25. तब यहोशापात और उसकी प्रजा लूट लेने को गए और लोथों के बीचा बहुत सी सम्मत्ति और मनभावने गहने मिले; उन्हों ने इतने गहने उतार लिये कि उनको न ले जा सके, वरन लूट इतनी मिली, कि बटोरते बटोरते तीन दिन बीत गए।
25. and Jehoshaphat cometh in, and his people, to seize their spoil, and they find among them, in abundance, both goods and carcases, and desirable vessels, and they take spoil to themselves without prohibition, and they are three days seizing the spoil, for it [is] abundant.