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1. हाय उन पर जो दुष्टता से न्याय करते, और उन पर जो उत्पात करने की आज्ञा लिख देते हैं,
1. Woe to those who decree unrighteous decrees, and to the scribes who write toil;
2. कि वे कंगालों का न्याय बिगाड़ें और मेरी प्रजा के दी लोगों का हक मारें, कि वे विधवाओं को लूटें और अनाथों का माल अपना लें!
2. to turn aside the needy from judgment, and to steal the right from the poor of My people, that widows may be their prey, and they rob the orphans!
3. तुम दण्ड के दिन और उस आपत्ति के दिन जो दूर से आएगी क्या करोगे? तुम सहायता के लिये किसके पास भाग कर जाओगे?1 पतरस 2:12
3. And what will you do in the day of judgment and in destruction, of ruin when it comes from afar? To whom will you flee for help? And where will you leave your glory?
4. और तुम अपने विभव को कहां रख्.ा छोड़ोगे? वे केवल बंधुओं के पैरों के पास गिर पड़ेंगे और मरे हुओं के नीचे दबे पड़े रहेंगे। इतने पर भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है।।
4. Surely they shall bow down under the prisoners, and they shall fall under the slain. In all this His hand is not turned away, but His hand is stretched out still.
5. अश्शूर पर हाय, जो मेरे क्रोध का लठ और मेरे हाथ में का सोंटा है! वह मेरा क्रोध है।
5. Woe to Assyria, the rod of My anger! And the staff in their hand is My fury.
6. मैं उसको एक भक्तिहीन जाति के विरूद्ध भेजूंगा, और जिन लोगों पर मेरा रोष भड़का है उनके विरूद्ध उसको आज्ञा दूंगा कि छीन छान करे और लूट ले, और उनको सड़कों की कीच के समान लताड़े।
6. I will send him against an ungodly nation, and against the people of My wrath. I will command him to take the plunder, and to strip off the spoil, and to trample them like the mud of the streets.
7. परन्तु उसकी ऐसी मनसा न होगी, न उसके मन में यही है कि मैं बहुत सी जातियों का नाश और अन्त कर डालूं।
7. Yet he does not plan this, nor does his heart think so. For it is in his heart to destroy and cut off not a few nations.
8. कयोंकि वह कहता है, क्या मेरे सब हाकिम राजा के तुल्य नहीं है?
8. For he says, Are not my commanders all like kings?
9. क्या कलनो कर्कमीश के समान नहीं है? क्या हमात अर्पद के और शोमरोन दमिश्क के समान नहीं?
9. Is not Calno like Carchemish? Is not Hamath like Arpad? Is not Samaria like Damascus?
10. जिस प्रकार मेरा हाथ मूरतों से भरे हुए उन राज्यों पर पहुंचा जिनकी मूरतें यरूशलेम और शोमरोन की मूरतों से बढ़कर थीं, और जिस प्रकार मैं ने शोमरोन और उसकी मूरतों से किया,
10. As my hand has reached to the kingdoms of the idols, and their graven images more than Jerusalem's and Samaria's;
11. क्या उसी प्रकार मैं यरूशलेम से और उसकी मूरतों से भी न करूं?
11. shall I not do to Jerusalem and her idols as I have done to Samaria and her idols?
12. इस कारण जब प्रभु सिरयोन पर्वत पर और यरूशलेम में अपना सब काम का चुकेगा, तब मैं अश्शूर के राजा के गर्व की बातों का, और उसकी घमण्ड भरी आंखों का पलटा दूंगा।
12. And it will be, when the Lord has broken off all His work on Mount Zion and on Jerusalem, I will punish the fruit of the proud heart of the king of Assyria and the glory of his high looks.
13. उस ने कहा है, अपने ही बाहुबल और बुद्धि से मैं ने यह काम किया है, क्योंकि मैं चतुर हूं; मैं ने देश देश के सिवानों को हटा दिया, और उनके रखे हुए धन को लूअ लिया; मैं ने वीर की नाई गद्दी पर विराजनेहारों को उतार दिया है।
13. For he says, By the strength of my hand I have done it, and by my wisdom; for I am wise. And I have removed the bounds of the people, and have robbed their treasures, and I have put down the people like a strong man.
14. देश देश के लोगों की धनसम्पत्ति, चिड़ियों के घोंसलों की नाईं, मेरे हाथ आई है, और जैसे कोई छोड़े हुए अण्डों को बटोर ले वैसे ही मैं ने सारी पृथ्वी को बटोर लिया है; और कोई पंख फड़फड़ाने वा चोंच खोलने वा चीं चीं करनेवाला न था।।
14. And my hand has found as a nest the riches of the people; and as one gathers eggs that are left, I have gathered all the earth; and there was none who moved the wing, or opened the mouth, or peeped.
15. क्या कुल्हाड़ा उसक विरूद्ध जो उस से काटता हो डींग मारे, वा आरी उसके विरूद्ध जो उसे खींचता हो बड़ाई करे? क्या सोंटा अपने चलानेवाले को चलाए वा छड़ी उसे उठाए जो काठ नहीं है!
15. Shall the axe boast itself against him who chops with it? Shall the saw magnify itself against him who moves it? As if the rod could wave those who lift itself up! As if a staff could raise what is not wood!
16. इस कारण प्रभु अर्थात् सेनाओं का प्रभु उस राजा के हृष्टपुष्ट योद्धाओं को दुबला कर देगा, और उसके ऐश्वर्य के नीचे आग की सी जलन होगी।
16. Therefore the Lord, Jehovah of Hosts, shall send leanness among his fat ones; and under his glory He shall kindle a burning like the burning of a fire.
17. इस्राएल की ज्योति तो आग ठहरेगी, और इस्राएल का पवित्रा ज्वाला ठहरेगा; और वह उसके झाड़ झंखार को एक ही दीन में भस्म करेगा।
17. And the light of Israel shall be as a fire, and His Holy One as a flame; and it shall burn and devour his thorns and his briers in one day.
18. और जैसे रोगी के क्षीण हो जाने पर उसकी दशा होती है वैसी ही वह उसके वन और फलदाई बारी की शोभा पूरी रीति से नाश करेगा।
18. And it shall burn up the glory of his forest and of his fruitful field, both soul and body; and they shall be as when a sick one faints.
19. उस वन के वृक्ष इतने थोड़े रह जाएंगे कि लड़का भी उनको गिन कर लिख लेगा।।
19. And the rest of the trees of his forest shall be few, so that a boy might write them.
20. उस समय इस्राएल के बचे हुए लोग और याकूब के घराने के भागे हुए, अपने मारनेवाले पर फिर कभी भरोसा न रखेंगे, परन्तु यहोवा जो इस्राएल का पवित्रा है, उसी पर वे सच्चाई से भरोसा रखेंगे।
20. And it shall be in that day, the remnant of Israel, and those who have escaped from the house of Jacob, shall never again lean on him who struck them; but truly lean on Jehovah, the Holy One of Israel.
21. याकूब में से बचे हुए लोग पराक्रमी परमेश्वर की ओर फिरेंगे।
21. The remnant shall return, the remnant of Jacob, to the mighty God.
22. क्योंकि हे इस्राएल, चाहे तेरे लोग समुद्र की बालू के किनकों के समान भी बहुत हों, तौभी निश्चय है कि उन में से केवल बचे लोग भी लौटेंगे। सत्यानाश तो पूरे न्याय के साथ ठाना गया है।रोमियों 9:27-28
22. For though Your people Israel are like the sand of the sea, yet a remnant of them shall return; the full end which is decreed shall overflow with righteousness.
23. क्योंकि प्रभु सेनाओं के यहोवा ने सारे देश का सत्यानाश कर देना ठाना है।।रोमियों 9:27-28
23. For the Lord Jehovah of Hosts shall make a full end, as ordained, in the midst of all the land.
24. इसलिये प्रभु सेनाओं का यहोवा यों कहता है, हे सिरयोन में रहनेवालों मेरी प्रजा, अश्शूर से मत डर; चाहे वह सोंटें से तुझे मारे और मि की नाई तेरे ऊपर छड़ी उठाएं।
24. Therefore so says the Lord Jehovah of Hosts, O my people who dwell in Zion, do not fear Assyria. He shall strike you with a rod, and shall lift up his staff against you, in the way of Egypt.
25. क्योंकि अब थोड़ी ही देर है कि मेरी जलन और क्रोध उनका सत्यानाश करके शान्त होगा
25. But yet a little while, and the fury shall cease, and My anger shall be in their ruin.
26. और सेनाओं का यहोवा उसके विरूद्ध कोड़ा उठाकर उसको ऐसा मारेगा जैसा उस ने ओरेब नाम चट्टान पर मिद्यानियों को मारा था; और जेया उस ने मिस्त्रियों के विरूद्ध समुद्र पर लाठी बढ़ाई, वैसा ही उसकी ओर भी बढ़ाएगा।
26. And Jehovah of Hosts shall stir up a whip on him according to the slaughter of Midian at the rock of Oreb; and as His rod was on the sea, so shall He lift it up in the way of Egypt.
27. उस समय ऐसा होगा कि उसका बोझ तेरे कंधे पर से और उसका जूआ तेरी गर्दन पर से उठा लिया जाएगा, और अभिषेक के कारण वह जूआ तोड़ डाला जाएगा।।
27. And it shall be, in that day his burden shall be taken away from off your shoulder, and his yoke from off your neck, and the yoke shall be destroyed because of the anointing.
28. वह अरयात् में आया है, और मिग्रोन में से होकर आगे बढ़ गया है; मिकमाश में उस ने अपना सामान रखा है।
28. He has come to Aiath, he has passed to Migron; at Michmash he has stored his baggage;
29. वे घाटी से पार हो गए, उन्हों ने गेबा में रात काटी; रामा थरथरा उठा है, शाऊल का गिबा भाग निकला है।
29. they have gone over the passage; they have bedded down at Geba; Ramah is afraid, Gibeah of Saul has fled.
30. हे गल्लीम की बेटी चिल्ला! हे लैशा के लागों कान लगाओ! हाय बेचारा अनातोत!
30. Lift up your voice, daughter of heaps; shriek with your voice; bow Laish, afflicted of Anathoth.
31. मदमेना मारा मारा फिरता है, गेबीम के निवासी भागने के लिये अपना अपना समान इकट्टा कर रहे हैं।
31. Madmenah wanders; the people of Gebim take refuge.
32. आज ही के दिन वह नोब में टिकेगा; तब वह सिरयोन पहाड़ पर, और यरूशलेम की पहाड़ी पर हाथ उठाकर घमाकएगा।
32. Yet he shall remain in Nob today; he shall shake his hand against the mount of the daughter of Zion, the hill of Jerusalem.
33. देखो, प्रभु सेनाओं का यहोवा पेड़ों को भयानक रूप से छांट डालेगा; ऊँचे ऊँचे वृक्ष काटे जाएंगे, और जो ऊँचे हैं सो नीचे किए जाएंगे।
33. Behold, the Lord, Jehovah of Hosts, shall lop the bough with terror; and the lofty ones shall be cut down, and the proud shall be humbled.
34. वह घने वन को लोहे से काट डालेगा और लबानोन एक प्रतापी के हाथ से नाश किया जाएगा।।
34. And he shall cut down the thickets of the forest with iron, and Lebanon shall fall by a mighty one.