2 Samuel - 2 शमूएल 7 | View All

1. जब राजा अपने भवन में रहता था, और यहोवा ने उसको उसके चारों ओर के सब शत्रुऔं से विश्राम दिया था,

1. Now when the king lived in his house and the LORD had given him rest from all his surrounding enemies,

2. तब राजा नातान नाम भविष्यद्वक्ता से कहने लगा, देख, मैं तो देवदारू के बने हुए घर में रहता हूँ, परन्तु परमेश्वर का सन्दूक तम्बू में रहता है।
प्रेरितों के काम 7:45-46

2. the king said to Nathan the prophet, 'See now, I dwell in a house of cedar, but the ark of God dwells in a tent.'

3. नातान ने राजा से कहा, जो कुछ तेरे मन में हो उसे कर; क्योंकि यहोवा तेरे संग है।

3. And Nathan said to the king, 'Go, do all that is in your heart, for the LORD is with you.'

4. उसी दिन रात को यहोवा का यह वचन नातान के पास पहुंचा,

4. But that same night the word of the LORD came to Nathan,

5. कि जाकर मेरे दास दाऊद से कह, यहोवा सों कहता है, कि क्या तू मेरे निवास के लिये घर बनवाएगा?

5. 'Go and tell my servant David, 'Thus says the LORD: Would you build me a house to dwell in?

6. जिस दिन से मैं इस्रालिएयों को मिस्र से निकाल लाया आज के दिन तक मैं कभी घर में नहीं रहा, तम्बू के निवास में आया जाया करता हूँ।

6. I have not lived in a house since the day I brought up the people of Israel from Egypt to this day, but I have been moving about in a tent for my dwelling.

7. जहां जहां मैं समस्त इस्राएलियों के बीच फिरता थि, क्या मैं ने कहीं इस्राएल के किसी गोत्रा से, जिसे मैं ने अपनी प्रजा इस्राएल की चरवाही करने को ठहराया हो, ऐसी बात कभी कही, कि तुम ने मेरे लिऐ देवदारू का घर क्यों नहीं बनवाया?

7. In all places where I have moved with all the people of Israel, did I speak a word with any of the judges of Israel, whom I commanded to shepherd my people Israel, saying, 'Why have you not built me a house of cedar?''

8. इसलिये अब तू मेरे दास दाऊद से ऐसा कह, कि सेनाओं का यहोवा यों कहता है, कि मैं ने तो तुझे भेड़शाला से, और भ्ेाड़- बकरिसों के पीछे पीछे फिरने से, इस मनसा से बुला लिया कि तू मेरी प्रजा इस्राएल का प्रधान हो जाए।
2 कुरिन्थियों 6:18

8. Now, therefore, thus you shall say to my servant David, 'Thus says the LORD of hosts, I took you from the pasture, from following the sheep, that you should be prince over my people Israel.

9. और जहां कहीं तू आया गया, वहां वहां मैं तेरे संग रहा, और तेरे समस्त शत्रुओं को तेरे साम्हने से नाश किया है; फिर मैं तेरे नाम को पृथ्वी पर के बड़े बड़े लोगों के नामों के समान महान कर दूंगा।

9. And I have been with you wherever you went and have cut off all your enemies from before you. And I will make for you a great name, like the name of the great ones of the earth.

10. और मैं अपनी प्रजा इस्राएल के लिये एक स्थान ठहराऊंगा, और उसको स्थिर करूंगा, कि वह अपने ही स्थान में बसी रहेेगी, और कभी चलायमान न होगी; और कुटिल लोग उसे फिर दु:ख न देने पाएंगे, जैसे कि पहिले दिनों में करते थे,

10. And I will appoint a place for my people Israel and will plant them, so that they may dwell in their own place and be disturbed no more. And violent men shall afflict them no more, as formerly,

11. वरन उस समय से भी जब मैं अपनी प्रजा इस्राएल के ऊपर न्यायी ठहराता था; और मैं तुझे तेरे समस्त शत्रुओं से विश्राम दूंगा। और यहोवा तुझे यह भी बताता है कि यहोवा तेरा घर बनाए रखेगा।

11. from the time that I appointed judges over my people Israel. And I will give you rest from all your enemies. Moreover, the LORD declares to you that the LORD will make you a house.

12. जब तेरी आयु पूरी हो जाएगी, और तू अपने पुरखाओं के संग सो जाएगा, तब मैं तेरे निज वंश को तेरे पीछे खड़ा करंके उसके राज्य को स्थिर करूंगा।
लूका 1:32-33, यूहन्ना 7:42, प्रेरितों के काम 2:30, प्रेरितों के काम 13:23

12. When your days are fulfilled and you lie down with your fathers, I will raise up your offspring after you, who shall come from your body, and I will establish his kingdom.

13. मेरे नाम का घर वही बनवाएगा, और मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्थिर रखूंगा।
लूका 1:32-33, यूहन्ना 7:42, प्रेरितों के काम 2:30, प्रेरितों के काम 13:23

13. He shall build a house for my name, and I will establish the throne of his kingdom forever.

14. मैं उसका पिता ठहरूंगा, और वह मेरा पुत्रा ठहरेगा। यदि वह अधर्म करे, तो मैं उसे मनुष्यों के योग्य दण्ड से, और आदमियों के योग्य मार से ताड़ना दूंगा।
2 कुरिन्थियों 6:18, इब्रानियों 1:5, प्रकाशितवाक्य 21:7, इब्रानियों 12:7

14. I will be to him a father, and he shall be to me a son. When he commits iniquity, I will discipline him with the rod of men, with the stripes of the sons of men,

15. परन्तु मेरी करूणा उस पर से ऐसे न हटेगी, जैसे मैं ने शाऊल पर से हटाकर उसको तेरे आगे से दूर किया।

15. but my steadfast love will not depart from him, as I took it from Saul, whom I put away from before you.

16. वरन तेरा घराना और तेरा राज्य मेरे साम्हने सदा अटल बना रहेगा; तेरी गद्दी सदैव बनी रहेगी।
लूका 1:32-33

16. And your house and your kingdom shall be made sure forever before me. Your throne shall be established forever.''

17. इन सब बातों और इस दर्शन के अनुसार नातान ने दाऊद को समझा दिया।

17. In accordance with all these words, and in accordance with all this vision, Nathan spoke to David.

18. तब दाऊद राजा भीतर जाकर यहोवा के सम्मुख बैठा, और कहने लगा, हे प्रभु यहोवा, क्या कहूं, और मेरा घराना क्या है, कि तू ने मुझे यहां तक पहुंचा दिया है?

18. Then King David went in and sat before the LORD and said, 'Who am I, O Lord GOD, and what is my house, that you have brought me thus far?

19. परन्तु तौभी, हे प्रभु यहोवा, यह तेरी दृष्टी में छोटी सी बात हुई; क्योंकि तु ने अपने दास के घराने के विषय आगे के बहुत दिनों तक की चर्चा की है, और हे प्रभु यहोवा, यह तो मनुष्य का नियम है !

19. And yet this was a small thing in your eyes, O Lord GOD. You have spoken also of your servant's house for a great while to come, and this is instruction for mankind, O Lord GOD!

20. दाऊद तुझ से और क्या कह सकता है? हे प्रभु यहावा, तू तो अपने दास को जानता है !

20. And what more can David say to you? For you know your servant, O Lord GOD!

21. तू ने अपने वचन के निमित्त, और अपने ही मन के अनुसार, यह सब बड़ा काम किया है, कि तेरा दास उसको जान ले।

21. Because of your promise, and according to your own heart, you have brought about all this greatness, to make your servant know it.

22. इस कारण, हे यहोवा परमेश्वर, तू महान् है; क्योंकि जो कुछ हम ने अपने कानों से सुना है, उसके अनुसार तेरे तुल्य कोई नहीं, और न तुझे छोड़ कोई और परमेश्वर है।

22. Therefore you are great, O LORD God. For there is none like you, and there is no God besides you, according to all that we have heard with our ears.

23. फिर तेरी प्रजा इस्राएल के भी तुल्य कौन है? यह तो पृथ्वी भर में एक ही जाति है जिसे परमेश्वर ने जाकर अपनी निज प्रजा करने को छुड़ाया, इसलिये कि वह अपना नाम करे, ( और तुम्हारे लिये बड़े बड़े काम करे ) और तू अपनी प्रजा के साम्हने, जिसे तू ने मिस्री आदि जाति जाति के लोगों और उनके देवताओं से छूड़ा लिया, अपने देश के लिये भयानक काम करे।

23. And who is like your people Israel, the one nation on earth whom God went to redeem to be his people, making himself a name and doing for them great and awesome things by driving out before your people, whom you redeemed for yourself from Egypt, a nation and its gods?

24. और तू ने अपनी प्रजा इस्राएल को अपनी सदा की प्रजा होने के लिये ठहराया; और हे यहोवा, तू आप उसका परमेश्वर है।

24. And you established for yourself your people Israel to be your people forever. And you, O LORD, became their God.

25. अब हे यहोवा परमेश्वर, तू ने जो वचन अपने दास के और उसके घराने के विषय दिया है, उसे सदा के लिये स्थिर कर, और अपने कहने के अनूसार ही कर;

25. And now, O LORD God, confirm forever the word that you have spoken concerning your servant and concerning his house, and do as you have spoken.

26. और यह कर कि लोग तेरे नाम की महिमा सदा किया करें, कि सेनाओं का यहोवा इस्राएल के ऊपर परमेश्वर है; और तेरे दास दाऊद का घराना तेरे साम्हने अटल रहे।

26. And your name will be magnified forever, saying, 'The LORD of hosts is God over Israel,' and the house of your servant David will be established before you.

27. क्योंकि, हे सेनाओं के यहोवा, हे इस्राएल के परमेश्वर, तू ने यह कहकर अपने दास पर प्रगट किया है, कि मैं तेरा घर बनाए रखूंगा; इस कारण तेरे दास को तुझ से यह प्रार्थना करने का हियाव हुआ है।

27. For you, O LORD of hosts, the God of Israel, have made this revelation to your servant, saying, 'I will build you a house.' Therefore your servant has found courage to pray this prayer to you.

28. और अब हे प्रभु यहोवा, तू ही परमेश्वर है, और तेरे वचन सत्य हैं, और तू ने अपने दास को यह भलाई करने का वचन दिया है;

28. And now, O Lord GOD, you are God, and your words are true, and you have promised this good thing to your servant.

29. तो अब प्रसन्न होकर अपने दास के घराने पर ऐसी आशीष दे, कि वह तेरे सम्मुख सदैव बना रहे; क्योंकि, हे प्रभु यहोवा, तू ने ऐसा ही कहा है, और तेरे दास का घराना तुझ से आशीष पाकर सदैव धन्य रहे।

29. Now therefore may it please you to bless the house of your servant, so that it may continue forever before you. For you, O Lord GOD, have spoken, and with your blessing shall the house of your servant be blessed forever.'



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