2 Samuel - 2 शमूएल 19 | View All

1. तब योआब को यह समाचार मिला, कि राजा अबशालोम के लिये रो रहा है और विलाप कर रहा है।

1. And it was told Joab, that the king wept and mourned for his son:

2. इसलिये उस दिन का विजय सब लोगों की समझ में विलाप ही का कारण बन गया; क्योंकि लोगों ने उस दिन सुना, कि राजा अपने बेटे के लिये खेदित है।

2. And the victory that day was turned into mourning unto all the people: for the people heard say that day: The king grieveth for his son.

3. और उस दिन लोग ऐसा मुंह चुराकर नगर में घुसे, जैसा लोग युठ्ठ से भाग आने से लज्जित होकर मुंह चुराते हैं।

3. And the people shunned the going into the city that day as a people would do that hath turned their backs, and fled away from the battle.

4. और राजा मुंह ढांपे हुए चिल्ला चिल्लाकर पुकारता रहा, कि हाय मेरे बेटे अबशालोम ! हाय अबशालोम, मेरे बेटे, मेरे बेटे !

4. And the king covered his head, and cried with a loud voice: O my son Absalom, O Absalom my son, O my son.

5. तब योआब घर में राजा के पास जाकर कहने लगा, तेरे कर्मचारियों ने आज के दिन तेरा, और तेरे बेटे- बेटियों का और तेरी पत्नियों और रखेलियों का प्राण तो बचाया है, परन्तु तू ते आज के दिन उन सभों का मुंह काला किया है;

5. Then Joab going into the house to the king, said: Thou hast shamed this day the faces of all thy servants, that have saved thy life, and the lives of thy sons, and of thy daughters, and the lives of thy wives, and the lives of thy concubines.

6. इसलिये कि तू अपने बैरियों से प्रेम और अपने प्रेमियों से बैर रखता है। तू ने आज यह प्रगट किया कि तुझे हाकिमों और कर्मचारियों की कुछ चिन्ता नहीं; वरन मैं ने आज जान लिया, कि यदि हम सब आज मारे जाते और अबशालोम जीवित रहता, तो तू बहुत प्रसन्न होता।

6. Thou lovest them that hate thee, and thou hatest them that love thee: and thou hast shewn this day that thou carest not for thy nobles, nor for thy servants: and I now plainly perceive that if Absalom had lived, and all we had been slain, then it would have pleased thee.

7. इसलिये अब उठकर बाहर जा, और अपने कर्मचारियों को शान्ति दे; तहीं तो मैं यहोवा की शपथ खाकर कहता हूँ, कि यदि तू बाहर न जाएगा, तो आज रात को एक मनुष्य भी तेरे संग न रहेगा; और तेरे बचपन से लेकर अब तक जितनी विपत्तियां तुझ पर पड़ी हैं उन सब से यह विपत्ति बड़ी होगी।

7. Now therefore arise, and go out, and speak to the satisfaction of thy servants: for I swear to thee by the Lord, that if thou wilt not go forth, there will not tarry with thee so much as one this night: and that will be worse to thee, than all the evils that have befallen thee from thy youth until now.

8. तब राजा उठकर फाटक में जा बैठा। और जब सब लोगों को यह बताया गया, कि राजा फाटक में बैठा है; तब सब लोग राजा के साम्हने आए। और इस्राएली अपने अपने डेरे को भाग गए थे।

8. Then the king arose and sat in the gate: and it was told to all the people that the king sat in the gate: and all the people came before the king, but Israel fled to their own dwellings.

9. और इस्राएल के सब गोत्रों में सब लोग आपस में यह कहकर ढगड़ते थे, कि राजा ने हमें हमारे शत्रुओं के हाथ से बचाया था, और पलिश्तियों के हाथ से उसी ने हमें छुड़ाया; परन्तु अब वह अबशालोम के डर के मारे देश छोड़कर भाग गया।

9. And all the people were at strife in all the tribes of Israel, saying: The king delivered us out of the hand of our enemies, and he saved us out of the hand of the Philistines: and now he is fled out of the land for Absalom.

10. और अबशालोम जिसको हम ने अपना राजा होने को अभिषेक किया था, वह युठ्ठ में मर गया है। तो अब तुम क्यों चुप रहते? और जाजा को लौटा ले अपने की चर्चा क्यों नहीं करते?

10. But Absalom, whom we anointed over us, is dead in the battle: how long are you silent, and bring not back the king?

11. तब राजा दाऊद ने सादोक और एब्यातार याजकों के पास कहला भेजा, कि यहूदी पुरनियों से कहो, कि तुम लोग राजा को भवन पहुंचाने के लिये सब से पीछे क्यों होते हो जब कि समस्त इस्राएल की बातचीत राजा के सुनने में आई है, कि उसको भवन में पहुंचाए?

11. And king David sent to Sadoc, and Abiathar the priests, saying: Speak to the ancients of Juda, saying: Why are you the last to bring the king back to his house? (For the talk of all Israel was come to the king in his house.)

12. तुम लोग तो मेरे भाई, वरन मेरी ही हड्डी और मांस हो; तो तुम राजा को लौटाने में सब के पीछे क्यों होते हो?

12. You are my brethren, you are my bone, and my flesh, why are you the last to bring back the king?

13. फिर अमासा से यह कहो, कि क्या तू मेरी हड्डी और मांस नहीं है? और यदि तू योआब के स्थान पर सदा के लिये सेनापति न ठहरे, तो परमेश्वर मुझ से वैसा ही वरन उस से भी अधिक करे।

13. And say ye to Amasa: Art not thou my bone, and my flesh? So do God to me and add more, if thou be not the chief captain of the army before me always in the place of Joab.

14. इस प्रकार उस ने सब यहूदी पुरूषों के मन ऐसे अपनी ओर खींच लिया कि मानों एक ही पुरूष था; और उन्हों ने राजा के पास कहला भेजा, कि तू अपने सब कर्पचारियों को संग लेकर लौट आ।

14. And be inclined the heart of all the men of Juda, as it were of one man: and they sent to the king, saying: Return thou, and all thy servants.

15. तब राजा लौटकर यरदन तक आ गया; और यहूदी लोग गिलगाल तक गए कि उस से मिलकर उसे यरदन पार ले आए।

15. And the king returned and came as far as the Jordan, and all Juda came as far as Galgal to meet the king, and to bring him over the Jordan.

16. यहूदियों के संग गेरा का पुत्रा बिन्यामीनी शिमी भी जो बहूरीमी था फुत करके राजा दाऊद से भेंट करने को गया;

16. And Semei the son of Gera the son of Jemini of Bahurim, made haste and went down with the men of Juda to meet king David,

17. उसके संग हज़ार बिन्यामीनी पुरूष थे। और शाऊल के घराने का कर्मचारी सीबा अपने पन्द्रह पुत्रों और बीस दासों समेत था, और वे राजा के साम्हने यरदन के पार पांव पैदल उतर गए।

17. With a thousand men of Benjamin, and Siba the servant of the house of Saul: and his fifteen sons, and twenty servants were with him: and going over the Jordan,

18. और एक बेड़ा राजा के परिवार को पार ले आने, और जिस काम में वह उसे लगाने चाहे उसी में लगने के लिये पार गया। और जब राजा यरदन पार जाने पर था, तब गेरा का पुत्रा शिमी उसके पावों पर गिरके,

18. They passed the fords before the king, that they might help over the king's household, and do according to his commandment. And Semei the son of Gera falling down before the king, when he was come over the Jordan,

19. राजा से कहने लगा, मेरा प्रभु मेरे दोष का लेखा न करे, और जिस दिन मेरा प्रभु राजा यरूशलेम को छोड़ आया, उस दिन तेरे दास ने जो कुटिल काम किया, उसे ऐसा स्मरण न कर कि राजा उसे अपने ध्यान में रखे।

19. Said to him: Impute not to me, my lord, the iniquity, nor remember the injuries of thy servant on the day that thou, my lord, the king, wentest out of Jerusalem, nor lay it up in thy heart, O king.

20. क्योंकि तेरा दास जानता है कि मैं ने पाप किया; देख, आज अपने प्रभु राजा से भेंट करने के लिये यूसुफ के समस्त घ्राने में से मैं ही पहिला आया हूँ।

20. For I thy servant acknowledge my sin: and therefore I am come this day the first of all the house of Joseph, and am come down to meet my lord the king.

21. तब सरूयाह के पुत्रा अबीशै ने कहा, शिमी ने जो यहोवा के अभिषिक्त को शाप दिया था, इस कारण क्या उसको वध करना न चाहिये?

21. But Abisai the son of Sarvia answering, said: Shall Semei for these words not be put to death, because he cursed the Lord's anointed?

22. दाऊद ने कहा, हे सरूयाह के बेटों, मुझे तुम से क्या काम, कि तुम आज मेरे विरोधी ठहरे हो? आज क्या इस्राएल में किसी को प्राण दणड मिलेगा? क्या मैं नहीं जानता कि आज मैं इस्राएल का राजा हुआ हूँ?

22. And David said: What have I to do with you, ye sons of Sarvia? why are you a satan this day to me? shall there any man be killed this day in Israel? do not I know that this day I am made king over Israel?

23. फिर राजा ने शिमी से कहा, तुझे प्राण दणड न मिलेगा। और राजा ने उस से शपथ भी खाई।

23. And the king said to Semei: Thou shalt not die. And he swore unto him.

24. तब शाऊल का पोता मपीबोशेत राजा से भेंट करने को आया; उस ने राजा के चले जाने के दिन से उसके कुशल क्षेम से फिर आने के दिन तक न अपने पावों के नाखून काटे, और न अपनी दाढी बनवाई, और न अपने कपड़े धुलवाए थे।

24. And Miphiboseth the son of Saul came down to meet the king, and he had neither washed his feet, nor trimmed his beard: nor washed his garments from the day that the king went out, until the day of his return in peace.

25. तो जब यरूशलेमी राजा से मिलने को गए, तब राजा ने उस से पूछा, हे मपीबोशेत, तू मेरे संग क्यों नहीं गया था?

25. And when he met the king at Jerusalem, the king said to him: Why camest thou not with me, Miphiboseth?

26. उस ने कहा, हे मेरे प्रभु, हे राजा, मेरे कर्मचारी ने मुझे धोखा दिया था; तेरा दास जो पंगु है; इसलिये तेरे दास ने सोचा, कि मैं गदहे पर काठी कसवाकर उस पर चढ़ राजा के साथ चला जाऊंगा।

26. And he answering, said: My lord, O king, my servant despised me: for I thy servant spoke to him to saddle me an ass, that I might get on and go with the king: for I thy servant am lame.

27. और मेरे कर्मचारी ने मेरे प्रभु राजा के साम्हने मेरी चुगली खाई। परन्तु मेरा प्रभु राजा परमेश्वर के दूत के समान है; और जो कुछ तुझे भाए वही कर।

27. Moreover he hath also accused me thy servant to thee, my lord the king: but thou my lord the king art as an angel of God, do what pleaseth thee.

28. मेरे पिता का समस्त घराना तेरी ओर से प्राण दणड के योग्य था; परन्तु तू ने अपने दास को अपनी मेज पर खानेवालों में गिना है। मुझे क्या हक है कि मैं राजा की ओर दोहाई दूं?

28. For all of my father's house were no better than worthy of death before my lord the king; and thou hast set me thy servant among the guests of thy table: what just complaint therefore have I? or what right to cry any more to the king?

29. राजा ने उस से कहा, तू अपनी बात की चर्चा क्सों करता रहता है? मेरी आज्ञा यह है, कि उस भूमि को तुम और सीबा दोनों आपस में बांट लो।

29. Then the king said to him: Why speakest thou any more? what I have said is determined: thou and Siba divide the possessions.

30. मपीबोशेत ने राजा से कहा, मेरे प्रभु राजा जो कुशल क्षेम से अपने घर आया है, इसलिये सीबा ही सब कुछ ले ले।

30. And Miphiboseth answered the king: Yea, let him take all, for as much as my lord the king is returned peaceably into his house.

31. तब गिलादी बर्जिल्लै रोगलीम से आया, और राजा के साथ यरदन पार गया, कि उसको यरदन के पार पहुंचाए।

31. Berzellai also the Galaadite coming down from Rogelim, brought the king over the Jordan, being ready also to wait on him beyond the river.

32. बर्जिल्लै तो वृठ्ठ पुरूष था, अर्थात् अस्सी पर्ष की आयु का था जब तक राजा महनैम में रहता था तब तक वह उसका पालन पोषण करता रहा; क्योंकि वह बहुत धनी था।

32. Now Berzellai the Galaadite was of a great age, that is to say, fourscore years old, and he provided the king with sustenance when he abode in the camp: for he was a man exceeding rich.

33. तब राजा ने बर्जिल्लै से कहा, मेरे संग पार चल, और मैं तुझे यरूशलेम में अपने पास रखकर तेरा पालन पोषण करूंगा।

33. And the king said to Berzellai: Come with me that thou mayest rest secure with me in Jerusalem.

34. बर्जिल्लै ने राजा से कहा, मुझे कितने दिन जीवित रहना है, कि मैं राजा के संग यरूशलेंम को जाऊं?

34. And Berzellai said to the king: How many are the days of the years of my life, that I should go up with the king to Jerusalem?

35. आज मैं अस्सी वर्ष का हूँ; क्या मैं भले- बुरे का विवेक कर सकता हूँ? क्या तेरा दास जो कुछ खाता पीता है उसका स्वाद पहिचान सकता है? क्या मुझे गवैरयों वा गायिकाओं का शब्द अब सुन पड़ता है? तेरा दास अब अपने प्रभु राजा के लिये क्यों बोझ का कारण हो?

35. I am this day fourscore years old, are my senses quick to discern sweet and bitter? or can meat or drink delight thy servant? or can I hear any more the voice of singing men and singing women? why should thy servant be a burden to my lord, the king?

36. तेरे दास राजा के संग यरदन पार ही तक जाएगा। राजा इसका ऐसा बड़ा बदला मुझे क्यों दे?

36. I thy servant will go on a little way from the Jordan with thee: I need not this recompense.

37. अपने दास को लौटने दे, कि मैं अपने ही नगर में अपने माता पिता के कब्रिस्तान के पास मरूं। परन्तु तेरा दास किम्हाम उपस्थित है; मेरे प्रभु राजा के संग वह पार जाए; और जैसा तुझे भाए वैया ही उस से व्यवहार करना।

37. But I beseech thee let thy servant return, and die in my own city, and be buried by the sepulchre of my father, and of my mother. But there is thy servant Chamaam, let him go with thee, my lord, the king, and do to him whatsoever seemeth good to thee.

38. राजा ने कहा, हां, किम्हान मेरे संग पार चलेगा, और जैसा तुझे भाए वैसा ही मैं उस से व्यवहार करूंगा वरन जो कुछ तू मुझ से चाहेगा वह मैं तेरे लिये करूंगा।

38. Then the king said to him: Let Chamaam go over with me, and I will do for him whatsoever shall please thee, and all that thou shalt ask of me, thou shalt obtain.

39. तब सब लोग यरदन पार गए, और राजा भी पार हुआ; तब राजा ने बर्जिल्लै को चूमकर आशीर्वाद दिया, और वह अपने स्थान को लौट गया।

39. And when all the people and the king had passed over the Jordan, the king kissed Berzellai, and blessed him: and he returned to his own place.

40. तब राजा गिल्गाल की ओर पार गया, और उसके संग किम्हाम पार हुआ; और सब सहूदी लोगों ने और आधे इस्राएली लोगों ने राजा को पार पहुंचाया।

40. So the king went on to Galgal, and Chamaam with him. Now all the people of Juda had brought the king over, and only half of the people of Israel were there.

41. तब सब इस्राएली पुरूष राजा के पास आए, और राजा से कहने लगे, क्या कारण है कि हमारे यहूदी भाई तुझे चोरी से ले आए, और परिवार समेत राजा को और उसके सब जनों को भी यरदन पार ले आए हैं?

41. Therefore all the men of Israel running together to the king, said to him: Why have our brethren the men of Juda stolen thee away, and have brought the king and his household over the Jordan, and all the men of David with him?

42. सब यहूदी पुरूषों ने इस्राएली पुरूषों को उत्तर दिया, कि कारण यह है कि राजा हमारे गोत्रा का है। तो तुम लोग इस बात से क्यों रूठ गए हो? क्या हम ने राजा का दिया हुआ कुछ खाया है? वा उस ने हमें कुछ दान दिया है?

42. And all the men of Juda answered the men of Israel: Because the king is nearer to me: why art thou angry for this matter? have we eaten any thing of the king's, or have any gifts been given us?

43. इस्राएली पुरूषों ने यहूदी पुरूषों को उत्तर दिया, राजा में दस अंश हमारे हैं; और दाऊद में हमारा भाग तुम्हारे भाग से बड़ा है। तो फिर तुम ने हमें क्यों तुच्छ जाना? क्या अपने राजा के लौटा ले आने की चर्चा पहिले हम ही ने न की थी? और यहूदी पुरूषों ने इस्राएली पुरूषों से अधिक कड़ी बातें कहीं।

43. And the men of Israel answered the men of Juda, and said: I have ten parts in the king more than thou, and David belongeth to me more than to thee: why hast thou done me a wrong, and why was it not told me first, that I might bring back my king? And the men of Juda answered more harshly than the men of Israel.



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