से काम नहीं करते, इसलिये उन्हें बहुत लज्जित होना पड़ेगा। उनका अपमान सदैव बना रहेगा और कभी भूला न जाएगा।

11. But the LORD [is] with me as a mighty, awesome One. Therefore my persecutors will stumble, and will not prevail. They will be greatly ashamed, for they will not prosper. [Their] everlasting confusion will never be forgotten.

12. हे सेनाओं के यहोवा, हे धर्मियों के परखनेवाले और हृदय और मन के ज्ञाता, जो बदला तू उन से लेगा, उसे मैं देखूं, क्योंकि मैं ने अपना मुक़ मा तेरे ऊपर छोड़ दिया है।

12. But, O LORD of hosts, You who test the righteous, [And] see the mind and heart, Let me see Your vengeance on them; For I have pleaded my cause before You.

13. यहोवा के लिये गाओ; यहोवा की स्तुति करो ! क्योंकि वह दरिद्र जन के प्राण को कुकर्मियों के हाथ से बचाता है।

13. Sing to the LORD! Praise the LORD! For He has delivered the life of the poor From the hand of evildoers.

14. स्रापित हो वह दिन जिस में मैं उत्पन्न हुआ ! जिस दिन मेरी माता ने मुझ को जन्म दिया वह धन्य न हो !

14. Cursed [be] the day in which I was born! Let the day not be blessed in which my mother bore me!

15. स्रापित हो वह जन जिस ने मेरे पिता को यह समाचार देकर उसको बहुत आनन्दित किया कि तेरे लड़का उत्पन्न हुआ है।

15. Let the man [be] cursed Who brought news to my father, saying, 'A male child has been born to you!' Making him very glad.

16. उस जन की दशा उन नगरों की सी हो जिन्हें यहोवा ने बिन दया ढा दिया; उसे सवेरे तो चिल्लाहट और दोपहर को युठ्ठ की ललकार सुनाई दिया करे,

16. And let that man be like the cities Which the LORD overthrew, and did not relent; Let him hear the cry in the morning And the shouting at noon,

17. क्योंकि उस ने मुझे गर्भ ही में न मार डाला कि मेरी माता का गर्भाशय ही मेरी क़ब्र होती, और मैं उसी में सदा पड़ा रहता।

17. Because he did not kill me from the womb, That my mother might have been my grave, And her womb always enlarged [with me.]

18. मैं क्यों उत्पात और शोक भोगने के लिये जन्मा और कि अपने जीवन में परिश्रम और दुेचा देखूं, और उपने दिन नामधराई में व्यतीत करूं?

18. Why did I come forth from the womb to see labor and sorrow, That my days should be consumed with shame?



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