2 Samuel - 2 शमूएल 19 | View All

1. तब योआब को यह समाचार मिला, कि राजा अबशालोम के लिये रो रहा है और विलाप कर रहा है।

1. পরে কেহ যোয়াবকে কহিল, দেখ, রাজা অবশালোমের জন্য ক্রন্দন ও শোক করিতেছেন।

2. इसलिये उस दिन का विजय सब लोगों की समझ में विलाप ही का कारण बन गया; क्योंकि लोगों ने उस दिन सुना, कि राजा अपने बेटे के लिये खेदित है।

2. আর সেই দিবসে সমস্ত লোকের পক্ষে বিজয় শোকের বিষয় হইয়া পড়িল, কারণ রাজা আপন পুত্রের বিষয়ে ব্যথিত হইয়াছেন, ইহা লোকে সেই দিন শুনিল।

3. और उस दिन लोग ऐसा मुंह चुराकर नगर में घुसे, जैसा लोग युठ्ठ से भाग आने से लज्जित होकर मुंह चुराते हैं।

3. আর রণস্থল হইতে পলায়নকালে লোকেরা যেমন বিষণ্ণ হইয়া চোরের ন্যায় চলে, তদ্রূপ লোকেরা ঐ দিবসে চোরের ন্যায় নগরে প্রবেশ করিল।

4. और राजा मुंह ढांपे हुए चिल्ला चिल्लाकर पुकारता रहा, कि हाय मेरे बेटे अबशालोम ! हाय अबशालोम, मेरे बेटे, मेरे बेटे !

4. আর রাজা আপন মুখ ঢাকিয়া উচ্চৈঃস্বরে ক্রন্দন করিয়া বলিতে লাগিলেন, হায়! আমার পুত্র অবশালোম! হায় অবশালোম! আমার পুত্র! আমার পুত্র!

5. तब योआब घर में राजा के पास जाकर कहने लगा, तेरे कर्मचारियों ने आज के दिन तेरा, और तेरे बेटे- बेटियों का और तेरी पत्नियों और रखेलियों का प्राण तो बचाया है, परन्तु तू ते आज के दिन उन सभों का मुंह काला किया है;

5. পরে যোয়াব গৃহের মধ্যে রাজার নিকটে আসিয়া কহিলেন, যাহারা আজ আপনার প্রাণ, আপনার পুত্র কন্যাদের প্রাণ ও আপনার ভার্য্যাদের প্রাণ ও আপনার উপপত্নীদের প্রাণ রক্ষা করিয়াছে, আপনার সেই দাসগণকে আপনি আজ বিষণ্ণবদন করিলেন।

6. इसलिये कि तू अपने बैरियों से प्रेम और अपने प्रेमियों से बैर रखता है। तू ने आज यह प्रगट किया कि तुझे हाकिमों और कर्मचारियों की कुछ चिन्ता नहीं; वरन मैं ने आज जान लिया, कि यदि हम सब आज मारे जाते और अबशालोम जीवित रहता, तो तू बहुत प्रसन्न होता।

6. বস্তুতঃ আপনি আপন বিদ্বেষিগণকে প্রেম ও আপন প্রেমকারিগণকে দ্বেষ করিতেছেন; ফলে আপনি আজ প্রকাশ করিতেছেন যে, অধ্যক্ষেরা ও দাসেরা আপনার কাছে কিছুই নয়; কেননা আজ আমি দেখিতে পাইতেছি, যদি অবশালোম বাঁচিয়া থাকিত, আর আমরা সকলে আজ মরিতাম, তাহা হইলে আপনি সন্তুষ্ট হইতেন।

7. इसलिये अब उठकर बाहर जा, और अपने कर्मचारियों को शान्ति दे; तहीं तो मैं यहोवा की शपथ खाकर कहता हूँ, कि यदि तू बाहर न जाएगा, तो आज रात को एक मनुष्य भी तेरे संग न रहेगा; और तेरे बचपन से लेकर अब तक जितनी विपत्तियां तुझ पर पड़ी हैं उन सब से यह विपत्ति बड़ी होगी।

7. অতএব আপনি এখন উঠিয়া বাহিরে গিয়া আপন দাসগণকে চিত্ততোষক কথা বলুন। আমি সদাপ্রভুর নামে শপথ করিতেছি, যদি আপনি বাহিরে না যান, তবে এই রাত্রি আপনার সহিত এক জনও থাকিবে না; এবং আপনার যৌবনকাল হইতে এখন পর্য্যন্ত যত অমঙ্গল ঘটিয়াছে, সে সকল অপেক্ষাও আপনার এই অমঙ্গল অধিক হইবে।

8. तब राजा उठकर फाटक में जा बैठा। और जब सब लोगों को यह बताया गया, कि राजा फाटक में बैठा है; तब सब लोग राजा के साम्हने आए। और इस्राएली अपने अपने डेरे को भाग गए थे।

8. তখন রাজা উঠিয়া নগর-দ্বারে বসিলেন; আর সমস্ত লোককে বলা হইল, দেখ, রাজা দ্বারে বসিয়া আছেন; তাহাতে সমস্ত লোক রাজার সম্মুখে আসিল।

9. और इस्राएल के सब गोत्रों में सब लोग आपस में यह कहकर ढगड़ते थे, कि राजा ने हमें हमारे शत्रुओं के हाथ से बचाया था, और पलिश्तियों के हाथ से उसी ने हमें छुड़ाया; परन्तु अब वह अबशालोम के डर के मारे देश छोड़कर भाग गया।

9. ইস্রায়েল লোকেরা প্রত্যেকে আপন আপন তাম্বুতে পলায়ন করিয়াছিল। পরে ইস্রায়েলের সমস্ত বংশের মধ্যে সমস্ত লোক কলহ করিয়া বলিতে লাগিল, রাজা শত্রুগণের হস্ত হইতে আমাদিগকে নিস্তার করিয়াছিলেন, ও পলেষ্টীয়দের হস্ত হইতে আমাদিগকে উদ্ধার করিয়াছিলেন; সম্প্রতি তিনি অবশালোমের ভয়ে দেশ হইতে পলায়ন করিয়াছেন।

10. और अबशालोम जिसको हम ने अपना राजा होने को अभिषेक किया था, वह युठ्ठ में मर गया है। तो अब तुम क्यों चुप रहते? और जाजा को लौटा ले अपने की चर्चा क्यों नहीं करते?

10. আর আমরা যে অবশালোমকে আপনাদের উপরে অভিষেক করিয়াছিলাম, তিনি যুদ্ধে মরিয়াছেন; অতএব তোমরা এখন রাজাকে ফিরাইয়া আনিবার বিষয়ে একটী কথাও বলিতেছ না কেন?

11. तब राजा दाऊद ने सादोक और एब्यातार याजकों के पास कहला भेजा, कि यहूदी पुरनियों से कहो, कि तुम लोग राजा को भवन पहुंचाने के लिये सब से पीछे क्यों होते हो जब कि समस्त इस्राएल की बातचीत राजा के सुनने में आई है, कि उसको भवन में पहुंचाए?

11. পরে দায়ূদ রাজা সাদোক ও অবিয়াথর এই দুই যাজকের নিকটে দূত পাঠাইয়া কহিলেন, তোমরা যিহূদার প্রাচীনবর্গকে বল, রাজাকে আপন বাটীতে ফিরাইয়া আনিতে তোমরা কেন সকলের শেষে পড়িতেছ? রাজাকে আপন বাটীতে ফিরাইয়া আনিবার জন্য সমস্ত ইস্রায়েলের নিবেদন তাঁহার নিকটে উপস্থিত হইয়াছে।

12. तुम लोग तो मेरे भाई, वरन मेरी ही हड्डी और मांस हो; तो तुम राजा को लौटाने में सब के पीछे क्यों होते हो?

12. তোমরাই আমার ভ্রাতা, তোমরাই আমার অস্থি ও আমার মাংস; অতএব রাজাকে ফিরাইয়া আনিতে কেন সকলের শেষে পড়িতেছ?

13. फिर अमासा से यह कहो, कि क्या तू मेरी हड्डी और मांस नहीं है? और यदि तू योआब के स्थान पर सदा के लिये सेनापति न ठहरे, तो परमेश्वर मुझ से वैसा ही वरन उस से भी अधिक करे।

13. তোমরা অমাসাকেও বল, তুমি কি আমার অস্থি ও আমার মাংস নও? যদি তুমি নিয়ত আমার সাক্ষাতে যোয়াবের পদে সৈন্যদলের সেনাপতি না হও, তবে ঈশ্বর আমাকে অমুক ও ততোধিক দণ্ড দিউন।

14. इस प्रकार उस ने सब यहूदी पुरूषों के मन ऐसे अपनी ओर खींच लिया कि मानों एक ही पुरूष था; और उन्हों ने राजा के पास कहला भेजा, कि तू अपने सब कर्पचारियों को संग लेकर लौट आ।

14. এইরূপে তিনি যিহূদার সমস্ত লোকের হৃদয়কে এক জনের হৃদয়ের ন্যায় নমন করিলেন, তাহাতে তাহারা লোক পাঠাইয়া রাজাকে কহিল, আপনি ও আপনার সকল দাস পুনরাগমন করুন।

15. तब राजा लौटकर यरदन तक आ गया; और यहूदी लोग गिलगाल तक गए कि उस से मिलकर उसे यरदन पार ले आए।

15. পরে রাজা প্রত্যাগমন করিয়া যর্দ্দন পর্য্যন্ত আসিলেন। আর যিহূদার লোকেরা রাজার সঙ্গে দেখা করিতে ও তাঁহাকে যর্দ্দন পার করিয়া আনিতে গিল্‌গলে গেল।

16. यहूदियों के संग गेरा का पुत्रा बिन्यामीनी शिमी भी जो बहूरीमी था फुत करके राजा दाऊद से भेंट करने को गया;

16. তখন দায়ূদ রাজার সঙ্গে দেখা করিতে বহুরীম-নিবাসী গেরার পুত্র বিন্যামীনীয় শিমিয়ি ত্বরা করিয়া যিহূদার লোকদের সহিত আসিল।

17. उसके संग हज़ार बिन्यामीनी पुरूष थे। और शाऊल के घराने का कर्मचारी सीबा अपने पन्द्रह पुत्रों और बीस दासों समेत था, और वे राजा के साम्हने यरदन के पार पांव पैदल उतर गए।

17. আর বিন্যামীনীয় এক সহস্র লোক তাহার সঙ্গে ছিল, এবং শৌলের কুলের ভৃত্য সীবঃ ও তাহার পঞ্চদশ পুত্র ও বিংশতি দাস তাহার সহিত ছিল, তাহারা রাজার সাক্ষাতে জল ভাঙ্গিয়া যর্দ্দন পার হইল।

18. और एक बेड़ा राजा के परिवार को पार ले आने, और जिस काम में वह उसे लगाने चाहे उसी में लगने के लिये पार गया। और जब राजा यरदन पार जाने पर था, तब गेरा का पुत्रा शिमी उसके पावों पर गिरके,

18. তখন খেয়ার নৌকা রাজার পরিজনদিগকে পার করিতে ও তাঁহার বাসনামত কর্ম্ম করিতে অন্য পারে গিয়াছিল। রাজার যর্দ্দন পার হইবার সময়ে গেরার পুত্র শিমিয়ি রাজার সম্মুখে উবুড় হইয়া পড়িল।

19. राजा से कहने लगा, मेरा प्रभु मेरे दोष का लेखा न करे, और जिस दिन मेरा प्रभु राजा यरूशलेम को छोड़ आया, उस दिन तेरे दास ने जो कुटिल काम किया, उसे ऐसा स्मरण न कर कि राजा उसे अपने ध्यान में रखे।

19. সে রাজাকে কহিল, আমার প্রভু আমার অপরাধ গণনা করিবেন না; যে দিন আমার প্রভু মহারাজ যিরূশালেম হইতে বাহির হন, সেই দিন আপনার দাস আমি যে অপকর্ম্ম করিয়াছিলাম, তাহা স্মরণে রাখিবেন না, মহারাজ কিছু মনে করিবেন না।

20. क्योंकि तेरा दास जानता है कि मैं ने पाप किया; देख, आज अपने प्रभु राजा से भेंट करने के लिये यूसुफ के समस्त घ्राने में से मैं ही पहिला आया हूँ।

20. আপনার দাস আমি জানি, আমি পাপ করিয়াছি, এই জন্য দেখুন, যোষেফের সমস্ত কুলের মধ্যে প্রথমে আমিই অদ্য আমার প্রভু মহারাজের সঙ্গে দেখা করিতে নামিয়া আসিয়াছি।

21. तब सरूयाह के पुत्रा अबीशै ने कहा, शिमी ने जो यहोवा के अभिषिक्त को शाप दिया था, इस कारण क्या उसको वध करना न चाहिये?

21. কিন্তু সরূয়ার পুত্র অবীশয় উত্তর করিলেন, এজন্য কি শিমিয়ির প্রাণদণ্ড হইবে না যে, সে সদাপ্রভুর অভিষিক্ত ব্যক্তিকে শাপ দিয়াছিল?

22. दाऊद ने कहा, हे सरूयाह के बेटों, मुझे तुम से क्या काम, कि तुम आज मेरे विरोधी ठहरे हो? आज क्या इस्राएल में किसी को प्राण दणड मिलेगा? क्या मैं नहीं जानता कि आज मैं इस्राएल का राजा हुआ हूँ?

22. দায়ূদ কহিলেন, হে সরূয়ার পুত্রগণ! তোমাদের সহিত আমার বিষয় কি যে, তোমরা অদ্য আমার বিপক্ষ হইতেছ? অদ্য কি ইস্রায়েলের মধ্যে কাহারও প্রাণদণ্ড হইতে পারে? কারণ আমি কি জানি না যে, অদ্য আমি ইস্রায়েলের উপরে রাজা?

23. फिर राजा ने शिमी से कहा, तुझे प्राण दणड न मिलेगा। और राजा ने उस से शपथ भी खाई।

23. পরে রাজা শিমিয়িকে কহিলেন, তোমার প্রাণদণ্ড হইবে না; ফলতঃ রাজা তাহার কাছে শপথ করিলেন।

24. तब शाऊल का पोता मपीबोशेत राजा से भेंट करने को आया; उस ने राजा के चले जाने के दिन से उसके कुशल क्षेम से फिर आने के दिन तक न अपने पावों के नाखून काटे, और न अपनी दाढी बनवाई, और न अपने कपड़े धुलवाए थे।

24. পরে শৌলের পৌত্র মফীবোশৎ রাজার সঙ্গে দেখা করিতে নামিয়া আসিলেন; রাজার প্রস্থান দিনাবধি কুশলে প্রত্যাগমন দিন পর্য্যন্ত তিনি আপন পায়ের প্রতি যত্ন করেন নাই, দাড়ি পরিষ্কার করেন নাই, ও বস্ত্র ধৌত করান নাই।

25. तो जब यरूशलेमी राजा से मिलने को गए, तब राजा ने उस से पूछा, हे मपीबोशेत, तू मेरे संग क्यों नहीं गया था?

25. আর যখন তিনি যিরূশালেমে রাজার সঙ্গে দেখা করিতে আসিলেন, তখন রাজা তাঁহাকে কহিলেন, হে মফীবোশৎ, তুমি কেন আমার সহিত যাও নাই?

26. उस ने कहा, हे मेरे प्रभु, हे राजा, मेरे कर्मचारी ने मुझे धोखा दिया था; तेरा दास जो पंगु है; इसलिये तेरे दास ने सोचा, कि मैं गदहे पर काठी कसवाकर उस पर चढ़ राजा के साथ चला जाऊंगा।

26. তিনি উত্তর করিলেন, হে আমার প্রভু, হে রাজন্‌, আমার দাস আমাকে বঞ্চনা করিয়াছিল; কেননা আপনার দাস আমি বলিয়াছিলাম, আমি গর্দ্দভ সাজাইয়া তাহার উপরে চড়িয়া মহারাজের সহিত যাইব, কেননা আপনার দাস আমি খঞ্জ।

27. और मेरे कर्मचारी ने मेरे प्रभु राजा के साम्हने मेरी चुगली खाई। परन्तु मेरा प्रभु राजा परमेश्वर के दूत के समान है; और जो कुछ तुझे भाए वही कर।

27. সে আমার প্রভু মহারাজের নিকটে আপনার এই দাসের নিন্দাবাদ করিয়াছে; কিন্তু আমার প্রভু মহারাজ ঈশ্বরের দূতের তুল্য; অতএব আপনার দৃষ্টিতে যাহা ভাল বোধ হয়, তাহাই করুন।

28. मेरे पिता का समस्त घराना तेरी ओर से प्राण दणड के योग्य था; परन्तु तू ने अपने दास को अपनी मेज पर खानेवालों में गिना है। मुझे क्या हक है कि मैं राजा की ओर दोहाई दूं?

28. আমার প্রভু মহারাজের সাক্ষাতে আমার সমস্ত পিতৃকুল নিতান্ত মৃত্যুর পাত্র ছিল, তথাপি যাহারা আপনার মেজে ভোজন করে, আপনি তাহাদের সহিত বসিতে আপনার এই দাসকে স্থান দিয়াছিলেন; অতএব আমার আর কি অধিকার আছে যে, মহারাজের কাছে পুনর্ব্বার ক্রন্দন করিব?

29. राजा ने उस से कहा, तू अपनी बात की चर्चा क्सों करता रहता है? मेरी आज्ञा यह है, कि उस भूमि को तुम और सीबा दोनों आपस में बांट लो।

29. রাজা তাহাকে কহিলেন, তোমার বিষয়ে অধিক কথায় কি প্রয়োজন? আমি বলিতেছি তুমি ও সীবঃ উভয়ে সেই ভূমি অংশ করিয়া লও।

30. मपीबोशेत ने राजा से कहा, मेरे प्रभु राजा जो कुशल क्षेम से अपने घर आया है, इसलिये सीबा ही सब कुछ ले ले।

30. তখন মফীবোশৎ রাজাকে কহিলেন, সে সমস্তই গ্রহণ করুক, কারণ আমার প্রভু মহারাজ কুশলে আপন বাটীতে ফিরিয়া আসিয়াছেন।

31. तब गिलादी बर्जिल्लै रोगलीम से आया, और राजा के साथ यरदन पार गया, कि उसको यरदन के पार पहुंचाए।

31. আর গিলিয়দীয় বর্সিল্লয় রোগলীম হইতে নামিয়া আসিয়াছিলেন, তিনি রাজাকে যর্দ্দনের পারে রাখিয়া যাইবার আশয়ে তাঁহার সহিত যর্দ্দন পার হইয়াছিলেন।

32. बर्जिल्लै तो वृठ्ठ पुरूष था, अर्थात् अस्सी पर्ष की आयु का था जब तक राजा महनैम में रहता था तब तक वह उसका पालन पोषण करता रहा; क्योंकि वह बहुत धनी था।

32. বর্সিল্লয় অতি বৃদ্ধ, আশী বৎসর বয়স্ক ছিলেন; আর মহনয়িমে রাজার অবস্থিতিকালে তিনি রাজার খাদ্য যোগাইয়াছিলেন, কারণ তিনি এক জন খুব বড় মানুষ ছিলেন।

33. तब राजा ने बर्जिल्लै से कहा, मेरे संग पार चल, और मैं तुझे यरूशलेम में अपने पास रखकर तेरा पालन पोषण करूंगा।

33. রাজা বর্সিল্লয়কে কহিলেন, তুমি আমার সহিত পার হইয়া আইস, আমি তোমাকে যিরূশালেমে আমার সঙ্গে প্রতিপালন করিব।

34. बर्जिल्लै ने राजा से कहा, मुझे कितने दिन जीवित रहना है, कि मैं राजा के संग यरूशलेंम को जाऊं?

34. কিন্তু বর্সিল্লয় রাজাকে কহিলেন, আমার আয়ুর আর কত দিন আছে যে, আমি মহারাজের সহিত যিরূশালেমে উঠিয়া যাইব? অদ্য আমার বয়স আশী বৎসর;

35. आज मैं अस्सी वर्ष का हूँ; क्या मैं भले- बुरे का विवेक कर सकता हूँ? क्या तेरा दास जो कुछ खाता पीता है उसका स्वाद पहिचान सकता है? क्या मुझे गवैरयों वा गायिकाओं का शब्द अब सुन पड़ता है? तेरा दास अब अपने प्रभु राजा के लिये क्यों बोझ का कारण हो?

35. এখন কি ভাল মন্দের বিশেষ বুঝিতে পারি? যাহা ভোজন করি বা যাহা পান করি, আপনার দাস আমি কি তাহার আস্বাদ বুঝিতে পারি? এখন কি আর গায়ক ও গায়িকাদের গানের শব্দ শুনিতে পাই? তবে কেন আপনার এই দাস আমার প্রভু মহারাজের ভারস্বরূপ হইবে?

36. तेरे दास राजा के संग यरदन पार ही तक जाएगा। राजा इसका ऐसा बड़ा बदला मुझे क्यों दे?

36. আপনার দাস মহারাজের সহিত কেবল যর্দ্দন পার হইয়া যাইবে, এই মাত্র; মহারাজ কেন এমন পুরস্কারে আমাকে পুরস্কৃত করিবেন?

37. अपने दास को लौटने दे, कि मैं अपने ही नगर में अपने माता पिता के कब्रिस्तान के पास मरूं। परन्तु तेरा दास किम्हाम उपस्थित है; मेरे प्रभु राजा के संग वह पार जाए; और जैसा तुझे भाए वैया ही उस से व्यवहार करना।

37. অনুগ্রহ করিয়া আপনার এই দাসকে ফিরিয়া যাইতে দিউন; আমি আপন নগরে আপন পিতামাতার কবরের নিকটে মরিব। কিন্তু দেখুন, এই আপনার দাস কিম্‌হম; এ আমার প্রভু মহারাজের সহিত পার হইয়া যাউক; আপনার যাহা ভাল বোধ হয়, ইহার প্রতি করিবেন।

38. राजा ने कहा, हां, किम्हान मेरे संग पार चलेगा, और जैसा तुझे भाए वैसा ही मैं उस से व्यवहार करूंगा वरन जो कुछ तू मुझ से चाहेगा वह मैं तेरे लिये करूंगा।

38. রাজা উত্তর করিলেন, কিম্‌হম আমার সহিত পার হইয়া যাইবে; তোমার যাহা ভাল বোধ হয়, আমি তাহার প্রতি তাহাই করিব; এবং তুমি আমাকে যাহা করিতে বলিবে, তোমার জন্য আমি তাহাই করিব।

39. तब सब लोग यरदन पार गए, और राजा भी पार हुआ; तब राजा ने बर्जिल्लै को चूमकर आशीर्वाद दिया, और वह अपने स्थान को लौट गया।

39. পরে সমস্ত লোক যর্দ্দন পার হইল, রাজাও পার হইলেন; এবং রাজা বর্সিল্লয়কে চুম্বন করিলেন, ও আশীর্ব্বাদ করিলেন; পরে তিনি স্বস্থানে ফিরিয়া গেলেন।

40. तब राजा गिल्गाल की ओर पार गया, और उसके संग किम्हाम पार हुआ; और सब सहूदी लोगों ने और आधे इस्राएली लोगों ने राजा को पार पहुंचाया।

40. আর রাজা পার হইয়া গিল্‌গলে গেলেন; এবং কিম্‌হম তাঁহার সহিত গেল, এবং যিহূদার সমস্ত লোক ও ইস্রায়েলের অর্দ্ধেক লোক গিয়া রাজাকে পার করিয়া লইয়া আসিয়াছিল।

41. तब सब इस्राएली पुरूष राजा के पास आए, और राजा से कहने लगे, क्या कारण है कि हमारे यहूदी भाई तुझे चोरी से ले आए, और परिवार समेत राजा को और उसके सब जनों को भी यरदन पार ले आए हैं?

41. আর দেখ, ইস্রায়েলের সমস্ত লোক রাজার নিকটে আসিয়া রাজাকে কহিল, আমাদের ভ্রাতা যিহূদার লোকেরা কেন আপনাকে চুরি করিয়া আনিল? মহারাজকে আপনার পরিজনদিগকে ও দায়ূদের সঙ্গে তাঁহার সমস্ত লোককে, যর্দ্দন পার করিয়া কেন আনিল?

42. सब यहूदी पुरूषों ने इस्राएली पुरूषों को उत्तर दिया, कि कारण यह है कि राजा हमारे गोत्रा का है। तो तुम लोग इस बात से क्यों रूठ गए हो? क्या हम ने राजा का दिया हुआ कुछ खाया है? वा उस ने हमें कुछ दान दिया है?

42. তখন যিহূদার সমস্ত লোক ইস্রায়েল লোকদিগকে উত্তর করিল, রাজা ত আমাদের নিকট কুটুম্ব, তবে তোমরা এ বিষয়ে কেন ক্রুদ্ধ হও? আমরা কি রাজার কিছু খাইয়াছি? অথবা তিনি কি আমাদিগকে কিছু ভেট দিয়াছেন?

43. इस्राएली पुरूषों ने यहूदी पुरूषों को उत्तर दिया, राजा में दस अंश हमारे हैं; और दाऊद में हमारा भाग तुम्हारे भाग से बड़ा है। तो फिर तुम ने हमें क्यों तुच्छ जाना? क्या अपने राजा के लौटा ले आने की चर्चा पहिले हम ही ने न की थी? और यहूदी पुरूषों ने इस्राएली पुरूषों से अधिक कड़ी बातें कहीं।

43. তখন ইস্রায়েল লোকেরা উত্তর করিয়া যিহূদার লোকদিগকে কহিল, রাজাতে আমাদের দশ অংশ অধিকার আছে, আরও দায়ূদে তোমাদের অপেক্ষা আমাদের অধিকার অধিক; অতএব আমাদিগকে কেন তুচ্ছবোধ করিলে; আর আমাদের রাজাকে ফিরাইয়া আনিবার প্রস্তাব কি প্রথমে আমরাই করি নাই? তখন ইস্রায়েল লোকদের বাক্য অপেক্ষা যিহূদার লোকদের বাক্য অধিক কঠিন হইল।



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