27. और उस ने करूबों को भीतरवाले स्थान में धरवा दिया; और करूबों के पंख ऐसे फैले थे, कि एक करूब का एक पंख, एक भीत से, और दूसरे का दूसरा पंख, दूसरी भीत से लगा हुआ था, फिर उनके दूसरे दो पंख भवन के मध्य में एक दूसरे से लगे हुए थे।
27. He set the [k'ruvim] in the inner house; the wings of the [k'ruvim] were stretched out, so that the wing of the one touched the one wall, and the wing of the other [keruv] touched the other wall; their wings touched each other in the middle of the house.