Job - अय्यूब 20 | View All

1. तब नामाती सोपर ने कहा,

1. Zophar of Naamath spoke next. He said:

2. मेरा जी चाहता है कि उत्तर दूं, और इसलिये बोलने में फुत करता हूँ।

2. My thoughts urge me to reply to this, and hence the impatience that grips me.

3. मैं ने ऐसी चितौनी सुनी जिस से मेरी निन्दा हुई, और मेरी आत्मा अपनी समझ के अनुसार तुझे उत्तर देती है।

3. I have put up with prating that outrages me and now my mind inspires me with an answer.

4. क्या तू यह नियम नहीं जानता जो प्राचीन और उस समय का है, जब मनुष्य पृथ्वी पर बसाया गया,

4. Do you not know, that since time began and human beings were set on the earth,

5. कि दुष्टों का ताली बजाना जल्दी बन्द हो जाता और भक्तिहीनों का आनन्द पल भर का होता है?

5. the triumph of the wicked has always been brief, and the sinner's gladness has never lasted long?

6. चाहे ऐसे मनुष्य का माहात्म्य आकाश तक पहुंच जाए, और उसका सिर बादलों तक पहुंचे,

6. Towering to the sky he may have been, his head touching the clouds;

7. तौभी वह अपनी विष्ठा की नाई सदा के लिये नाश हो जाएगा; और जो उसको देखते थे वे पूछेंगे कि वह कहां रहा?

7. but he vanishes, like a phantom, once for all, while those who used to see him, ask, 'Where is he?'

8. वह स्वप्न की नाई लोप हो जाएगा और किसी को फिर न मिलेगा; रात में देखे हुए रूप की नाई वह रहने न पाएगा।

8. Like a dream that leaves no trace he takes his flight, like a vision in the night he flies away.

9. जिस ने उसको देखा हो फिर उसे न देखेगा, और अपने स्थान पर उसका कुछ पता न रहेगा।

9. The eye accustomed to see him sees him no more, his home will never set eyes on him again.

10. उसके लड़केबाले कंगालों से भी बिनती करेंगे, और वह अपना छीना हुआ माल फेर देगा।

10. His sons will have to reimburse the poor and his children pay back his riches.

11. उसकी हडि्डयों में जवानी का बल भरा हुआ है परन्तु वह उसी के साथ मिट्टी में मिल जाएगा।

11. His bones used to be full of youthful vigour: and there it lies, in the dust with him, now!

12. चाहे बुराई उसको मीठी लगे, और वह उसे अपनी जीभ के नीचे छिपा रखे,

12. Evil was sweet to his mouth, he would shelter it under his tongue;

13. और वह उसे बचा रखे और न छोड़े, वरन उसे अपने तालू के बीच दबा रखे,

13. cultivating it carefully, he would let it linger on his palate.

14. तौभी उसका भोजन उसके पेट में पलटेगा, वह उसके अन्दर नाग का सा विष बन जाएगा।

14. Such food goes bad in his belly, working inside him like the poison of a viper.

15. उस ने जो धन निगल लिया है उसे वह फिर उगल देगा; ईश्वर उसे उसके पेट में से निकाल देगा।

15. Now he has to vomit up the wealth that he has swallowed, God makes him disgorge it.

16. वह नागों का विष चूस लेगा, वह करैत के डसने से मर जाएगा।

16. He used to suck vipers' venom, and the tongue of the adder kills him.

17. वह नदियों अर्थात् मधु और दही की नदियों को देखने न पाएगा।

17. No more will he know the streams of oil or the torrents of honey and cream.

18. जिसके लिये उस ने परिश्रम किया, उसको उसे लौटा देना पड़ेगा, और वह उसे निगलने न पाएगा; उसकी मोल ली हुई वस्तुओं से जितना आनन्द होना चाहिये, उतना तो उसे न मिलेगा।

18. When he gives back his winnings, his cheerfulness will fade, and the satisfied air he had when business was thriving.

19. क्योंकि उस ने कंगालों को पीसकर छोड़ दिया, उस ने घर को छीन लिया, उसको वह बढ़ाने न पाएगा।

19. Since he once destroyed the huts of the poor, plundering houses instead of building them up,

20. लालसा के मारे उसको कभी शान्ति नहीं मिलती थी, इसलिये वह अपनी कोई मनभावनी वस्तु बचा न सकेगा।

20. since his avarice could never be satisfied, now all his hoarding will not save him;

21. कोई वस्तु उसका कौर बिना हुए न बचती थी; इसलिये उसका कुशल बना न रहेगा

21. since nothing could escape his greed, his prosperity will not last.

22. पूरी सम्पत्ति रहते भी वह सकेती में पड़ेगा; तब सब दु:खियों के हाथ उस पर उठेंगे।

22. When he has everything he needs, want will seize him, and misery will light on him with all its force.

23. ऐसा होगा, कि उसका पेट भरने के लिये ईश्वर अपना क्रोध उस पर भड़काएगा, और रोटी खाने के समय वह उस पर पड़ेगा।

23. On him God looses all his burning wrath, hurling against his flesh a hail of arrows.

24. वह लोहे के हथियार से भागेगा, और पीतल के धनुष से मारा जाएगा।

24. If he escapes the weapons of iron, the bow of bronze will transfix him.

25. वह उस तीर को खींचकर अपने पेट से निकालेगा, उसकी चमकीली नोंक उसके पित्ते से होकर निकलेगी, भय उस में समाएगा।

25. Out of his back sticks an arrow, from his gall a shining point. The terrors advance on him,

26. उसके गड़े हुए धन पर घोर अन्धकार छा जाएगा। वह ऐसी आग से भस्म होगा, जो मनुष्य की फूंकी हुई न हो; और उसी से उसके डेरे में जो बचा हो वह भी भस्म हो जाएगा।

26. all the hidden darknesses are waiting to carry him off. A fire unlit by human hand devours him, and consumes what is left in his tent.

27. आकाश उसका अथर्म प्रगट करेगा, और पृथ्वी उसके विरूद्ध खड़ी होगी।

27. The heavens lay bare his iniquity, and the earth rises up against him.

28. उसके घर की बढ़ती जाती रहेगी, वह उसके क्रोध के दिन बह जाएगी।

28. The income of his house pours away, like the torrents, on the day of retribution.

29. परमेश्वर की ओर से दुष्ट मनुष्य का अंश, और उसके लिये ईश्वर का ठहराया हुआ भाग यही है।

29. Such is the fate God reserves for the wicked, the inheritance he assigns to the accursed!



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