Isaiah - यशायाह 10 | View All

1. हाय उन पर जो दुष्टता से न्याय करते, और उन पर जो उत्पात करने की आज्ञा लिख देते हैं,

1. Cursed are those who make evil decisions, and the writers who make the records of their cruel acts:

2. कि वे कंगालों का न्याय बिगाड़ें और मेरी प्रजा के दी लोगों का हक मारें, कि वे विधवाओं को लूटें और अनाथों का माल अपना लें!

2. Who do wrong to the poor in their cause, and take away the right of the crushed among my people, so that they may have the property of widows, and get under their power those who have no father.

3. तुम दण्ड के दिन और उस आपत्ति के दिन जो दूर से आएगी क्या करोगे? तुम सहायता के लिये किसके पास भाग कर जाओगे?
1 पतरस 2:12

3. And what will you do in the day of punishment, and in the destruction which is coming from far? to whom will you go for help, and what will become of your glory?

4. और तुम अपने विभव को कहां रख्.ा छोड़ोगे? वे केवल बंधुओं के पैरों के पास गिर पड़ेंगे और मरे हुओं के नीचे दबे पड़े रहेंगे। इतने पर भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है।।

4. ... For all this his wrath is not turned away, but his hand is stretched out still.

5. अश्शूर पर हाय, जो मेरे क्रोध का लठ और मेरे हाथ में का सोंटा है! वह मेरा क्रोध है।

5. Ho! Assyrian, the rod of my wrath, the instrument of my punishment!

6. मैं उसको एक भक्तिहीन जाति के विरूद्ध भेजूंगा, और जिन लोगों पर मेरा रोष भड़का है उनके विरूद्ध उसको आज्ञा दूंगा कि छीन छान करे और लूट ले, और उनको सड़कों की कीच के समान लताड़े।

6. I will send him against a nation of wrongdoers, and against the people of my wrath I will give him orders, to take their wealth in war, crushing them down like the dust in the streets.

7. परन्तु उसकी ऐसी मनसा न होगी, न उसके मन में यही है कि मैं बहुत सी जातियों का नाश और अन्त कर डालूं।

7. But this is not what is in his mind, and this is not his design; but his purpose is destruction, and the cutting off of more and more nations.

8. कयोंकि वह कहता है, क्या मेरे सब हाकिम राजा के तुल्य नहीं है?

8. For he says, Are not all my captains kings?

9. क्या कलनो कर्कमीश के समान नहीं है? क्या हमात अर्पद के और शोमरोन दमिश्क के समान नहीं?

9. Will not the fate of Calno be like that of Carchemish? is not Hamath as Arpad? is not Samaria as Damascus?

10. जिस प्रकार मेरा हाथ मूरतों से भरे हुए उन राज्यों पर पहुंचा जिनकी मूरतें यरूशलेम और शोमरोन की मूरतों से बढ़कर थीं, और जिस प्रकार मैं ने शोमरोन और उसकी मूरतों से किया,

10. As my hand has come on the kingdoms of the images, whose pictured images were more in number than those of Jerusalem and Samaria;

11. क्या उसी प्रकार मैं यरूशलेम से और उसकी मूरतों से भी न करूं?

11. So, as I have done to Samaria and her images, I will do to Jerusalem and her images.

12. इस कारण जब प्रभु सिरयोन पर्वत पर और यरूशलेम में अपना सब काम का चुकेगा, तब मैं अश्शूर के राजा के गर्व की बातों का, और उसकी घमण्ड भरी आंखों का पलटा दूंगा।

12. For this cause it will be that, when the purpose of the Lord against Mount Zion and Jerusalem is complete, I will send punishment on the pride of the heart of the king of Assyria, and on the glory of his uplifted eyes.

13. उस ने कहा है, अपने ही बाहुबल और बुद्धि से मैं ने यह काम किया है, क्योंकि मैं चतुर हूं; मैं ने देश देश के सिवानों को हटा दिया, और उनके रखे हुए धन को लूअ लिया; मैं ने वीर की नाई गद्दी पर विराजनेहारों को उतार दिया है।

13. For he has said, By the strength of my hand I have done it, and by my knowledge, for I am wise: and I have taken away the limits of the peoples' lands, and the stores of their wealth have become mine; and I have made towns low in the dust, sending destruction on those living in them;

14. देश देश के लोगों की धनसम्पत्ति, चिड़ियों के घोंसलों की नाईं, मेरे हाथ आई है, और जैसे कोई छोड़े हुए अण्डों को बटोर ले वैसे ही मैं ने सारी पृथ्वी को बटोर लिया है; और कोई पंख फड़फड़ाने वा चोंच खोलने वा चीं चीं करनेवाला न था।।

14. And I have put my hands on the wealth of the peoples, as on the place where a bird has put her eggs; and as a man may take the eggs from which a bird has gone, so I have taken all the earth for myself: and not a wing was moved, and not a mouth gave out a sound.

15. क्या कुल्हाड़ा उसक विरूद्ध जो उस से काटता हो डींग मारे, वा आरी उसके विरूद्ध जो उसे खींचता हो बड़ाई करे? क्या सोंटा अपने चलानेवाले को चलाए वा छड़ी उसे उठाए जो काठ नहीं है!

15. Will the axe say high-sounding words against him who is using it, or the blade be full of pride against him who is cutting with it? As if a rod had the power of shaking him who is using it, or as if a stick might take up him who is not wood.

16. इस कारण प्रभु अर्थात् सेनाओं का प्रभु उस राजा के हृष्टपुष्ट योद्धाओं को दुबला कर देगा, और उसके ऐश्वर्य के नीचे आग की सी जलन होगी।

16. For this cause the Lord, the Lord of armies, will make his fat become wasted; and in his inner parts a fire will be lighted like a burning flame.

17. इस्राएल की ज्योति तो आग ठहरेगी, और इस्राएल का पवित्रा ज्वाला ठहरेगा; और वह उसके झाड़ झंखार को एक ही दीन में भस्म करेगा।

17. And the light of Israel will be for a fire, and his Holy One for a flame: wasting and burning up his thorns in one day.

18. और जैसे रोगी के क्षीण हो जाने पर उसकी दशा होती है वैसी ही वह उसके वन और फलदाई बारी की शोभा पूरी रीति से नाश करेगा।

18. And he will put an end to the glory of his woods and of his planted fields, soul and body together; and it will be as when a man is wasted by disease.

19. उस वन के वृक्ष इतने थोड़े रह जाएंगे कि लड़का भी उनको गिन कर लिख लेगा।।

19. And the rest of the trees of his wood will be small in number, so that a child may put them down in writing.

20. उस समय इस्राएल के बचे हुए लोग और याकूब के घराने के भागे हुए, अपने मारनेवाले पर फिर कभी भरोसा न रखेंगे, परन्तु यहोवा जो इस्राएल का पवित्रा है, उसी पर वे सच्चाई से भरोसा रखेंगे।

20. And it will be in that day that the rest of Israel, and those of Jacob who have come safely through these troubles, will no longer go for help to him whose rod was on their back, but their faith will be in the Lord, the Holy One of Israel.

21. याकूब में से बचे हुए लोग पराक्रमी परमेश्वर की ओर फिरेंगे।

21. The rest, even the rest of Jacob, will come back to the Strong God.

22. क्योंकि हे इस्राएल, चाहे तेरे लोग समुद्र की बालू के किनकों के समान भी बहुत हों, तौभी निश्चय है कि उन में से केवल बचे लोग भी लौटेंगे। सत्यानाश तो पूरे न्याय के साथ ठाना गया है।
रोमियों 9:27-28

22. For though your people, O Israel, are as the sand of the sea, only a small number will come back: for the destruction is fixed, overflowing in righteousness.

23. क्योंकि प्रभु सेनाओं के यहोवा ने सारे देश का सत्यानाश कर देना ठाना है।।
रोमियों 9:27-28

23. For the Lord, the Lord of armies, is about to make destruction complete in all the land.

24. इसलिये प्रभु सेनाओं का यहोवा यों कहता है, हे सिरयोन में रहनेवालों मेरी प्रजा, अश्शूर से मत डर; चाहे वह सोंटें से तुझे मारे और मि की नाई तेरे ऊपर छड़ी उठाएं।

24. For this cause the Lord, the Lord of armies, says, O my people living in Zion, have no fear of the Assyrian, even if his rod comes on your back, and his stick is lifted up as in Egypt.

25. क्योंकि अब थोड़ी ही देर है कि मेरी जलन और क्रोध उनका सत्यानाश करके शान्त होगा

25. For in a very short time my passion will be over, and my wrath will be turned to their destruction.

26. और सेनाओं का यहोवा उसके विरूद्ध कोड़ा उठाकर उसको ऐसा मारेगा जैसा उस ने ओरेब नाम चट्टान पर मिद्यानियों को मारा था; और जेया उस ने मिस्त्रियों के विरूद्ध समुद्र पर लाठी बढ़ाई, वैसा ही उसकी ओर भी बढ़ाएगा।

26. And the Lord of armies will be shaking a whip against him, as when he overcame Midian at the rock of Oreb: and his rod will be lifted up against them as it was against the Egyptians.

27. उस समय ऐसा होगा कि उसका बोझ तेरे कंधे पर से और उसका जूआ तेरी गर्दन पर से उठा लिया जाएगा, और अभिषेक के कारण वह जूआ तोड़ डाला जाएगा।।

27. And in that day the weight which he put on your back will be taken away, and his yoke broken from off your neck.

28. वह अरयात् में आया है, और मिग्रोन में से होकर आगे बढ़ गया है; मिकमाश में उस ने अपना सामान रखा है।

28. He has gone up from Pene-Rimmon, he has come to Aiath; he has gone past Migron, at Michmash he puts his forces in order.

29. वे घाटी से पार हो गए, उन्हों ने गेबा में रात काटी; रामा थरथरा उठा है, शाऊल का गिबा भाग निकला है।

29. They have gone across the mountain; Geba will be our resting-place tonight, they say: Ramah is shaking with fear; Gibeah of Saul has gone in flight.

30. हे गल्लीम की बेटी चिल्ला! हे लैशा के लागों कान लगाओ! हाय बेचारा अनातोत!

30. Give a loud cry, daughter of Gallim; let Laishah give ear; let Anathoth give answer to her.

31. मदमेना मारा मारा फिरता है, गेबीम के निवासी भागने के लिये अपना अपना समान इकट्टा कर रहे हैं।

31. Madmenah has gone; the men of Gebim are putting their goods in a safe place.

32. आज ही के दिन वह नोब में टिकेगा; तब वह सिरयोन पहाड़ पर, और यरूशलेम की पहाड़ी पर हाथ उठाकर घमाकएगा।

32. This very day he is stopping at Nob; he is shaking his hand against the mountain of the daughter of Zion, the hill of Jerusalem.

33. देखो, प्रभु सेनाओं का यहोवा पेड़ों को भयानक रूप से छांट डालेगा; ऊँचे ऊँचे वृक्ष काटे जाएंगे, और जो ऊँचे हैं सो नीचे किए जाएंगे।

33. See, the Lord, the Lord of armies, is cutting off his branches with a great noise, and his strong ones are falling and his high ones are coming down.

34. वह घने वन को लोहे से काट डालेगा और लबानोन एक प्रतापी के हाथ से नाश किया जाएगा।।

34. And he is cutting down the thick places of the wood with an axe, and Lebanon with its tall trees is coming down.



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