10. और मैं अपनी प्रजा इस्राएल के लिये एक स्थान ठहराऊंगा, और उसको स्थिर करूंगा, कि वह अपने ही स्थान में बसी रहेेगी, और कभी चलायमान न होगी; और कुटिल लोग उसे फिर दु:ख न देने पाएंगे, जैसे कि पहिले दिनों में करते थे,
10. and I have appointed a place for My people, for Israel, and have planted it, and it hath tabernacled in its place, and it is not troubled any more, and the sons of perverseness do not add to afflict it any more, as in the beginning,