Psalms - भजन संहिता 69 | View All

1. हे परमेश्वर, मेरा उद्धार कर, मैं जल में डूबा जाता हूं।

1. হে ঈশ্বর, আমাকে পরিত্রাণ কর, কেননা আমার প্রাণ পর্য্যন্ত জল উঠিয়াছে।

2. मैं बड़े दलदल में धसा जाता हूं, और मेरे पैर कहीं नहीं रूकते; मैं गहिरे जल में आ गया, और धारा में डूबा जाता हूं।

2. আমি অগাধ পঙ্কে ডুবিয়াছি, দাঁড়াইবার স্থান নাই; গভীর জলে আসিয়াছি, বন্যা আমার উপর দিয়া যাইতেছে।

3. मैं पुकारते पुकारते थक गया, मेरा गला सूख गया है; अपने परमेश्वर की बाट जोहते जोहते, मेरी आंखे रह गई हैं।।

3. আমি ডাকিতে ডাকিতে ক্লান্ত হইয়াছি, আমার কণ্ঠ শুষ্ক হইয়াছে; আমার ঈশ্বরের অপেক্ষা করিতে করিতে আমার নয়নযুগল নিস্তেজ হইয়াছে।

4. जो अकारण मेरे बैरी हैं, वे गिनती में मेरे सिर के बालों से अधिक हैं; मेरे विनाश करनेवाले जो व्यर्थ मेरे शत्रु हैं, वे सामर्थीं हैं, इसलिये जो मैं ने लूटा नहीं वह भी मुझ को देना पड़ा है।
यूहन्ना 15:25

4. যাহারা অকারণে আমার বিদ্বেষী, তাহারা আমার মস্তকের কেশ অপেক্ষাও অনেক আমার উচ্ছেদার্থী মিথ্যাবাদী শত্রুগণ বলবান; আমি যাহা অপহরণ করি নাই, তাহাও আমাকে ফিরাইয়া দিতে হইল।

5. हे परमेश्वर, तू तो मेरी मूढ़ता को जानता है, और मेरे दोष तुझ से छिपे नहीं हैं।।

5. হে ঈশ্বর, তুমি আমার মূঢ়তা জ্ঞাত আছ; আমার দোষ সকল তোমা হইতে গুপ্ত নয়।

6. हे प्रभु, हे सेनाओं के यहोवा, जो तेरी बाट जोहते हैं, उनकी आशा मेरे कारण न टूटे; हे इस्राएल के परमेश्वर, जो तुझे ढूंढते हैं उनका मुंह मेरे कारण काला न हो।

6. হে প্রভু, বাহিনীগণের সদাপ্রভু, তোমার অপেক্ষাকারিগণ আমার দ্বারা লজ্জিত না হউক; হে ইস্রায়েলের ঈশ্বর, তোমার অন্বেষণকারিগণ আমার দ্বারা অপমানিত না হউক।

7. तेरे ही कारण मेरी निन्दा हुई है, और मेरा मुंह लज्जा से ढंपा है।

7. কেননা তোমারই নিমিত্ত আমি তিরস্কার সহ্য করিয়াছি, আমার মুখ লজ্জায় আচ্ছাদিত হইয়াছে।

8. मैं अपने भाइयों के साम्हने अजनबी हुआ, और अपने सगे भाइयों की दृष्टि में परदेशी ठहरा हूं।।

8. আমি হইয়াছি আমার ভ্রাতৃগণের কাছে বিদেশী, আমার সহোদরগণের কাছে বিজাতীয়।

9. क्योंकि मैं तेरे भवन के निमित्त जलते जलते भस्म हुआ, और जो निन्दा वे तेरी करते हैं, वही निन्दा मुझ को सहनी पड़ी है।
यूहन्ना 2:17, रोमियों 15:3, इब्रानियों 11:26

9. কারণ তোমার গৃহনিমিত্তক উদ্যোগ আমাকে গ্রাস করিয়াছে; যাহারা তোমাকে তিরস্কার করে, তাহাদের তিরস্কার আমার উপরে পড়িয়াছে।

10. जब मैं रोकर और उपवास करके दु:ख उठाता था, तब उस से भी मेरी नामधराई ही हुई।

10. যখন আমি রোদন করিলাম, উপবাস দ্বারা প্রাণকে [ক্লেশ দিলাম], তখন তাহা আমার দুর্নামের বিষয় হইল।

11. और जब मैं टाट का वस्त्रा पहिने था, तब मेरा दृष्टान्त उन में चलता था।

11. যখন আমি চট পরিধান করিলাম, তখন তাহাদের কাছে প্রবাদের বিষয় হইলাম।

12. फाटक के पास बैठनेवाले मेरे विषय बातचीत करते हैं, और मदिरा पीनेवाले मुझ पर लगता हुआ गीत गाते हैं।

12. যাহারা পুরদ্বারে বসে, তাহারা আমার বিষয়ে কথাবার্ত্তা কহে; আমি সুরাপায়ীদের গীতস্বরূপ।

13. परन्तु हे यहोवा, मेरी प्रार्थना तो तेरी प्रसन्नता के समय में हो रही है; हे परमेश्वर अपनी करूणा की बहुतायात से, और बचाने की अपनी सच्ची प्रतिज्ञा के अनुसार मेरी सुन ले।

13. কিন্তু, হে সদাপ্রভু, আমি তোমারই নিকটে প্রসন্নতার সময়ে প্রার্থনা করিতেছি; হে ঈশ্বর, তোমার দয়ার বাহুল্যে, তোমার পরিত্রাণের সত্যে, আমাকে উত্তর দেও।

14. मुझ को दलदल में से उबार, कि मैं धंस न जाऊं; मैं अपने बैरियों से, और गहिरे जल में से बच जाऊं।

14. পঙ্ক হইতে আমাকে উদ্ধার কর, ডুবিয়া যাইতে দিও না; বিদ্বেষিগণ হইতে ও গভীর জল হইতে যেন উদ্ধার পাই।

15. मैं धारा में डूब न जाऊं, और न मैं गहिरे जल में डूब मरूं, और न पाताल का मुंह मेरे ऊपर बन्द हो।।

15. জলের বন্যা আমার উপর ছাপিয়া না উঠুক, অগাধ জল আমাকে গ্রাস না করুক; আমার উপরে কূপ আপন মুখ বদ্ধ না করুক।

16. हे यहोवा, मेरी सुन ले, क्योंकि तेरी करूणा उत्तम है; अपनी दया की बहुतायत के अनुसार मेरी ओर ध्यान दे।

16. হে সদাপ্রভু, আমাকে উত্তর দেও, কেননা তোমার দয়া উত্তম; তোমার কৃপার বাহুল্যানুসারে আমার প্রতি মুখ ফিরাও।

17. अपने दास से अपना मुंह न मोड़; क्योंकि मैं संकट में हूं, फुर्ती से मेरी सुन ले।

17. তোমার এই দাস হইতে মুখ আচ্ছাদন করিও না; কারণ আমি সঙ্কটাপন্ন, ত্বরায় আমাকে উত্তর দেও।

18. मेरे निकट आकर मुझे छुड़ा ले, मेरे शत्रुओं से मुझ को छुटकारा दे।।

18. নিকটে আসিয়া আমার প্রাণ মুক্ত কর; আমার শত্রুগণহেতু আমাকে নিষ্ক্রয় কর।

19. मेरी नामधराई और लज्जा और अनादर को तू जानता है: मेरे सब द्रोही तेरे साम्हने हैं।

19. তুমি আমার দুর্নাম, আমার লজ্জা ও আমার অপমান জান; আমার বিপক্ষেরা সকলে তোমার সম্মুখবর্ত্তী।

20. मेरा हृदय नामधराई के कारण फट गया, और मैं बहुत उदास हूं। मैं ने किसी तरस खानेवाले की आशा तो की, परन्तु किसी को न पाया, और शान्ति देनेवाले ढूंढ़ता तो रहा, परन्तु कोई न मिला।

20. তিরস্কারে আমার মনোভঙ্গ হইয়াছে, আমি অবসন্ন হইলাম, আমি সহানুভূতির অপেক্ষা করিলাম, কিন্তু তাহা নাই; সাত্ত্বনাকারীদের অপেক্ষা করিলাম, কিন্তু কাহাকেও পাইলাম না।

21. और लोगों ने मेरे खाने के लिये इन्द्रायन दिया, और मेरी प्यास बुझाने के लिये मुझे सिरका पिलाया।।
मत्ती 27:34-38, मरकुस 15:23-36, लूका 23:36, यूहन्ना 19:28-29

21. আবার লোকে আমার খাদ্যের জন্য বিষ দিল, আমার পিপাসাকালে অম্লরস পান করাইল।

22. उनको भोजन उनके लिये फन्दा हो जाए; और उनके सुख के समय जाल बन जाए।
रोमियों 11:9-10

22. তাহাদের মেজ তাহাদের সম্মুখে ফাঁদস্বরূপ হউক, শান্তিকালে তাহাদের পাশস্বরূপ হউক।

23. उनकी आंखों पर अन्धेरा छा जाए, ताकि वे देख न सकें; और तू उनकी कटि को निरन्तर कंपाता रह।
रोमियों 11:9-10

23. তাহাদের চক্ষু অন্ধ হউক, যেন তাহারা দেখিতে না পায়; তুমি তাহাদের কটিদেশ চির-কম্পযুক্ত কর।

24. उनके ऊपर अपना रोष भड़का, और तेरे क्रोध की आंच उनको लगे।
प्रकाशितवाक्य 16:1

24. তাহাদের উপরে তোমার ক্রোধ ঢালিয়া দেও, তোমার কোপাগ্নি তাহাদিগকে ধরুক।

25. उनकी छावनी उजड़ जाए, उनके डेरों में कोई न रहे।
प्रेरितों के काम 1:20

25. তাহাদের নিবাস শূন্য হউক, তাহাদের তাম্বুতে কেহ বাস না করুক।

26. क्योंकि जिसको तू ने मारा, वे उसके पीछे पड़े हैं, और जिनको तू ने घायल किया, वे उनकी पीड़ा की चर्चा करते हैं।
मत्ती 27:34, मरकुस 15:23, यूहन्ना 19:29

26. কেননা তাহারা তাহাকেই তাড়না করে, যাহাকে তুমি প্রহার করিয়াছ, তাহাদেরই ব্যথা বর্ণনা করে, যাহাদিগকে তুমি আঘাত করিয়াছ।

27. उनके अधर्म पर अधर्म बढ़ा; और वे तेरे धर्म को प्राप्त न करें।

27. তাহাদের অপরাধের উপরে অপরাধ যোগ কর, তাহারা তোমার ধর্ম্মশীলতায় প্রবেশ না করুক।

28. उनका नाम जीवन की पुस्तक में से काटा जाए, और धर्मियों के संग लिखा न जाए।।
फिलिप्पियों 4:3, प्रकाशितवाक्य 3:5, प्रकाशितवाक्य 13:8, प्रकाशितवाक्य 17:8, प्रकाशितवाक्य 20:12-15, प्रकाशितवाक्य 21:27

28. জীবন-পুস্তক হইতে তাহাদের নাম লুপ্ত হউক, ধার্ম্মিকগণের সহিত তাহাদের অঙ্কপাত না হউক।

29. परन्तु मैं तो दु:खी और पीड़ित हूं, इसलिये हे परमेश्वर तू मेरा उद्धार करके मुझे ऊंचे स्थान पर बैठा।

29. কিন্তু আমি দুঃখী ও ব্যথিত, হে ঈশ্বর, তোমার পরিত্রাণ আমাকে উন্নত করুক।

30. मैं गीत गाकर तेरे नाम की स्तुति करूंगा, और धन्यवाद करता हुआ तेरी बड़ाई करूंगा।

30. আমি গীত দ্বারা ঈশ্বরের নাম প্রশংসা করিব, স্তব দ্বারা তাঁহার মহিমা স্বীকার করিব।

31. यह यहोवा को बैल से अधिक, वरन सींग और खुरवाले बैल से भी अधिक भाएगा।

31. তাহাই সদাপ্রভুর দৃষ্টিতে তুষ্টিকর হইবে, গোরু অপেক্ষা, শৃঙ্গ ও খুরযুক্ত বৃষ অপেক্ষা হইবে।

32. नम्र लोग इसे देखकर आनन्दित होंगे, हे परमेश्वर के खोजियों तुम्हारा मन हरा हो जाए।

32. নম্রগণ তাহা দেখিয়া আনন্দ করিবে; ঈশ্বরান্বেষিগণ! তোমাদের হৃদয় সঞ্জীবিত হউক।

33. क्योंकि यहोवा दरिद्रों की ओर कान लगाता है, और अपने लोगों को जो बन्धुए हैं तुच्छ नही जानता।।

33. কেননা সদাপ্রভু দরিদ্রদের কথা শ্রবণ করেন, তিনি আপনার বন্দিগণকে তুচ্ছ করেন না।

34. स्वर्ग और पृथ्वी उसकी स्तुति करें, और समुद्र अपने सब जीव जन्तुओं समेत उसकी स्तुति करे।

34. আকাশ ও পৃথিবী তাঁহার প্রশংসা করুক, সমুদ্র ও তন্মধ্যস্থ সর্ব্ব জঙ্গম প্রশংসা করুক।

35. क्योंकि परमेश्वर सिरयोन का उद्धार करेगा, और यहूदा के नगरों को फिर बसाएगा; और लोग फिर वहां बसकर उसके अधिकारी हो जाएंगे।

35. কেননা ঈশ্বর সিয়োনের পরিত্রাণ করিবেন, ও যিহূদার নগর সকল গাঁথিবেন; লোকে সেখানে বাস করিবে, ও অধিকার পাইবে।

36. उसके दासों को वंश उसको अपने भाग में पाएगा, और उसके नाम के प्रेमी उस में वास करेंगे।।

36. তাঁহার দাসদের বংশই তাহা ভোগ করিবে; যাহারা তাঁহার নাম ভালবাসে, তাহারা তথায় বসতি করিবে।



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