4. और हे बच्चेवालों अपने बच्चों को रिस न दिलाओ परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन- पोषण करो।।व्यवस्थाविवरण 6:7 और तू इन्हें अपने बालबच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना।
व्यवस्थाविवरण 6:20-25 फिर आगे को जब तेरा लड़का तुझ से पूछे, कि ये चितौनियां और विधि और नियम, जिनके मानने की आज्ञा हमारे परमेश्वर यहोवा ने तुम को दी है, इनका प्रयोजन क्या है?तब अपने लड़के से कहना, कि जब हम मि में फिरौन के दास थे, तब यहोवा बलवन्त हाथ से हम को मि में से निकाल ले आया;और यहोवा ने हमारे देखते मि में फिरौन और उसके सारे घराने को दु:ख देनेवाले बड़े बड़े चिन्ह और चमत्कार दिखाए;और हम को वह वहां से निकाल लाया, इसलिये कि हमें इस देश में पहुंचाकर, जिसके विषय में उस ने हमारे पूर्वजों से शपथ खाई थी, इसको हमें सौंप दे।और यहोवा ने हमें ये सब विधियां पालने की आज्ञा दी, इसलिये कि हम अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और इस रीति सदैव हमारा भला हो, और वह हम को जीवित रखे, जैसा कि आज के दिन है।और यदि हम अपने परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में उसकी आज्ञा के अनुसार इन सारे नियमों को मानने में चौकसी करें, तो वह हमारे लिये धर्म ठहरेगा।।
भजन संहिता 78:4 उन्हे हम उनकी सन्तान से गुप्त न रखेंगें, परन्तु होनहार पीढ़ी के लोगों से, यहोवा का गुणानुवाद और उसकी सामर्थ और आश्चर्यकर्मों का वर्णन करेंगें।।
नीतिवचन 2:2 और बुद्धि की बात ध्यान से सुने, और समझ की बात मन लगाकर सोचे;
नीतिवचन 3:11-12 हे मेरे पुत्रा, यहोवा की शिक्षा से मुंह न मोड़ना, और जब वह तुझे डांटे, तब तू बुरा न मानना,क्योंकि यहोवा जिस से प्रेम रखता है उसको डांटता है, जैसे कि बाप उस बेटे को जिसे वह अधिक चाहता है।।
नीतिवचन 19:18 जबतक आशा है तो अपने पुत्रा को ताड़ना कर, जान बूझकर उसका मार न डाल।
नीतिवचन 22:6 लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उसको चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा।