Matthew - मत्ती 12 | View All

1. उस समय यीशु सब्त के दिन खेतों में से होकर जा रहा था, और उसके चेलों को भूख लगी, सो वे बालें तोड़ तोड़कर खाने लगे।
व्यवस्थाविवरण 23:24-25

1. At that time, Jesus went on the Sabbath day through the corn; and His disciples were hungry and began to pluck the ears of corn and to eat.

2. फरीसियों ने यह देखकर उस से कहा, देख तेरे चेले वह काम कर रहे हैं, जो सब्त के दिन करना उचित नहीं।
निर्गमन 20:10, व्यवस्थाविवरण 5:14

2. But when the Pharisees saw it, they said unto Him, 'Behold, thy disciples do that which is not lawful to do upon the Sabbath day.'

3. उस ने उन से कहा; क्या तुम ने नहीं पढ़ा, कि दाऊद ने, जब वह और उसके साथी भूखे हुए तो क्या किया?

3. But He said unto them, 'Have ye not read what David did when he hungered and they that were with him:

4. वह क्योंकर परमेश्वर के घर में गया, और भेंट की रोटियां खाईं, जिन्हें खाना न तो उसे और उसके साथियों को, पर केवल याजकों को उचित था?
लैव्यव्यवस्था 24:5-9, 1 शमूएल 21:6

4. how he entered into the house of God and ate the showbread, which was not lawful for him to eat, neither for those who were with him, but only for the priests?

5. या तुम ने व्यवस्था में नहीं पढ़ा, कि याजक सब्त के दिन मन्दिर में सब्त के दिन के विधि को तोड़ने पर भी निर्दोष ठहरते हैं।
गिनती 28:9-10

5. Or have ye not read in the law how on the Sabbath days the priests in the temple profane the Sabbath and are blameless?

6. पर मैं तुम से कहता हूं, कि यहां वह है, जो मन्दिर से भी बड़ा है।
यशायाह 63:1

6. But I say unto you, that in this place is One greater than the temple.

7. यदि तुम इस का अर्थ जानते कि मैं दया से प्रसन्न हूं, बलिदान से नहीं, तो तुम निर्दोष को दोषी न ठहराते।
होशे 6:6

7. But if ye had known what this meaneth, `I will have mercy and not sacrifice,' ye would not have condemned the guiltless.

8. मनुष्य का पुत्रा तो सब्त के दिन का भी प्रभु है।।
उत्पत्ति 2:3

8. For the Son of Man is Lord even of the Sabbath day.'

9. वहां से चलकर वह उन की सभा के घर में आया।

9. And when He had departed thence, He went into their synagogue.

10. और देखो, एक मनुष्य था, जिस का हाथ सूखा हुआ था; और उन्हों ने उस पर दोष लगाने के लिेय उस से पूछा, कि क्या सब्त के दिन चंगा करना उचित है?

10. And behold, there was a man who had his hand withered. And they asked Him, saying, 'Is it lawful to heal on the Sabbath days?' -- that they might accuse Him.

11. उस ने उन से कहा; तुम में ऐसा कौन है, जिस की एक भेड़ हो, और वह सब्त के दिन गड़हे में गिर जाए, तो वह उसे पकड़कर न निकाले?

11. And He said unto them, 'What man shall there be among you that shall have one sheep, and if it fall into a pit on the Sabbath day, will not lay hold on it and lift it out?

12. भला, मनुष्य का मूल्य भेड़ से कितना बढ़ कर है; इसलिये सब्त के दिन भलाई करना उचित है: तब उस ने उस मनुष्य से कहा, अपना हाथ बढ़ा।

12. How much then is a man better than a sheep? Therefore it is lawful to do well on the Sabbath days.'

13. उस ने बढ़ाया, और वह फिर दूसरे हाथ की नाई अच्छा हो गया।

13. Then He said to the man, 'Stretch forth thine hand.' And he stretched it forth, and it was restored whole like the other.

14. तब फरीसियों ने बाहर जाकर उसके विरोध में सम्मति की, कि उसे किस प्रकार नाश करें?

14. Then the Pharisees went out and held a council against Him, how they might destroy Him.

15. यह जानकर यीशु वहां से चला गया; और बहुत लागे उसके पीछे हो लिये; और उस ने सब को चंगा किया।

15. But when Jesus knew of it, He withdrew Himself from thence. And great multitudes followed Him, and He healed them all.

16. और उन्हें चिताया, कि मुझे प्रगट न करना।

16. And He charged them that they should not make Him known,

17. कि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो।

17. that it might be fulfilled which was spoken by Isaiah the prophet, saying,

18. कि देखो, यह मेरा सेवक है, जिसे मैं ने चुना है; मेरा प्रिय, जिस से मेरा मन प्रसन्न है: मैं अपना आत्मा उस पर डालूंगा; और वह अन्यजातियों को न्याय का समाचार देगा।
यशायाह 41:9, यशायाह 42:1-4

18. Behold My Servant whom I have chosen, My Beloved in whom My soul is well pleased: I will put My Spirit upon Him, and He shall show judgment to the Gentiles.

19. वह न झगड़ा करेगा, और न धूम मचाएगा; और न बाजारों में कोई उसका शब्द सुनेगा।

19. He shall not strive nor cry, neither shall any man hear His voice in the streets.

20. वह कुचले हुए सरकण्डे को न तोड़ेगा; और धूआं देती हुई बत्ती को न बुझाएगा, जब तक न्याय को प्रबल न कराए।

20. A bruised reed shall He not break, and smoking flax shall He not quench till He send forth judgment unto victory;

21. और अन्यजातियां उसके नाम पर आशा रखेंगी।

21. and in His name shall the Gentiles trust.'

22. तब लोग एक अन्धे- गूंगे को जिस में दुष्टात्मा थी, उसके पास लाए; और उस ने उसे अच्छा किया; और वह गूंगा बोलने और देखने लगा।

22. Then was brought unto Him one possessed with a devil, blind and dumb; and He healed him, so that the blind and dumb both spoke and saw.

23. इस पर सब लोग चकित होकर कहने लगे, यह क्या दाऊद की सन्तान का है?

23. And all the people were amazed and said, 'Is not this the Son of David?'

24. परन्तु फरीसियों ने यह सुनकर कहा, यह तो दुष्टात्माओं के सरदार शैतान की सहायता के बिना दुष्टात्माओं को नहीं निकालता।

24. But when the Pharisees heard it, they said, 'This fellow doth not cast out devils, except by Beelzebub, the prince of devils.'

25. उस ने उन के मन की बात जानकर उन से कहा; जिस किसी राज्य में फूट होती है, वह उजड़ जाता है, और कोई नगर या घराना जिस में फूट होती है, बना न रहेगा।
1 शमूएल 16:7

25. And Jesus knew their thoughts and said unto them, 'Every kingdom divided against itself is brought to desolation, and every city or house divided against itself shall not stand.

26. और यदि शैतान ही शैतान को निकाले, तो वह अपना ही विरोधी हो गया है; फिर उसका राज्य क्योंकर बना रहेगा?

26. And if Satan cast out Satan, he is divided against himself; how then shall his kingdom stand?

27. भला, यदि मैं शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूं, तो तुम्हारे वंश किस की सहायता से निकालते हैं? इसलिये वे ही तुम्हारा न्याय चुकाएंगे।

27. And if I by Beelzebub cast out devils, by whom do your children cast them out? Therefore they shall be your judges.

28. पर यदि मैं परमेश्वर के आत्मा की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूं, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुंचा है।

28. But if I cast out devils by the Spirit of God, then the Kingdom of God is come unto you.

29. या क्योंकर कोई मनुष्य किसी बलवन्त के घर में घुसकर उसका माल लूट सकता है जब तक कि पहिले उस बलवन्त को न बान्ध ले? और तब वह उसका घर लूट लेगा।
यशायाह 49:24

29. Or else how can one enter into a strong man's house and despoil his goods, unless he first bind the strong man? And then he will despoil his house.

30. जो मेरे साथ नहीं, वह मेरे विरोध में है; और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिथराता है।

30. He that is not with Me is against Me, and he that gathereth not with Me scattereth abroad.

31. इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि मनुष्य का सब प्रकार का पाप और निन्दा क्षमा की जाएगी, पर आत्मा की निन्दा क्षमा न की जाएगी।

31. Therefore I say unto you, all manner of sin and blasphemy shall be forgiven unto men, but the blasphemy against the Holy Ghost shall not be forgiven unto men.

32. जो कोई मनुष्य के पुत्रा के विरोध में कोई बात कहेगा, उसका यह अपराध क्षमा किया जाएगा, परन्तु जो कोई पवित्राआत्मा के विरोध में कुछ कहेगा, उसका अपराध न तो इस लोक में और न परलोक में क्षमा किया जाएगा।

32. And whosoever speaketh a word against the Son of Man, it shall be forgiven him; but whosoever speaketh against the Holy Ghost, it shall not be forgiven him, neither in this world, neither in the world to come.

33. यदि पेड़ को अच्छा कहो, तो उसके फल को भी अच्छा कहो; या पेड़ को निकम्मा कहो; क्योंकि पेड़ फल ही से पहचाना जाता है।

33. Either make the tree good and his fruit good, or else make the tree corrupt and his fruit corrupt; for the tree is known by his fruit.

34. हे सांप के बच्चों, तुम बुरे होकर क्योंकर अच्छी बातें कह सकते हो? क्योंकि जो मन में भरा है, वही मुंह पर आता है।

34. O generation of vipers, how can ye, being evil, speak good things? For out of the abundance of the heart the mouth speaketh.

35. भला, मनुष्य मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है; और बुरा मनुष्य बुरे भण्डार से बुरी बातें निकालता है।

35. A good man out of the good treasure of the heart bringeth forth good things; and an evil man out of the evil treasure bringeth forth evil things.

36. और मै तुम से कहता हूं, कि जो जो निकम्मी बातें मनुष्य कहेंगे, न्याय के दिन हर एक बात का लेखा देंगे।

36. But I say unto you that every idle word that men shall speak, they shall give account thereof in the Day of Judgment.

37. क्योंकि तू अपनी बातों के कारण निर्दोष और अपनी बातों ही के कारण दोषी ठहराया जाएगा।।

37. For by thy words thou shalt be justified, and by thy words thou shalt be condemned.'

38. इस पर कितने शास्त्रियों और फरीसियों ने उस से कहा, हे गुरू, हम तुझ से एक चिन्ह देखना चाहते हैं।

38. Then certain of the scribes and of the Pharisees answered, saying, 'Master, we would see a sign from thee.'

39. उस ने उन्हें उत्तर दिया, कि इस युग के बुरे और व्यभिचारी लोग चिन्ह ढूंढ़ते हैं; परन्तु यूनुस भविष्यद्वक्ता के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उन को न दिया जाएगा।

39. But He answered and said unto them, 'An evil and adulterous generation seeketh after a sign, and there shall no sign be given to it, but the sign of the prophet Jonah.

40. यूनुस तीन राज दिन जल जन्तु के पेट में रहा, वैसे ही मनुष्य का पुत्रा तीन रात दिन पृथ्वी के भीतर रहेगा।
योना 1:17

40. For as Jonah was three days and three nights in the whale's belly, so shall the Son of Man be three days and three nights in the heart of the earth.

41. नीनवे के लोग न्याय के दिन इस युग के लोगों के साथ उठकर उन्हें दोषी ठहराएंगे, क्योंकि उन्हों ने यूनुस का प्रचार सुनकर, मन फिराया और देखो, यहां वह है जो यूनुस से बड़ा है।
योना 3:5, योना 3:8

41. The men of Nineveh shall rise in the Judgment with this generation and shall condemn it, because they repented at the preaching of Jonah; and behold, a greater than Jonah is here.

42. दक्खिन की रानी न्याय के दिन इस युग के लोगों के साथ उठकर उन्हें दोषी ठहराएगी, क्योंकि वह सुलैमान का ज्ञान सुनने के लिये पृथ्वी की छोर से आई, और देखो, यहां वह है जो सुलैमान से भी बड़ा है।
1 राजाओं 20:1-10, 2 इतिहास 9:1-12

42. The queen of the south shall rise up in the Judgment with this generation and shall condemn it, for she came from the uttermost parts of the earth to hear the wisdom of Solomon; and behold, a greater than Solomon is here.

43. जब अशुद्ध आत्मा मनुष्य में से निकल जाती है, तो सूखी जगहों में विश्राम ढूंढ़ती फिरती है, और पाती नहीं।

43. When the unclean spirit is gone out of a man, he walketh through dry places, seeking rest, and findeth none.

44. तब कहती है, कि मैं अपने उसी घर में जहां से निकली थी, लौट जाऊंगी, और आकर उसे सूना, झाड़ा- बुहारा और सजा सजाया पाती है।

44. Then he saith, `I will return into my house from whence I came out.' And when he is come, he findeth it empty, swept, and garnished.

45. तब वह जाकर अपने से और बुरी सात आत्माओं को अपने साथ ले आती है, और वे उस में पैठकर वहां वास करती है, और उस मनुष्य की पिछली दशा पहिले से भी बुरी हो जाती है; इस युग के बुरे लोगों की दशा भी ऐसी ही होगी।

45. Then goeth he, and taketh with himself seven other spirits more wicked than himself, and they enter in and dwell there; and the last state of that man is worse than the first. Even so shall it be also unto this wicked generation.'

46. जब वह भीड़ से बातें कर ही रहा था, तो देखो, उस की माता और भाई बाहर खड़े थे, और उस से बातें करना चाहते थे।

46. While He yet talked to the people, behold, His mother and His brethren stood outside, desiring to speak with Him.

47. किसी ने उस से कहा; देख तेरी माता और तेरे भाई बाहर खड़े हैं, और तुझ से बातें करना चाहते हैं।

47. Then one said unto Him, 'Behold, thy mother and thy brethren stand outside, desiring to speak with thee.'

48. यह सुन उस ने कहनेवाले को उत्तर दिया; कौन है मेरी माता?

48. But He answered and said unto him that told Him, 'Who is My mother? And who are My brethren?'

49. और कौन है मेरे भाई? और अपने चेलों की ओर अपना हाथ बढ़ा कर कहा; देखो, मेरी माता और मेरे भाई ये हैं।

49. And He stretched forth His hand toward His disciples and said, 'Behold, My mother and My brethren!

50. क्योंकि जो कोई मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चले, वही मेरा भाई और बहिन और माता है।।

50. For whosoever shall do the will of My Father who is in Heaven, the same is My brother, and sister, and mother.'



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