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Cross Reference Bible
1. यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा की है!
1. O give thanks to the LORD, for he is good; for his steadfast love endures forever.
2. यहोवा के छुड़ाए हुए ऐसा ही कहें, जिन्हें उस ने द्रोही के हाथ से दाम देकर छुड़ा लिया है,
2. Let the redeemed of the LORD say so, those he redeemed from trouble
3. और उन्हें देश देश से पूरब- पश्चिम, उत्तर और दक्खिन से इकट्ठा किया है।।मत्ती 8:11, लूका 13:29
3. and gathered in from the lands, from the east and from the west, from the north and from the south.
4. वे जंगल में मरूभूमि के मार्ग पर भटकते फिरे, और कोई बसा हुआ नगर न पाया;
4. Some wandered in desert wastes, finding no way to an inhabited town;
5. भूख और प्यास के मारे, वे विकल हो गए।
5. hungry and thirsty, their soul fainted within them.
6. तब उन्हों ने संकट में यहोवा की दोहाई दी, और उस ने उनको सकेती से छुड़ाया;
6. Then they cried to the LORD in their trouble, and he delivered them from their distress;
7. और उनको ठीक मार्ग पर चलाया, ताकि वे बसने के लिये किसी नगर को जा पहुंचे।
7. he led them by a straight way, until they reached an inhabited town.
8. लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण, जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!
8. Let them thank the LORD for his steadfast love, for his wonderful works to humankind.
9. क्योंकि वह अभिलाषी जीव को सन्तुष्ट करता है, और भूखे को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है।।लूका 1:53
9. For he satisfies the thirsty, and the hungry he fills with good things.
10. जो अन्धियारे और मृत्यु की छाया में बैठे, और दु:ख में पड़े और बेड़ियों से जकड़े हुए थे,
10. Some sat in darkness and in gloom, prisoners in misery and in irons,
11. इसलिये कि वे ईश्वर के वचनों के विरूद्ध चले, और परमप्रधान की सम्मति को तुच्छ जाना।
11. for they had rebelled against the words of God, and spurned the counsel of the Most High.
12. तब उसने उनको कष्ट के द्वारा दबाया; वे ठोकर खाकर गिर पड़े, और उनको कोई सहायक न मिला।
12. Their hearts were bowed down with hard labor; they fell down, with no one to help.
13. तब उन्हों ने संकट में यहोवा की दोहाई दी, और उस न सकेती से उनका उद्धार किया;
13. Then they cried to the LORD in their trouble, and he saved them from their distress;
14. उस ने उनको अन्धियारे और मृत्यु की छाया में से निकाल लिया; और उनके बन्धनों को तोड़ डाला।
14. he brought them out of darkness and gloom, and broke their bonds asunder.
15. लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!
15. Let them thank the LORD for his steadfast love, for his wonderful works to humankind.
16. क्योंकि उस ने पीतल के फाटकों को तोड़ा, और लोहे के बेण्डों को टुकड़े टुकड़े किया।।
16. For he shatters the doors of bronze, and cuts in two the bars of iron.
17. मूढ़ अपनी कुचाल, और अधर्म के कामों के कारण अति दु:खित होते हैं।
17. Some were sick through their sinful ways, and because of their iniquities endured affliction;
18. उनका जी सब भांति के भोजन से मिचलाता है, और वे मृत्यु के फाटक तक पहुंचते हैं।
18. they loathed any kind of food, and they drew near to the gates of death.
19. तब वे संकट में यहोवा की दोहाई देते हैं, और व सकेती से उनका उद्धार करता है;
19. Then they cried to the LORD in their trouble, and he saved them from their distress;
20. वह अपने वचन के द्वारा उनको चंगा करता और जिस गड़हे में वे पड़े हैं, उस से निकालता है।प्रेरितों के काम 10:36, प्रेरितों के काम 13:26
20. he sent out his word and healed them, and delivered them from destruction.
21. लोग यहोवा की करूणा के कारण और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!
21. Let them thank the LORD for his steadfast love, for his wonderful works to humankind.
22. और वे धन्यवादबलि चढ़ाएं, और जयजयकार करते हुए, उसके कामों का वर्णन करें।।
22. And let them offer thanksgiving sacrifices, and tell of his deeds with songs of joy.
23. जो लोग जहाजों में समुद्र पर चलते हैं, और महासागर पर होकर व्योपार करते हैं;
23. Some went down to the sea in ships, doing business on the mighty waters;
24. वे यहोवा के कामों को, और उन आश्चर्यकर्मों को जो वह गहिरे समुद्र में करता है, देखते हैं।
24. they saw the deeds of the LORD, his wondrous works in the deep.
25. क्योंकि वह आज्ञा देता है, वह प्रचण्ड बयार उठकर तरंगों को उठाती है।
25. For he commanded and raised the stormy wind, which lifted up the waves of the sea.
26. वे आकाश तक चढ़ जाते, फिर गहराई में उतर आते हैं; और क्लेश के मारे उनके जी में जी नहीं रहता;
26. They mounted up to heaven, they went down to the depths; their courage melted away in their calamity;
27. वे चक्कर खाते, और मतवाले की नाई लड़खड़ाते हैं, और उनकी सारी बुद्धि मारी जाती है।
27. they reeled and staggered like drunkards, and were at their wits' end.
28. तब वे संकट में यहोवा की दोहाई देते हैं, और वह उनको सकेती से निकालता है।
28. Then they cried to the LORD in their trouble, and he brought them out from their distress;
29. वह आंधी को थाम देता है और तरंगें बैठ जाती हैं।
29. he made the storm be still, and the waves of the sea were hushed.
30. तब वे उनके बैठने से आनन्दित होते हैं, और वह उनको मन चाहे बन्दर स्थान में पहुंचा देता है।
30. Then they were glad because they had quiet, and he brought them to their desired haven.
31. लोग यहोवा की करूणा के कारण, और वह उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें।
31. Let them thank the LORD for his steadfast love, for his wonderful works to humankind.
32. और सभा में उसको सराहें, और पुरतियों के बैठक में उसकी स्तुति करें।।
32. Let them extol him in the congregation of the people, and praise him in the assembly of the elders.
33. वह नदियों को जंगल बना डालता है, और जल के सोतों को सूखी भूमि कर देता है।
33. He turns rivers into a desert, springs of water into thirsty ground,
34. वह फलवन्त भूमि को नोनी करता है, यह वहां के रहनेवालों की दुष्टता के कारण होता है।
34. a fruitful land into a salty waste, because of the wickedness of its inhabitants.
35. वह जंगल को जल का ताल, और निर्जल देश को जल के सोते कर देता है।
35. He turns a desert into pools of water, a parched land into springs of water.
36. और वहां वह भूखों को बसाता है, कि वे बसने के लिये नगर तैयार करें;
36. And there he lets the hungry live, and they establish a town to live in;
37. और खेती करें, और दाख की बारियां लगाएं, और भांति भांति के फल उपजा लें।
37. they sow fields, and plant vineyards, and get a fruitful yield.
38. और वह उनको ऐसी आशीष देता है कि वे बहुत बढ़ जाते हैं, और उनके पशुओं को भी वह घटने नहीं देता।।
38. By his blessing they multiply greatly, and he does not let their cattle decrease.
39. फिर अन्धेर, विपत्ति और शोक के कारण, वे घटते और दब जाते हैं।
39. When they are diminished and brought low through oppression, trouble, and sorrow,
40. और वह हाकिमों को अपमान से लादकर मार्ग रहित जंगल में भटकाता है;
40. he pours contempt on princes and makes them wander in trackless wastes;
41. वह दरिद्रों को दु:ख से छुड़ाकर ऊंचे पर रखता है, और उनको भेड़ों के झुंड सा परिवार देता है।
41. but he raises up the needy out of distress, and makes their families like flocks.
42. सीधे लोग देखकर आनन्दित होते हैं; और सब कुटिल लोग अपने मुंह बन्द करते हैं।
42. The upright see it and are glad; and all wickedness stops its mouth.
43. जो कोई बुद्धिमान हो, वह इन बातों पर ध्यान करेगा; और यहोवा की करूणा के कामों पर ध्यान करेगा।।
43. Let those who are wise give heed to these things, and consider the steadfast love of the LORD.