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1. तब योआब को यह समाचार मिला, कि राजा अबशालोम के लिये रो रहा है और विलाप कर रहा है।
1. The king shuddered. He went up to the room over the gate and burst into tears; and, as he wept, he kept saying, 'Oh, my son Absalom! My son! My son Absalom! If only I had died instead of you! Oh, Absalom my son, my son!'
2. इसलिये उस दिन का विजय सब लोगों की समझ में विलाप ही का कारण बन गया; क्योंकि लोगों ने उस दिन सुना, कि राजा अपने बेटे के लिये खेदित है।
2. Word was brought to Joab, 'The king is weeping and mourning for Absalom.'
3. और उस दिन लोग ऐसा मुंह चुराकर नगर में घुसे, जैसा लोग युठ्ठ से भाग आने से लज्जित होकर मुंह चुराते हैं।
3. And for the entire army that day, victory was turned to mourning, the troops having learnt that the king was grieving for his son.
4. और राजा मुंह ढांपे हुए चिल्ला चिल्लाकर पुकारता रहा, कि हाय मेरे बेटे अबशालोम ! हाय अबशालोम, मेरे बेटे, मेरे बेटे !
4. And that day the troops came furtively back into town, like troops creeping shamefacedly away when deserting in battle.
5. तब योआब घर में राजा के पास जाकर कहने लगा, तेरे कर्मचारियों ने आज के दिन तेरा, और तेरे बेटे- बेटियों का और तेरी पत्नियों और रखेलियों का प्राण तो बचाया है, परन्तु तू ते आज के दिन उन सभों का मुंह काला किया है;
5. The king had covered his face and kept crying aloud, 'My son Absalom! Oh, Absalom my son, my son!'
6. इसलिये कि तू अपने बैरियों से प्रेम और अपने प्रेमियों से बैर रखता है। तू ने आज यह प्रगट किया कि तुझे हाकिमों और कर्मचारियों की कुछ चिन्ता नहीं; वरन मैं ने आज जान लिया, कि यदि हम सब आज मारे जाते और अबशालोम जीवित रहता, तो तू बहुत प्रसन्न होता।
6. Joab went inside to the king and said, 'Today you have made all your servants feel ashamed-today, when they have saved your life, the lives of your sons and daughters, the lives of your wives and the lives of your concubines!-because you love those who hate you and hate those who love you.
7. इसलिये अब उठकर बाहर जा, और अपने कर्मचारियों को शान्ति दे; तहीं तो मैं यहोवा की शपथ खाकर कहता हूँ, कि यदि तू बाहर न जाएगा, तो आज रात को एक मनुष्य भी तेरे संग न रहेगा; और तेरे बचपन से लेकर अब तक जितनी विपत्तियां तुझ पर पड़ी हैं उन सब से यह विपत्ति बड़ी होगी।
7. Today you have made it plain that commanders and soldiers mean nothing to you -- for today I can see that you would be content if we were all dead, provided that Absalom was alive!
8. तब राजा उठकर फाटक में जा बैठा। और जब सब लोगों को यह बताया गया, कि राजा फाटक में बैठा है; तब सब लोग राजा के साम्हने आए। और इस्राएली अपने अपने डेरे को भाग गए थे।
8. Now get up, come out and reassure your soldiers; for if you do not come out, I swear by Yahweh, not one man will stay with you tonight; and this will be a worse misfortune for you than anything that has happened to you from your youth until now!'
9. और इस्राएल के सब गोत्रों में सब लोग आपस में यह कहकर ढगड़ते थे, कि राजा ने हमें हमारे शत्रुओं के हाथ से बचाया था, और पलिश्तियों के हाथ से उसी ने हमें छुड़ाया; परन्तु अब वह अबशालोम के डर के मारे देश छोड़कर भाग गया।
9. The king got up and took his seat at the gate. An announcement was made to the whole army: 'The king is sitting at the gate.' And the whole army assembled in front of the king.
10. और अबशालोम जिसको हम ने अपना राजा होने को अभिषेक किया था, वह युठ्ठ में मर गया है। तो अब तुम क्यों चुप रहते? और जाजा को लौटा ले अपने की चर्चा क्यों नहीं करते?
10. Israel had fled, dispersing to their homes. Throughout the tribes of Israel all was dissension and people began saying, 'The king, having freed us from the clutches of our enemies, having saved us from the clutches of the Philistines, has himself had to flee the country to escape from Absalom;
11. तब राजा दाऊद ने सादोक और एब्यातार याजकों के पास कहला भेजा, कि यहूदी पुरनियों से कहो, कि तुम लोग राजा को भवन पहुंचाने के लिये सब से पीछे क्यों होते हो जब कि समस्त इस्राएल की बातचीत राजा के सुनने में आई है, कि उसको भवन में पहुंचाए?
11. and now Absalom, whom we had anointed to reign over us, has died in battle. Why does no one suggest that the king should be brought back?'What was being said throughout Israel reached the king.
12. तुम लोग तो मेरे भाई, वरन मेरी ही हड्डी और मांस हो; तो तुम राजा को लौटाने में सब के पीछे क्यों होते हो?
12. King David then sent word to the priests Zadok and Abiathar, 'Say to the elders of Judah, 'Why should you be the last to bring the king home?
13. फिर अमासा से यह कहो, कि क्या तू मेरी हड्डी और मांस नहीं है? और यदि तू योआब के स्थान पर सदा के लिये सेनापति न ठहरे, तो परमेश्वर मुझ से वैसा ही वरन उस से भी अधिक करे।
13. You are my brothers, you are my own flesh and bone: why should you be the last to bring the king back?'
14. इस प्रकार उस ने सब यहूदी पुरूषों के मन ऐसे अपनी ओर खींच लिया कि मानों एक ही पुरूष था; और उन्हों ने राजा के पास कहला भेजा, कि तू अपने सब कर्पचारियों को संग लेकर लौट आ।
14. And say to Amasa, 'Are you not my own flesh and bone? May God bring unnameable ills on me and worse ills, too, if you do not become my permanent army commander instead of Joab!' '
15. तब राजा लौटकर यरदन तक आ गया; और यहूदी लोग गिलगाल तक गए कि उस से मिलकर उसे यरदन पार ले आए।
15. Thus he rallied the hearts of the men of Judah to a man and, as a result, they sent word to the king, 'Come back, you and all who serve you.'
16. यहूदियों के संग गेरा का पुत्रा बिन्यामीनी शिमी भी जो बहूरीमी था फुत करके राजा दाऊद से भेंट करने को गया;
16. So the king started home and reached the Jordan. Judah, coming to meet the king to escort him across the Jordan, had arrived at Gilgal.
17. उसके संग हज़ार बिन्यामीनी पुरूष थे। और शाऊल के घराने का कर्मचारी सीबा अपने पन्द्रह पुत्रों और बीस दासों समेत था, और वे राजा के साम्हने यरदन के पार पांव पैदल उतर गए।
17. Shimei son of Gera, the Benjaminite of Bahurim, hurried down with the men of Judah to meet King David.
18. और एक बेड़ा राजा के परिवार को पार ले आने, और जिस काम में वह उसे लगाने चाहे उसी में लगने के लिये पार गया। और जब राजा यरदन पार जाने पर था, तब गेरा का पुत्रा शिमी उसके पावों पर गिरके,
18. With him were a thousand men from Benjamin. Ziba, servant of the House of Saul, with his fifteen sons and twenty servants, arrived at the Jordan before the king
19. राजा से कहने लगा, मेरा प्रभु मेरे दोष का लेखा न करे, और जिस दिन मेरा प्रभु राजा यरूशलेम को छोड़ आया, उस दिन तेरे दास ने जो कुटिल काम किया, उसे ऐसा स्मरण न कर कि राजा उसे अपने ध्यान में रखे।
19. and worked manfully ferrying the king's family across and doing whatever he required. While the king was crossing the Jordan, Shimei son of Gera fell at the king's feet
20. क्योंकि तेरा दास जानता है कि मैं ने पाप किया; देख, आज अपने प्रभु राजा से भेंट करने के लिये यूसुफ के समस्त घ्राने में से मैं ही पहिला आया हूँ।
20. and said to the king, 'I hope my lord does not regard me as guilty of a crime! Forget about the wrong your servant did on the day my lord the king left Jerusalem. Let my lord not hold my guilt against me.
21. तब सरूयाह के पुत्रा अबीशै ने कहा, शिमी ने जो यहोवा के अभिषिक्त को शाप दिया था, इस कारण क्या उसको वध करना न चाहिये?
21. For your servant is aware of having sinned, and that is why I have come today -- the first member of the whole House of Joseph to come down to meet my lord the king.'
22. दाऊद ने कहा, हे सरूयाह के बेटों, मुझे तुम से क्या काम, कि तुम आज मेरे विरोधी ठहरे हो? आज क्या इस्राएल में किसी को प्राण दणड मिलेगा? क्या मैं नहीं जानता कि आज मैं इस्राएल का राजा हुआ हूँ?
22. At this, Abishai son of Zeruiah spoke up and said, 'Does Shimei not deserve death for having cursed Yahweh's anointed?'
23. फिर राजा ने शिमी से कहा, तुझे प्राण दणड न मिलेगा। और राजा ने उस से शपथ भी खाई।
23. To which David replied, 'What concern is my business to you, sons of Zeruiah, that you should oppose my wishes today? Could anyone be put to death in Israel today? Today I know for sure that I am king of Israel?'
24. तब शाऊल का पोता मपीबोशेत राजा से भेंट करने को आया; उस ने राजा के चले जाने के दिन से उसके कुशल क्षेम से फिर आने के दिन तक न अपने पावों के नाखून काटे, और न अपनी दाढी बनवाई, और न अपने कपड़े धुलवाए थे।
24. 'Your life is spared,' the king said. And the king gave him his oath.
25. तो जब यरूशलेमी राजा से मिलने को गए, तब राजा ने उस से पूछा, हे मपीबोशेत, तू मेरे संग क्यों नहीं गया था?
25. Meribbaal son of Saul also went down to meet the king. He had not cared for his feet or hands, he had not trimmed his moustache or washed his clothes from the day of the king's departure till the day of his peaceful return.
26. उस ने कहा, हे मेरे प्रभु, हे राजा, मेरे कर्मचारी ने मुझे धोखा दिया था; तेरा दास जो पंगु है; इसलिये तेरे दास ने सोचा, कि मैं गदहे पर काठी कसवाकर उस पर चढ़ राजा के साथ चला जाऊंगा।
26. When he arrived from Jerusalem to greet the king, the king asked him, 'Why did you not come with me, Meribbaal?'
27. और मेरे कर्मचारी ने मेरे प्रभु राजा के साम्हने मेरी चुगली खाई। परन्तु मेरा प्रभु राजा परमेश्वर के दूत के समान है; और जो कुछ तुझे भाए वही कर।
27. 'My lord king,' he replied, 'my retainer deceived me. Your servant said to him, 'Saddle the donkey for me to ride, so that I can go with the king,' your servant being lame.
28. मेरे पिता का समस्त घराना तेरी ओर से प्राण दणड के योग्य था; परन्तु तू ने अपने दास को अपनी मेज पर खानेवालों में गिना है। मुझे क्या हक है कि मैं राजा की ओर दोहाई दूं?
28. He has slandered your servant to my lord the king. My lord the king, however, is like the Angel of God, so do as you think right.
29. राजा ने उस से कहा, तू अपनी बात की चर्चा क्सों करता रहता है? मेरी आज्ञा यह है, कि उस भूमि को तुम और सीबा दोनों आपस में बांट लो।
29. My father's entire family deserved no better than death from my lord the king, and yet you admitted your servant to the ranks of those who eat at your table. What right have I to make any further appeal to the king?'
30. मपीबोशेत ने राजा से कहा, मेरे प्रभु राजा जो कुशल क्षेम से अपने घर आया है, इसलिये सीबा ही सब कुछ ले ले।
30. The king said, 'You need say no more. I rule that you and Ziba divide the property between you.'
31. तब गिलादी बर्जिल्लै रोगलीम से आया, और राजा के साथ यरदन पार गया, कि उसको यरदन के पार पहुंचाए।
31. 'Let him take it all,' Meribbaal said to the king, 'since my lord the king has come back home in peace!'
32. बर्जिल्लै तो वृठ्ठ पुरूष था, अर्थात् अस्सी पर्ष की आयु का था जब तक राजा महनैम में रहता था तब तक वह उसका पालन पोषण करता रहा; क्योंकि वह बहुत धनी था।
32. Barzillai the Gileadite had come down from Rogelim and accompanied the king towards the Jordan, intending to take leave of him at the Jordan.
33. तब राजा ने बर्जिल्लै से कहा, मेरे संग पार चल, और मैं तुझे यरूशलेम में अपने पास रखकर तेरा पालन पोषण करूंगा।
33. Barzillai was a man of great age; he was eighty years old. He had kept the king in provisions during his stay at Mahanaim, being a very wealthy man.
34. बर्जिल्लै ने राजा से कहा, मुझे कितने दिन जीवित रहना है, कि मैं राजा के संग यरूशलेंम को जाऊं?
34. 'Come with me', the king said to Barzillai, 'and I will provide for you at my side in Jerusalem.'
35. आज मैं अस्सी वर्ष का हूँ; क्या मैं भले- बुरे का विवेक कर सकता हूँ? क्या तेरा दास जो कुछ खाता पीता है उसका स्वाद पहिचान सकता है? क्या मुझे गवैरयों वा गायिकाओं का शब्द अब सुन पड़ता है? तेरा दास अब अपने प्रभु राजा के लिये क्यों बोझ का कारण हो?
35. Barzillai replied to the king, 'How many years have I left to live, for me to go up to Jerusalem with the king?
36. तेरे दास राजा के संग यरदन पार ही तक जाएगा। राजा इसका ऐसा बड़ा बदला मुझे क्यों दे?
36. I am now eighty years old; can I tell the good from the bad? Has your servant any taste for his food and drink? Can I still hear the voices of men and women singers? Why should your servant be a further burden to my lord the king?
37. अपने दास को लौटने दे, कि मैं अपने ही नगर में अपने माता पिता के कब्रिस्तान के पास मरूं। परन्तु तेरा दास किम्हाम उपस्थित है; मेरे प्रभु राजा के संग वह पार जाए; और जैसा तुझे भाए वैया ही उस से व्यवहार करना।
37. Your servant will go a little way across the Jordan with the king; but why should the king reward me so generously for that?
38. राजा ने कहा, हां, किम्हान मेरे संग पार चलेगा, और जैसा तुझे भाए वैसा ही मैं उस से व्यवहार करूंगा वरन जो कुछ तू मुझ से चाहेगा वह मैं तेरे लिये करूंगा।
38. Please allow your servant to go home again, so that I can die in my own town near the grave of my father and mother. But here is your servant Chimham; let him go with my lord the king; treat him as you think right.'
39. तब सब लोग यरदन पार गए, और राजा भी पार हुआ; तब राजा ने बर्जिल्लै को चूमकर आशीर्वाद दिया, और वह अपने स्थान को लौट गया।
39. The king said, 'Let Chimham come along with me then; I shall do whatever you wish for him, and anything you request I shall do for your sake.'
40. तब राजा गिल्गाल की ओर पार गया, और उसके संग किम्हाम पार हुआ; और सब सहूदी लोगों ने और आधे इस्राएली लोगों ने राजा को पार पहुंचाया।
40. The people then all crossed the Jordan, and the king, having crossed, kissed Barzillai and blessed him, and the latter went home.
41. तब सब इस्राएली पुरूष राजा के पास आए, और राजा से कहने लगे, क्या कारण है कि हमारे यहूदी भाई तुझे चोरी से ले आए, और परिवार समेत राजा को और उसके सब जनों को भी यरदन पार ले आए हैं?
41. The king went on to Gilgal and Chimham went with him. All the people of Judah accompanied the king, and also half the people of Israel.
42. सब यहूदी पुरूषों ने इस्राएली पुरूषों को उत्तर दिया, कि कारण यह है कि राजा हमारे गोत्रा का है। तो तुम लोग इस बात से क्यों रूठ गए हो? क्या हम ने राजा का दिया हुआ कुछ खाया है? वा उस ने हमें कुछ दान दिया है?
42. All the men of Israel then came to the king. 'Why', they asked the king, 'have our brothers, the men of Judah, carried you off and brought the king and his family across the Jordan, and all David's men with him?'
43. इस्राएली पुरूषों ने यहूदी पुरूषों को उत्तर दिया, राजा में दस अंश हमारे हैं; और दाऊद में हमारा भाग तुम्हारे भाग से बड़ा है। तो फिर तुम ने हमें क्यों तुच्छ जाना? क्या अपने राजा के लौटा ले आने की चर्चा पहिले हम ही ने न की थी? और यहूदी पुरूषों ने इस्राएली पुरूषों से अधिक कड़ी बातें कहीं।
43. All the men of Judah retorted to the men of Israel, 'Because the king is more closely related to us. Why do you take offence at this? Have we been eating at the king's expense? Have we taken any position for ourselves?'