Deuteronomy - व्यवस्थाविवरण 11 | View All

1. इसलिये तू अपने परमेश्वर यहोवा से अत्यन्त प्रेम रखना, और जो कुछ उस ने तुझे सौंपा है उसका, अर्थात् उसी विधियों, नियमों, और आज्ञाओं का नित्य पालन करना।

1. Therefore thou shalt love Jehovah thy God, and keep his charge, and his statutes, and his ordinances, and his commandments, alway.

2. और तुम आज यह सोच समझ लो (क्योंकि मैं तो तुम्हारे बाल- बच्चों से नहीं कहता,) जिन्हों ने न तो कुछ देखा और न जाना है कि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने क्या क्या ताड़ना की, और कैसी महिमा, और बलवन्त हाथ, और बढ़ाई हुई भुजा दिखाई,

2. And know ye this day: for [I speak] not with your children that have not known, and that have not seen the chastisement of Jehovah your God, his greatness, his mighty hand, and his outstretched arm,

3. और मि में वहां के राजा फिरौन को कैसे कैसे चिन्ह दिखाए, और उसके सारे देश में कैसे कैसे चमत्कार के काम किए;

3. and his signs, and his works, which he did in the midst of Egypt unto Pharaoh the king of Egypt, and unto all his land;

4. और उस ने मि की सेना के घोड़ों और रथों से क्या किया, अर्थात् जब वे तुम्हारा पीछा कर रहे थे तब उस ने उनको लाल समुद्र में डुबोकर किस प्रकार नष्ट कर डाला, कि आज तक उनका पता नहीं;

4. and what he did unto the army of Egypt, unto their horses, and to their chariots; how he made the water of the Red Sea to overflow them as they pursued after you, and how Jehovah hath destroyed them unto this day;

5. और तुम्हारे इस स्थान में पहुंचने तक उस ने जंगल में तुम से क्या क्या किया;
प्रेरितों के काम 7:5

5. and what he did unto you in the wilderness, until ye came unto this place;

6. औैर उस ने रूबेनी एलीआब के पुत्रा दातान और अबीराम से क्या क्या किया; अर्थात् पृथ्वी ने अपना मुंह पसारके उनको घरानों, और डेरों, और सब अनुचरों समेत सब इस्राएलियों के देखते देखते कैसे निगल लिया;

6. and what he did unto Dathan and Abiram, the sons of Eliab, the son of Reuben; how the earth opened its mouth, and swallowed them up, and their households, and their tents, and every living thing that followed them, in the midst of all Israel:

7. परन्तु यहोवा के इन सब बड़े बड़े कामों को तुम ने अपनी आंखों से देखा है।

7. but your eyes have seen all the great work of Jehovah which he did.

8. इस कारण जितनी आज्ञाएं मैं आज तुम्हें सुनाता हूं उन सभों को माना करना, इसलिये कि तुम सामर्थी होकर उस देश में जिसके अधिकारी होने के लिये तुम पार जा रहे हो प्रवेश करके उसके अधिकारी हो जाओ,

8. Therefore shall ye keep all the commandment which I command thee this day, that ye may be strong, and go in and possess the land, whither ye go over to possess it;

9. और उस देश में बहुत दिन रहने पाओ, जिसे तुम्हें और तुम्हारे वंश को देने की शपथ यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों से खाईं थी, और उस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं।

9. and that ye may prolong your days in the land, which Jehovah sware unto your fathers to give unto them and to their seed, a land flowing with milk and honey.

10. देखो, जिस देश के अधिकारी होने को तुम जा रहे हो वह मि देश के समान नहीं है, जहां से निकलकर आए हो, जहां तुम बीज बोते थे और हरे साग के खेत की रीति के अनुसार अपने पांव की नलियां बनाकर सींचते थे;

10. For the land, whither thou goest in to possess it, is not as the land of Egypt, from whence ye came out, where thou sowedst thy seed, and wateredst it with thy foot, as a garden of herbs;

11. परन्तु जिस देश के अधिकारी होने को तुम पार जाने पर हो वह पहाड़ों और तराईयों का देश है, और आकाश की वर्षा के जल से सिंचता है;

11. but the land, whither ye go over to possess it, is a land of hills and valleys, [and] drinketh water of the rain of heaven,

12. वह ऐसा देश है जिसकी तेरे परमेश्वर यहोवा को सुधि रहती है; और वर्ष के आदि से लेकर अन्त तक तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि उस पर निरन्तर लगी रहती है।।

12. a land which Jehovah thy God careth for: the eyes of Jehovah thy God are always upon it, from the beginning of the year even unto the end of the year.

13. और यदि तुम मेरी आज्ञाओं को जो आज मैं तुम्हें सुनाता हूं ध्यान से सुनकर, अपने सम्पूर्ण मन और सारे प्राण के साथ, अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम रखो और उसकी सेवा करते रहो,

13. And it shall come to pass, if ye shall hearken diligently unto my commandments which I command you this day, to love Jehovah your God, and to serve him with all your heart and with all your soul,

14. तो मैं तुम्हारे देश में बरसात के आदि और अन्त दोनों समयों की वर्षा को अपने अपने समय पर बरसाऊंगा, जिस से तू अपना अन्न, नया दाखमधु, और टटका तेल संचय कर सकेगा।
याकूब 5:7

14. that I will give the rain of your land in its season, the former rain and the latter rain, that thou mayest gather in thy grain, and thy new wine, and thine oil.

15. और मै तेरे पशुओं के लिये तेरे मैदान में घास उपजाऊंगा, और तू पेट भर खाएगा और सन्तुष्ट रहेगा।

15. And I will give grass in thy fields for thy cattle, and thou shalt eat and be full.

16. इसलिये अपने विषय में सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन धोखा खाएं, और तुम बहककर दूसरे देवताओं की पूजा करने लगो और उनको दण्डवत् करने लगो,

16. Take heed to yourselves, lest your heart be deceived, and ye turn aside, and serve other gods, and worship them;

17. और यहोवा का कोप तुम पर भड़के, और वह आकाश की वर्षा बन्द कर दे, और भूमि अपनी उपज न दे, और तुम उस उत्तम देश में से जो यहोवा तुम्हें देता है शीघ्र नष्ट हो जाओ।

17. and the anger of Jehovah be kindled against you, and he shut up the heavens, so that there shall be no rain, and the land shall not yield its fruit; and ye perish quickly from off the good land which Jehovah giveth you.

18. इसलिये तुम मेरे ये वचन अपने अपने मन और प्राण में धारण किए रहना, और चिन्हानी के लिये अपने हाथों पर बान्धना, और वे तुम्हारी आंखों के मध्य में टीके का काम दें।

18. Therefore shall ye lay up these my words in your heart and in your soul; and ye shall bind them for a sign upon your hand, and they shall be for frontlets between your eyes.

19. और तुम घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते- उठते इनकी चर्चा करके अपने लड़केबालों को सिखाया करना।

19. And ye shall teach them your children, talking of them, when thou sittest in thy house, and when thou walkest by the way, and when thou liest down, and when thou risest up.

20. और इन्हें अपने अपने घर के चौखट के बाजुओं और अपने फाटकों के ऊपर लिखना;

20. And thou shalt write them upon the door-posts of thy house, and upon thy gates;

21. इसलिये कि जिस देश के विषय में यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर कहा था, कि मैं उसे तुम्हें दूंगा, उस में तुम्हारे और तुम्हारे लड़केबालों की दीर्घायु हो, और जब तक पृथ्वी के ऊपर का आकाश बना रहे तब तक वे भी बने रहें।

21. that your days may be multiplied, and the days of your children, in the land which Jehovah sware unto your fathers to give them, as the days of the heavens above the earth.

22. इसलिये यदि तुम इन सब आज्ञाओं के मानने में जो मैं तुम्हें सुनाता हूं पूरी चौकसी करके अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम रखो, और उसके सब मार्गों पर चलो, और उस से लिपटे रहो,

22. For if ye shall diligently keep all this commandment which I command you, to do it, to love Jehovah your God, to walk in all his ways, and to cleave unto him;

23. तो यहोवा उन सब जातियों को तुम्हारे आगे से निकाल डालेगा, और तुम अपने से बड़ी और सामर्थी जातियों के अधिकारी हो जाओगे।

23. then will Jehovah drive out all these nations from before you, and ye shall dispossess nations greater and mightier than yourselves.

24. जिस जिस स्थान पर तुम्हारे पांव के तलवे पडें वे सब तुम्हारे ही हो जाएंगे, अर्थात् जंगल से लबानोन तक, और परात नाम महानद से लेकर पश्चिम के समुद्र तक तुम्हारा सिवाना होगा।

24. Every place whereon the sole of your foot shall tread shall be yours: from the wilderness, and Lebanon, from the river, the river Euphrates, even unto the hinder sea shall be your border.

25. तुम्हारे साम्हने कोई भी खड़ा न रह सकेगा; क्योंकि जितनी भूमि पर तुम्हारे पांव पडेंगे उस सब पर रहनेवालों के मन में तुम्हारा परमेश्वर यहोवा अपने वचन के अनुसार तुम्हारे कारण उन में डर और थरथराहट उत्पन्न कर देगा।

25. There shall no man be able to stand before you: Jehovah your God shall lay the fear of you and the dread of you upon all the land that ye shall tread upon, as he hath spoken unto you.

26. सुनो, मैं आज के दिन तुम्हारे आगे आशीष और शाप दोनों रख देता हूं।

26. Behold, I set before you this day a blessing and a curse:

27. अर्थात् यदि तुम अपने परमेश्वर यहोवा की इन आज्ञाओं को जो मैं आज तुम्हे सुनाता हूं मानो, तो तुम पर आशीष होगी,

27. the blessing, if ye shall hearken unto the commandments of Jehovah your God, which I command you this day;

28. और यदि तुम अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं को नहीं मानोगे, और जिस मार्ग की आज्ञा मैं आज सुनाता हूं उसे तजकर दूसरे देवताओं के पीछे हो लोगे जिन्हें तुम नहीं जानते हो, तो तुम पर शाप पडेग़ा।

28. and the curse, if ye shall not hearken unto the commandments of Jehovah your God, but turn aside out of the way which I command you this day, to go after other gods, which ye have not known.

29. और जब तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को उस देश में पहुंचाए जिसके अधिकारी होने को तू जाने पर है, तब आशीष गरीज्जीम पर्वत पर से और शाप एबाल पर्वत पर से सुनाना।
यूहन्ना 4:20

29. And it shall come to pass, when Jehovah thy God shall bring thee into the land whither thou goest to possess it, that thou shalt set the blessing upon mount Gerizim, and the curse upon mount Ebal.

30. क्या वे यरदन के पार, सूर्य के अस्त होने की ओर, अराबा के निवासी कनानियों के देश में, गिल्गाल के साम्हने, मोरे के बांज वृक्षों के पास नहीं है?

30. Are they not beyond the Jordan, behind the way of the going down of the sun, in the land of the Canaanites that dwell in the Arabah, over against Gilgal, beside the oaks of Moreh?

31. तुम तो यरदन पार इसी लिये जाने पर हो, कि जो देश तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हें देता है उसके अधिकारी होकर उस में निवास करोगे;

31. For ye are to pass over the Jordan to go in to possess the land which Jehovah your God giveth you, and ye shall possess it, and dwell therein.

32. इसलिये जितनी विधियां और नियम मैं आज तुम को सुनाता हूं उन सभों के मानने में चौकसी करना।।

32. And ye shall observe to do all the statutes and the ordinances which I set before you this day.



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