Leviticus - लैव्यव्यवस्था 13 | View All

1. फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,

1. আর সদাপ্রভু মোশি ও হারোণকে কহিলেন,

2. जब किसी मनुष्य के शरीर के चर्म में सूजन वा पपड़ी वा फूल हो, और इस से उसके चर्म में कोढ़ की व्याधि सा कुछ देख पड़े, तो उसे हारून याजक के पास या उसके पुत्रा जो याजक हैं उन में से किसी के पास ले जाएं।

2. যদি কোন মনুষ্যের শরীরের চর্ম্মে শোথ কিম্বা পামা কিম্বা চিক্কণ চিহ্ন হয়, আর তাহা শারীরের চর্ম্মে কুষ্ঠরোগের ঘায়ের ন্যায় হয়, তবে সে হারোণ যাজকের নিকটে কিম্বা তাহার পুত্র যাজকগণের মধ্যে কাহারও নিকটে আনীত হইবে।

3. जब याजक उसके चर्म की व्याधि को देखे, और यदि उस व्याधि के स्थान के रोएं उजले हो गए हों और व्याधि चर्म से गहरी देख पड़े, तो वह जान ले कि कोढ़ की व्याधि है; और याजक उस मनुष्य को देखकर उसको अशुद्ध ठहराए।

3. পরে যাজক তাহার শারীরের চর্ম্মস্থিত ঘা দেখিবে; যদি ঘায়ের লোম শুক্লবর্ণ হইয়া থাকে, এবং ঘা যদি দেখিতে শরীরের চর্ম্মপেক্ষা নিম্ন বোধ হয়, তবে তাহা কুষ্ঠরোগের ঘা, তাহা দেখিয়া যাজক তাহাকে অশুচি বলিবে।

4. और यदि वह फूल उसके चर्म में उजला तो हो, परन्तु चर्म से गहरा न देख पड़े, और न वहां के रोएं उजले हो गए हों, तो याजक उनको सात दिन तक बन्दकर रखे;

4. আর চিক্কণ চিহ্ন যদি তাহার শরীরের চর্ম্মে শুক্লবর্ণ হয়, কিন্তু দেখিতে চর্ম্মাপেক্ষা নিম্ন না হয়, এবং তাহার লোম শুক্লবর্ণ না হইয়া থাকে, তবে যাহার ঘা হইয়াছে, যাজক তাহাকে সাত দিন রুদ্ধ করিয়া রাখিবে।

5. और सातवें दिन याजक उसको देखे, और यदि वह व्याधि जैसी की तैसी बनी रहे और उसके चर्म में न फैली हो, तो याजक उसको और भी सात दिन तक बन्दकर रखे;

5. পরে সপ্তম দিবসে যাজক তাহাকে দেখিবে; আর দেখ, যদি তাহার দৃষ্টিতে ঘা সেইরূপ থাকে, চর্ম্মে ঘা ব্যাপিয়া না থাকে, তবে যাজক তাহাকে আরও সাত দিন রুদ্ধ করিয়া রাখিবে।

6. और सातवें दिन याजक उसको फिर देखे, और यदि देख पड़े कि व्याधि की चमक कम है और व्याधि चर्म पर फैली न हो, तो याजक उसको शुद्ध ठहराए; क्योंकि उसके तो चर्म में पपड़ी है; और वह अपने वस्त्रा धोकर शुद्ध हो जाए।

6. আর সপ্তম দিনে যাজক তাহাকে পুনর্ব্বার দেখিবে; আর দেখ, যদি সেই ঘা মলিন হইয়া থাকে, ও চর্ম্মে ব্যাপিয়া না থাকে, তবে যাজক তাহাকে শুচি বলিবে; সে পামা; পরে সে আপন বস্ত্র ধৌত করিয়া শুচি হইবে।

7. और यदि याजक की उस जांच के पश्चात् जिस में वह शुद्ध ठहराया गया था, वह पपड़ी उसके चर्म पर बहुत फैल जाए, तो वह फिर याजक को दिखाया जाए;

7. কিন্তু তাহার শৌচার্থে যাজককে দেখান হইলে পর যদি তাহার পামা চর্ম্মে ব্যাপিয়া থাকে, তবে আবার যাজককে দেখাইতে হইবে।

8. और यदि याजक को देख पड़े कि पपड़ी चर्म में फैल गई है, तो वह उसको अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ ही है।।

8. তাহাতে যাজক দেখিবে, আর দেখ, যদি তাহার পামা চর্ম্মে ব্যাপিয়া থাকে, তবে যাজক তাহাকে অশুচি বলিবে তাহা কুষ্ঠরোগ।

9. यदि कोढ़ की सी व्याधि किसी मनुष्य के हो, तो वह याजक के पास पहुचाया जाए;

9. কোন মনুষ্যে কুষ্ঠরোগের ঘা হইলে সে যাজকের নিকটে আনীত হইবে।

10. और याजक उसको देखे, और यदि वह सूजन उसके चर्म में उजली हो, और उसके कारण रोएं भी उजले हो गए हों, और उस सूजन में बिना चर्म का मांस हो,

10. পরে যাজক দেখিবে; যদি তাহার চর্ম্মে শুক্লবর্ণ শোথ থাকে, এবং তাহার লোম শুক্লবর্ণ হইয়া থাকে, ও শোথে কাঁচা মাংস থাকে,

11. तो याजक जाने कि उसके चर्म में पुराना कोढ़ है, इसलिये वह उसको अशुद्ध ठहराए; और बन्द न रखे, क्योंकि वह तो अशुद्ध है।

11. তবে তাহা তাহার শরীরের চর্ম্মে পুরাতন কুষ্ঠ, আর যাজক তাহাকে অশুচি কহিবে; রুদ্ধ করিবে না; কেননা সে অশুচি।

12. और यदि कोढ़ किसी के चर्म में फूटकर यहां तक फैल जाए, कि जहां कहीं याजक देखें व्याधित के सिर से पैर के तलवे तक कोढ़ ने सारे चर्म को छा लिया हो,

12. আর চর্ম্মের সর্ব্বত্র কুষ্ঠরোগ ব্যাপিলে যদি যাজকের দৃষ্টিগোচরে ঘা বিশিষ্ট ব্যক্তির মস্তকাবধি পাদ পর্য্যন্ত সমস্ত চর্ম্ম কুষ্ঠরোগে আচ্ছন্ন হইয়া থাকে,

13. जो याजक ध्यान से देखे, और यदि कोढ़ ने उसके सारे शरीर को छा लिया हो, तो वह उस व्याधित को शुद्ध ठहराए; और उसका शरीर जो बिलकुल उजला हो गया है वह शुद्ध ही ठहरे।

13. তবে যাজক তাহা দেখিবে; আর দেখ, যদি তাহার সর্ব্বাঙ্গ কুষ্ঠরোগে আচ্ছন্ন হইয়া থাকে, তবে সে, যাহার ঘা হইয়াছে, তাহাকে শুচি কহিবে; তাহার সর্ব্বাঙ্গই শুক্ল হইল, সে শুচি।

14. पर जब उस में चर्महीन मांस देख पड़े, तब तो वह अशुद्ध ठहरे।

14. কিন্তু যখন তাহার শরীরে কাঁচা মাংস প্রকাশ পায়, তখন সে অশুচি হইবে।

15. और याजक चर्महीन मांस को देखकर उसको अशुद्ध ठहराए; कयोंकि वैसा चर्महीन मांस अशुद्ध ही होता है; वह कोढ़ है।

15. যাজক তাহার কাঁচা মাংস দেখিয়া তাহাকে অশুচি কহিবে; সেই কাঁচা মাংস অশুচি; তাহা কুষ্ঠ।

16. पर यदि वह चर्महीन मांस फिर उजला हो जाए, तो वह मनुष्य याजक के पास जाए,

16. আর সে কাঁচা মাংস যদি পুনর্ব্বার শ্বেতবর্ণ হয়, তবে সে যাজকের কাছে যাইবে, আর যাজক তাহাকে দেখিবে;

17. और याजक उसको देखे, और यदि वह व्याधि फिर से उजली हो गई हो, तो याजक व्याधित को शुद्ध जाने; वह शुद्ध है।।

17. আর দেখ, যদি তাহার ঘা শ্বেতবর্ণ হইয়া থাকে, তবে যাজক, যাহার ঘা হইয়াছে, তাহাকে শুচি বলিবে; সে শুচি।

18. फिर यदि किसी के चर्म में फोड़ा होकर चंगा हो गया हो,

18. আর শরীরের চর্ম্মে স্ফোটক হইয়া ভাল হইলে পর,

19. और फोड़े के स्थान में उजली सी सूजन वा लाली लिये हुए उजला फूल हो, तो वह याजक को दिखाया जाए।

19. যদি সেই স্ফোটকের স্থানে শ্বেতবর্ণ শোথ কিম্বা শ্বেত ও ঈষৎ রক্তবর্ণ চিক্কণ চিহ্ন হয়, তবে যাজকের নিকটে তাহা দেখাইতে হইবে।

20. और याजक उस सूजन को देखे, और यदि वह चर्म से गहिरा देख पड़े, और उसके रोएं भी उजले हो गए हों, तो याजक यह जानकर उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ की व्याधि है जो फोड़े में से फूटकर निकली है।

20. আর যাজক তাহা দেখিবে, আর দেখ, যদি তাহার দৃষ্টিতে তাহা চর্ম্মাপেক্ষা নিম্ন বোধ হয়, ও তাহার লোম শ্বেতবর্ণ হইয়া থাকে, তবে, যাজক তাহাকে অশুচি বলিবে; তাহা স্ফোটকে উৎপন্ন কুষ্ঠরোগের ঘা।

21. और यदि याजक देखे कि उस में उजले रोएं नहीं हैं, और वह चर्म से गहिरी नहीं, और उसकी चमक कम हुई है, तो याजक उस मनुष्य को सात दिन तक बन्द कर रखे।

21. কিন্তু যদি যাজক তাহাকে শ্বেতবর্ণ লোম না দেখে, এবং তাহা চর্ম্মাপেক্ষা নিম্ন বোধ না হয়, ও মলিন হয়, তবে যাজক তাহাকে সাত দিন রুদ্ধ করিয়া রাখিবে।

22. और यदि वह व्याधि उस समय तक चर्म में सचमुच फैल जाए, तो याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ की व्याधि है।

22. পরে তাহা যদি চর্ম্মে ব্যাপে, তবে যাজক তাহাকে অশুচি বলিবে; উহা ঘা।

23. परन्तु यदि वह फूल न फैले और अपने स्थान ही पर बना रहे, तो वह फोड़े को दाग है; याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए।।

23. কিন্তু যদি চিক্কণ চিহ্ন স্বস্থানে থাকে, ও না বাড়ে, তবে তাহা স্ফোটকের দাগ; যাজক তাহাকে শুচি বলিবে।

24. फिर यदि किसी के चर्म में जलने का घाव हो, और उस जलने के घाव में चर्महीन फूल लाली लिये हुए उजला वा उजला ही हो जाए,

24. আর যদি শরীরের চর্ম্মে অগ্নিদাহ হয়, ও সেই দাহের কাঁচা স্থানে ঈষৎ রক্তমিশ্রিত শ্বেতবর্ণ কিম্বা কেবল শ্বেতবর্ণ চিক্কণ চিহ্ন হয়, তবে যাজক তাহা দেখিবে;

25. तो याजक उसको देखे, और यदि उस फूल में के रोएं उजले हो गए हों और वह चर्म से गहिरा देख पड़े, तो वह कोढ़ है; जो उस जलने के दाग में से फूट निकला है; याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि उस में कोढ़ की व्याधि है।

25. আর দেখ, চিক্কণ চিহ্নে স্থিত লোম যদি শ্বেতবর্ণ হয়, ও দেখিতে চর্ম্মাপেক্ষা নিম্ন বোধ হয়, তবে তাহা অগিদাহে উৎপন্ন কুষ্ঠরোগ; অতএব যাজক তাহাকে অশুচি বলিবে, তাহা কুষ্ঠরোগের ঘা।

26. और यदि याजक देखे, कि फूल में उजले रोएं नहीं और न वह चर्म से कुछ गहिरा है, और उसकी चमक कम हुई है, तो वह उसको सात दिन तक बन्द कर रखे,

26. কিন্তু যদি যাজক দেখে, চিক্কণ চিহ্নে স্থিত লোম শ্বেতবর্ণ নয়, ও চিহ্ন চর্ম্মাপেক্ষা নিম্ন নয়, কিন্তু মলিন, তবে যাজক তাহাকে সাত দিন রুদ্ধ করিয়া রাখিবে।

27. और सातवें दिन याजक उसको देखे, और यदि वह चर्म में फैल गई हो, तो वह उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि उसको कोढ़ की व्याधि है।

27. পরে সপ্তম দিনে যাজক তাহাকে দেখিবে; যদি চর্ম্মে ঐ রোগ ব্যাপিয়া থাকে, তবে যাজক তাহাকে অশুচি বলিবে; তাহা কুষ্ঠরোগের ঘা।

28. परन्तु यदि वह फूल चर्म में नहीं फैला और अपने स्थान ही पर जहां का तहां ही बना हो, और उसकी चमक कम हुई हो, तो वह जल जाने के कारण सूजा हुआ है, याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए; क्योंकि वह दाग जल जाने के कारण से है।।

28. আর যদি চিক্কণ চিহ্ন স্বস্থানে থাকে, চর্ম্মে বৃদ্ধি না পায়, কিন্তু মলিন হয়, তবে তাহা দগ্ধ স্থানের শোথ; যাজক তাহাকে শুচি বলিবে, কেননা তাহা অগ্নিকৃত ক্ষতের চিহ্ন।

29. फिर यदि किसी पुरूष वा स्त्री के सिर पर, वा पुरूष की डाढ़ी में व्याधि हो,

29. আর পুরুষের কিম্বা স্ত্রীর মস্তকে বা দাড়িতে ঘা হইলে যাজক সেই ঘা দেখিবে;

30. तो याजक व्याधि को देखे, और यदि वह चर्म से गहिरी देख पड़े, और उस में भूरे भूरे पतले बाल हों, तो याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; वह व्याधि सेंहुआं, अर्थात् सिर वा डाढ़ी का कोढ़ है।

30. আর দেখ, যদি তাহা দেখিতে চর্ম্মাপেক্ষা নিম্ন বোধ হয়, ও হরিদ্রাবর্ণ সূক্ষ্ম লোম থাকে, তবে যাজক তাহাকে অশুচি বলিবে; উহা ছুলি, উহা মস্তকের বা দাড়ির কুষ্ঠ।

31. और यदि याजक सेंहुएं की व्याधि को देखे, कि वह चर्म से गहिरी नहीं है और उस में काले काले बाल नहीं हैं, तो वह सेंहुएं के व्याधित को सात दिन तक बन्द कर रखे,

31. আর যাজক যদি ছুলির ঘা দেখে, আর দেখ, তাহার দৃষ্টিতে তাহা চর্ম্মাপেক্ষা নিম্ন না হয়, ও তাহাতে কৃষ্ণবর্ণ লোম নাই, তবে যাজক সেই ছুলির ঘা বিশিষ্ট ব্যক্তিকে সাত দিন রুদ্ধ করিয়া রাখিবে।

32. और सातवें दिन याजक व्याधि को देखे, तब यदि वह सेंहुआं फैला न हो, और उस में भूरे भूरे बाल न हों, और सेंहुआं चर्म से गहिरा न देख पड़े,

32. পরে সপ্তম দিনে যাজক ঘা দেখিবে; আর দেখ, যদি সেই ছুলি বাড়িয়া না থাকে, ও তাহাতে হরিদ্রাবর্ণ লোম না হইয়া থাকে, এবং দেখিতে চর্ম্মাপেক্ষা ছুলি নিম্ন বোধ না হয়,

33. तो यह मनुष्य मूंड़ा जाए, परन्तु जहां सेंहुआं हो वहां न मूंड़ा जाए; और याजक उस सेंहुएंवाले को और भी सात दिन तक बन्द करे;

33. তবে সে মুণ্ডিত হইবে, কিন্তু ছুলির স্থান মুণ্ডন করা যাইবে না; পরে যাজক ঐ ছুলি বিশিষ্ট ব্যক্তিকে আর সাত দিন রুদ্ধ করিয়া রাখিবে।

34. और सातवें दिन याजक सेहुएं को देखे, और यदि वह सेंहुआं चर्म में फैला न हो और चर्म से गहिरा न देख पड़े, तो याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए; और वह अपने वस्त्रा धोके शुद्ध ठहरे।

34. আর সপ্তম দিনে যাজক সেই ছুলি দেখিবে; আর দেখ, যদি সেই ছুলি চর্ম্মে বাড়িয়া না থাকে, ও দেখিতে চর্ম্মাপেক্ষা নিম্ন না হইয়া থাকে, তবে যাজক তাহাকে শুচি বলিবে; পরে সে আপন বস্ত্র ধৌত করিয়া শুচি হইবে।

35. और यदि उसके शुद्ध ठहरने के पश्चात् सेंहुआं चर्म में कुछ भी फैले,

35. আর শুচি হইলে পর যদি তাহার চর্ম্মে সেই ছুলি ব্যাপিয়া যায়, তবে যাজক তাহাকে দেখিবে;

36. तो याजक उसको देखे, और यदि वह चर्म में फैला हो, तो याजक यह भूरे बाल न ढूंढ़े, क्योंकि मनुष्य अशुद्ध है।

36. আর দেখ, যদি তাহার চর্ম্মে ছুলি বৃদ্ধি পাইয়া থাকে, তবে যাজক হরিদ্রাবর্ণ লোমের অন্বেষণ করিবে না; সে অশুচি।

37. परन्तु यदि उसकी दृष्टि में वह सेंहुआं जैसे का तैसा बना हो, और उस में काले काले बाल जमे हों, तो वह जाने की सेंहुआं चंगा हो गया है, और वह मनुष्य शुद्ध है; याजक उसको शुद्ध ही ठहराए।।

37. কিন্তু তাহার দৃষ্টিতে যদি ছুলি না বাড়িয়া থাকে, ও তাহাতে কৃষ্ণবর্ণ লোম উঠিয়া থাকে, তবে সেই ছুলির উপশম হইয়াছে, সে শুচি; যাজক তাহাকে শুচি বলিবে।

38. फिर यदि किसी पुरूष वा स्त्री के चर्म में उजले फूल हों,

38. আর যদি কোন পুরুষের কিম্বা স্ত্রীর শরীরের চর্ম্মে স্থানে স্থানে চিক্কণ চিহ্ন অর্থাৎ শ্বেতবর্ণ চিক্কণ চিহ্ন হয়, তবে যাজক তাহা দেখিবে;

39. तो याजक देखे, और यदि उसके चर्म में वे फूल कम उजले हों, तो वह जाने कि उसको चर्म में निकली हुई चाईं ही है; वह मनुष्य शुद्ध ठहरे।।

39. আর দেখ, যদি তাহার চর্ম্মনির্গত চিক্কণ চিহ্ন মলিন শ্বেতবর্ণ হয়, তবে তাহা চর্ম্মে উৎপন্ন নির্দ্দোষ স্ফোটক; সে শুচি।

40. फिर जिसके सिर के बाल झड़ गए हों, तो जानना कि वह चन्दुला तो है परन्तु शुद्ध है।

40. আর যে মনুষ্যের কেশ মস্তক হইতে খসিয়া পড়ে, সে নেড়া, সে শুচি।

41. और जिसके सिर के आगे के बाल झड़ गए हों, तो वह माथे का चन्दुला तो है परन्तु शुद्ध है।

41. আর যাহার কেশ মস্তকের প্রান্ত হইতে খসিয়া পড়ে, সে কপালে নেড়া, সে শুচি।

42. परन्तु यदि चन्दुले सिर पर वा चन्दुले माथे पर लाली लिये हुए उजली व्याधि हो, तो जानना कि वह उसके चन्दुले सिर पर वा चन्दुले माथे पर निकला हुआ कोढ़ है।

42. কিন্তু যদি নেড়া মাথায় কি নেড়া কপালে ঈষৎ রক্তমিশ্রিত শ্বেতবর্ণ ঘা হয়, তবে তাহা তাহার নেড়া মাথায় কিম্বা নেড়া কপালে উৎপন্ন কুষ্ঠ।

43. इसलिये याजक उसको देखे, और यदि व्याधि की सूजन उसके चन्दुले सिर वा चन्दुले माथे पर ऐसी लाली लिये हुए उजली हो जैसा चर्म के कोढ़ में होता है,

43. যাজক তাহাকে দেখিবে; আর দেখ, যদি শরীরের চর্ম্মস্থিত কুষ্ঠের ন্যায় নেড়া মাথায় কিম্বা নেড়া কপালে ঈষৎ রক্তমিশ্রিত শ্বেতবর্ণ ঘা হইয়া থাকে, তবে সে কুষ্ঠী, সে অশুচি;

44. तो वह मनुष्य कोढ़ी है और अशुद्ध है; और याजक उसको अवश्य अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह व्याधि उसके सिर पर है।।

44. যাজক তাহাকে অবশ্য অশুচি বলিবে; তাহার ঘা তাহার মস্তকে।

45. और जिस में वह व्याधि हो उस कोढ़ी के वस्त्रा फटे और सिर के बाल बिखरे रहें, और वह अपने ऊपरवाले होंठ को ढांपे हुए अशुद्ध, अशुद्ध पुकारा करे।

45. আর যে কুষ্ঠীর ঘা হইয়াছে, তাহার বস্ত্র চেরা যাইবে, ও তাহার মস্তক মুক্তকেশ থাকিবে, ও সে আপনার ওষ্ঠ বস্ত্র দ্বারা ঢাকিয়া ‘অশুচি, অশুচি’ এই শব্দ করিবে।

46. जितने दिन तक वह व्याधि उस में रहे उतने दिन तक वह तो अशुद्ध रहेगा; और वह अशुद्ध ठहरा रहे; इसलिये वह अकेला रहा करे, उसका निवास स्थान छावनी के बाहर हो।।
लूका 17:12

46. যত দিন তাহার গাত্রে থাকিবে, তত দিন সে অশুচি থাকিবে; সে অশুচি; সে একাকী বাস করিবে, শিবিরের বাহিরে তাহার বাসস্থান হইবে।

47. फिर जिस वस्त्रा में कोढ़ की व्याधि हो, चाहे वह वस्त्रा ऊन का हो चाहे सनी का,

47. আর লোমের বস্ত্রে কিম্বা মসীনার বস্ত্রে কুষ্ঠরোগের কলঙ্ক হয়,

48. वह व्याधि चाहे उस सनी वा ऊन के वस्त्रा के ताने में हो चाहे बाने में, वा वह व्याधि चमड़े में वा चमड़े की किसी वस्तु में हो,

48. লোমের কিম্বা মসীনার তানাতে বা পড়িয়ানেতে যদি হয়, কিম্বা চর্ম্মে কি চর্ম্মনির্ম্মিত কোন দ্রব্যে যদি হয়;

49. यदि वह व्याधि किसी वस्त्रा के चाहे ताने में चाहे बाने में, वा चमड़े में वा चमड़े की किसी वस्तु में हरी हो वा लाल सी हो, तो जानना कि वह कोढ़ की व्याधि है और वह याजक को दिखाई जाए।
मत्ती 8:4, मरकुस 1:44, लूका 5:14, लूका 17:14

49. এবং বস্ত্রে কিম্বা চর্ম্মে কিম্বা তানাতে বা পড়িয়ানেতে কিম্বা চর্ম্মনির্ম্মিত কোন দ্রব্যে যদি ঈষৎ শ্যামবর্ণ কিম্বা ঈষৎ লোহিতবর্ণ কলঙ্ক হয়, তবে তাহা কুষ্ঠরোগের কলঙ্ক; তাহা যাজককে দেখাইতে হইবে;

50. और याजक व्याधि को देखे, और व्याधिवाली वस्तु को सात दिन के लिये बन्द करे;

50. পরে যাজক ঐ কলঙ্ক দেখিয়া কলঙ্কযুক্ত বস্তু সাত দিন রুদ্ধ করিয়া রাখিবে।

51. और सातवें दिन वह उस व्याधि को देखे, और यदि वह वस्त्रा के चाहे ताने में चाहे बाने में, वा चमड़े में वा चमड़े की बनी हुई किसी वस्तु में फैल गई हो, तो जानना कि व्याधि गलित कोढ़ है, इसलिये वह वस्तु, चाहे कैसे ही काम में क्यों न आती हो, तौभी अशुद्ध ठहरेगी।

51. পরে সপ্তম দিনে যাজক ঐ কলঙ্ক দেখিবে, যদি বস্ত্রে কিম্বা তানাতে কিম্বা পড়িয়ানেতে কিম্বা চর্ম্মে কিম্বা চর্ম্মনির্ম্মিত দ্রব্যে সেই কলঙ্ক বাড়িয়া থাকে, তবে তাহা সংহারক কুষ্ঠ; তাহা অশুচি।

52. वह उस वस्त्रा को जिसके ताने वा बाने में वह व्याधि हो, चाहे वह ऊन का हो चाहे सनी का, वा चमड़े की वस्तु हो, उसको जला दे, वह व्याधि गलित कोढ़ की है; वह वस्तु आग में जलाई जाए।

52. অতএব বস্ত্র কিম্বা লোমকৃত কি মসীনাকৃত তানা বা পড়িয়ান কিম্বা চর্ম্মনির্ম্মিত দ্রব্য, যে কিছুতে সেই কলঙ্ক হয়, তাহা সে পোড়াইয়া দিবে; কারণ তাহা সংহারক কুষ্ঠ, তাহা অগ্নিতে পোড়াইয়া দিতে হইবে।

53. और यदि याजक देखे कि वह व्याधि उस वस्त्रा के ताने वा बाने में, वा चमड़े की उस वस्तु में नहीं फैली,

53. কিন্তু যাজক দেখিবে; আর দেখ, যদি সেই কলঙ্ক বস্ত্রে কিম্বা তানাতে বা পড়িয়ানেতে কিম্বা চর্ম্মের কোন দ্রব্যে বাড়িয়া না উঠে,

54. तो जिस वस्तु में व्याधि हो उसके धोने की आज्ञा दे, तक उसे और भी सात दिन तक बन्द कर रखे;

54. তবে যাজক সেই কলঙ্কবিশিষ্ট দ্রব্য ধৌত করিতে আজ্ঞা দিবে, এবং আর সাত দিন তাহা রুদ্ধ করিয়া রাখিবে।

55. और उसके धोने के बाद याजक उसको देखे, और यदि व्याधि का न तो रंग बदला हो, और न व्याधि फैली हो, तो जानना कि वह अशुद्ध है; उसे आग में जलाना, क्योंकि चाहे वह व्याधि भीतर चाहे ऊपरी हो तौभी वह खा जाने वाली व्याधि है।

55. ধৌত হইলে পর যাজক সেই কলঙ্ক দেখিবে; আর দেখ, সেই কলঙ্ক যদি অন্যবর্ণ না হইয়া থাকে ও সেই কলঙ্ক যদি বাড়িয়া না থাকে, তবে তাহা অশুচি, তুমি তাহা অগ্নিতে পোড়াইয়া দিবে; উহা ভিতরে কিম্বা বাহিরে উৎপন্ন ক্ষত।

56. और यदि याजक देखे, कि उसके धोने के पश्चात् व्याधि की चमक कम हो गई, तो वह उसको वस्त्रा के चाहे ताने चाहे बाने में से, वा चमड़े में से फाड़के निकाले;

56. কিন্তু যদি যাজক দেখে, আর দেখ, ধৌত করিবার পরে যাজকের দৃষ্টিতে যদি সেই কলঙ্ক মলিন হয়, তবে সে ঐ বস্ত্র হইতে কিম্বা চর্ম্ম হইতে কিম্বা তানা বা পড়িয়ান হইতে তাহা ছিঁড়িয়া ফেলিবে।

57. और यदि वह व्याधि तब भी उस वस्त्रा के ताने वा बाने में, वा चमड़े की उस वस्तु में देख पड़े, तो जानना कि वह फूट के निकली हुई व्याधि है; और जिस में वह व्याधि हो उसे आग में जलाना।

57. তথাপি যদি সেই বস্ত্রে কিম্বা তানাতে বা পড়িয়ানেতে কিম্বা চর্ম্মনির্ম্মিত কোন দ্রব্যে তাহা পুনরায় দৃষ্ট হয়, তবে তাহা ব্যাপক কুষ্ঠ; যাহাতে সেই কলঙ্ক থাকে, তাহা তুমি অগ্নিতে পোড়াইয়া দিবে।

58. और यदि उस वस्त्रा से जिसके ताने वा बाने में व्याधि हो, वा चमड़े की जो वस्तु हो उस से जब धोई जाए और व्याधि जाती रही, तो वह दूसरी बार धुल कर शुद्ध ठहरे।

58. আর যে বস্ত্র কিম্বা বস্ত্রের তানা বা পড়িয়ান কিম্বা চর্ম্মের যে কোন দ্রব্য ধৌত করিবে, তাহা হইতে যদি সেই কলঙ্ক দূর হয়, তবে দ্বিতীয় বার তাহা ধৌত করিবে; তাহাতে তাহা শুচি হইবে।

59. ऊन वा सनी के वस्त्रा में के ताने वा बाने में, वा चमड़े की किसी वस्तु में जो कोढ़ की व्याधि हो उसके शुद्ध और अशुद्ध ठहराने की यही व्यवस्था है।।

59. লোমের কিম্বা মসীনাকৃত বস্ত্রের কিম্বা তানার বা পডিয়ানের কিম্বা চর্ম্মনির্ম্মিত কোন পাত্রের শৌচাশৌচ কথন বিষয়ে কুষ্ঠ জন্য কলঙ্কের এই ব্যবস্থা।



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