27. केवल इतना करो कि तुम्हारा चाल- चलन मसीह के सुसमाचार के योग्य हो कि चाहे मैं आकर तुम्हें देखूं, चाहे न भी आऊं, तुम्हारे विषय में यह सुनूं, कि तुम एक ही आत्मा में स्थिर हो, और एक चित्त होकर सुसमाचार के विश्वास के लिये परिश्रम करते रहते हो।
27. Just one thing: live your life in a manner worthy of the gospel of Christ. Then, whether I come and see you or am absent, I will hear about you that you are standing firm in one spirit, with one mind, working side by side for the faith of the gospel,