2 Corinthians - 2 कुरिन्थियों 5 | View All

1. क्योंकि हम जानते हैं, कि जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा, जो हाथों से बना हुआ घर नहीं परन्तु चिरस्थाई है।
अय्यूब 4:19

1. For we know that if our earthly house, [this] tent, is destroyed, we have a building from God, a house not made with hands, eternal in the heavens.

2. इस में तो हम कहरते, और बड़ी लालसा रखते हैं; कि अपने स्वर्गीय घर को पहिन लें।

2. For in this we groan, earnestly desiring to be clothed with our habitation which is from heaven,

3. कि इस के पहिनने से हम नंगे न पाए जाएं।

3. if indeed, having been clothed, we shall not be found naked.

4. और हम इस डेरे में रहते हुए बोझ से दबे कहरते रहते हैं; क्योंकि हम उतारना नहीं, बरन और पहिनना चाहते हैं, ताकि वह जो मरनहार है जीवन में डूब जाए।

4. For we who are in [this] tent groan, being burdened, not because we want to be unclothed, but further clothed, that mortality may be swallowed up by life.

5. और जिस ने हमें इसी बात के लिये तैयार किया है वह परमेश्वर है, जिस ने हमें बयाने में आत्मा भी दिया है।

5. Now He who has prepared us for this very thing [is] God, who also has given us the Spirit as a guarantee.

6. सो हम सदा ढाढ़स बान्धे रहते हैं और यह जानते हैं; कि जब तक हम देह में रहते हैं, तब तक प्रभु से अलग हैं।

6. So [we are] always confident, knowing that while we are at home in the body we are absent from the Lord.

7. क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं।

7. For we walk by faith, not by sight.

8. इसलिये हम ढाढ़स बान्धे रहते हैं, और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं।

8. We are confident, yes, well pleased rather to be absent from the body and to be present with the Lord.

9. इस कारण हमारे मन की उमंग यह है, कि चाहे साथ रहें, चाहे अलग रहें पर हम उसे भाते रहें।

9. Therefore we make it our aim, whether present or absent, to be well pleasing to Him.

10. क्योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उस ने देह के द्वारा किए हों पाए।।
भजन संहिता 72:2-4, सभोपदेशक 12:14

10. For we must all appear before the judgment seat of Christ, that each one may receive the things [done] in the body, according to what he has done, whether good or bad.

11. सो प्रभु का भय मानकर हम लोगों को समझाते हैं और परमेश्वर पर हमारा हाल प्रगट है; और मेरी आशा यह है, कि तुम्हारे विवेक पर भी प्रगट हुआ होगा।

11. Knowing, therefore, the terror of the Lord, we persuade men; but we are well known to God, and I also trust are well known in your consciences.

12. हम फिर भी अपनी बड़ाई तुम्हारे साम्हने नहीं करते बरन हम अपने विषय में तुम्हें घमण्ड करने का अवसर देते हैं, कि तुम उन्हें उत्तर दे सको, जो मन पर नहीं, बरन दिखवटी बातों पर घमण्ड करते हैं।

12. For we do not commend ourselves again to you, but give you opportunity to boast on our behalf, that you may have [an answer] for those who boast in appearance and not in heart.

13. यदि हम बेसुध हैं, तो परमेश्वर के लिये; और यदि चैतन्य हैं, तो तुम्हारे लिये हैं।

13. For if we are beside ourselves, [it is] for God; or if we are of sound mind, [it is] for you.

14. क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए।

14. For the love of Christ compels us, because we judge thus: that if One died for all, then all died;

15. और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा।

15. and He died for all, that those who live should live no longer for themselves, but for Him who died for them and rose again.

16. सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, और यदि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उस को ऐसा नहीं जानेंगे।

16. Therefore, from now on, we regard no one according to the flesh. Even though we have known Christ according to the flesh, yet now we know [Him thus] no longer.

17. सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं।
यशायाह 43:18-21

17. Therefore, if anyone [is] in Christ, [he is] a new creation; old things have passed away; behold, all things have become new.

18. और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिस ने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है।

18. Now all things [are] of God, who has reconciled us to Himself through Jesus Christ, and has given us the ministry of reconciliation,

19. अर्थात् परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया, और उन के अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उस ने मेल मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है।।

19. that is, that God was in Christ reconciling the world to Himself, not imputing their trespasses to them, and has committed to us the word of reconciliation.

20. सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो।
यशायाह 52:7

20. Now then, we are ambassadors for Christ, as though God were pleading through us: we implore [you] on Christ's behalf, be reconciled to God.

21. जो पाप से अज्ञात था, उसी को उस ने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में होकर परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएं।।

21. For He made Him who knew no sin [to be] sin for us, that we might become the righteousness of God in Him.



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