Psalms - भजन संहिता 107 | View All

1. यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा की है!

1. BOOK V Give thanks to the Lord, because he is good. His faithful love continues forever.

2. यहोवा के छुड़ाए हुए ऐसा ही कहें, जिन्हें उस ने द्रोही के हाथ से दाम देकर छुड़ा लिया है,

2. That's what those who have been set free by the Lord should say. He set them free from the power of the enemy.

3. और उन्हें देश देश से पूरब- पश्चिम, उत्तर और दक्खिन से इकट्ठा किया है।।
मत्ती 8:11, लूका 13:29

3. He brought them back from other lands. He brought them back from east and west, from north and south.

4. वे जंगल में मरूभूमि के मार्ग पर भटकते फिरे, और कोई बसा हुआ नगर न पाया;

4. Some of them wandered in deserts that were dry and empty. They couldn't find their way to a city where they could settle down.

5. भूख और प्यास के मारे, वे विकल हो गए।

5. They were hungry and thirsty. Their lives were slipping away.

6. तब उन्हों ने संकट में यहोवा की दोहाई दी, और उस ने उनको सकेती से छुड़ाया;

6. Then they cried out to the Lord because of their problems. And he saved them from their troubles.

7. और उनको ठीक मार्ग पर चलाया, ताकि वे बसने के लिये किसी नगर को जा पहुंचे।

7. He led them straight to a city where they could settle down.

8. लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण, जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!

8. Let them give thanks to the Lord for his faithful love. Let them give thanks for the miracles he does for his people.

9. क्योंकि वह अभिलाषी जीव को सन्तुष्ट करता है, और भूखे को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है।।
लूका 1:53

9. He gives those who are thirsty all of the water they want. He gives those who are hungry all of the good food they can eat.

10. जो अन्धियारे और मृत्यु की छाया में बैठे, और दु:ख में पड़े और बेड़ियों से जकड़े हुए थे,

10. Others lived in the deepest darkness. They suffered as prisoners in iron chains.

11. इसलिये कि वे ईश्वर के वचनों के विरूद्ध चले, और परमप्रधान की सम्मति को तुच्छ जाना।

11. That's because they hadn't obeyed the words of God. They had refused to follow the advice of the Most High God.

12. तब उसने उनको कष्ट के द्वारा दबाया; वे ठोकर खाकर गिर पड़े, और उनको कोई सहायक न मिला।

12. So he made them do work that was hard and bitter. They tripped and fell, and there was no one to help them.

13. तब उन्हों ने संकट में यहोवा की दोहाई दी, और उस न सकेती से उनका उद्धार किया;

13. Then they cried out to the Lord because of their problems. And he saved them from their troubles.

14. उस ने उनको अन्धियारे और मृत्यु की छाया में से निकाल लिया; और उनके बन्धनों को तोड़ डाला।

14. He brought them out of the deepest darkness. He broke their chains off.

15. लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!

15. Let them give thanks to the Lord for his faithful love. Let them give thanks for the miracles he does for his people.

16. क्योंकि उस ने पीतल के फाटकों को तोड़ा, और लोहे के बेण्डों को टुकड़े टुकड़े किया।।

16. He breaks down gates that are made of bronze. He cuts through bars that are made of iron.

17. मूढ़ अपनी कुचाल, और अधर्म के कामों के कारण अति दु:खित होते हैं।

17. Others were foolish. They suffered because of their sins. They suffered because they wouldn't obey the Lord.

18. उनका जी सब भांति के भोजन से मिचलाता है, और वे मृत्यु के फाटक तक पहुंचते हैं।

18. They refused to eat anything. They came close to passing through the gates of death.

19. तब वे संकट में यहोवा की दोहाई देते हैं, और व सकेती से उनका उद्धार करता है;

19. Then they cried out to the Lord because of their problems. And he saved them from their troubles.

20. वह अपने वचन के द्वारा उनको चंगा करता और जिस गड़हे में वे पड़े हैं, उस से निकालता है।
प्रेरितों के काम 10:36, प्रेरितों के काम 13:26

20. He gave his command and healed them. He saved them from the grave.

21. लोग यहोवा की करूणा के कारण और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!

21. Let them give thanks to the Lord for his faithful love. Let them give thanks for the miracles he does for his people.

22. और वे धन्यवादबलि चढ़ाएं, और जयजयकार करते हुए, उसके कामों का वर्णन करें।।

22. Let them sacrifice thank offerings. Let them talk about what he has done as they sing with joy.

23. जो लोग जहाजों में समुद्र पर चलते हैं, और महासागर पर होकर व्योपार करते हैं;

23. Others sailed out on the ocean in ships. They traded goods on the mighty waters.

24. वे यहोवा के कामों को, और उन आश्चर्यकर्मों को जो वह गहिरे समुद्र में करता है, देखते हैं।

24. They saw the works of the Lord. They saw the miracles he did on the ocean.

25. क्योंकि वह आज्ञा देता है, वह प्रचण्ड बयार उठकर तरंगों को उठाती है।

25. He spoke and stirred up a storm. It lifted the waves high.

26. वे आकाश तक चढ़ जाते, फिर गहराई में उतर आते हैं; और क्लेश के मारे उनके जी में जी नहीं रहता;

26. They rose up to the heavens. Then they went down deep into the ocean. In that kind of danger the people's boldness melted away.

27. वे चक्कर खाते, और मतवाले की नाई लड़खड़ाते हैं, और उनकी सारी बुद्धि मारी जाती है।

27. They were unsteady like those who get drunk. They didn't know what to do.

28. तब वे संकट में यहोवा की दोहाई देते हैं, और वह उनको सकेती से निकालता है।

28. Then they cried out to the Lord because of their problems. And he brought them out of their troubles.

29. वह आंधी को थाम देता है और तरंगें बैठ जाती हैं।

29. He made the storm as quiet as a whisper. The waves of the ocean calmed down.

30. तब वे उनके बैठने से आनन्दित होते हैं, और वह उनको मन चाहे बन्दर स्थान में पहुंचा देता है।

30. The people were glad when the ocean became calm. Then he guided them to the harbor they were looking for.

31. लोग यहोवा की करूणा के कारण, और वह उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें।

31. Let them give thanks to the Lord for his faithful love. Let them give thanks for the miracles he does for his people.

32. और सभा में उसको सराहें, और पुरतियों के बैठक में उसकी स्तुति करें।।

32. Let them honor him among his people who gather for worship. Let them praise him in the meeting of the elders.

33. वह नदियों को जंगल बना डालता है, और जल के सोतों को सूखी भूमि कर देता है।

33. He turned rivers into a desert. He turned flowing springs into thirsty ground.

34. वह फलवन्त भूमि को नोनी करता है, यह वहां के रहनेवालों की दुष्टता के कारण होता है।

34. He turned land that produced crops into a salty land where nothing could grow. He did it because the people who lived there were evil.

35. वह जंगल को जल का ताल, और निर्जल देश को जल के सोते कर देता है।

35. He turned the desert into pools of water. He turned the dry and cracked ground into flowing springs.

36. और वहां वह भूखों को बसाता है, कि वे बसने के लिये नगर तैयार करें;

36. He brought hungry people there to live. They built a city where they could settle down.

37. और खेती करें, और दाख की बारियां लगाएं, और भांति भांति के फल उपजा लें।

37. They planted fields and vineyards that produced large crops.

38. और वह उनको ऐसी आशीष देता है कि वे बहुत बढ़ जाते हैं, और उनके पशुओं को भी वह घटने नहीं देता।।

38. He blessed the people, and they greatly increased their numbers. He kept their herds from getting smaller.

39. फिर अन्धेर, विपत्ति और शोक के कारण, वे घटते और दब जाते हैं।

39. Then the number of God's people got smaller. They were brought low by trouble, suffering and sorrow.

40. और वह हाकिमों को अपमान से लादकर मार्ग रहित जंगल में भटकाता है;

40. The One who looks down on proud nobles made them wander in a desert where no one lives.

41. वह दरिद्रों को दु:ख से छुड़ाकर ऊंचे पर रखता है, और उनको भेड़ों के झुंड सा परिवार देता है।

41. But he lifted needy people out of their suffering. He made their families increase like flocks of sheep.

42. सीधे लोग देखकर आनन्दित होते हैं; और सब कुटिल लोग अपने मुंह बन्द करते हैं।

42. Honest people see it and are filled with joy. But no one who is evil has anything to say.

43. जो कोई बुद्धिमान हो, वह इन बातों पर ध्यान करेगा; और यहोवा की करूणा के कामों पर ध्यान करेगा।।

43. Let those who are wise pay attention to these things. Let them think about the Lord's great love.



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