Isaiah - यशायाह 40 | View All

1. तुम्हारा परमेश्वर यह कहता है, मेरी प्रजा को शान्ति दो, शान्ति!
लूका 2:25

1. 'Comfort, yes, comfort My people!' Says your God.

2. यरूशलेम से शान्ति की बातें कहो; और उस से पुकारकर कहो कि तेरी कठिन सेवा पूरी हुई है, तेरे अधर्म का दण्ड अंगीकार किया गया है : यहोवा के हाथ से तू अपने सब पापों का दूना दण्ड पा चुका है।।
प्रकाशितवाक्य 1:5

2. 'Speak comfort to Jerusalem, and cry out to her, That her warfare is ended, That her iniquity is pardoned; For she has received from the LORD's hand Double for all her sins.'

3. किसी की पुकार सुनाई देती है, जंगल में यहोवा का मार्ग सुधारो, हमारे परमेश्वर के लिये अराबा में एक राजमार्ग चौरस करो।
मत्ती 3:3, मरकुस 1:3, लूका 1:76, यूहन्ना 1:23, लूका 3:4-6

3. The voice of one crying in the wilderness: 'Prepare the way of the LORD; Make straight in the desert A highway for our God.

4. हर एक तराई भर दी जाए और हर एक पहाड़ और पहाड़ी गिरा दी जाए; जो टेढ़ा है वह सीधा और जो ऊंचा नीचा है वह चौरस किया जाए।

4. Every valley shall be exalted And every mountain and hill brought low; The crooked places shall be made straight And the rough places smooth;

5. तब यहोवा का तेज प्रगट होगा और सब प्राणी उसको एक संग देखेंगे; क्योंकि यहोवा ने आप ही ऐसा कहा है।।
लूका 2:30-31, प्रेरितों के काम 28:28

5. The glory of the LORD shall be revealed, And all flesh shall see [it] together; For the mouth of the LORD has spoken.'

6. बोलनेवाले का वचन सुनाई दिया, प्रचार कर! मैं ने कहा, मैं क्या प्रचार करूं? सब प्राणी घास हैं, उनकी शोभा मैदान के फूल के समान है।
याकूब 1:10-11, 1 पतरस 1:24-25

6. The voice said, 'Cry out!' And he said, 'What shall I cry?' 'All flesh [is] grass, And all its loveliness [is] like the flower of the field.

7. जब यहोवा की सांस उस पर चलती है, तब घास सूख जाती है, और फूल मुर्झा जाता है; नि:सन्देह प्रजा घास है।
याकूब 1:10-11

7. The grass withers, the flower fades, Because the breath of the LORD blows upon it; Surely the people [are] grass.

8. घास तो सूख जाती, और फूल मुर्झा जाता है; परन्तु हमारे परमेश्वर का वचन सदैव अटल रहेगा।।

8. The grass withers, the flower fades, But the word of our God stands forever.'

9. हे सिरयोन को शुभ समचार सुनानेवाली, ऊंचे पहाड़ पर चढ़ जा; हे यरूशलेम को शुभ समाचार सुनानेवाली, बहुत ऊंचे शब्द से सुना, ऊंचे शब्द से सुना, मत डर; यहूदा के नगरों से कह, अपने परमेश्वर को देखो!
यूहन्ना 12:15

9. O Zion, You who bring good tidings, Get up into the high mountain; O Jerusalem, You who bring good tidings, Lift up your voice with strength, Lift [it] up, be not afraid; Say to the cities of Judah, 'Behold your God!'

10. देखो, प्रभु यहोवा सामर्थ दिखाता हुआ रहा है, वह अपने भुजबल से प्रभुता करेगा; देखा, जो मजदूरी देने की है वह उसके पास है और जो बदला देने का है वह उसके हाथ में है।
प्रकाशितवाक्य 22:7-12

10. Behold, the Lord GOD shall come with a strong [hand,] And His arm shall rule for Him; Behold, His reward [is] with Him, And His work before Him.

11. वह चरवाहे की नाईं अपने झुण्ड को चराएगा, वह भेड़ों के बच्चों को अंकवार में लिए रहेगा और दूध पिलानेवालियों को धीरे धीरे ले चलेगा।।
यूहन्ना 10:11

11. He will feed His flock like a shepherd; He will gather the lambs with His arm, And carry [them] in His bosom, [And] gently lead those who are with young.

12. किस ने महासागर को चुल्लू से मापा और किस के बित्ते से आकाश का नाप हुआ, किस ने पृथ्वी की मिट्टी को नपवे में भरा और पहाड़ों को तराजू में और पहाड़ियों को कांटे में तौला है?

12. Who has measured the waters in the hollow of His hand, Measured heaven with a span And calculated the dust of the earth in a measure? Weighed the mountains in scales And the hills in a balance?

13. किस ने यहोवा की आत्मा को मार्ग बताया वा उसका मन्त्री होकर उसको ज्ञान सिखाया है?
1 कुरिन्थियों 2:16, रोमियों 11:34-35

13. Who has directed the Spirit of the LORD, Or [as] His counselor has taught Him?

14. उस ने किस से सम्मति ली और किस ने उसे समझाकर न्याय का पथ बता दिया और ज्ञान सिखाकर बुद्धि का मार्ग जता दिया है?
रोमियों 11:34-35

14. With whom did He take counsel, and [who] instructed Him, And taught Him in the path of justice? Who taught Him knowledge, And showed Him the way of understanding?

15. देखो, जातियां तो डोल की एक बून्द वा पलड़ों पर की धूलि के तुल्य ठहरीं; देखो, वह द्वीपों को धूलि के किनकों सरीखे उठाता है।

15. Behold, the nations [are] as a drop in a bucket, And are counted as the small dust on the scales; Look, He lifts up the isles as a very little thing.

16. लबानोन की ईधन के लिये थोड़ा होगा और उस में के जीव- जन्तु होमबलि के लिये बस न होंगे।

16. And Lebanon [is] not sufficient to burn, Nor its beasts sufficient for a burnt offering.

17. सारी जातियां उसके साम्हने कुछ नहीं हैं, वे उसकी दृष्टि में लेश और शून्य से भी घट ठहरीं हैं।।

17. All nations before Him [are] as nothing, And they are counted by Him less than nothing and worthless.

18. तुम ईश्वर को किस के समान बताओगे और उसकी उपमा किस से दोगे?
प्रेरितों के काम 17:29

18. To whom then will you liken God? Or what likeness will you compare to Him?

19. मूरत! कारीगर ढालता है, सोनार उसको सोने से मढ़ता और उसके लिये चान्दी की सांकलें ढालकर बनाता है।

19. The workman molds an image, The goldsmith overspreads it with gold, And the silversmith casts silver chains.

20. जो कंगाल इतना अर्पण नहीं कर सकता, वह ऐसा वृक्ष चुन लेता है जो न घुने; तब एक निपुण कारीगर ढूंढकर मूरत खुदवाता और उसे ऐसा स्थिर कराता है कि वह हिल न सके।।

20. Whoever [is] too impoverished for [such] a contribution Chooses a tree [that] will not rot; He seeks for himself a skillful workman To prepare a carved image [that] will not totter.

21. क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? क्या तुम को आरम्भ ही से नहीं बताया गया? क्या तुम ने पृथ्वी की नेव पड़ने के समय ही से विचार नहीं किया?

21. Have you not known? Have you not heard? Has it not been told you from the beginning? Have you not understood from the foundations of the earth?

22. यह वह है जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर आकाशमण्डल पर विराजमान है; और पृथ्वी के रहनेवाले टिड्डी के तुल्य है; जो आकाश को मलमल की नाईं फैलाता और ऐसा तान देता है जैसा रहने के लिये तम्बू ताना जाता है;

22. [It is] He who sits above the circle of the earth, And its inhabitants [are] like grasshoppers, Who stretches out the heavens like a curtain, And spreads them out like a tent to dwell in.

23. जो बड़े बड़े हाकिमों को तुच्छ कर देता है, और पृथ्वी के अधिकारियों को शून्य के समान कर देता है।।

23. He brings the princes to nothing; He makes the judges of the earth useless.

24. वे रोपे ही जाते, वे बोए ही जाते, उनके ठूंठ भूमि में जड़ ही पकड़ पाते कि वह उन पर पवन बहाता और वे सूख जाते, और आंधी उन्हें भूसे की नाई उड़ा ले जाती है।।

24. Scarcely shall they be planted, Scarcely shall they be sown, Scarcely shall their stock take root in the earth, When He will also blow on them, And they will wither, And the whirlwind will take them away like stubble.

25. सो तुम मुझे किस के समान बताओगे कि मैं उसके तुल्य ठहरूं? उस पवित्रा का यही वचन है।

25. ' To whom then will you liken Me, Or [to whom] shall I be equal?' says the Holy One.

26. अपनी आंखें ऊपर उठाकर देखो, किस ने इनको सिरजा? वह इन गणों को गिन गिनकर निकालता, उन सब को नाम ले लेकर बुलाता है? वह ऐसा सामर्थी और अत्यन्त बली है कि उन में के कोई बिना आए नहीं रहता।।

26. Lift up your eyes on high, And see who has created these [things,] Who brings out their host by number; He calls them all by name, By the greatness of His might And the strength of [His] power; Not one is missing.

27. हे याकूब, तू क्यों कहता है, हे इस्राएल तू क्यों बोलता है, मेरा मार्ग यहोवा के छिपा हुआ है, मेरा परमेश्वर मेरे न्याय की कुछ चिन्ता नहीं करता?

27. Why do you say, O Jacob, And speak, O Israel: 'My way is hidden from the LORD, And my just claim is passed over by my God'?

28. क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है।

28. Have you not known? Have you not heard? The everlasting God, the LORD, The Creator of the ends of the earth, Neither faints nor is weary. His understanding is unsearchable.

29. वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है।

29. He gives power to the weak, And to [those who have] no might He increases strength.

30. तरूण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं;

30. Even the youths shall faint and be weary, And the young men shall utterly fall,

31. परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाई उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे।।

31. But those who wait on the LORD Shall renew [their] strength; They shall mount up with wings like eagles, They shall run and not be weary, They shall walk and not faint.



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