Genesis - उत्पत्ति 12 | View All

1. यहोवा ने अब्राम से कहा, अपने देश, और अपनी जन्मभूमि, और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊंगा।
प्रेरितों के काम 7:3, इब्रानियों 11:8

1. সদাপ্রভু অব্রামকে কহিলেন, তুমি আপন দেশ, জ্ঞাতিকুটুম্ব ও পৈতৃক বাটী পরিত্যাগ করিয়া, আমি যে দেশ তোমাকে দেখাই, সেই দেশে চল।

2. और मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊंगा, और तुझे आशीष दूंगा, और तेरा नाम बड़ा करूंगा, और तू आशीष का मूल होगा।

2. আমি তোমা হইতে এক মহাজাতি উৎপন্ন করিব, এবং তোমাকে আশীর্ব্বাদ করিয়া তোমার নাম মহৎ করিব, তাহাতে তুমি আশীর্ব্বাদের আকর হইবে।

3. और जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीष दूंगा; और जो तुझे कोसे, उसे मैं शाप दूंगा; और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएंगे।
प्रेरितों के काम 3:25, गलातियों 3:8

3. যাহারা তোমাকে আশীর্ব্বাদ করিবে, তাহাদিগকে আমি আশীর্ব্বাদ করিব, যে কেহ তোমাকে অভিশাপ দিবে, তাহাকে আমি অভিশাপ দিব; এবং তোমাতে ভূমণ্ডলের যাবতীয় গোষ্ঠী আশীর্ব্বাদ প্রাপ্ত হইবে

4. यहोवा के इस वचन के अनुसार अब्राम चला; और लूत भी उसके संग चला; और जब अब्राम हारान देश से निकला उस समय वह पचहत्तर वर्ष का था।

4. পরে অব্রাম সদাপ্রভুর সেই বাক্যানুসারে যাত্রা করিলেন; এবং লোটও তাঁহার সঙ্গে গেলেন। হারণ হইতে প্রস্থান কালে অব্রামের পঁচাত্তর বৎসর বয়স ছিল।

5. सो अब्राम अपनी पत्नी सारै, और अपने भतीजे लूत को, और जो धन उन्हों ने इकट्ठा किया था, और जो प्राणी उन्हों ने हारान में प्राप्त किए थे, सब को लेकर कनान देश में जाने को निकल चला; और वे कनान देश में आ भी गए।
प्रेरितों के काम 7:4

5. অব্রাম আপন স্ত্রী সারীকে ও ভ্রাতুষ্পুত্র লোটকে এবং হারণে তাঁহারা যে ধন উপার্জ্জন করিয়াছিলেন, ও যে প্রাণিগণকে লাভ করিয়াছিলেন, সে সমস্ত লইয়া কনান দেশে গমনার্থে যাত্রা করিলেন, এবং কনান দেশে আসিলেন।

6. उस देश के बीच से जाते हुए अब्राम शकेम में, जहां मोरे का बांज वृक्ष है, पंहुचा; उस समय उस देश में कनानी लोग रहते थे।

6. আর অব্রাম দেশ দিয়া যাইতে যাইতে শিখিম স্থানে, মোরির এলোন বৃক্ষের নিকটে উপস্থিত হইলেন। তৎকালে কনানীয়েরা সেই দেশে বাস করিত।

7. तब यहोवा ने अब्राम को दर्शन देकर कहा, यह देश मैं तेरे वंश को दूंगा : और उस ने वहां यहोवा के लिये जिस ने उसे दर्शन दिया था, एक वेदी बनाई।
गलातियों 3:16

7. পরে সদাপ্রভু অব্রামকে দর্শন দিয়া কহিলেন, আমি তোমার বংশকে এই দেশ দিব; আর সেই স্থানে অব্রাম সেই সদাপ্রভুর উদ্দেশে এক যজ্ঞবেদি নির্ম্মাণ করিলেন, যিনি তাঁহাকে দর্শন দিয়াছিলেন।

8. फिर वहां से कूच करके, वह उस पहाड़ पर आया, जो बेतेल के पूर्व की ओर है; और अपना तम्बू उस स्थान में खड़ा किया जिसकी पच्छिम की ओर तो बेतेल, और पूर्व की ओर ऐ है; और वहां भी उस ने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई : और यहोवा से प्रार्थना की

8. পরে তিনি ঐ স্থান ত্যাগ করিয়া পর্ব্বতে গিয়া বৈথেলের পূর্ব্বদিকে আপনার তাম্বু স্থাপন করিলেন; তাহার পশ্চিমে বৈথেল ও পূর্ব্বদিকে অয় ছিল; তিনি সে স্থানে সদাপ্রভুর উদ্দেশে এক যজ্ঞবেদি নির্ম্মাণ করিলেন, ও সদাপ্রভুর নামে ডাকিলেন।

9. और अब्राम कूच करके दक्खिन देश की ओर चला गया।।

9. পরে অব্রাম ক্রমে ক্রমে দক্ষিণে গমন করিলেন।

10. और उस देश में अकाल पड़ा : और अब्राम मि देश को चला गया कि वहां परदेशी होकर रहे -- क्योंकि देश में भयंकर अकाल पड़ा था।

10. আর দেশে দুর্ভিক্ষ হইল, তখন অব্রাম মিসরে প্রবাস করিতে যাত্রা করিলেন; কেননা [কনান] দেশে ভারী দুর্ভিক্ষ হইয়াছিল।

11. फिर ऐसा हुआ कि मि के निकट पहुंचकर, उस ने अपनी पत्नी सारै से कहा, सुन, मुझे मालूम है, कि तू एक सुन्दर स्त्री है :

11. আর অব্রাম যখন মিসরে প্রবেশ করিতে উদ্যত হন, তখন আপন স্ত্রী সারীকে কহিলেন, দেখ, আমি জানি, তুমি দেখিতে সুন্দরী;

12. इस कारण जब मिद्दी तुझे देखेंगे, तब कहेंगे, यह उसकी पत्नी है, सो वे मुझ को तो मार डालेंगे, पर तुझ को जीती रख लेंगे।

12. এ কারণ মিস্রীয়েরা যখন তোমাকে দেখিবে, তখন তুমি আমার স্ত্রী বলিয়া আমাকে বধ করিবে, আর তোমাকে জীবিত রাখিবে।

13. सो यह कहना, कि मैं उसकी बहिन हूं; जिस से तेरे कारण मेरा कल्याण हो और मेरा प्राण तेरे कारण बचे।

13. বিনয় করি, এই কথা বলিও যে, তুমি আমার ভগিনী; যেন তোমার অনুরোধে আমার মঙ্গল হয়, ও তোমাহেতু আমার প্রাণ বাঁচে।

14. फिर ऐसा हुआ कि जब अब्राम मि में आया, तब मिस्त्रियों ने उसकी पत्नी को देखा कि यह अति सुन्दर है।

14. পরে অব্রাম মিসরে প্রবেশ করিলে মিস্রীয়েরা ঐ স্ত্রীকে পরমসুন্দরী দেখিল।

15. और फिरौन के हाकिमों ने उसको देखकर फिरौन के साम्हने उसकी प्रशंसा की : सो वह स्त्री फिरौन के घर में रखी गई।

15. অার ফরৌণের অধ্যক্ষগণ তাঁহাকে দেখিয়া ফরৌণের সাক্ষাতে তাঁহার প্রশংসা করিলেন; তাঁহাতে সেই স্ত্রী ফরৌণের বাটীতে নীত হইলেন।

16. और उस ने उसके कारण अब्राम की भलाई की; सो उसको भेड़- बकरी, गाय- बैल, दास- दासियां, गदहे- गदहियां, और ऊंट मिले।

16. আর তাঁহার অনুরোধে তিনি অব্রামকে আদর করিলেন; তাহাতে অব্রাম মেষ, গোরু, গর্দ্দভ এবং দাস দাসী, গর্দ্দভী ও উষ্ট্র পাইলেন।

17. तब यहोवा ने फिरौन और उसके घराने पर, अब्राम की पत्नी सारै के कारण बड़ी बड़ी विपत्तियां डालीं।

17. কিন্তু অব্রামের স্ত্রী সারীর জন্য সদাপ্রভু ফরৌণ ও তাঁহার পরিবারের উপরে ভারী ভারী উৎপাত ঘটাইলেন।

18. सो फिरौन ने अब्राम को बुलवाकर कहा, तू ने मुझ से क्या किया है ? तू ने मुझे क्यों नहीं बताया कि वह तेरी पत्नी है ?

18. তাহাতে ফরৌণ অব্রামকে ডাকিয়া কহিলেন, আপনি আমার সহিত এ কি ব্যবহার করিলেন? উনি আপনার স্ত্রী, এ কথা আমাকে কেন বলেন নাই?

19. तू ने क्यों कहा, कि वह तेरी बहिन है ? मैं ने उसे अपनी ही पत्नी बनाने के लिये लिया; परन्तु अब अपनी पत्नी को लेकर यहां से चला जा।

19. উহাঁকে আপনার ভগিনী কেন বলিলেন? আমি ত উহাঁকে বিবাহ করিতে লইয়াছিলাম। এখন আপনার স্ত্রীকে লইয়া চলিয়া যাউন।

20. और फिरौन ने अपने आदमियों को उसके विषय में आज्ञा दी और उन्हों ने उसको और उसकी पत्नी को, सब सम्पत्ति समेत जो उसका था, विदा कर दिया।।

20. তখন ফরৌণ লোকদিগকে তাঁহার বিষয়ে আজ্ঞা দিলেন, আর তাহারা সর্ব্বস্বের সহিত তাঁহাকে ও তাঁহার স্ত্রীকে বিদায় করিল।



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