Leviticus - लैव्यव्यवस्था 13 | View All

1. फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,

1. mariyu yehovaa moshe aharonulaku eelaagu selavicchenu.

2. जब किसी मनुष्य के शरीर के चर्म में सूजन वा पपड़ी वा फूल हो, और इस से उसके चर्म में कोढ़ की व्याधि सा कुछ देख पड़े, तो उसे हारून याजक के पास या उसके पुत्रा जो याजक हैं उन में से किसी के पास ले जाएं।

2. okani dhehacharmamandu vaapugaani pakku gaani niganigalaadu macchagaani yundi vaani dhehacharma mandu kushthupodavantidi kanabadina yedala yaajakudaina aharonu noddhakainanu yaaja kulaina athani kumaarulalo okaniyoddhakainanu vaani theesikoni raavalenu.

3. जब याजक उसके चर्म की व्याधि को देखे, और यदि उस व्याधि के स्थान के रोएं उजले हो गए हों और व्याधि चर्म से गहरी देख पड़े, तो वह जान ले कि कोढ़ की व्याधि है; और याजक उस मनुष्य को देखकर उसको अशुद्ध ठहराए।

3. aa yaajakudu vaani dhehacharmamandunna aa podanu choodagaa aa poda yandali vendrukalu tellabaarinayedalanu, aa poda athani dhehacharmamu kante pallamugaa kanabadinayedalanu adhi kushthu poda. Yaajakudu vaani chuchi apavitrudani nirnayimpavalenu.

4. और यदि वह फूल उसके चर्म में उजला तो हो, परन्तु चर्म से गहरा न देख पड़े, और न वहां के रोएं उजले हो गए हों, तो याजक उनको सात दिन तक बन्दकर रखे;

4. niganigalaadu maccha charmamula kante pallamukaaka vaani dhehacharmamandu tellagaa kanabadinayedalanu, daani vendrukalu tellabaarakunna yedalanu aa yaajakudu edu dinamulu aa podagalavaanini kadagaa unchavalenu.

5. और सातवें दिन याजक उसको देखे, और यदि वह व्याधि जैसी की तैसी बनी रहे और उसके चर्म में न फैली हो, तो याजक उसको और भी सात दिन तक बन्दकर रखे;

5. edava naadu yaajakudu vaanini choodavalenu. aa poda charmamandu vyaapimpaka atle undinayedala, yaajakudu mari yedu dinamulu vaani kadagaa unchavalenu.

6. और सातवें दिन याजक उसको फिर देखे, और यदि देख पड़े कि व्याधि की चमक कम है और व्याधि चर्म पर फैली न हो, तो याजक उसको शुद्ध ठहराए; क्योंकि उसके तो चर्म में पपड़ी है; और वह अपने वस्त्रा धोकर शुद्ध हो जाए।

6. edavanaadu yaajakudu rendavasaari vaani choodavalenu. Appudu aa poda charmamandu vyaapimpaka adhe theeruna undinayedala yaajakudu vaanini pavitrudani nirnayimpavalenu; adhi pakke, vaadu thana battalu udukukoni pavitrudagunu.

7. और यदि याजक की उस जांच के पश्चात् जिस में वह शुद्ध ठहराया गया था, वह पपड़ी उसके चर्म पर बहुत फैल जाए, तो वह फिर याजक को दिखाया जाए;

7. ayithe vaadu thana shuddhivishayamu yaajakuniki kanabadina tharuvaatha aa pakku charmamandu visthaaramugaa vyaapinchina yedala vaadu rendavasaari yaajakuniki kanabadavalenu.

8. और यदि याजक को देख पड़े कि पपड़ी चर्म में फैल गई है, तो वह उसको अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ ही है।।

8. appudu aa pakku charmamandu vyaapinchinayedala yaaja kudu vaadu apavitrudani nirnayimpavalenu.

9. यदि कोढ़ की सी व्याधि किसी मनुष्य के हो, तो वह याजक के पास पहुचाया जाए;

9. kushthupoda yokaniki kaliginayedala yaajakuni yoddhaku vaanini theesikoniraavalenu.

10. और याजक उसको देखे, और यदि वह सूजन उसके चर्म में उजली हो, और उसके कारण रोएं भी उजले हो गए हों, और उस सूजन में बिना चर्म का मांस हो,

10. yaajakudu vaani choodagaa tellani vaapu charmamandu kanabadinayedalanu, adhi vendruka lanu tellabaarinayedalanu, vaapulo pachi maansamu kana badinayedalanu,

11. तो याजक जाने कि उसके चर्म में पुराना कोढ़ है, इसलिये वह उसको अशुद्ध ठहराए; और बन्द न रखे, क्योंकि वह तो अशुद्ध है।

11. adhi vaani dhehacharmamandu paathadaina kushthamu ganuka yaajakudu vaadu apavitrudani nirna yimpavalenu, vaanini kadagaa unchakoodadu; vaadu apa vitrudu.

12. और यदि कोढ़ किसी के चर्म में फूटकर यहां तक फैल जाए, कि जहां कहीं याजक देखें व्याधित के सिर से पैर के तलवे तक कोढ़ ने सारे चर्म को छा लिया हो,

12. kushthamu charmamandu visthaaramugaa puttinappudu yaajakudu chuchinanthavaraku aa podagalavaani thalamodalu koni paadamulavaraku kushthamu vaani charmamanthayu vyaapinchi yundinayedala

13. जो याजक ध्यान से देखे, और यदि कोढ़ ने उसके सारे शरीर को छा लिया हो, तो वह उस व्याधित को शुद्ध ठहराए; और उसका शरीर जो बिलकुल उजला हो गया है वह शुद्ध ही ठहरे।

13. yaajakudu vaanini choodavalenu; aa kushthamu vaani dhehamanthata vyaapinchinayedala aa podagala vaadu pavitrudani nirnayimpavalenu. Vaani ollanthayu tellabaarenu; vaadu pavitrudu.

14. पर जब उस में चर्महीन मांस देख पड़े, तब तो वह अशुद्ध ठहरे।

14. ayithe vaani yonta pachimaansamu kanabadu dinamuna vaadu apavitrudu.

15. और याजक चर्महीन मांस को देखकर उसको अशुद्ध ठहराए; कयोंकि वैसा चर्महीन मांस अशुद्ध ही होता है; वह कोढ़ है।

15. yaajakudu aa pachimaansamunu chuchi vaadu apavitru dani nirnayimpavalenu. aa pachimaansamu apavitrame; adhi kushthamu.

16. पर यदि वह चर्महीन मांस फिर उजला हो जाए, तो वह मनुष्य याजक के पास जाए,

16. ayithe aa pachimaansamu aari tellabaarina yedala vaadu yaajakuniyoddhaku raavalenu;

17. और याजक उसको देखे, और यदि वह व्याधि फिर से उजली हो गई हो, तो याजक व्याधित को शुद्ध जाने; वह शुद्ध है।।

17. yaajakudu vaani choodagaa aa poda tellabaarinayedala yaajakudu aa poda pavitramani nirnayimpavalenu; vaadu pavitrudu.

18. फिर यदि किसी के चर्म में फोड़ा होकर चंगा हो गया हो,

18. okani dhehacharmamandu pundu putti maanina tharuvaatha

19. और फोड़े के स्थान में उजली सी सूजन वा लाली लिये हुए उजला फूल हो, तो वह याजक को दिखाया जाए।

19. aa pundundinachootanu tellani vaapainanu teluputhoo koodina yerupurangugala podagaani niganigalaadu tellani podagaani puttinayedala, yaajakuniki daanikanuparachavalenu.

20. और याजक उस सूजन को देखे, और यदि वह चर्म से गहिरा देख पड़े, और उसके रोएं भी उजले हो गए हों, तो याजक यह जानकर उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ की व्याधि है जो फोड़े में से फूटकर निकली है।

20. yaajakudu daani chuchinappudu athani choopunaku adhi charmamukante pallamugaa kanabadinayedalanu, daani vendru kalu tellabaari yundinayedalanu, yaajakudu vaadu apavitrudani nirnayimpavalenu; adhi aa puntivalana puttina kushthupoda.

21. और यदि याजक देखे कि उस में उजले रोएं नहीं हैं, और वह चर्म से गहिरी नहीं, और उसकी चमक कम हुई है, तो याजक उस मनुष्य को सात दिन तक बन्द कर रखे।

21. yaajakudu daani chuchinappudu daanilo tellani vendrukalu lekapoyinayedalanu, adhi charmamu kante pallamukaaka konchemu nayamugaa kana badinayeda lanu, yaajakudu edu dinamulu vaanini pratyekamugaa unchavalenu.

22. और यदि वह व्याधि उस समय तक चर्म में सचमुच फैल जाए, तो याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ की व्याधि है।

22. adhi charmamandu visthaaramugaa vyaapinchina yedala yaajakudu vaadu apavitrudani nirnayimpavalenu; adhi kushthupoda.

23. परन्तु यदि वह फूल न फैले और अपने स्थान ही पर बना रहे, तो वह फोड़े को दाग है; याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए।।

23. niganigalaadu poda vyaapimpaka atle undinayedala adhi dadduru; yaajakudu vaadu pavitru dani nirnayimpavalenu.

24. फिर यदि किसी के चर्म में जलने का घाव हो, और उस जलने के घाव में चर्महीन फूल लाली लिये हुए उजला वा उजला ही हो जाए,

24. dadduru kaligina dhehacharmamandu aa vaatha yerragaane gaani tellagaanegaani niganigalaadu tellani macchagaanegaani yundinayedala yaajakudu daani choodavalenu.

25. तो याजक उसको देखे, और यदि उस फूल में के रोएं उजले हो गए हों और वह चर्म से गहिरा देख पड़े, तो वह कोढ़ है; जो उस जलने के दाग में से फूट निकला है; याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि उस में कोढ़ की व्याधि है।

25. niga nigalaadu aa macchaloni vendrukalu tellabaarinayedalanu, adhi charmamukante pallamugaa kanabadinayedalanu, adhi aa vaathavalana puttina kushthupoda; yaajakudu vaadu apavitrudani nirnayimpavalenu; adhi kushthamu.

26. और यदि याजक देखे, कि फूल में उजले रोएं नहीं और न वह चर्म से कुछ गहिरा है, और उसकी चमक कम हुई है, तो वह उसको सात दिन तक बन्द कर रखे,

26. yaajakudu daani choochunappudu adhi niganigalaadu macchalo tellani vendru kalu lekayegaani charmamukante pallamugaa nundakaye gaani kontha nayamugaa kanabadinayedala, yaajakudu edu dinamulu vaanini kadagaa unchavalenu.

27. और सातवें दिन याजक उसको देखे, और यदि वह चर्म में फैल गई हो, तो वह उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि उसको कोढ़ की व्याधि है।

27. edavanaadu yaaja kudu vaani chuchinappudu adhi charmamandu visthaaramugaa vyaapinchinayedala vaadu apavitrudani nirnayimpavalenu; adhi kushthame.

28. परन्तु यदि वह फूल चर्म में नहीं फैला और अपने स्थान ही पर जहां का तहां ही बना हो, और उसकी चमक कम हुई हो, तो वह जल जाने के कारण सूजा हुआ है, याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए; क्योंकि वह दाग जल जाने के कारण से है।।

28. ayithe niganigalaadu maccha charmamandu vyaapimpaka aa chootaneyundi konchemu nayamugaa kanabadinayedala adhi vaathapu vaape; vaadu pavitrudani yaajakudu nirnayimpavalenu; adhi vaathapu mantaye.

29. फिर यदि किसी पुरूष वा स्त्री के सिर पर, वा पुरूष की डाढ़ी में व्याधि हो,

29. purushunikainanu streekainanu thalayandhemi gaddamandhemi poda puttinayedala, yaajakudu aa podanu choodagaa

30. तो याजक व्याधि को देखे, और यदि वह चर्म से गहिरी देख पड़े, और उस में भूरे भूरे पतले बाल हों, तो याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; वह व्याधि सेंहुआं, अर्थात् सिर वा डाढ़ी का कोढ़ है।

30. adhi charmamukante pallamugaanu sannamaina pasupu paccha vendrukalu kaladhigaanu kanabadina yedala, vaadu apavitru dani yaajakudu nirnayimpavalenu; adhi bobba, thalameeda nemi gaddamumeeda nemi puttina kushthamu.

31. और यदि याजक सेंहुएं की व्याधि को देखे, कि वह चर्म से गहिरी नहीं है और उस में काले काले बाल नहीं हैं, तो वह सेंहुएं के व्याधित को सात दिन तक बन्द कर रखे,

31. yaajakudu aa bobbayina podanu chuchi nappudu adhi charmamukante pallamu kaaniyedalanu, daanilo nallavendrukalu leni yedalanu, yaajakudu aa bobbayina podagalavaanini edu dinamulu pratyekamugaa unchavalenu.

32. और सातवें दिन याजक व्याधि को देखे, तब यदि वह सेंहुआं फैला न हो, और उस में भूरे भूरे बाल न हों, और सेंहुआं चर्म से गहिरा न देख पड़े,

32. edavanaadu yaajakudu aa podanu choodavalenu. aa bobba vyaapiṁ paka yundinayedalanu, daanilo pasupu pacchavendru kalu leniyedalanu, charmamukante pallamukaani yedalanu,

33. तो यह मनुष्य मूंड़ा जाए, परन्तु जहां सेंहुआं हो वहां न मूंड़ा जाए; और याजक उस सेंहुएंवाले को और भी सात दिन तक बन्द करे;

33. vaadu kshauramu chesikonavalenu gaani aa bobba kshauramu cheyakoodadu. Yaajakudu bobbagala vaanini mari yedu dinamulu pratyekamugaa unchavalenu.

34. और सातवें दिन याजक सेहुएं को देखे, और यदि वह सेंहुआं चर्म में फैला न हो और चर्म से गहिरा न देख पड़े, तो याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए; और वह अपने वस्त्रा धोके शुद्ध ठहरे।

34. edavanaadu yaajakudu aa bobbanu choodagaa adhi charmamandu bobba vyaapimpaka charmamukante pallamu kaaka yundinayedala, yaajakudu vaadu pavitrudani nirnayimpavalenu. Vaadu thana battalu udukukoni pavitrudagunu.

35. और यदि उसके शुद्ध ठहरने के पश्चात् सेंहुआं चर्म में कुछ भी फैले,

35. vaadu pavitru dani nirnayinchina tharuvaatha bobba visthaaramugaa vyaapinchina yedala yaajakudu vaani choodavalenu,

36. तो याजक उसको देखे, और यदि वह चर्म में फैला हो, तो याजक यह भूरे बाल न ढूंढ़े, क्योंकि मनुष्य अशुद्ध है।

36. appudu aa maada vyaapinchiyundinayedala yaajakudu pasupu paccha vendrukalanu vedakanakkaraledu; vaadu apavitrudu.

37. परन्तु यदि उसकी दृष्टि में वह सेंहुआं जैसे का तैसा बना हो, और उस में काले काले बाल जमे हों, तो वह जाने की सेंहुआं चंगा हो गया है, और वह मनुष्य शुद्ध है; याजक उसको शुद्ध ही ठहराए।।

37. ayithe nilichina aa maadalo nallavendrukalu puttina yedala aa maada baagupadenu; vaadu pavitrudu; yaaja kudu vaadu pavitrudani nirnayimpavalenu.

38. फिर यदि किसी पुरूष वा स्त्री के चर्म में उजले फूल हों,

38. mariyu purushuni dhehapucharmamandhemi stree dhehapu charmamandhemi niganigalaadu macchalu, anagaa niganigalaadu tellanimacchalu puttinayedala

39. तो याजक देखे, और यदि उसके चर्म में वे फूल कम उजले हों, तो वह जाने कि उसको चर्म में निकली हुई चाईं ही है; वह मनुष्य शुद्ध ठहरे।।

39. yaajakudu vaanini chooda valenu; vaari dhehacharmamandu niganigalaadu macchalu vaadi yundinayedala adhi charmamandu puttina yoka pokku; vaadu pavitrudu.

40. फिर जिसके सिर के बाल झड़ गए हों, तो जानना कि वह चन्दुला तो है परन्तु शुद्ध है।

40. thalavendrukalu raalinavaadu batta thalavaadu; ayi nanu vaadu pavitrudu.

41. और जिसके सिर के आगे के बाल झड़ गए हों, तो वह माथे का चन्दुला तो है परन्तु शुद्ध है।

41. mukhamuvaipuna thala vendrukalu raalinavaadu batta nosativaadu; vaadu pavitrudu.

42. परन्तु यदि चन्दुले सिर पर वा चन्दुले माथे पर लाली लिये हुए उजली व्याधि हो, तो जानना कि वह उसके चन्दुले सिर पर वा चन्दुले माथे पर निकला हुआ कोढ़ है।

42. ayinanu batta thalayandhegaani batta nosatiyandhegaani yerragaanundu tellani poda puttina yedala, adhi vaani batta thalayandainanu batta nosati yandainanu puttina kushthamu.

43. इसलिये याजक उसको देखे, और यदि व्याधि की सूजन उसके चन्दुले सिर वा चन्दुले माथे पर ऐसी लाली लिये हुए उजली हो जैसा चर्म के कोढ़ में होता है,

43. yaajakudu vaanini choodavalenu. Kushthamu dhehacharma mandu kanabadunatlu aa poda vaapu choopunaku vaani batta thalayandainanu vaani batta nosatiyandainanu erragaa nundu tellani podayainayedala

44. तो वह मनुष्य कोढ़ी है और अशुद्ध है; और याजक उसको अवश्य अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह व्याधि उसके सिर पर है।।

44. vaadu kushtharogi, vaadu apavitrudu; yaajakudu vaadu botthigaa apavitrudani nirnayimpavalenu; vaani kushthamu vaani thalalonunnadhi.

45. और जिस में वह व्याधि हो उस कोढ़ी के वस्त्रा फटे और सिर के बाल बिखरे रहें, और वह अपने ऊपरवाले होंठ को ढांपे हुए अशुद्ध, अशुद्ध पुकारा करे।

45. aa podagala kushtharogi vastramulanu chimpiveyavalenu; vaadu thala viriyabosikonavalenu; vaadu thana paipedavini kappukoni apavitrudanu apavitrudanu ani biggaragaa palukavalenu.

46. जितने दिन तक वह व्याधि उस में रहे उतने दिन तक वह तो अशुद्ध रहेगा; और वह अशुद्ध ठहरा रहे; इसलिये वह अकेला रहा करे, उसका निवास स्थान छावनी के बाहर हो।।
लूका 17:12

46. aa poda vaaniki kaligina dinamulanniyu vaadu apavitrudai yundunu; vaadu apavitrudu ganuka pratyekamugaane nivasimpavalenu; vaani nivaasamu paalemunaku velupala undavalenu.

47. फिर जिस वस्त्रा में कोढ़ की व्याधि हो, चाहे वह वस्त्रा ऊन का हो चाहे सनी का,

47. mariyu kushthupoda vastramandu kanabadunappudu adhi gorravendrukala battayandhemi naarabattayandhemi

48. वह व्याधि चाहे उस सनी वा ऊन के वस्त्रा के ताने में हो चाहे बाने में, वा वह व्याधि चमड़े में वा चमड़े की किसी वस्तु में हो,

48. naarathoonegaani vendrukalathoonegaani nesina padugunaṁ dhemi pekayandhemi thoolunandhemi thooluthoo cheyabadu eyoka vasthuvunandhemi putti

49. यदि वह व्याधि किसी वस्त्रा के चाहे ताने में चाहे बाने में, वा चमड़े में वा चमड़े की किसी वस्तु में हरी हो वा लाल सी हो, तो जानना कि वह कोढ़ की व्याधि है और वह याजक को दिखाई जाए।
मत्ती 8:4, मरकुस 1:44, लूका 5:14, लूका 17:14

49. aa poda aa battayandhemi aa thoolunandhemi aa pekayandhemi thooluthoo cheyabadina vasthuvunandhemi pacchadaalu gaanegaani yerradaalugaanegaani kanabadinayedala, adhi kushthupoda; yaajakuniki daani kanu parachavalenu.

50. और याजक व्याधि को देखे, और व्याधिवाली वस्तु को सात दिन के लिये बन्द करे;

50. yaajakudu aa podanu chuchi podagala vaatini edu dinamulu pratyekamugaa unchavalenu.

51. और सातवें दिन वह उस व्याधि को देखे, और यदि वह वस्त्रा के चाहे ताने में चाहे बाने में, वा चमड़े में वा चमड़े की बनी हुई किसी वस्तु में फैल गई हो, तो जानना कि व्याधि गलित कोढ़ है, इसलिये वह वस्तु, चाहे कैसे ही काम में क्यों न आती हो, तौभी अशुद्ध ठहरेगी।

51. edavanaadu athadu aa podanu choodavalenu. Appudu aa vastramandu, anagaa padugunandhegaani pekayandhegaani thoolunandhegaani thooluthoo chesina vasthuvunandhegaani aa poda vyaapinchinayedala adhi korukudu kushthamu; adhi apa vitramu.

52. वह उस वस्त्रा को जिसके ताने वा बाने में वह व्याधि हो, चाहे वह ऊन का हो चाहे सनी का, वा चमड़े की वस्तु हो, उसको जला दे, वह व्याधि गलित कोढ़ की है; वह वस्तु आग में जलाई जाए।

52. kaavuna athadu aa poda dhenilo unnado aa vastramunu naarathoonemi vendrukalathoonemi chesina padu gunu pekanu thooluthoo chesina prathi vasthuvunu agnithoo kaalchiveyavalenu; adhi korukudu kushthamu; agnithoo daani kaalchiveyavalenu.

53. और यदि याजक देखे कि वह व्याधि उस वस्त्रा के ताने वा बाने में, वा चमड़े की उस वस्तु में नहीं फैली,

53. ayithe yaajakudu chuchi nappudu aa poda aa vastramandu, anagaa padugunandhemi pekayandhemi thooluthoo chesina mari dheniyandhemi vyaapiṁ paka poyinayedala

54. तो जिस वस्तु में व्याधि हो उसके धोने की आज्ञा दे, तक उसे और भी सात दिन तक बन्द कर रखे;

54. yaajakudu aa podagaladaanini uduka naagnaapinchi mari edu dinamulu daanini vidigaa uncha valenu.

55. और उसके धोने के बाद याजक उसको देखे, और यदि व्याधि का न तो रंग बदला हो, और न व्याधि फैली हो, तो जानना कि वह अशुद्ध है; उसे आग में जलाना, क्योंकि चाहे वह व्याधि भीतर चाहे ऊपरी हो तौभी वह खा जाने वाली व्याधि है।

55. aa podagala daanini udikina tharuvaatha yaajakudu daanini choodavalenu. aa poda maarakapoyinanu vyaapiṁ paka poyinanu adhi apavitramu. Agnithoo daanini kaalchi veyavalenu. adhi lovaipunagaani paivaipunagaani puttinanu korukudu kushthamugaa undunu.

56. और यदि याजक देखे, कि उसके धोने के पश्चात् व्याधि की चमक कम हो गई, तो वह उसको वस्त्रा के चाहे ताने चाहे बाने में से, वा चमड़े में से फाड़के निकाले;

56. yaajakudu daanini chuchinappudu vastramu udikina tharuvaatha aa poda vaadi yundinayedala, adhi aa vastramulo undinanu thoolulo undinanu padugulo undinanu pekalo undinanu yaajakudu vaatini chimpiveyavalenu.

57. और यदि वह व्याधि तब भी उस वस्त्रा के ताने वा बाने में, वा चमड़े की उस वस्तु में देख पड़े, तो जानना कि वह फूट के निकली हुई व्याधि है; और जिस में वह व्याधि हो उसे आग में जलाना।

57. atutharuvaatha adhi aa vastramandhegaani padugunandhegaani pekayandhegaani thooluthoo chesina dheniyandhegaani kanabadinayedala adhi koru kudu kushthamu. aa poda dhenilo nunnado daanini agnithoo kaalchiveyavalenu.

58. और यदि उस वस्त्रा से जिसके ताने वा बाने में व्याधि हो, वा चमड़े की जो वस्तु हो उस से जब धोई जाए और व्याधि जाती रही, तो वह दूसरी बार धुल कर शुद्ध ठहरे।

58. e vastramunegaani padu gunegaani pekanegaani thooluthoo chesina dheninegaani udi kinatharuvaatha aa poda vadhilina yedala, rendavamaaru daanini udukavalenu;

59. ऊन वा सनी के वस्त्रा में के ताने वा बाने में, वा चमड़े की किसी वस्तु में जो कोढ़ की व्याधि हो उसके शुद्ध और अशुद्ध ठहराने की यही व्यवस्था है।।

59. appudu adhi pavitramagunu. Bochu batta yandhegaani naarabattayandhegaani padugunandhegaani peka yandhegaani thoolu vasthuvulayandhegaani yundu kushthupodanu goorchi adhi pavitramani apavitramani neevu nirnayimpavalasina vidhi yidhe.



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