James - याकूब 2 | View All

1. हे मेरे भाइयों, हमारे महिमायुक्त प्रभु यीशु मसीह का विश्वास तुम में पक्षपात के साथ न हो।
अय्यूब 34:19, भजन संहिता 24:7-10

1. My brothers, ye should not have the faith of our Lord Jesus Christ of glory, in favoritism.

2. क्योंकि यदि एक पुरूष सोने के छल्ले और सुन्दर वस्त्रा पहिने हुए तुम्हारी सभा में आए और एक कंगाल भी मैले कुचैले कपड़े पहिने हुए आए।

2. For if a man with a gold ring in bright clothing comes into your synagogue, and also a poor man in dirty clothing comes in,

3. और तुम उस सुन्दर वस्त्रावाले का मुंह देखकर कहो कि तू वहां अच्छी जगह बैठ; और उस कंगाल से कहो, कि तू यहां खड़ा रह, या मेरे पांव की पीढ़ी के पास बैठ।

3. and ye have regard for the man wearing the bright clothing, and say to him, Sit thou here well, and ye say to the poor man, Stand thou there, or sit here below my footstool,

4. तो क्या तुम ने आपस में भेद भाव न किया और कुविचार से न्याय करनेवाले न ठहरे?

4. then are ye not partial among yourselves, and become judges from evil thoughts?

5. हे मेरे प्रिय भाइयों सुनो; क्या परमेश्वर ने इस जगत के कंगालों को नहीं चुना कि विश्वास में धर्मी, और उस राज्य के अधिकारी हों, जिस की प्रतिज्ञा उस ने उन से की है जो उस से प्रेम रखते हैं?

5. Listen, my beloved brothers, did not God choose the poor of the world, rich in faith, and heirs of the kingdom, which he promised to those who love him?

6. पर तुम ने उस कंगाल का अपमान किया: क्या धनी लोग तुम पर अत्याचार नहीं करते और क्या वे ही तुम्हें कचहरियों में घसीट घसीट कर नहीं ले जाते?

6. But ye have dishonored the poor man. Do not the rich exploit you, and they themselves drag you into courts?

7. क्या वे उस उत्तम नाम की निन्दा नहीं करते जिस के तुम कहलाए जाते हो?

7. Do they not blaspheme the good name that was called upon you?

8. तौभी यदि तुम पवित्रा शास्त्रा के इस वचन के अनुसार, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख, सचमुच उस राज्य व्यवस्था को पूरी करते हो, तो अच्छा करते हो।
लैव्यव्यवस्था 19:18

8. If ye indeed fulfill the royal law according to the scripture, Thou shall love thy neighbor as thyself, ye do well.

9. पर यदि तुम पक्षपात करते हो, तो पाप करते हो; और व्यवस्था तुम्हें अपराधी ठहराती है।
व्यवस्थाविवरण 1:17

9. But if ye respect personages, ye work sin, being convicted by the law as transgressors.

10. क्योंकि जो कोई सारी व्यवस्था का पालन करता है परन्तु एक ही बात में चूक जाए तो वह सब बातों मे दोषी ठहरा।

10. For whoever keeps the whole law, and stumbles on one, he has become guilty of all.

11. इसलिये कि जिस ने यह कहा, कि तू व्यभिचार न करना उसी ने यह भी कहा, कि तू हत्या न करना इसलिये यदि तू ने व्यभिचार तो नहीं किया, पर हत्या की तौभी तू व्यवस्था का उलंघन करने वाला ठहरा।
निर्गमन 20:13-16, व्यवस्थाविवरण 5:17, व्यवस्थाविवरण 5:18

11. For he who said thou shall not commit adultery, also said thou shall not murder. Now if thou will not commit adultery, but murder, thou have become a transgressor of law.

12. तुम उन लोगों की नाई वचन बोलो, और काम भी करो, जिन का न्याय स्वतंत्राता की व्यवस्था के अनुसार होगा।

12. So speak ye, and so do ye, as men who are to be judged by a law of liberty.

13. क्योंकि जिस ने दया नहीं की, उसका न्याय बिना दया के होगा: दया न्याय पर जयवन्त होती है।।

13. For the judgment is merciless to him who did no mercy. Mercy triumphs over judgment.

14. हे मेरे भाइयों, यदि कोई कहे कि मुझे विश्वास है पर वह कर्म न करता हो, तो उस से क्या लाभ? क्या ऐसा विश्वास कभी उसका उद्धार कर सकता है?

14. What is the benefit, my brothers, if some man should say to have faith, but has no works? Can the faith save him?

15. यदि कोई भाई या बहिन नगें उघाड़े हों, और उन्हें प्रति दिन भोजन की घटी हो।

15. And if a brother or sister may be unclothed, and may be destitute of daily food,

16. और तुम में से कोई उन से कहे, कुशल से जाओ, तुम गरम रहो और तृप्त रहो; पर जो वस्तुएं देह के लिये आवश्यक हैं वह उन्हें न दे, तो क्या लाभ?

16. and some man of you would say to them, Go in peace, be ye warmed and fed, but ye would not give them the things necessary for the body, what is the benefit?

17. वैसे ही विश्वास भी, यदि कर्म सहित न हो तो अपने स्वभाव में मरा हुआ है।

17. So also faith, if it has no works, is dead by itself.

18. बरन कोई कह सकता है कि तुझे विश्वास है, और मैं कर्म करता हूं: तू अपना विश्वास मुझे कर्म बिना तो दिखा; और मैं अपना विश्वास अपने कर्मों के द्वारा तुझे दिखाऊंगा।

18. But some man will say, Thou have faith, and I have works. Show me thy faith from thy works, and I will show thee from my works my faith.

19. तुझे विश्वास है कि एक ही परमेश्वर है: तू अच्छा करता है: दुष्टात्मा भी विश्वास रखते, और थरथराते हैं।

19. Thou believe that there is one God, thou do well. The demons also believe, and shudder.

20. पर हे निकम्मे मनुष्य क्या तू यह भी नहीं जानता, कि कर्म बिना विश्वास व्यर्थ है?

20. But do thou want to know, O vain man, that faith apart from works is dead?

21. जब हमारे पिता इब्राहीम ने अपने पुत्रा इसहाक को वेदी पर चढ़ाया, तो क्या वह कर्मो से धार्मिक न ठहरा था।
उत्पत्ति 22:2, उत्पत्ति 22:9

21. Was not Abraham our father made righteous from works, having offered up Isaac his son upon the altar?

22. सो तू ने देख लिया कि विश्वास ने उस के कामों के साथ मिलकर प्रभाव डाला है और कर्मो से विश्वास सिद्ध हुआ।

22. Thou see that faith was working with his works, and from the works, faith was fully perfected.

23. और पवित्रा शास्त्रा का यह वचन पूरा हुआ, कि इब्राहीम ने परमेश्वर की प्रतीति की, और यह उसके लिये धर्म गिना गया, और वह परमेश्वर का मित्रा कहलाया।
उत्पत्ति 15:6, 2 इतिहास 20:7, यशायाह 41:8

23. And the scripture was fulfilled, which says, And Abraham believed God, and it was reckoned to him for righteousness, and he was called a friend of God.

24. सो तुम ने देख लिया कि मनुष्य केवल विश्वास से ही नहीं, बरन कर्मों से भी धर्मी ठहरता है।

24. Ye see therefore that from works a man is made righteous, and not from faith only.

25. वैसे ही राहाब वेश्या भी जब उस ने दूतों को अपने घर में उतारा, और दूसरे मार्ग से विदा किया, तो क्या कर्मों से धार्मिक न ठहरी?
यहोशू 2:4, यहोशू 2:15, यहोशू 6:17

25. And likewise also was not Rahab the harlot made righteous from works, having received the agents, and having sent them out another way?

26. निदान, जैसे देह आत्मा बिना मरी हुई है वैसा ही विश्वास भी कर्म बिना मरा हुआ है।।

26. For as the body without a spirit is dead, so also faith without the works is dead.



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