Ephesians - इफिसियों 6 | View All

1. हे बालकों, प्रभु में अपने माता पिता के आज्ञाकारी बनो, क्योंकि यह उचित है।

1. সন্তানেরা, তোমরা প্রভুতে পিতামাতার আজ্ঞাবহ হও, কেননা তাহা ন্যায্য।

2. अपनी माता और पिता का आदर कर (यह पहिली आज्ञा है, जिस के साथ प्रतिज्ञा भी है)।
निर्गमन 20:12, व्यवस्थाविवरण 5:16, व्यवस्थाविवरण 15:16

2. “তোমার পিতাকে ও তোমার মাতাকে সমাদর করিও,”—এ ত প্রতিজ্ঞাসহযুক্ত প্রথম আজ্ঞা—

3. कि तेरा भला हो, और तू धरती पर बहुत दिन जीवित रहे।
निर्गमन 20:12, व्यवस्थाविवरण 5:16, व्यवस्थाविवरण 15:16

3. “যেন তোমার মঙ্গল হয়, এবং তুমি দেশে দীর্ঘায়ু হও।” আর পিতারা,

4. और हे बच्चेवालों अपने बच्चों को रिस न दिलाओ परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन- पोषण करो।।
व्यवस्थाविवरण 6:7, व्यवस्थाविवरण 6:20-25, भजन संहिता 78:4, नीतिवचन 2:2, नीतिवचन 3:11-12, नीतिवचन 19:18, नीतिवचन 22:6

4. তোমরা আপন আপন সন্তানদিগকে ক্রুদ্ধ করিও না, বরং প্রভুর শাসনে ও চেতনা প্রদানে তাহাদিগকে মানুষ করিয়া তুল।

5. हे दासो, जो लोग शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, अपने मन की सीधाई से डरते, और कांपते हुए, जैसे मसीह की, वैसे ही उन की भी आज्ञा मानो।

5. দাসেরা, তোমরা যেমন খ্রীষ্টের আজ্ঞাবহ, তেমনি ভয় ও কম্প সহকারে, তোমাদের অন্তঃকরণের সরলতায়, মাংস অনুযায়ী আপন আপন প্রভুদিগের আজ্ঞাবহ হও;

6. और मनुष्यों को प्रसन्न करनेवालों की नाई दिखाने के लिये सेवा न करो, पर मसीह के दासों की नाई मन से परमेश्वर की इच्छा पर चलो।

6. মনুষ্যের তুষ্টিকরের ন্যায় চাক্ষুষ সেবা না করিয়া, বরং খ্রীষ্টের দাসের ন্যায় প্রাণের সহিত ঈশ্বরের ইচ্ছা পালন করিতেছ বলিয়া, মনুষ্যের সেবা নয়,

7. और उस सेवा को मनुष्यों की नहीं, परन्तु प्रभु की जानकर सुइच्छा से करो।

7. বরং প্রভুরই সেবা করিতেছ বলিয়া, প্রণয় ভাবেই দাস্যকর্ম্ম কর;

8. क्योंकि तुम जानते हो, कि जो कोई जैसा अच्छा काम करेगा, चाहे दास हो, चाहे स्वतंत्रा; प्रभु से वैसा ही पाएगा।

8. জানিও, কোন সৎকর্ম্ম করিলে প্রত্যেক ব্যক্তি, সে দাস হউক কি স্বাধীন হউক, প্রভু হইতে তাহার ফল পাইবে।

9. और हे स्वामियों, तुम भी धमकियां छोड़कर उन के साथ वैसा ही व्यवहार करो, क्योंकि जानते हो, कि उन का और तुम्हारा दानों का स्वामी स्वर्ग में है, और वह किसी का पक्ष नहीं करता।।
व्यवस्थाविवरण 10:17, 2 इतिहास 19:7

9. আর প্রভুগণ, তোমরা তাহাদের প্রতি তদ্রূপ ব্যবহার কর, ভর্ৎসনা ত্যাগ কর, জানিও, তাহাদের এবং তোমাদেরও প্রভু স্বর্গে আছেন, আর তিনি কাহারও মুখাপেক্ষা করেন না।

10. निदान, प्रभु में और उस की शक्ति में बलवन्त बनो।

10. শেষ কথা এই, তোমরা প্রভুতে ও তাঁহার শক্তির পরাক্রমে বলবান্‌ হও।

11. परमेश्वर के सारे हथियार बान्ध लो; कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको।

11. ঈশ্বরের সমগ্র যুদ্ধসজ্জা পরিধান কর, যেন দিয়াবলের নানাবিধ চাতুরীর সম্মুখে দাঁড়াইতে পার।

12. क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।

12. কেননা রক্তমাংসের সহিত নয়, কিন্তু আধিপত্য সকলের সহিত, কর্ত্তৃত্ব সকলের সহিত, এই অন্ধকারের জগৎপতিদের সহিত, স্বর্গীয় স্থানে দুষ্টতার আত্মাগণের সহিত আমাদের মল্লযুদ্ধ হইতেছে।

13. इसलिये परमेश्वर के सारे हथियार बान्ध लो, कि तुम बुरे दिन में साम्हना कर सको, और सब कुछ पूरा करके स्थिर रह सको।

13. এই জন্য তোমরা ঈশ্বরের সমগ্র যুদ্ধসজ্জা গ্রহণ কর, যেন সেই কুদিনে প্রতিরোধ করিতে এবং সকলই সম্পন্ন করিয়া দাঁড়াইয়া থাকিতে পার।

14. सो सत्य से अपनी कमर कसकर, और धार्मीकता की झिलम पहिन कर।
यशायाह 11:5, यशायाह 59:17

14. অতএব সত্যের কটিবন্ধনীতে বদ্ধকটি হইয়া,

15. और पांवों में मेल के सुसमाचार की तैयारी के जूते पहिन कर।
यशायाह 49:3-9, यशायाह 52:7, नहूम 1:15

15. ধার্ম্মিকতার বুকপাটা পরিয়া, এবং শান্তির সুসমাচারের সুসজ্জতার পাদুকা চরণে দিয়া দাঁড়াইয়া থাক;

16. और उन सब के साथ विश्वास की ढाल लेकर स्थिर रहो जिस से तुम उस दुष्ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको।

16. এই সকল ছাড়া বিশ্বাসের ঢালও গ্রহণ কর, যাহার দ্বারা তোমরা সেই পাপাত্মার সমস্ত অগ্নিবাণ নির্ব্বাণ করিতে পারিবে;

17. और उद्धार का टोप, और आत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन है, ले लो।
यशायाह 11:4, यशायाह 49:2, यशायाह 51:16, यशायाह 59:17, होशे 6:5

17. এবং পরিত্রাণের শিরস্ত্রাণ ও আত্মার খড়্গ, অর্থাৎ ঈশ্বরের বাক্য গ্রহণ কর।

18. और हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और बिनती करते रहो, और इसी लिये जागते रहो, कि सब पवित्रा लोगों के लिये लगातार बिनती किया करो।

18. সর্ব্ববিধ প্রার্থনা ও বিনতি সহকারে সর্ব্বসময়ে আত্মাতে প্রার্থনা কর, এবং ইহার নিমিত্ত সম্পূর্ণ অভিনিবেশ ও বিনতিসহ জাগিয়া থাক,

19. और मेरे लिये भी, कि मुझे बोलने के समय ऐसा प्रबल वचन दिया जाए, कि मैं हियाव से सुसमाचार का भेद बता सकूं जिस के लिये मैं जंजीर से जकड़ा हुआ राजदूत हूं।

19. সমস্ত পবিত্র লোকের জন্য এবং আমার পক্ষে বিনতি কর, যেন মুখ খুলিবার উপযুক্ত বক্তৃতা আমাকে দেওয়া যায়, যাহাতে আমি সাহস পূর্ব্বক সেই সুসমাচারের নিগূঢ়তত্ত্ব জ্ঞাত করিতে পারি,

20. और यह भी कि मैं उस के विषय में जैसा मुझे चाहिए हियाव से बोलूं।।

20. যাহার নিমিত্ত আমি শৃঙ্খলে বদ্ধ হইয়া রাজদূতের কর্ম্ম করিতেছি; যেমন কথা বলা আমার উচিত, তেমনি যেন সেই বিষয়ে সাহস দেখাইতে পারি।

21. और तुखिकुस जो प्रिय भाई और प्रभु में विश्वासयोग्य सेवक है तुम्हें सब बातें बताएगा, कि तुम भी मेरी दशा जानो कि मैं कैसा रहता हूं।

21. আর আমার বিষয়, আমার কিরূপ চলিতেছে, তাহা যেন তোমরাও জানিতে পার, তন্নিমিত্ত প্রভুতে প্রিয় ভ্রাতা ও বিশ্বস্ত পরিচারক যে তুখিক, তিনি তোমাদিগকে সকলই জ্ঞাত করিবেন।

22. उसे मैं ने तुम्हारे पास इसी लिये भेजा है, कि तुम हमारी दशा जानो, और वह तुम्हारे मनों को शान्ति दे।।

22. আমি তাঁহাকে তোমাদের কাছে সেই জন্যই পাঠাইলাম, যেন তোমরা আমাদের সমস্ত সংবাদ জ্ঞাত হও, এবং তিনি যেন তোমাদের হৃদয়ে আশ্বাস দেন।

23. परमेश्वर पिता और प्रभु यीशु मसीह की ओर से भाइयों को शान्ति और विश्वास सहित प्रेम मिले।

23. পিতা ঈশ্বর এবং প্রভু যীশু খ্রীষ্ট হইতে শান্তি, এবং বিশ্বাসের সহিত প্রেম, ভ্রাতৃগণের প্রতি বর্ত্তুক।

24. जो हमारे प्रभु यीशु मसीह से सच्चा प्रेम रखते हैं, उन सब पर अनुग्रह होता रहे।।

24. আমাদের প্রভু যীশু খ্রীষ্টকে যাহারা অক্ষয়ভাবে প্রেম করে, অনুগ্রহ সেই সকলের সহবর্ত্তী হউক।



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