36. और यदि कोई यह समझे, कि मैं अपनी उस कुंवारी का हक्क मान रहा हूं, जिस की जवानी ढल चली है, और प्रयोजन भी होए, तो जैसा चाहे, वैसा करे, इस में पाप नहीं, वह उसका ब्याह होने दे।
36. and if any one doth think [it] to be unseemly to his virgin, if she may be beyond the bloom of age, and it ought so to be, what he willeth let him do; he doth not sin -- let him marry.