Matthew - मत्ती 12 | View All

1. उस समय यीशु सब्त के दिन खेतों में से होकर जा रहा था, और उसके चेलों को भूख लगी, सो वे बालें तोड़ तोड़कर खाने लगे।
व्यवस्थाविवरण 23:24-25

1. [1] সেই সময়ে যীশু বিশ্রামবারে শস্যক্ষেত্র দিয়া গমন করিলেন; আর তাঁহার শিষ্যেরা ক্ষুধিত হওয়াতে শীষ ছিঁড়িয়া ছিঁড়িয়া খাইতে লাগিলেন।

2. फरीसियों ने यह देखकर उस से कहा, देख तेरे चेले वह काम कर रहे हैं, जो सब्त के दिन करना उचित नहीं।
निर्गमन 20:10, व्यवस्थाविवरण 5:14

2. কিন্তু ফরীশীরা তাহা দেখিয়া তাঁহাকে বলিল, দেখ, বিশ্রামবারে যাহা করা বিধেয় নয়, তাহাই তোমার শিষ্যগণ করিতেছে।

3. उस ने उन से कहा; क्या तुम ने नहीं पढ़ा, कि दाऊद ने, जब वह और उसके साथी भूखे हुए तो क्या किया?

3. তিনি তাহাদিগকে কহিলেন, দায়ূদ ও তাঁহার সঙ্গীরা ক্ষুধিত হইলে তিনি যাহা করিয়াছিলেন, তাহা কি তোমরা পাঠ কর নাই?

4. वह क्योंकर परमेश्वर के घर में गया, और भेंट की रोटियां खाईं, जिन्हें खाना न तो उसे और उसके साथियों को, पर केवल याजकों को उचित था?
लैव्यव्यवस्था 24:5-9, 1 शमूएल 21:6

4. তিনি ত ঈশ্বরের গৃহে প্রবেশ করিলেন, এবং তাঁহারা দর্শন-রুটী ভোজন করিলেন, যাহা তাঁহার ও তাঁহার সঙ্গীদের ভোজন করা বিধেয় ছিল না, কেবল যাজকবর্গেরই বিধেয় ছিল ।

5. या तुम ने व्यवस्था में नहीं पढ़ा, कि याजक सब्त के दिन मन्दिर में सब्त के दिन के विधि को तोड़ने पर भी निर्दोष ठहरते हैं।
गिनती 28:9-10

5. আর তোমরা কি ব্যবস্থায় পাঠ কর নাই যে, বিশ্রামবারে যাজকেরা ধর্ম্মধামে বিশ্রামবার লঙ্ঘন করিলেও নির্দ্দোষ থাকে?

6. पर मैं तुम से कहता हूं, कि यहां वह है, जो मन्दिर से भी बड़ा है।
यशायाह 63:1

6. কিন্তু আমি তোমাদিগকে বলিতেছি, এই স্থানে ধর্ম্মধাম হইতে মহান্‌ এক ব্যক্তি আছেন।

7. यदि तुम इस का अर्थ जानते कि मैं दया से प्रसन्न हूं, बलिदान से नहीं, तो तुम निर्दोष को दोषी न ठहराते।
होशे 6:6

7. কিন্তু “আমি দয়াই চাই, বলিদান নয়,” এই কথার অর্থ কি, তাহা যদি তোমরা জানিতে, তবে নির্দ্দোষদিগকে দোষী করিতে না।

8. मनुष्य का पुत्रा तो सब्त के दिन का भी प्रभु है।।
उत्पत्ति 2:3

8. কেননা মনুষ্যপুত্র বিশ্রামবারের কর্ত্তা।

9. वहां से चलकर वह उन की सभा के घर में आया।

9. পরে তিনি তথা হইতে চলিয়া গিয়া তাহাদের সমাজ-গৃহে প্রবেশ করিলেন।

10. और देखो, एक मनुष्य था, जिस का हाथ सूखा हुआ था; और उन्हों ने उस पर दोष लगाने के लिेय उस से पूछा, कि क्या सब्त के दिन चंगा करना उचित है?

10. আর দেখ, একটী লোক, তাহার একখানি হাত শুকাইয়া গিয়াছিল। তখন তাহারা তাঁহাকে জিজ্ঞাসা করিল, বিশ্রামবারে কি সুস্থ করা বিধেয়? তাঁহার উপরে দোষারোপ করিবার নিমিত্ত ইহা বলিল।

11. उस ने उन से कहा; तुम में ऐसा कौन है, जिस की एक भेड़ हो, और वह सब्त के दिन गड़हे में गिर जाए, तो वह उसे पकड़कर न निकाले?

11. তিনি তাহাদিগকে কহিলেন, তোমাদের মধ্যে এমন ব্যক্তি কে, যে একটী মেষ রাখে, আর সেটী যদি বিশ্রামবারে গর্ত্তে পড়িয়া যায়, সে কি তাহা ধরিয়া তুলিবে না?

12. भला, मनुष्य का मूल्य भेड़ से कितना बढ़ कर है; इसलिये सब्त के दिन भलाई करना उचित है: तब उस ने उस मनुष्य से कहा, अपना हाथ बढ़ा।

12. তবে মেষ হইতে মনুষ্য আরও কত শ্রেষ্ঠ! অতএব বিশ্রামবারে সৎকর্ম্ম করা বিধেয়।

13. उस ने बढ़ाया, और वह फिर दूसरे हाथ की नाई अच्छा हो गया।

13. তখন তিনি সেই লোকটীকে কহিলেন, তোমার হাত বাড়াইয়া দেও; তাহাতে সে বাড়াইয়া দিল, আর তাহা অন্যটীর ন্যায় পুনরায় সুস্থ হইল।

14. तब फरीसियों ने बाहर जाकर उसके विरोध में सम्मति की, कि उसे किस प्रकार नाश करें?

14. পরে ফরীশীরা বাহিরে গিয়া তাঁহার বিরুদ্ধে মন্ত্রণা করিতে লাগিল, কি প্রকারে তাঁহাকে বিনষ্ট করিতে পারে।

15. यह जानकर यीशु वहां से चला गया; और बहुत लागे उसके पीछे हो लिये; और उस ने सब को चंगा किया।

15. যীশু তাহা জানিয়া তথা হইতে চলিয়া গেলেন; অনেক লোক তাঁহার পশ্চাৎ পশ্চাৎ গমন করিল, আর তিনি সকলকে সুস্থ করিলেন,

16. और उन्हें चिताया, कि मुझे प्रगट न करना।

16. এবং এই দৃঢ় আজ্ঞা দিলেন, তোমরা আমার পরিচয় দিও না।

17. कि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो।

17. —যেন যিশাইয় ভাববাদী দ্বারা কথিত এই বচন পূর্ণ হয়,

18. कि देखो, यह मेरा सेवक है, जिसे मैं ने चुना है; मेरा प्रिय, जिस से मेरा मन प्रसन्न है: मैं अपना आत्मा उस पर डालूंगा; और वह अन्यजातियों को न्याय का समाचार देगा।
यशायाह 41:9, यशायाह 42:1-4

18. “দেখ, আমার দাস, তিনি আমার মনোনীত, আমার প্রিয়, আমার প্রাণ তাঁহাতে প্রীত, আমি তাঁহার উপরে আপন আত্মাকে স্থাপন করিব, আর তিনি জাতিগণের কাছে ন্যায়বিচার প্রচার করিবেন।

19. वह न झगड़ा करेगा, और न धूम मचाएगा; और न बाजारों में कोई उसका शब्द सुनेगा।

19. তিনি কলহ করিবেন না, উচ্চশব্দও করিবেন না, পথে কেহ তাঁহার রব শুনিতে পাইবে না।

20. वह कुचले हुए सरकण्डे को न तोड़ेगा; और धूआं देती हुई बत्ती को न बुझाएगा, जब तक न्याय को प्रबल न कराए।

20. তিনি থেৎলা নল ভাঙ্গিবেন না, সধূম শলিতা নির্ব্বাণ করিবেন না, যে পর্য্যন্ত না ন্যায়বিচার জয়ীরূপে প্রচলিত করেন।

21. और अन्यजातियां उसके नाम पर आशा रखेंगी।

21. আর তাঁহার নামে পরজাতিগণ প্রত্যাশা রাখিবে।”

22. तब लोग एक अन्धे- गूंगे को जिस में दुष्टात्मा थी, उसके पास लाए; और उस ने उसे अच्छा किया; और वह गूंगा बोलने और देखने लगा।

22. তখন এক জন ভূতগ্রস্ত তাঁহার নিকটে আনীত হইল, সে অন্ধ ও গোঁগা; আর তিনি তাহাকে সুস্থ করিলেন, তাহাতে সেই গোঁগা কথা কহিতে ও দেখিতে লাগিল।

23. इस पर सब लोग चकित होकर कहने लगे, यह क्या दाऊद की सन्तान का है?

23. ইহাতে সমস্ত লোক চমৎকৃত হইল ও বলিতে লাগিল, ইনিই কি সেই দায়ূদ সন্তান?

24. परन्तु फरीसियों ने यह सुनकर कहा, यह तो दुष्टात्माओं के सरदार शैतान की सहायता के बिना दुष्टात्माओं को नहीं निकालता।

24. কিন্তু ফরীশীরা তাহা শুনিয়া কহিল, এ ব্যক্তি আর কিছুতে নয়, কেবল ভূতগণের অধিপতি বেল্‌সবূলের দ্বারাই ভূত ছাড়ায়।

25. उस ने उन के मन की बात जानकर उन से कहा; जिस किसी राज्य में फूट होती है, वह उजड़ जाता है, और कोई नगर या घराना जिस में फूट होती है, बना न रहेगा।
1 शमूएल 16:7

25. তাহাদের চিন্তা জানিয়া তিনি তাহাদিগকে কহিলেন, যে কোন রাজ্য আপনার বিপক্ষে ভিন্ন হয়, তাহা উচ্ছিন্ন হয়; এবং যে কোন নগর কিম্বা পরিবার আপনার বিপক্ষে ভিন্ন হয়, তাহা স্থির থাকিবে না।

26. और यदि शैतान ही शैतान को निकाले, तो वह अपना ही विरोधी हो गया है; फिर उसका राज्य क्योंकर बना रहेगा?

26. আর শয়তান যদি শয়তানকে ছাড়ায়, সে ত আপনারই বিপক্ষে ভিন্ন হইল; তবে তাহার রাজ্য কি প্রকারে স্থির থাকিবে?

27. भला, यदि मैं शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूं, तो तुम्हारे वंश किस की सहायता से निकालते हैं? इसलिये वे ही तुम्हारा न्याय चुकाएंगे।

27. আর আমি যদি বেল্‌সবূলের দ্বারা ভূত ছাড়াই, তবে তোমাদের সন্তানেরা কাহার দ্বারা ছাড়ায়? এই জন্য তাহারাই তোমাদের বিচারকর্ত্তা হইবে।

28. पर यदि मैं परमेश्वर के आत्मा की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूं, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुंचा है।

28. কিন্তু আমি যদি ঈশ্বরের আত্মা দ্বারা ভূত ছাড়াই, তবে সুতরাং ঈশ্বরের রাজ্য তোমাদের কাছে আসিয়া পড়িয়াছে।

29. या क्योंकर कोई मनुष्य किसी बलवन्त के घर में घुसकर उसका माल लूट सकता है जब तक कि पहिले उस बलवन्त को न बान्ध ले? और तब वह उसका घर लूट लेगा।
यशायाह 49:24

29. আর অগ্রে সেই বলবান্‌ ব্যক্তিকে না বাঁধিয়া কে কেমন করিয়া সেই বলবানের গৃহে প্রবেশ করিয়া তাহার ঘরের দ্রব্য লুট করিতে পারিবে? বাঁধিলে পরেই সে তাহার ঘর লুট করিবে।

30. जो मेरे साथ नहीं, वह मेरे विरोध में है; और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिथराता है।

30. যে আমার সপক্ষ নয়, সে আমার বিপক্ষ; এবং যে আমার সহিত কুড়ায় না, সে ছড়াইয়া ফেলে।

31. इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि मनुष्य का सब प्रकार का पाप और निन्दा क्षमा की जाएगी, पर आत्मा की निन्दा क्षमा न की जाएगी।

31. এই কারণ আমি তোমাদিগকে বলিতেছি, মনুষ্যদের সকল পাপ ও নিন্দার ক্ষমা হইবে, কিন্তু পবিত্র আত্মার নিন্দার ক্ষমা হইবে না।

32. जो कोई मनुष्य के पुत्रा के विरोध में कोई बात कहेगा, उसका यह अपराध क्षमा किया जाएगा, परन्तु जो कोई पवित्राआत्मा के विरोध में कुछ कहेगा, उसका अपराध न तो इस लोक में और न परलोक में क्षमा किया जाएगा।

32. আর যে কেহ মনুষ্যপুত্রের বিরুদ্ধে কোন কথা কহে, সে ক্ষমা পাইবে; কিন্তু যে কেহ পবিত্র আত্মার বিরুদ্ধে কথা কহে, সে ক্ষমা পাইবে না, ইহকালেও নয়, পরকালেও নয়।

33. यदि पेड़ को अच्छा कहो, तो उसके फल को भी अच्छा कहो; या पेड़ को निकम्मा कहो; क्योंकि पेड़ फल ही से पहचाना जाता है।

33. হয় গাছকে ভাল বল, এবং তাহার ফলকেও ভাল বল; নয় গাছকে মন্দ বল, এবং তাহার ফলকেও মন্দ বল; কেননা ফল দ্বারাই গাছ চেনা যায়।

34. हे सांप के बच्चों, तुम बुरे होकर क्योंकर अच्छी बातें कह सकते हो? क्योंकि जो मन में भरा है, वही मुंह पर आता है।

34. হে সর্পের বংশেরা, তোমরা মন্দ হইয়া কেমন করিয়া ভাল কথা কহিতে পার? কেননা হৃদয় হইতে যাহা ছাপিয়া উঠে, মুখ তাহাই বলে।

35. भला, मनुष्य मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है; और बुरा मनुष्य बुरे भण्डार से बुरी बातें निकालता है।

35. ভাল মানুষ ভাল ভাণ্ডার হইতে ভাল দ্রব্য বাহির করে, এবং মন্দ মানুষ মন্দ ভাণ্ডার হইতে মন্দ দ্রব্য বাহির করে।

36. और मै तुम से कहता हूं, कि जो जो निकम्मी बातें मनुष्य कहेंगे, न्याय के दिन हर एक बात का लेखा देंगे।

36. আর আমি তোমাদিগকে বলিতেছি, মনুষ্যেরা যত অনর্থক কথা বলে, বিচার-দিনে সেই সকলের হিসাব দিতে হইবে।

37. क्योंकि तू अपनी बातों के कारण निर्दोष और अपनी बातों ही के कारण दोषी ठहराया जाएगा।।

37. কারণ তোমার বাক্য দ্বারা তুমি নির্দ্দোষ বলিয়া গণিত হইবে, আর তোমার বাক্য দ্বারাই তুমি দোষী বলিয়া গণিত হইবে।

38. इस पर कितने शास्त्रियों और फरीसियों ने उस से कहा, हे गुरू, हम तुझ से एक चिन्ह देखना चाहते हैं।

38. তখন কয়েক জন অধ্যাপক ও ফরীশী তাঁহাকে বলিল, হে গুরু, আমরা আপনার কাছে কোন চিহ্ন দেখিতে ইচ্ছা করি।

39. उस ने उन्हें उत्तर दिया, कि इस युग के बुरे और व्यभिचारी लोग चिन्ह ढूंढ़ते हैं; परन्तु यूनुस भविष्यद्वक्ता के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उन को न दिया जाएगा।

39. তিনি উত্তর করিয়া তাহাদিগকে কহিলেন, এই কালের দুষ্ট ও ব্যভিচারী লোকে চিহ্নের অন্বেষণ করে, কিন্তু যোনা ভাববাদীর চিহ্ন ছাড়া আর কোন চিহ্ন ইহাদিগকে দেওয়া যাইবে না।

40. यूनुस तीन राज दिन जल जन्तु के पेट में रहा, वैसे ही मनुष्य का पुत्रा तीन रात दिन पृथ्वी के भीतर रहेगा।
योना 1:17

40. কারণ যোনা যেমন তিন দিবারাত্র বৃহৎ মৎস্যের উদরে ছিলেন, তেমনি মনুষ্যপুত্রও তিন দিবারাত্র পৃথিবীর গর্ভে থাকিবেন।

41. नीनवे के लोग न्याय के दिन इस युग के लोगों के साथ उठकर उन्हें दोषी ठहराएंगे, क्योंकि उन्हों ने यूनुस का प्रचार सुनकर, मन फिराया और देखो, यहां वह है जो यूनुस से बड़ा है।
योना 3:5, योना 3:8

41. নীনবীয় লোকেরা বিচারে এই কালের লোকদের সহিত দাঁড়াইয়া ইহাদিগকে দোষী করিবে, কেননা তাহারা যোনার প্রচারে মন ফিরাইয়াছিল, আর দেখ, যোনা হইতে মহান্‌ এক ব্যক্তি এখানে আছেন।

42. दक्खिन की रानी न्याय के दिन इस युग के लोगों के साथ उठकर उन्हें दोषी ठहराएगी, क्योंकि वह सुलैमान का ज्ञान सुनने के लिये पृथ्वी की छोर से आई, और देखो, यहां वह है जो सुलैमान से भी बड़ा है।
1 राजाओं 20:1-10, 2 इतिहास 9:1-12

42. দক্ষিণ দেশের রাণী বিচারে এই কালের লোকদের সহিত উঠিয়া ইহাদিগকে দোষী করিবেন; কেননা শলোমনের জ্ঞানের কথা শুনিবার জন্য তিনি পৃথিবীর প্রান্ত হইতে আসিয়াছিলেন, আর দেখ, শলোমন হইতে মহান্‌ এক ব্যক্তি এখানে আছেন।

43. जब अशुद्ध आत्मा मनुष्य में से निकल जाती है, तो सूखी जगहों में विश्राम ढूंढ़ती फिरती है, और पाती नहीं।

43. আর অশুচি আত্মা যখন মনুষ্য হইতে বাহির হইয়া যায়, তখন জলবিহীন নানা স্থান দিয়া ভ্রমণ করতঃ বিশ্রামের অন্বেষণ করে, কিন্তু তাহা পায় না।

44. तब कहती है, कि मैं अपने उसी घर में जहां से निकली थी, लौट जाऊंगी, और आकर उसे सूना, झाड़ा- बुहारा और सजा सजाया पाती है।

44. তখন সে বলে, আমি যেখান হইতে বাহির হইয়া আসিয়াছি, আমার সেই গৃহে ফিরিয়া যাই; পরে সে আসিয়া তাহা শূন্য, মার্জ্জিত ও শোভিত দেখে।

45. तब वह जाकर अपने से और बुरी सात आत्माओं को अपने साथ ले आती है, और वे उस में पैठकर वहां वास करती है, और उस मनुष्य की पिछली दशा पहिले से भी बुरी हो जाती है; इस युग के बुरे लोगों की दशा भी ऐसी ही होगी।

45. তখন সে গিয়া আপনা হইতে দুষ্ট অপর সাত আত্মাকে সঙ্গে লইয়া আইসে, আর তাহারা সেই স্থানে প্রবেশ করিয়া বাস করে; তাহাতে সেই মনুষ্যের প্রথম দশা হইতে শেষ দশা আরও মন্দ হয়। এই কালের দুষ্ট লোকদের প্রতি তাহাই ঘটিবে।

46. जब वह भीड़ से बातें कर ही रहा था, तो देखो, उस की माता और भाई बाहर खड़े थे, और उस से बातें करना चाहते थे।

46. তিনি লোকসমূহকে এই সকল কথা কহিতেছেন, এমন সময়ে, দেখ, তাঁহার মাতা ও ভ্রাতারা তাঁহার সহিত কথা কহিবার চেষ্টায় বাহিরে দাঁড়াইয়া ছিলেন।

47. किसी ने उस से कहा; देख तेरी माता और तेरे भाई बाहर खड़े हैं, और तुझ से बातें करना चाहते हैं।

47. তখন এক ব্যক্তি তাঁহাকে কহিল, দেখুন, আপনার মাতা ও ভ্রাতারা আপনার সহিত কথা কহিবার চেষ্টায় বাহিরে দাঁড়াইয়া আছেন।

48. यह सुन उस ने कहनेवाले को उत्तर दिया; कौन है मेरी माता?

48. কিন্তু যে এই কথা বলিল, তাহাকে তিনি উত্তর করিলেন, আমার মাতা কে? আমার ভ্রাতারাই বা কাহারা? পরে তিনি আপন শিষ্যগণের দিকে হাত বাড়াইয়া কহিলেন,

49. और कौन है मेरे भाई? और अपने चेलों की ओर अपना हाथ बढ़ा कर कहा; देखो, मेरी माता और मेरे भाई ये हैं।

49. এই দেখ, আমার মাতা ও আমার ভ্রাতারা;

50. क्योंकि जो कोई मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चले, वही मेरा भाई और बहिन और माता है।।

50. কেননা যে কেহ আমার স্বর্গস্থ পিতার ইচ্ছা পালন করে, সেই আমার ভ্রাতা ও ভগিনী ও মাতা।



Shortcut Links
मत्ती - Matthew : 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 |
उत्पत्ति - Genesis | निर्गमन - Exodus | लैव्यव्यवस्था - Leviticus | गिनती - Numbers | व्यवस्थाविवरण - Deuteronomy | यहोशू - Joshua | न्यायियों - Judges | रूत - Ruth | 1 शमूएल - 1 Samuel | 2 शमूएल - 2 Samuel | 1 राजाओं - 1 Kings | 2 राजाओं - 2 Kings | 1 इतिहास - 1 Chronicles | 2 इतिहास - 2 Chronicles | एज्रा - Ezra | नहेम्याह - Nehemiah | एस्तेर - Esther | अय्यूब - Job | भजन संहिता - Psalms | नीतिवचन - Proverbs | सभोपदेशक - Ecclesiastes | श्रेष्ठगीत - Song of Songs | यशायाह - Isaiah | यिर्मयाह - Jeremiah | विलापगीत - Lamentations | यहेजकेल - Ezekiel | दानिय्येल - Daniel | होशे - Hosea | योएल - Joel | आमोस - Amos | ओबद्याह - Obadiah | योना - Jonah | मीका - Micah | नहूम - Nahum | हबक्कूक - Habakkuk | सपन्याह - Zephaniah | हाग्गै - Haggai | जकर्याह - Zechariah | मलाकी - Malachi | मत्ती - Matthew | मरकुस - Mark | लूका - Luke | यूहन्ना - John | प्रेरितों के काम - Acts | रोमियों - Romans | 1 कुरिन्थियों - 1 Corinthians | 2 कुरिन्थियों - 2 Corinthians | गलातियों - Galatians | इफिसियों - Ephesians | फिलिप्पियों - Philippians | कुलुस्सियों - Colossians | 1 थिस्सलुनीकियों - 1 Thessalonians | 2 थिस्सलुनीकियों - 2 Thessalonians | 1 तीमुथियुस - 1 Timothy | 2 तीमुथियुस - 2 Timothy | तीतुस - Titus | फिलेमोन - Philemon | इब्रानियों - Hebrews | याकूब - James | 1 पतरस - 1 Peter | 2 पतरस - 2 Peter | 1 यूहन्ना - 1 John | 2 यूहन्ना - 2 John | 3 यूहन्ना - 3 John | यहूदा - Jude | प्रकाशितवाक्य - Revelation |

Explore Parallel Bibles
21st Century KJV | A Conservative Version | American King James Version (1999) | American Standard Version (1901) | Amplified Bible (1965) | Apostles' Bible Complete (2004) | Bengali Bible | Bible in Basic English (1964) | Bishop's Bible | Complementary English Version (1995) | Coverdale Bible (1535) | Easy to Read Revised Version (2005) | English Jubilee 2000 Bible (2000) | English Lo Parishuddha Grandham | English Standard Version (2001) | Geneva Bible (1599) | Hebrew Names Version | Hindi Bible | Holman Christian Standard Bible (2004) | Holy Bible Revised Version (1885) | Kannada Bible | King James Version (1769) | Literal Translation of Holy Bible (2000) | Malayalam Bible | Modern King James Version (1962) | New American Bible | New American Standard Bible (1995) | New Century Version (1991) | New English Translation (2005) | New International Reader's Version (1998) | New International Version (1984) (US) | New International Version (UK) | New King James Version (1982) | New Life Version (1969) | New Living Translation (1996) | New Revised Standard Version (1989) | Restored Name KJV | Revised Standard Version (1952) | Revised Version (1881-1885) | Revised Webster Update (1995) | Rotherhams Emphasized Bible (1902) | Tamil Bible | Telugu Bible (BSI) | Telugu Bible (WBTC) | The Complete Jewish Bible (1998) | The Darby Bible (1890) | The Douay-Rheims American Bible (1899) | The Message Bible (2002) | The New Jerusalem Bible | The Webster Bible (1833) | Third Millennium Bible (1998) | Today's English Version (Good News Bible) (1992) | Today's New International Version (2005) | Tyndale Bible (1534) | Tyndale-Rogers-Coverdale-Cranmer Bible (1537) | Updated Bible (2006) | Voice In Wilderness (2006) | World English Bible | Wycliffe Bible (1395) | Young's Literal Translation (1898) | Hindi Reference Bible |