14. देश देश के लोगों की धनसम्पत्ति, चिड़ियों के घोंसलों की नाईं, मेरे हाथ आई है, और जैसे कोई छोड़े हुए अण्डों को बटोर ले वैसे ही मैं ने सारी पृथ्वी को बटोर लिया है; और कोई पंख फड़फड़ाने वा चोंच खोलने वा चीं चीं करनेवाला न था।।
14. My hand hath found out the strength of the people as it were a nest: and like as egges that were layde here and there, are gathered together, so do I gather all countreys, and there was none [so bolde] as to moue the winge, that dare open his mouth, or once whisper.