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Wycliffe Bible (1395)
Young's Literal Translation (1898)
Cross Reference Bible
1. बुरे लोगों के विषय में डाह न करना, और न उसकी संगति की चाह रखना;
1. Do not be envious of evil men, Nor desire to be with them;
2. क्योंकि वे उपद्रव सोचते रहते हैं, और उनके मुंह से दुष्टता की बात निकलती है।
2. For their minds devise violence, And their lips talk of trouble.
3. घर बुद्धि से बनता है, और समझ के द्वारा स्थिर होता है।
3. By wisdom a house is built, And by understanding it is established;
4. ज्ञान के द्वारा कोठरियां सब प्रकार की बहुमूल्य और मनभाऊ वस्तुओं से भर जाती हैं।
4. And by knowledge the rooms are filled With all precious and pleasant riches.
5. बुद्धिमान पुरूष बलवान् भी होता है, और ज्ञानी जन अधिक शक्तिमान् होता है।
5. A wise man is strong, And a man of knowledge increases power.
6. इसलिये जब तू युद्ध करे, तब युक्ति के साथ करना, विजय बहुत से मन्त्रियों के द्वारा प्राप्त होती है।
6. For by wise guidance you will wage war, And in abundance of counselors there is victory.
7. बुद्धि इतने ऊंचे पर है कि मूढ़ उसे पा नहीं सकता; वह सभा में अपना मुंह खोल नहीं सकता।।
7. Wisdom is [too] exalted for a fool, He does not open his mouth in the gate.
8. जो सोच विचार के बुराई करता है, उसको लोग दुष्ट कहते हैं।
8. One who plans to do evil, Men will call a schemer.
9. मूर्खता का विचार भी पाप है, और ठट्ठा करनेवाले से मनुष्य घृणा करते हैं।।
9. The devising of folly is sin, And the scoffer is an abomination to men.
10. यदि तू विपत्ति के समय साहस छोड़ दे, तो तेरी शक्ति बहुत कम है।
10. If you are slack in the day of distress, Your strength is limited.
11. जो मार डाले जाने के लिये घसीटे जाते हैं उनको छुड़ा; और जो घात किए जाने को हैं उन्हें मत पकड़ा।
11. Deliver those who are being taken away to death, And those who are staggering to slaughter, Oh hold [them] back.
12. यदि तू कहे, कि देख मैं इसको जानता न था, तो क्या मन का जांचनेवाला इसे नहीं समझता? और क्या तेरे प्राणों का रक्षक इसे नहीं जानता? और क्या वह हर एक मनुष्य के काम का फल उसे न देगा?मत्ती 16:27, रोमियों 2:6, 2 तीमुथियुस 4:14, 1 पतरस 1:17, प्रकाशितवाक्य 2:23, प्रकाशितवाक्य 20:12-13, प्रकाशितवाक्य 22:12
12. If you say, 'See, we did not know this,' Does He not consider [it] who weighs the hearts? And does He not know [it] who keeps your soul? And will He not render to man according to his work?
13. हे मेरे पुत्रा तू मधु खा, क्योंकि वह अच्छा है, और मधु का छत्ता भी, क्योंकि वह तेरे मुंह में मीठा लगेगा।
13. My son, eat honey, for it is good, Yes, the honey from the comb is sweet to your taste;
14. इसी रीति बुद्धि भी तुझे वैसी ही मीठी लगेगी; यदि तू उसे पा जाए तो अन्त में उसका फल भी मिलेगा, और तेरी आशा न टूटेगी।।
14. Know [that] wisdom is thus for your soul; If you find [it], then there will be a future, And your hope will not be cut off.
15. हे दुष्ट, तू धर्मी के निवास को नाश करने के लिये घात को न बैठ; ओर उसके विश्रामस्थान केा मत उजाड़;
15. Do not lie in wait, O wicked man, against the dwelling of the righteous; Do not destroy his resting place;
16. क्योंकि धर्मी चाहे सात बार गिरे तौभी उठ खड़ा होता है; परन्तु दुष्ट लोग विपत्ति में गिरकर पड़े ही रहते हैं।
16. For a righteous man falls seven times, and rises again, But the wicked stumble in [time of] calamity.
17. जब तेरा शत्रु गिर जाए तब तू आनन्दित न हो, और जब वह ठोकर खाए, तब तेरा मन मगन न हो।
17. Do not rejoice when your enemy falls, And do not let your heart be glad when he stumbles;
18. कहीं ऐसा न हो कि यहोवा यह देखकर अप्रसन्न हो और अपना क्रोध उस पर से हटा ले।।
18. Or the LORD will see [it] and be displeased, And turn His anger away from him.
19. कुकर्मियों के कारण मत कुढ़ दुष्ट लोगों के कारण डाह न कर;
19. Do not fret because of evildoers Or be envious of the wicked;
20. क्योंकि बुरे मनुष्य को अन्त में कुछ फल न मिलेगा, दुष्टों का दिया बुझा दिया जाएगा।।
20. For there will be no future for the evil man; The lamp of the wicked will be put out.
21. हे मेरे पुत्रा, यहोवा और राजा दोनों का भय मानना; और बलवा करनेवालों के साथ न मिलना;1 पतरस 2:17
21. My son, fear the LORD and the king; Do not associate with those who are given to change,
22. क्योंकि उन पर विपत्ति अचानक आ पड़ेगी, और दोनों की ओर से आनेवाली आपत्ति को कौन जानता है?
22. For their calamity will rise suddenly, And who knows the ruin [that comes] from both of them?
23. बुद्धिमानों के वचन यह भी हैं।। न्याय में पक्षपात करना, किसी रीति भी अच्छा नहीं।
23. These also are sayings of the wise. To show partiality in judgment is not good.
24. जो दुष्ट से कहता है कि तू निर्दोष है, उसको तो हर समाज के लोग शाप देते और जाति जाति के लोग धमी देते हैं;
24. He who says to the wicked, 'You are righteous,' Peoples will curse him, nations will abhor him;
25. परन्तु जो लोग दुष्ट को डांटते हैं उनका भला होता है, और उत्तम से उत्तम आशीर्वाद उन पर आता है।
25. But to those who rebuke the [wicked] will be delight, And a good blessing will come upon them.
26. जो सीधा उत्तर देता है, वह होठों को चूमता है।।
26. He kisses the lips Who gives a right answer.
27. अपना बाहर का कामकाज ठीक करना, और खेत में उसे तैयार कर लेना; उसके बाद अपना घर बनाना।।
27. Prepare your work outside And make it ready for yourself in the field; Afterwards, then, build your house.
28. व्यर्थ अपने पड़ोसी के विरूद्ध साक्षी न देना, और न उसको फुसलाना।
28. Do not be a witness against your neighbor without cause, And do not deceive with your lips.
29. मत कह, कि जैसा उस ने मेरे साथ किया वैसा ही मैं भी उसके साथ करूंगा; और उसको उसके काम के अनुसा पलटा दूंगा।।
29. Do not say, 'Thus I shall do to him as he has done to me; I will render to the man according to his work.'
30. मैं आलसी के खेत के पास से और निर्बुद्धि मनुष्य की दाख की बारी के पास होकर जाता था,
30. I passed by the field of the sluggard And by the vineyard of the man lacking sense,
31. तो क्या देखा, कि वहां सब कहीं कटीले पेड़ भर गए हैं; और वह बिच्छू पेड़ों से ढंप गई है, और उसके पत्थर का बाड़ा गिर गया है।
31. And behold, it was completely overgrown with thistles; Its surface was covered with nettles, And its stone wall was broken down.
32. तब मैं ने देखा और उस पर ध्यानपूर्वक विचार किया; हां मैं ने देखकर शिक्षा प्राप्त की।
32. When I saw, I reflected upon it; I looked, [and] received instruction.
33. छोटी सी नींद, एक और झपकी, थोड़ी देर हाथ पर हाथ रख के और लेटे रहना,
33. 'A little sleep, a little slumber, A little folding of the hands to rest,'
34. तब तेरा कंगालपन डाकू की नाई, और तेरी घटी हथियारबन्द के समान आ पड़ेगी।।
34. Then your poverty will come [as] a robber And your want like an armed man.